Tuesday 27 March 2018

ब्लड प्रेशर,कर्ण रोग आदि का उपचार

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Sunday 25 March 2018

डेंगू का उपचार ------ Vipnesh Mathur

Vipnesh Mathur
डेंगू का उपचार:
 आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, पुरे भारत में ये बड़ी तेजी से बढ़ता ही जा रहा है जिससे कई लोगों की जान जा रही है l
यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका माडर्न मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है कि उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l

यदि आपके आस-पास किसी को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चित्र में दिखाई गयी चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं घास रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व
अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l
- पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संख्या बढ़ने लगेगी l
- गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l

यदि बुखार १ दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी l
ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी को बिना किसी डर के दी जा सकती हैं l

डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है l
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Wednesday 21 March 2018

मन की उदासी करें दूर

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Tuesday 20 March 2018

किडनी ------ पूनम जैन

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Monday 19 March 2018

लहसुन,ग्रीन टी,,नमक,चीनी,बोतलबंद पानी

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Sunday 11 March 2018

दर्दे दिल निजात और परेशानियाँ

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हृदय रोग मे :
ॐ ...... भू ....... भुवाः ...... स्वः.... तत्स्वितुर्वरेनियम भर्गों देवस्य धीमहि। ....... धियों यो नः प्रचोदयात। ।  हार्ट के मरीज हृदय रोग के उपचार मे खाली स्थानों पर  ॐ शब्द का उच्चारण करें। कुल 5 ॐ उच्चारण करने होंगे और इन्हें अतिरिक्त ज़ोर लगा कर बोलना  होगा।
हाई ब्लड प्रेशर,लो ब्लड प्रेशर,हार्ट आदि की तकलीफ मे 5 अतिरिक्त ॐ लगा कर गायत्री मंत्र के सेवन से शीघ्र लाभ होता है। एलोपैथी के साइड इफ़ेक्ट्स और रिएक्शन से बचने हेतु बायोकेमिक KALI PHOS 6 X का 4 tds सेवन करना चाहिए। ज्यादा तकलीफ मे इस दवा का 10-10-10 मिनट के अंतर से सेवन करना जादू सा असर देता है।
 गुंनगुने पानी मे घोल कर सेवन करें तो और जल्दी लाभ होता है।अर्जुन वृक्ष की छाल से बना आयुर्वेदिक 'अर्जुनासव' और 'अर्जुनारिष्ट' भी दिल की अचूक और हानि - रहित दवा हैं। 'मृग श्रंग भस्म' भी सुरक्षित आयुर्वेदिक औषद्धि है परंतु यह काफी मंहगी है।
भोजन करने के बीच मे पानी का सेवन न करें और भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र विसर्जन करें तो हार्ट -हृदय मजबूत होता है।
अस्थमा-दमा की बीमारी मे तथा मानसिक चिंता होने पर भी यह 5 अतिरिक्त ॐ वाला गायत्री मंत्र ही 'राम बाण औषधि' है। 
ॐ का प्रयोग क्यों?: 
ॐ= अ+उ +म ---उच्चारण ध्वनिपूर्वक करने से शरीर का मध्य भाग (center point of the body) जिसकी न कोई कसरत होती है और न ही जिसकी कोई मालिश हो सकती है की वर्जिश हो जाती है। इस वर्जिश से धमनियों मे रक्त संवहन सुचारू और सुव्यवस्थित हो जाता है। फलतः धमनियों मे वसा या कोलस्ट्रेल का जमाव नहीं हो पाता यदि हो तो साफ हो जाता है। अतः ॐ का उच्चारण नियमित करते रहने से 'बैलूनिंग' की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। 
इस सन्दर्भ मे एक व्यक्तिगत उदाहरण दूँ तो अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। लगभग 14  वर्ष पूर्व मुझे अक्सर सीने मे दर्द रहने लगा और ज्योतिष के आधार पर भी यह 'हृदय रोग' का ही लक्षण सिद्ध हो रहा था । अपने एक फुफेरे भाई डॉ भगवान माथुर जो पास की ही कालोनी बलकेश्वर,आगरा मे प्रेक्टिस करते थे को दिखाया तो उन्होने भी हार्ट प्राब्लम बताते हुये 'कार्डियोग्राम' कराने का सुझाव दिया। हालांकि एक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ अजीत माथुर जिनसे संपर्क करना था रिश्ते मे हमारे भाञ्जे थे और 'माथुर सभा,आगरा' के अध्यक्ष भी रह चुके थे। काफी सौम्य,मिलनसार और रिश्तेदार चिकित्सक होने के बावजूद मैंने एलोपैथी इलाज न करने का फैसला किया। मैंने 5 ॐ वाला गायत्री मंत्र 108 की संख्या  मे प्रतिदिन सस्वर  करना प्रारम्भ किया जिसमे डेढ़ घंटे का कुल समय लगता था। kali Phos 6 X का 4 tds सेवन भी करता था। भोजनोपरांत पहले मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया का नियमित पालन किया।  कुल एक माह मे 'दिल' को मजबूती मिल गई और रोग का उपचार बिना झंझट और परेशानी के स्वतः ही हो गया। तमाम झंजावातो और परेशानियों,दिमागी तनावों से गुजरने के बावजूद दोबारा दिल की तकलीफ नहीं हुई क्योंकि अब प्रतिदिन 9-9 बार 5 ॐ वाला गायत्री मंत्र प्रयोग करता हू। मुझे दीपक जलाने,धूप जलाने या जल रखने की जहमत नहीं करना होता है क्योंकि मै ढोंग व पाखंड को मानता ही नहीं हू। जब तब वैज्ञानिक विधि से हवन अवश्य हमारे यहाँ होता रहता है। 
मै जानता हू की प्रस्तुत जानकारी का सिर्फ एलोपैथी चिकित्सक ही नही तथाकथित प्रगतशील और वैज्ञानिक विशेज्ञ भी मखौल उड़ाएंगे। फिर भी 'जनहित' मे इसे देना मुनासिब समझा।

Friday 9 March 2018

सुस्ती,नींद,प्रोटीन की कमी आदि के उपचार

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