Saturday 31 August 2013

तोरई और चावल के औषधीय प्रयोग

 
तोरई
 तोरई एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। तोरई एक विशेष महत्त्व वाली सब्ज़ी है। यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्ज़ी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ़ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों में फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है।

तोरई की तरकारी बहुत हल्की मानी जाती है।

तोरई छोटी, रूखी, तेज, उष्णवीर्य और उल्टी को दूर करने वाली है।

यह कफ-पित्त के रोग को दूर करने वाली, ख़ून को साफ़ करने वाली, निःसारक, सूजन और पेट की गैस को दूर करने वाली है।

पेट की गाँठें, रस और फल में कड़ुवा, ख़ून की बीमारी, तिल्ली के बढ़ने में, खाँसी, सांस सफ़ेद दाग़ (कुष्ठ), पीलिया, बवासीर और टी.बी. को दूर करती है।

तोरई का छिलका : तोरई का ताजा छिलका त्वचा पर रगड़ने से त्वचा साफ होती है।
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चावल 
चावल से तो प्रायः सभी परिचित होंगे, भारत के कई प्रदेशों में चावल मुख्य भोजन के रूप में शामिल है। चावल बहुत गुणकारी होता है, यह हलका व सुपाच्य भोज्य है, इसे बीमार तथा स्वस्थ सभी लोग पसंद करते हैं। पुराना चावल ज्यादा सुस्वादु लगता है।
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* मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
* जिनका पेट कमजोर हो यानी जो आसानी से भोजन न पचा पाते हों, उन्हें चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दें, फिर खिलाएं तो आराम होगा।
* तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। चावल को मांड सहित खाना चाहिए। मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है।
* चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है।


* अतिसार में चावल का आटा लेई की भांति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं।

* पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है। इसी के विपरीत भात को दही के साथ मिलाकर खाने से यदि दस्त लगे हों तो बंद हो जाते हैं।

* यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शकर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।

* सूर्योदय से पूर्व चावल की खील 25 ग्राम लेकर शहद मिलाकर खाकर सो जाएं। सप्ताहभर में आधासीसी सिर दर्द दूर हो जाएगा।

Friday 30 August 2013

आप कितना जानते हैं हींग और सौंफ को?

हींग (दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.10.11) से :

हींग के उपयोग नोट करें---
हींग सिर्फ खाने का जायका ही नहीं बढ़ाती बल्कि हाजमा भी ठीक करती है। कहते हैं अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कई बीमारियों की दुश्मन है। वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए। 

 - एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हींग का पाउडर घोलें। इस घोल में सूती कपड़े को भिगोकर पेट के उस हिस्से की सिकाई करें जहां दर्द हो रहा है। थोड़ी ही देर में दर्द से राहत मिलेगी। 

 - हींग में जरा सा कपूर मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दांत दर्द बंद हो जाता है । 

 - भुनी हुई हींग , काली मिर्च ,पीपल काला नमक समान मात्रा में लेकर पीस लें। रोजाना चौथाई चम्मच यह चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें । 

 - एक ग्राम हींग ,पीसी हुई दस काली मिर्च ,दस ग्राम गुड में सबको मिलाकर सुबह शाम खाएं। 

 - पांच ग्राम भुनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का, थोड़ा काला नमक सबको कूट पीसकर चौथाई चममच तीन बार नित्य लेने से ,उल्टी होना ,जी मिचलाना ठीक हो जाता है। 

- अदरक की गांठ में छेद करके इसमें जरा सा हींग डालकर काला नमक भर कर ,खाने वाले पान के पत्ते में लपेटकर धागा बांध कर गीली मिटटी का लेप कर दें। इसे आग में डाल कर जला लें ,जल जाने पर पीसकर मूंगफली के दाने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। जल्द ही आराम मिलेगा। 

 - पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है। 

 - थोड़ी सी हींग को गुड में लपेटकर गरम पानी से लें। गैस का पेट दर्द ठीक हो जायेगा। 

 - दांत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है। 

 - हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चर्म रोग में आराम मिलता है
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सौंफ (दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.10.11) से:




