Sunday 24 November 2013

गुलाब और हरी मिर्च.......

गुलाब के नाम पर न जाने कितनी कविताएं पढ़ी होंगी आपने। गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने में यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।
* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।
* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ, फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद उपयोगी होता है।
* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है। पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।
* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे पर मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।
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हरी मिर्च.......


हरी मिर्च की छबि निराली

बड़ी चुलबुली नखरे वाली.

चिकनी हरी छरहरी काया

रूप देख कर मन ललचाया.




ज्योंहि मुँह से इसे लगाया

सी सी सी सी कह चिल्लाया.

पानी पीकर शक्कर खाई

तब जाकर राहत मिल पाई.




मिर्ची बिन सब्जी तरकारी

स्वादहीन हो जाए बेचारी.

चटनी चाट कचौड़ी फीकी

जबतक मिर्ची ना हो तीखी.




तरुणाई तक हरा रंग है

ढली उमरिया लाल बम्ब है.

शिमला मिर्च है गूदे वाली

मिर्च गोल भी होती काली.




हरी मिर्च दिखलाती शोखी

लाल मिर्च लगती है चोखी

शिमला मिर्च बदन से मोटी

काली मिर्च औषधि अनोखी.




भिन्न-भिन्न है इसकी किस्में

विटामिन - सी होता इसमें.

इसके गुण का ज्ञान है जिसमें

विष हरने के करे करिश्में.




सब्जी में यह डाली जाए

कोई इसको तल कर खाए

जब अचार के रूप में आए

देख इसे मुँह पानी आए.




हरी मिर्च की चटनी बढ़िया

गर्म-गर्म हो मिर्ची भजिया

फिर कैसे ना मनवा डोले

फूँक के खाए हौले-हौले.




खाने में तो काम है आती

कभी मुहावरा भी बन जाती.

मिर्च देख कर प्रीत जगी है

काहे तुझको मिर्च लगी है.




फिल्मी गीतों में भी आई

छोटी सी छोकरी नाम लाल बाई

इच्च्क दाना बिच्चक दाना

याद आया वो गीत पुराना ?




नीबू के संग कैसा चक्कर

जादू – टोना, जंतर – मंतर

धूनी में जब डाली जाए

बड़े-बड़े यह भूत भगाए.




मिर्च बड़ी ही गुणकारी है

तीखी है लेकिन प्यारी है

लेकिन ज्यादा कभी न खाना

कह गए ताऊ , दादा , नाना.




अति सदा होता दु:खदाई

सेवन कम ही करना भाई.

रखिए बस व्यवहार संतुलित

मन को कर देगी ये प्रमुदित.




अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )

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