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Wednesday 20 May 2020

नारियल , शिमला मिर्च,चाय,शहद ,लहसुन,अश्वगंधा ------

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Thursday 11 January 2018

मटर , पानी से रोग उपचार

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Sunday 7 May 2017

स्वास्थ्य अच्छा होना जरूरी है : :जीवन में सबकुछ पाने के लिए

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जीवन में सबकुछ पाने के लिए पहले आपका स्वास्थ्य अच्छा होना जरूरी है। याद रहे ये बातें।
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1. आजकल बढ़ रहे चर्म रोगों और पेट के रोगों का सबसे बड़ा कारण दूधयुक्त चाय और इसके साथ लिया जाने वाला नमकीन है.
2. कसी हुई टाई बाँधने से आँखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव होता है
3. अधिक झुक कर पढने से फेफड़े,रीढ़,और आँख की रौशनी पर बुरा असर होता है
4. अत्यधिक फ्रीज किये हुए ठन्डे पदार्थों के सेवन से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है.
5. भोजन के पश्चात स्नान  से पाचन शक्ति मंद हो जाती है इसी प्रकार भोजन के तुरंत बाद मैथुन, बहुत ज्यादा परिश्रम करना एवं सो जाना पाचनशक्ति को नष्ट करता है.
6. पेट बाहर निकलने का सबसे बड़ा कारण खड़े होकर या कुर्सी मेज पर बैठ कर खाना और तुरंत बाद पानी पीना है. भोजन सदैव जमीन पर बैठ कर करें. ऐसा करने से आवश्यकता से अधिक खा नहीं पाएंगे. भोजन करने के बाद पानी पीना कई गंभीर रोगों को आमंत्रण देना है.
7. भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए
8. भोजन के बाद हाथ धोकर गीले हाथ आँखों पर लगायें. यह आँखों को गर्मी से बचाएगा.
9. नहाने के कुछ पहले एक गिलास सादा पानी पियें. यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बहुत हद तक दूर रखेगा.
10. नहाने की शुरुवात सर से करें. बाल न धोने हो तो मुह पहले धोये. पैरों पर पहले पानी डालने से गर्मी का प्रवाह ऊपर की ओर होता है और आँख मस्तिष्क आदि संवेदन शील अंगो को क्षति होती है.
11. नहाने के पहले सोने से पहले एवं भोजन कर चुकने के पश्चात मूत्र त्याग अवश्य कर्रें. यह अनावश्यक गर्मी, कब्ज और पथरी से बचा सकता है.
12. कभी भी एक बार में पूर्ण रूप से मूत्रत्याग न करें बल्कि रूक रुक कर करें. यह नियम स्त्री पुरुष दोनों के लिए है ऐसा करके प्रजनन अंगों से सम्बंधित शिथिलता से आसानी से बचा जा सकता है. (कीगल एक्सरसाइज)
13. खड़े होकर मूत्र त्याग से रीढ़ की हड्डी के रोग होने की सम्भावना रहती है. इसी प्रकार खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों के रोग ऑर्थरिटिस आदि हो जाते हैं.
14. फल, दूध से बनी मिठाई, तैलीय पदार्थ खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए. ठंडा पानी तो कदापि नहीं.
15. अधिक रात्रि तक जागने से प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है .
16. जब भी कुल्ला करें आँखों को अवश्य धोएं. अन्यथा मुह में पानी भरने पर बाहर निकलने वाली गर्मी आँखों को नुकसान पहुचायेगी.
17. सिगरेट तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से प्रत्येक बार मस्तिष्क की हजारों कोशिकाएं नष्ट हो जाती है इनका पुनर्निर्माण कभी नहीं होता.
18. मल मूत्र शुक्र खांसी छींक अपानवायु जम्हाई वमन क्षुधा तृषा आंसू आदि कुल 13 अधारणीय वेग बताये गए हं इनको कभी भी न रोकें. इनको रोंकना गंभीर रोगों के कारण बन सकते हैं .
19. प्रतिदिन उषापान करने कई बीमारियाँ नहीं हो पाती और डॉक्टर को दिया जाने वाला बहुत सा धन बच जाता है.उषापान दिनचर्या का अभिन्न अंग बनायें.
20. रात्रि शयन से पूर्व परमात्मा को धन्यवाद अवश्य दें. चाहे आपका दिन कैसा भी बीता हो. दिन भर जो भी कार्य किये हों उनकी समीक्षा करते हुए अगले दिन की कार्य योजना बनायें अब गहरी एवं लम्बी सहज श्वास लेकर शरीर को एवं मन को शिथिल करने का प्रयास करे. अपने सब तनाव, चिन्ता, विचार आदि परमपिता परमात्मा को सौंपकर निश्चिंत भाव से निद्रा की शरण में जाएँ.