सौंफ में ऐसे अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं।पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। बड़ा हो या छोटा बचा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है। जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी क'ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें। 

 - कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं। 

 - गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है। दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ बड़ी लाभकारी होती है। इसके निरन्तर उपयोग से आंखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती। 

 - उल्टी प्यास जी मिचलाना जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौंफ का सेवन बहुत लाभकारी होता है। - रोजाना सुबह और शाम दस दस ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ होने लगता है। 

 - हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया कूट कर मिश्री मिला लें। खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है। 

 - अगर आपके ब'चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें। इस पानी को एक एक चम्मच दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
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कुछ जानकारी वेबदुनिया डॉटकॉम सेः 

*सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। 

* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है। 

* सौंफ 50 ग्राम व जीरा 50 ग्राम हल्का भूनकर 25 ग्राम काला नमक मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें। भोजन के बाद कुनकुने पानी में लें। यह उत्तम पाचक चूर्ण है। 

* सौंफ का अर्क 10 ग्राम शहद में मिलाकर लें। खाँसी में आराम मिलेगा। 

* सौंफ 25 ग्राम, छोटी हरड़ 50 ग्राम, मिश्री या चीनी 50 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लें। रात्रि को सोते समय 5 ग्राम मात्रा में कुनकुने जल में लें। कब्ज दूर होगा, मंदाग्नि दूर होगी, गैस व आफरा में आराम मिलेगा। 

* यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए। आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा। 

* पेट में वायु का प्रकोप हो तो दाल अथवा सब्जी में सौंफ छोंककर कुछ दिनों तक प्रयोग कीजिए। 

* यदि कब्ज की शिकायत हो तो रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ सौंफ के चूर्ण का इस्तेमाल करें। 

* यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग से आराम मिल जाएगा। 

* हाथ-पाँव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है। 

* जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी कच्ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें। 

* कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएँ। 

* गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है। 
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पत्रिका डॉटकॉम के एक आलेख की मानें, तो कोलेस्ट्रोल को काबू में करने के लिए सौंफ का सहारा लेकर देखिए। अख़बार के मुताबिक, सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं। यूनानी दवाओं में सौंफ की बेहद सिफारिश की जाती है। पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। सौंफ याददाश्त और नेत्र ज्योति बढ़ाती है। इससे कफ का इलाज हो सकता है और इससे कोलेस्ट्रॉल भी काबू में रहता है। कई रिसर्च के बाद सौंफ के सेहत भरे फायदे साबित भी हो चुके हैं। भोजन के बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ लेने से कोलेस्ट्रॉल काबू में रहता है। लीवर और आंखों की ज्योति ठीक रहती है। अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी है। बिना तेल के तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिक्स्चर से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है। अस्थमा और खांसी में सौंफ सहायक है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।

स्वतंत्र वार्ता के मुताबिक,त्रिदोषनाशक है सौंफः 
 सौंफ को मसालों की रानी कहा जाता है। सौंफ का प्रयोग रसोईघर में मसाले के रूप में किया जाता है। पान की तो जाने ही सौंफ है। शादीब्याह या दावत के मौके पर सौंफ मेहमानों के सामने पेश की जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा में सौंफ को त्रिदोषनाशक, कफनाशक, पाचक, बुद्धिवर्द्धक व नेत्रज्योतिवर्द्धक कहा गया है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। सौंफ वात रोग, उदरशूल, दाह, अर्श, नेत्र रोग, वमन, कफ रोग आदि को दूर करती है। सौंफ में स्थिर तेल १५ प्रतिशत तथा उ़डनशील तेल २१ प्रतिशत तक होता है। साथ ही उ़डनशील में ६० प्रतिशत एनीथाल एवं फेनराल नामक तत्व भी पाया जाता है। 

* प्रतिदिन सौंफ और मिश्री चबाचबाकर नियमित रूप से खाने से खून और रंग दोनों साफ होते हैं। 

* बेल का गूदा और सौंफ सुबहशाम खाने से अजीर्ण मिटता है तथा अतिसार में लाभ होता है। 

* दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है। 

* यदि बारबार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में चालीस ग्राम सौंफ पानी आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भुनी फिटकरी मिलाकर दिन में दोतीन बार गरारे करें। 

* गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन भोजन के बाद सुबहशाम सौंफ चबाने से बच्चा गौरवर्ण का होता है। 

* रात्रि को सोते समय गुनगुने पानी के साथ पिसी सौंफ का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। 

* भोजन के बाद प्रतिदिन सौंफ खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है तथा पाचन क्रिया ठीक रहती है। 

* भुनी व कच्ची सौंफ समभाग मिलाकर दो चम्मच चूर्ण मठ्‌ठे के साथ लेने से अतिसार में लाभ होता है। 

* भोजन के बाद आधी कच्ची और आधी भुनी सौंफ सुबहशाम पानी के साथ दो माह तक सेवन करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। 

* स्मरणशक्ति यदि कमजोर हो तो सौंफ कूटकर उसकी मींगी निकालकर सुबहशाम एक चम्मच मींगी पान या गर्म दूध के साथ सेवन करने से स्मरणशक्ति तेज होती है। 

* बच्चे के जन्म के बाद यदि स्तनों में दूध न उतरे तो सौंफ, सफेद जीरा व मिश्री को समभाग पीसकर एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से स्तनों में दुग्ध उतरने लगता है। 

 * जरासी सौंफ पानी में उबालकर तथा मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाता है। 

* पेट दर्द होने पर भुनी हुई सौंफ चबाने से शीघ्र आराम मिलता है। 

 * सौंफ तथा मिश्री पीसकर एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से खूनी पेचिश में लाभ होता है। 

* एक गिलास दूध में सौ ग्राम सौंफ उबालकर, छानकर मीठा मिलाकर पिलाने से उल्टी आना रुक जाता है। 

* दो चम्मच भुनी सौंफ दिन में चार बार लेने से दस्त में लाभ होता है। 

* जी घबराने या उल्टी होने पर सौंफ और पोदीना पानी में उबालें। पानी आधा रह जाने पर पिएं। दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ होता।

Thursday 29 August 2013

पान


*****पान के औषधीय गुण
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भारतीय संस्कृति में पान को हर तरह से शुभ माना जाता है।
*****************इसके अलावा पान का रोगों को दूर भगाने में भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। खाना खाने के बाद और मुंह का जायका बनाए रखने के लिए पान बहुत ही कारगर है। कई बीमारियों के उपचार में पान का इस्तेमाल लाभप्रद माना जाता है
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* पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया की शिकायत दूर हो जाती है। इसके इस्तेमाल में एक सावधानी रखना जरूरी होती है कि पान की पीक पेट में न जाने पाए।

* चोट लगने पर पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे कुछ ही घंटों में दर्द दूर हो जाता है। खांसी आती हो तो गर्म हल्दी को पान में लपेटकर चबाएं।

* यदि खांसी रात में बढ़ जाती हो तो हल्दी की जगह इसमें अजवाइन डालकर चबाना चाहिए। यदि किडनी खराब हो तो पान का इस्तेमाल बगैर कुछ मिलाए करना चाहिए। इस दौरान मसाले, मिर्च एवं शराब (मांस एवं अंडा भी) से पूरा परहेज रखना जरूरी है।

* जलने या छाले पड़ने पर पान के रस को गर्म करके लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं। पीलिया ज्वर और कब्ज में भी पान का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। जुकाम होने पर पान में लौंग डालकर खाने से जुकाम जल्दी पक जाता है। श्वास नली की बीमारियों में भी पान का इस्तेमाल अत्यंत कारगर है। इसमें पान का तेल गर्म करके सीने पर लगातार एक हफ्ते तक लगाना चाहिए।

* पान में पकी सुपारी व मुलेठी डालकर खाने से मन पर अच्छा असर पड़ता है। यूं तो हमारे देश में कई तरह के पान मिलते हैं। इनमें मगही, बनारसी, गंगातीरी और देशी पान दवाइयों के रूप में ज्यादा कारगर सिद्ध होते हैं। भूख बढ़ाने, प्यास बुझाने और मसूड़ों की समस्या से निजात पाने में बनारसी एवं देशी पान फायदेमंद साबित होता है।
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चेतावनी :पान का अत्यधिक प्रयोग मुंह के कैंसर का कारण भी हो सकता है। यहां सिर्फ पान के औषधीय महत्व की जानकारी दी गई है।



  • गहरी नींद के आसान उपाय........

