Showing posts with label समाज कल्याण. Show all posts
Showing posts with label समाज कल्याण. Show all posts

Tuesday 17 February 2015

शिवरात्रि पौधे और चिकित्सा ---विजय राजबली माथुर

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं

शिवरात्रि पर नौ वर्षीय बालक 'मूलशंकर ' को बोद्ध हुआ था कि जिस परंपरागत रूप से इस पर्व को मनाया जाता है वह गलत और अकल्याणकारी है । वास्तविक ज्ञान प्राप्ति हेतु वह घर-बार त्याग कर 'गुरु' की खोज में निकल पड़े । भटकते हुये जब मथुरा के स्वामी  विरजानन्द जी के आश्रम पहुंचे और दस्तक दी और उधर से स्वामी जी ने पूछा कि कौन? तब युवा 'मूलशंकर 'जी ने जवाब दिया कि यही जानने के लिए तो आपके पास आया हूँ। स्वामी विरजानन्द जी ने 'मूलशंकर 'जी को 'स्वामी दयानन्द सरस्वती' बना कर संसार को जाग्रत करते रहने की दक्षिणा मांग ली थी। गुरु दक्षिणा के रूप में दयानन्द जी ने प्रचलित 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' पर तीव्र प्रहार किए और 'पाखंड-खंडिनी' पुस्तिका जनता में वितरित कारवाई। 

लेकिन पोंगापंडित् वादियों ने उनकी  भौतिक हत्या करवा दी तथा वैचारिक हत्या कर दी 'गायत्री परिवार' ने। आज फिर 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' अपने चरम पर है। बुद्धि-ज्ञान-विवेक को त्याग कर लोग बाग अभी भी 'जड़' को पूज कर धार्मिक बने घूम रहे हैं। आज फिर समाज में पाप-कर्म, अत्याचार, व्याभिचार, लूट, शोषण, उत्पीड़न  का बोल बाला है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। क्या ढ़ोंगी-पाखंडी और क्या तथाकथित नास्तिक-एथीस्टवादी सभी 'सत्य' से दूर भाग रहे हैं और असत्य को धारण कर रहे हैं। 

शिव-लिंग पर बेल-पत्र, धतूरा आदि चढ़ाने से किसी का भला होने वाला नहीं है बल्कि पर्यावरण में  प्रदूषण और बढ़ता है। वस्तुतः बेल उदर रोगों में लाभकारी है और इसकी पत्तियाँ भी पेट की बीमारियों को ठीक करती हैं। लेकिन मंदिर में चढ़ा कर बर्बाद करने से नहीं बल्कि सामग्री के साथ हवन में आहुतियाँ देने से। धतूरा बीज का प्रयोग आयुर्वेद में निम्न रक्तचाप (LOW BLOOD PRESSURE ) को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है और मूत्र संबंधी रोगों यथा नसों की सूजन, जलन को भी ठीक करने में किया जाता है। अतः यदि बेल-पत्र व धतूरा बीज हवन सामग्री के साथ आहुतियों के रूप में प्रयोग किया जाये बजाए कि मंदिरों में बर्बाद कर देने के तो समाज-कल्याण का कार्य भी स्वतः ही सम्पन्न हो जाएगा क्योंकि 'पदार्थ-विज्ञान' (MATERIAL_SCIENCE) के अनुसार हवन में डाले गए पदार्थ अग्नि द्वारा अणुओं (ATOMS) में विभाजित कर दिये जाते हैं तथा वायु द्वारा धूम्र के रूप में प्रसारित कर दिये जाते हैं। 

आज तो आधुनिक विज्ञान ने भी पौधों के महत्व को सिद्ध कर दिया है। वन-विभाग द्वारा जनता को औषद्धीय पौधे लगाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। काश बुद्धि भी जाग्रत हो जाये तो सोने पर सुहागा।

********************************
Comments on Facebook :