Wednesday 4 November 2015

पाचन तंत्र में चाय की भूमिका और मसाला चाय

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सुबह सुबह गर्म चाय पीना  हमारी जीवनशैली का एक अहम् हिस्सा है। कुछ लोगों को खाने के साथ या खाने के बाद  चाय पीने की आदत होती है। खाने के साथ चाय पीना हमेशा से ही एक विवादास्पद विषय रहा है। जहाँ कुछ शोध का कहना है कि चाय पीना पाचन तंत्र के लिए सही होता है, वहीँ कुछ रिसर्च के अनुसार चाय में पाये जाने वाला पदार्थ कैफीन, हमारे पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पहुंचाते हैं। आइये देखतें है कि यह कैसे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
पाचन तंत्र में चाय की भूमिका :
कुछ शोधों से पता चला है कि खाने के दौरान या उसके बाद चाय पीने से यह पेट में बनी गैस को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे हमारा पाचन तंत्र सही रहता है। लेकिन यह बात हमेशा ध्यान में रखें कि हर तरह की चाय इन मामलों में फायदेमंद नही होती है। ग्रीन टी, हर्बल टी जैसे की अदरक वाली चाय जिनमें एंटीऑक्सीडेंटस और पोलीफेनोल(polyphenols) की मात्रा बहुत अधिक होती है, हमारे डाईजेशन सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
चाय, हमारे पाचन तंत्र को साल्विया, पित्त और गैस्ट्रिक जूस को बनाने में सहायक का काम करती है। इनमे एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा अधिक होने के कारण ये शक्तिशाली एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करते हैं ,जो हमारे पाचन से जुडी कई खामियों को कम करता है। ग्रीन टी और हर्बल टी में कैटकिन (catechins) नाम का पालीफेनोलिक(polyphenolic) यौगिक पाया जाता है जो हमारे पाचक रस के कार्य क्षमता को बढ़ा देता है।
खाने के साथ चाय पीना क्यों सही नही है :
कुछ शोध बतातें हैं कि चाय में पाया जाने वाला फेनोलिक यौगिक, हमारी पेट के आँतों की आंतरिक परतों में आयरन काम्प्लेक्स को बनाकर, आयरन के अवशोषित  होने में बाधा डालता है। ऐसा कहा जाता है की यदि आप खाने के साथ ही चाय पीना चाहते हैं, तो अपने डाइट में आयरन और विटामिन सी से भरपूर चीजों को शामिल करिये जिससे ये आयरन के अवशोषण में होने वाले प्रभाव को कम कर देगा। इसीलिए आयरन की कमी से पीड़ित लोगों को खाने के साथ चाय नही लेना चाहिए। यह भी पाया गया है की खाने के दौरान चाय पीने से शरीर में कैटचिन की कमी हो जाती है। कैटकिन चाय में पाया जाने वाला एक यौगिक है जिसका हमारे कई साइकोलाजिकल कामों में महत्वपूर्ण रोल है।
इसलिए अगर आप खाने के साथ या उसके बाद में चाय पीना चाहते हैं तो आप ग्रीन टी या जिंजर टी में से चुन सकते हैं क्योंकि ये आपके पाचन में सहायक हैं। और जो लोग आयरन की कमी से पीड़ित हैं वो खाने के दौरान चाय का सेवन बिलकुल न करें या फिर किसी डॉक्टर कि सलाह लें।