    * रात्रि भोजन करने के बाद पन्द्रह से बीस मिनट धीमी चाल से सैर कर लेने के बाद ही बिस्तर पर जाने की आदत बना लेनी चाहिए। इससे अच्छी नींद के अलावा पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
    * अगर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही हो या फिर मन में घबराहट सी हो तब अपना मन पसंद संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य या स्वास्थ्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ें, ऐसा करने से मन में शांति का भाव आएगा, जो गहरी नींद में काफी सहायक होता है।
    * अनिद्रा के रोगी को अपने हाथ-पैर मुँह स्वच्छ जल से धोकर बिस्तर पर जाना जाहिए। इससे नींद आने में कठिनाई नहीं होगी। एक खास बात यह कि बाजार में मिलने वाले सुगंधित तेलों का प्रयोग नींद लाने के लिए नहीं करें, नहीं तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।
    * सोते समय दिनभर का घटनाक्रम भूल जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में भी कुछ न सोचें। सारी बातें सुबह तक के लिए छोड़ दें। दिनचर्या के बारे में सोचने से मस्तिष्क में तनाव भर जाता है, जिस कारण नींद नहीं आती।
    * अपना पलंग मन-मुताबिक ही चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम महसूस होता हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट बनी रहती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करती है।
    * अगर अनिद्रा की समस्या पुरानी और गंभीर है, नींद की गोलियाँ खाने की आदत बनी हुई है तो किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर शवासन का अभ्यास करें और रात को सोते वक्त शवासन करें। इससे पूरे शरीर की माँसपेशियों का तनाव निकल जाता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिस कारण आसानी से नींद आ जाती है।
    * अच्छी नींद के लिए कमरे का हवादार होना भी जरूरी है। अगर मौसम बाहर सोने के अनुकूल है तो छत पर या बाहर सोने को प्राथमिकता दें। कमरे में कूलर-पँखा या फिर एयर कंडीशनर का शोर ज्यादा रहता है, तो इनकी भी मरम्मत करवा लेनी चाहिए, क्योंकि शोर से मस्तिष्क उत्तेजित रहता है, जिस कारण निद्रा में बाधा पड़ जाती है।

    * सोने से पहले चाय-कॉफी या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करें। इससे मस्तिष्क की शिराएँ उत्तेजित हो जाती हैं, जो कि गहरी नींद आने में बाधक होती हैं।

Tuesday 27 August 2013

दिल की बीमारी भगाइए -सरल उपाय अपनाईए





धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के जमने से ही दिल की बीमारी होती है उसके लिए औषधीय उपचार के साथ-साथ यदि प्रस्तुत मंत्र का आश्रय लिया जाये तो उच्च एवं निम्न रक्तचाप(हाई एंड लो ब्लड प्रेशर),हार्ट-हृदय रोग,दिमागी तनाव/चिंता,श्वास रोग-asthama आदि में लाभ होता है। 

ॐ भू : ॐ भुवा: ॐ स्वा: ॐ तत्सवितुर्वरेनियम भर्गो देवस्य धीमहि । ॐ धियो यो न : प्रचोदयात । । 

मंत्र का उच्चारण 9 या 18 या 27 या 108 की संख्या में करें मुख पश्चिम दिशा में रखें तथा धरती से इंसुलेशन बना कर बैठें। अर्थात किसी ऊनी वस्त्र/लकड़ी के तख्त या पोलीथीन शीट पर बैठें। 

प्रतिदिन काम आने वाली बातों से स्वास्थ्य को सही रखें


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धन्यवाद ......

Health Advice (स्वास्थ्य सलाह) घरेलू नुस्खे

कौन नहीं चाहता कि उसके जहन में ऐसे नुस्खे समाए रहें जिनसे वह समय-समय पर लाभ उठा सके। अपनी प्रतिदिन काम आने वाली बातों से स्वास्थ्य को सही रख सके। आइए चुनते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स।

* पेट में दर्द हो तथा पके जामुन उपलब्ध हों, इसका रस निकालकर पी लें। दर्द तो दूर होगा ही, शरीर हो अपार शक्ति भी मिलेगी।

* गठिया की पीड़ा से परेशान हैं, राई को पीसकर रखें। उसे जोड़ों पर मलने पर दर्द में आशातीत आराम पायेंगे।

* किसी कारण से या जान-बूझकर किसी ने जहरीला पदार्थ पी लिया हो तो राई का चूर्ण एक छोटा चम्मच खाकर पानी पी लें। उससे उल्टी हो जायेगी। स्वयं भी उल्टी करने का प्रयास करें तो सारा जहर उल्टी के साथ बाहर निकल जायेगा। खतरा खत्म।

* कान में दर्द हो तो 1. सरसों का तेल गुनगुना करें, उसे कानों में डालें। आराम पायेंगे। 2. सुदर्शन वृक्ष के पत्तों के रस की दो-चार बंद निकालकर कान में डाले। आराम मिल जायेगा।

* यदि बाल टूटते हैं, बढ़ते भी न हों तो बालों को दही के पानी के पानी से धोएं। टूटने बन्द हो जायेंगे। लम्बे भी होंगे। कुछ दिन उपचार करें।

* नींद न आने की जिसे शिकायत हो, उसकी मदद बेंगन करता है। बैंगन को छीलें, इसकी सब्जी घी व दही के साथ बनायें। रात को अपने भोजन में केवल इसे ही खाएं। यह अच्छी नींद लाने का सरल व सस्ता उपाय है।

* सर्दी है, नाक बन्द हो गयी है, सांस लेने में भी तकलीफ होती है, ऐसे में कपूर की पोटली सूंधे। नाक खुल जायेगी।

बातें काफी छोटी व सरल हैं। मगर इनसे आप चलते-फिरते अपना उपचार कर सकते हैं, बिना कठिनाई के।


अश्व यानी घोड़ा, शक्ति का प्रतीक होता है, तभी इंजन या मोटर की शक्ति को, 'हॉर्स पॉवर' कहा जाता है यानी अश्व शक्ति से मापा जाता है और घोड़ा घास के अलावा चना ही खाता है। दिनभर मेहनत करता है, ताँगा खींचता है पर थकता नहीं। इससे यह भी साबित होता है कि चने में कितनी शक्ति होती है।

ताकतवर तो हाथी भी होता है पर किसी इंजन की शक्ति को एलीफेंट पॉवर नहीं कहा जाता, क्योंकि हाथी में बल तो बहुत होता है पर साथ ही आलस्य और ढीला-ढालापन भी होता है। हाथी घोड़े की तरह फुर्तीला और सुडौल शरीर वाला नहीं होता और उसका बल आम तौर पर मनुष्य के काम नहीं आता जैसे घोड़े का बल काम आता है।

चने का नाश्ता : नाश्ते के लिए एक मुठ्ठी काले देशी चने पानी में डालकर रख दें। सुबह इन्हें कच्चे या उबालकर या तवे पर थोड़ा भुनकर मसाला मिलाकर, खूब चबा-चबाकर खाएँ। चने के साथ किशमिश खा सकते हैं, कोई मौसमी फल खा सकते हैं। केला खाएँ तो केले को पानी से धोकर छिलकासहित गोलाकार टुकड़े काट लें और छिलका सहित चबा-चबाकर खाएँ। नाश्ते में अन्य कोई चीज न लें।

भोजन में चना : रोटी के आटे में चोकर मिला हुआ हो और सब्जी या दाल में चने की चुनी यानी चने का छिलका मिला हुआ हो तो यह आहार बहुत सुपाच्य और पौष्टिक हो जाता है। चोकर और चने में सब प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। चना गैस नहीं करता, शरीर में विषाक्त वायु हो तो अपान वायु के रूप में बाहर निकाल देता है। इससे पेट साफ और हलका रहेगा, पाचन शक्ति प्रबल बनी रहेगी, खाया-पिया अंग लगेगा, जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और शक्तिशाली बना रहेगा। मोटापा, कमजोरी, गैस, मधुमेह, हृदय रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग नहीं होंगे।