एक कप गर्म चाय हर भारतीय की पहली पसंद होती है, चाहे वह अमीर हो या गरीब। आजकल लोग आम चाय के बदले ग्रीन टी पीना पसंद कर रहे हैं। और इसके फायदे भी अनेक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि देसी मसाला चाय भी समान रूप से हेल्दी होता है। हाँ, अगर टेस्ट के बारे में सोचे तो यह सादा ग्रीन टी की तुलना में ज़्यादा टेस्टी होता है। इसको बनाने के लिए जितने मसालों की ज़रूरत होती है वह सारे आपके किचन में ही मिल जायेंगे, जैसे- लौंग, इलायची,अदरक, दालचीनी, तुलसी और थोड़ी-सी चाय की पत्ती। यहाँ कुछ ऐसे चीजों के बारे में जानकारी दी जा रही है, जो इस चाय को अनोखा और स्वास्थ्यवर्द्धक बनाता है।
एन्टी इन्फ्लैमटोरी गुण होता है- इस मसाला चाय को बनाने के लिए जिन मसालों की ज़रूरत होती है, उन सब के अलग-अलग फायदें तो हैं ही साथ ही यह सब एक साथ मिलकर शरीर में किसी भी प्रकार के सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इस काम में सबसे ज़्यादा मदद अदरक करता है। नैशनल इन्स्टिटूट ऑफ हेल्थ के द्वारा प्रकाशित एक पत्र के अनुसार अदरक प्रोस्टोग्लैंडीस (prostaglandins) और ग्लूकोट्राइन (leukotriene) के संश्लेषण को रोकता है ( जो सूजन के प्रक्रिया में अहम् भूमिका निभाता है),जिससे सूजन से राहत मिलती है। लौंग भी इस कार्य में बहुत मददगार साबित होता है, क्योंकि इसमे यूजेनॉल नाम का यौगिक होता है जो मांसपेशियों के सूजन को कम करता है। यह दोनों मसालें विशेष रूप से पेनकिलर का काम करते हैं।
थकान दूर करता है- दिन भर के थकान को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है एक कप गर्म मसाला चाय। चाय में जो टैनीन होता है वह शरीर को स्फुर्ति प्रदान करता है। चाय में जो कैफ़ीन होता है वह उत्तेजक का काम करता है, लेकिन कॉफी के तुलना में इसमें कम कैफ़ीन की मात्रा होती है। इन मसालों का सम्मिश्रण थकान को दूर करने में मदद करता है।
सर्दी-खाँसी और फ्लू से लड़ता है- मसाला चाय में एन्टी-बैक्टिरियल, एन्टी फंगल, एन्टी पैरसिटिक (anti parasitic) गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता (immunity) को बढ़ाकर सर्दी-खाँसी या ज़ुकाम से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इस काम में मुख्य रूप से लौंग, दालचीनी, इलायची और अदरक काम करते हैं।
हजम शक्ति को बढ़ाता है- आप सोच रहे होंगे ये कैसे हो सकता है? होलिस्टिक गुरू मिक्की मेहता के अनुसार मसाला चाय में लौंग, तुलसी, अदरक और इलायची डाला जाता है ,लेकिन इसका एसिडिक स्वभाव तब बदल जाता है जब इसमें दूसरे मसालों के साथ अदरक को डाल दिया जाता है। अदरक के कारण यह सुपाच्य बन जाता है। इसलिए जब आप एक कप चाय पीते हैं तब एक अलग ही प्रकार की ताजगी और शांति महसूस करने लगते हैं।
दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी- ब्लैक टी जो मसाला चाय का एक तत्व होता है वह एन्टी-ऑक्सिडेंट का स्रोत होता है लेकिन इसके अलावा लौंग और इलायची बैड कोलेस्ट्रोल के मात्रा को कम करके शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल के मात्रा को बढ़ाता है। इससे शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है। साथ ही यह धमनियों में प्लैक के उत्पत्ति को रोकता है और इसमें जो टैनीन होता है वह दिल के धड़कन को नियंत्रित और रक्त-वाहिका के प्रेशर को ठीक रखता है।
चयापचय (metabolism) को बढ़ाता है- यह चयापचय के दर को बढ़ाकर वज़न को घटाने में मदद करता है। साथ ही हजम शक्ति को बढ़ाता है। आयुर्वेद के अनुसार गर्म खाद्द पदार्थ शरीर के चयापचय दर को बढ़ाने में मदद करता है।
मधुमेह होने के संभावना को कम करता है- लौंग, दालचीनी और इलायची शरीर के ब्लड-शुगर को कम करके मधुमेह के संभावना को कम करता है। दालचीनी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारकर अल्ज़ाइमर के संभावना को कम करता है। लौंग शरीर के शुगर का सही तरह से इस्तेमाल करता है।
माहवारी (period) के दर्द को कम करता है- इलायची, लौंग और दालचीनी पेनकिलर का काम करता है और पिरियड के दौरान दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
अनुवादक-  Mousumi Dutta