चने को गरीब का भोजन भी कहा जाता है, लेकिन इसकी ताकत को हम अनदेखा कर देते हैं। चना सस्ता भी है और सरल सुलभ भी, इसलिए हमें पथ्य यानी सेवन करने योग्य आहार के रूप में चने का सेवन करके स्वास्थ्य लाभ अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

रक्ताल्पता, कब्ज, डायबिटिज और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। बालों और त्वचा की सौंदर्य वृद्धि के लिए चने के आटे का प्रयोग हितकारी होता है।

एक मुट्ठी चना से आप स्वस्थ और ताकतवर बन सकते हैं। ये आपको सुंदर और तेज दिमाग वाला बनायेगा। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।

चना खाने से लाभ- 1. प्रोटीन- इससे शरीर चुस्‍त दुरुस्‍त बना रहता है। चने में लगभग 12-15 ग्राम प्रोटीन होता है जो कि अनाज के मुकाबले कई गुना ज्‍यादा होता है।
2. कालेस्‍ट्रॉल को घटाए- चना आंत में पित्‍त रस के साथ मिल कर खून में बढे हुए कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर कम करता है। यह लीवर को कोलेस्‍ट्रॉल सोखने से बचाता है।
3. फॉलिक एसिड- पहली बार मां बनने जा रही हैं तो चने का सेवन आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिये हिताकारी है। इसे खाने से शिशु के ब्रेन का विकास अच्‍छी तरह से होता है। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से बचाता है।
4. मधुमेह कंट्रोल करे- चना रक्त शर्करा के स्तर को कंट्रोल करता है।
5. मैगनीज से भरा- खून के लगातार बहाव में कॉपर और मैगनीज जैसे माइक्रो न्‍यूट्रियंट्स का होना बहुत जरुरी है। चना एक अच्‍छा स्रोत है जिसको खाने से शरीर का तापमान बना रहता है।
6. रेशा- एक कटोरा चना खाने से 28 ग्राम रेशा आपके शरीर में जाता है , जिससे पेट संबन्‍धी सारी शिकायते दूर रहती हैं। कब्‍ज हो या फिर पेट का कैंसर, दोनों ही नहीं होते।
7. फॉस्फोरस और आयरन- चने में 27 और 28 प्रतिशत फॉस्‍फोरस और आयरन होता है। यह न केवल रक्त कोशिकाओं का निमार्ण करते हैं बल्कि हीमोग्‍लोबीन बढा कर किडनियों को भी नमक की अधिकत्‍ता से साफ करते हैं।

Monday 26 August 2013

क्या आप जानते हैं?---घरेलू नुस्खे

https://www.facebook.com/HealthAdvices
से साभार घरेलू नुस्खे


प्रात: कड़वी नीम की दो-चार
पत्तियाँ चबाकर उसे थूक देने से
दांत-जीभ व मुँह एकदम साफ
रहता और निरोगी रहते हैं।


 रात को मेथी के दाने पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उठकर दातुन कर वह पानी पीकर मेथी के दाने धीरे-धीरे चबा लीजिए डायबिटीज धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।

 मधुमेह के रोगियों को घृतकुमारी के रस का सेवन करने से लाभ होता है। यह शुक्राणुओं की दुर्बलता को मिटाता है। स्त्रियों के रोगों में यह गर्भाशय में शूल, अनियमित मासिक स्त्राव और अतिस्त्राव के विकारों को दूर करता है। बंग भस्म और शिलाजीत इसके साथ मिलाकर लेने से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।



* पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन 'ए' प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी (रात को न दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आँखों की ज्योति बढ़ती है।

* सेंधा नमक, जीरा और नीबू का रस मिलाकर पपीते का नियमित सेवन करने से मंदाग्नि, कब्ज, अजीर्ण तथा आंतों की सूजन में काफी लाभ होता है।

* बवासीर में प्रतिदिन सुबह खाली पेट पपीता खाएँ, इससे कब्ज दूर होगी। शौच साफ होगा और बवासीर से छुटकारा मिलेगा, क्योंकि बवासीर का मूल कारण कब्ज ही है।

* यकृत तथा पीलिया के रोग में पपीता अत्यंत लाभकारी है।

* पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी टिक्की और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है या इसके लच्छों को कपूरकंद की तरह शकर मे पाग कर भी खाया जाता है।

* पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता है, मोटापे को नियंत्रित करता है और अगर आपको खट्टी डकारें आती हैं तो पपीते का रस उसे भी बंद कर देगा। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बना कर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

* हार्ट की बीमारी
पपीते में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, सी और ई पाया जाता है. इस ऑक्सीडेंट से शरीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं जम पाता, जिससे हार्ट की बीमारी नहीं होती. इसके अलावा इसमें फाइबर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को खून में कंट्रोल कर के रखते हैं.

* कील मुंहासे
सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग होता है. पके हुए पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहांसे और झांई से बचाव किया जा सकता है. इससे त्वचा का रूखापन दूर होता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है. इस कारण चेहरे के दाग धब्बों को मिटाने के लिए इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक है.




हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए यानी की उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे

गर्मी के दिनों में यदि हम खाने के साथ हरी मिर्च खाए और फिर घर से बाहरजाए तो कभी भी लू नहीं लग सकती !
खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा

मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है

मिर्च के सेवन से भूखं कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।

लाल मिर्च में भी औषधीय गुण होते है किन्तु हरी मिर्च सेहत के लिए अधिक लाभकारी है


Sunday 25 August 2013

सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयः ---विजय राज बली माथुर

अक्सर लोग रुग्ण होने पर चिकित्सक के पास तो चले जाते हैं और निश्चिंत हो जाते हैं। परंतु यदि चिकित्सक द्वारा दिये गए इलाज के साथ-साथ इस स्तोत्र का प्रातः आठ बार एवं सोते समय आठ बार वाचन पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर तथा धरती से इंसुलेशन बनाते हुये बैठ कर ,कर लें तो शीघ्र स्वस्थ्य लाभ होता है। 

इसी स्तोत्र का वाचन घर से निकलने से पूर्व एक बार कर लिया जाये तो यात्रा सुखद एवं निरापद रहती है। 

फेसबुक एवं ब्लाग्स पर तमाम लोग चिकित्सा संबंधी पोस्ट्स डालते रहते हैं। इस ब्लाग में उनमे से जनहितकारी पोस्ट्स का संकलन करके दिया जाएगा उनके लेखक के संदर्भ सहित। 

सर्वप्रथम दिल सम्बन्धी इस पोस्ट को दे रहे हैं -https://www.facebook.com/




रखो दिल का खयाल
साभार|NBT|नीतू सिंह|

आजकल दिल की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। 25-30 साल की उम्र में भी दिल की धड़कनों के दगा देने के मामले सामने आ रहे हैं। परेशानी की बात यह है कि इस उम्र में ध्यान न देने से बीमारी गंभीर हो जाती है और कई बार लाइलाज स्तर पर पहुंच जाती है।ऐसे में यह जरूरी है कि आप समय-समय पर रुटीन जांच कराते रहें और कोई समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें।जिससे वक्त रहते समस्या पर काबू पाया जा सके।

10 बातें जो दिल को रखेंगी स्वस्थ

1. सेहतमंद डाइट
दिल की सेहत बनाए रखने के लिए अपने खानपान का खास खयाल रखें। आप क्या खा रहे हैं और कब खा रहे हैं, दोनों ही बातें महत्वपूर्ण हैं। सब्जियां, फल, साबुत अनाज और बहुत थोड़ी मात्रा में तेल, ये ऐसी चीजें हें जिन्हें रोजाना के खानपान का हिस्सा बनाने से दिल की सेहत अच्छी बनी रह सकती है।

2. वजन काबू में
मोटापा तमाम तरह की दिल की बीमारियों, ब्लडप्रेशर और डायबीटीज का खतरा बढ़ाता है इसलिए वजन को काबू में रखना बेहद जरूरी है। अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज और खानपान का ध्यान रखकर मोटापे को काबू में रखा जा सकता है। बॉडी मास इंडेक्स 20 से 25 के बीच रखना जरूरी है।

3. योग और एक्सरसाइज
रोजाना 30 मिनट की ऐरोबिक एक्सरसाइज दिल की सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। रोजाना किया गया योग और मेडिटेशन तनाव को कम करने में सहायक है और अगर तनाव कम होगा, तो दिल का सामान्य स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा। एक्सरसाइज, योग या मेडिटेशन सभी नहीं कर पाएं तो किसी एक का नियमित अभ्यास जरूर करें।

4. सक्रिय रहें
अगर योग और एक्सरसाइज के लिए आप नियमित रूप से वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं तो खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखें। लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का प्रयोग करें, गाड़ी दूर पार्क करके ऑफिस तक पैदल आएं। खुद को सक्रिय रखने के लिए ऐसे ही छोटे-छोटे कई दूसरे काम किए जा सकते हैं।

5. तनाव को बाय
तनाव तमाम बीमारियों की जड़ है। दिल की बीमारियां भी इनमें शामिल हैं। जिंदगी में कई बार ऐसे पल आते हैं, जब जबर्दस्त तनाव होता है, लेकिन इन पलों को ज्यादा लंबे समय तक न खिंचने दें। तनाव से निजात पाने के लिए दोस्तों से मिलें, सामाजिक बनें, स्थितियों को स्वीकारें, काम से छोटा ब्रेक लें।

6. स्मोकिंग और अल्कोहल छोड़ें
जरूरत से ज्यादा शराब पीने से ट्राइग्लिसरॉइड्स बढ़ सकते हैं। ट्राइग्लिसरॉइड्स खून में फैट की मात्रा होती है। ज्यादा अल्कोहल मोटापा, हार्ट फेलियर और हाई बीपी की वजह भी बन सकती है। इसी तरह धूम्रपान भी दिल के रोगों के लिए जिम्मेवार है। अल्कोहल और सिगरेट से परहेज करें और लेनी ही है तो बेहद कम मात्रा में लें।

7. अच्छी नींद लें
नींद की कमी से ब्लडप्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल पर असर पड़ता है। नींद की कमी से तनाव में भी बढ़ोतरी होती है, जो कि दिल के रोगों के होने का अपने आप में कारण है। हालांकि नींद की जरूरत हर इंसान की अलग अलग हो सकती है, फिर भी मोटे तौर पर 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लेना जरूरी है।

8. खुलकर हंसें, मस्त रहें
जो लोग खुलकर ठहाके लगाकर हंसते हैं, उन्हें दिल की बीमारियां कम होती है। ज्यादा हंसने वालों का रक्त प्रवाह अच्छा बना रहता है और आर्टरीज को कठोर होने से रोकता है। दिल का स्वास्थ्य बेहतर बनाए रखने के लिए ठहाकेदार हंसी और हमेशा खुश रहना एक अचूक नुस्खा माना जाता है।

9. फैमिली हिस्ट्री का ध्यान
अगर आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी रही है तो आपको ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। आप अपने जींस को तो नहीं बदल सकते, लेकिन थोड़ा अलर्ट रहकर बीमारी को टाल जरूर सकते हैं। अपने डॉक्टर को फैमिली हिस्ट्री के बारे में बताएं और उनकी सलाह के मुताबिक लाइफस्टाइल में बदलाव करें।

10. डॉक्टर के पास जाएं
कई बार लोग सीने में दर्द, चक्कर आना या ऐसी ही दूसरी स्थितियों में लोग आमतौर पर डॉक्टर के पास नहीं जाते। कई बार लंबे समय तक यह पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें दिल की बीमारी हो रही है। ऐसे में बेहतर यह है कि ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कॉलेस्ट्रॉल लेवल पर नजर रखी जाए।