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Thursday 21 May 2015

मोतियाबिंद से बचाव और उपचार---आयुर्वेदिक चिकित्सा

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मोतियाबिंद से बचाव और उपचार:
जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।
* मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।
* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है।
* मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी।
* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।
* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।
* गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है ।
* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है ।
* हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
* आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं
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Wednesday 19 November 2014

काली मिर्च आदि से घरेलू इलाज और कैंसर












जैतून के तेल के लाभ
जैतून के तेल का प्रयोग शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। जैतून के तेल में फ्लेवसेनॉयड्‌स स्कवेलीन और पोरीफेनोल्स एंटीऑक्सीडेंट्‌स होता है जो फ्री रैडिकल्स से कोशिकाओं को समाप्त होने से बचाता है। सर्दियों और गर्मियों के मौसम में यह रूखी त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग करने से बालों से डैंड्रफ समाप्त होता है। झुर्रियों को समाप्त करने के लिए यह बहुत उपयोगी है। शरीर के हर अंग में इस तेल का प्रयोग किया जा सकता है। खाने में इसे शामिल कर ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसे रोगों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
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गाजर के सेवन से भी कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार किसी की जन्म कुंडली में 'शनि' व 'मंगल' ग्रह में परस्पर संबंध हो तो 'कैंसर' रोग होने सम्भावना रहती है।

*आगरा कालेज,आगरा के जूलाजी विभाग के अध्यक्ष रहे एक अवकाश प्राप्त सज्जन को 64 वर्ष की अवस्था मूत्र नली में कैंसर का डॉ को पता चला था ,वह पहले से ही डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज थे। आपरेशन करवाने से घबरा रहे थे लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनको शनि व मंगल ग्रहों के शमन का परामर्श दिया गया जिसका पालन उन्होने बखूबी किया फलतः उनका आपरेशन सफल रहा । लेकिन आपरेशन दिये गए समय पर करवाने में डॉ को राज़ी करना सरल काम नहीं था। जब डॉ आपरेशन करना चाहते थे समय उनके प्रतिकूल था उनको न करवाने का परामर्श दिया था। अनुकूल समय पर डॉ नहीं करते थे। अंततः जब ज्योतिष के अनुसार अनुकूल समय पर डॉ ने आपरेशन करना स्वीकार किया तभी उन्होने आपरेशन करवाया जो सफल हो सका जबकि डॉ सफलता की गारंटी नहीं दे रहे थे।
* अलीगढ़ स्थित एक मेडिकल रिप्रेंजनटेटिव की पत्नी को मस्तिष्क में कैंसर का पता चला था जिनके दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनके आगरा स्थित मित्र ने मुझसे संपर्क कर परामर्श मांगा और दी गई सलाह के अनुसार उपचार व आपरेशन करवाया गया जो पूर्ण रूप से सफल रहा जबकि वहाँ भी डॉ ने गारंटी नहीं दी थी।





काम के लिए
सर्दी-जुकाम होने पर दालचीनी का प्रयोग करना चाहिए। एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर सुबह-शाम लेने से खांसी-जुकाम में आराम मिलता है। हल्के गर्म पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर तथा एक चुटकी पिसी काली मिर्च शहद में मिलाकर पीने से जुकाम तथा गले की खराश दूर होती है। इसके पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाने से ठंडी हवा से होने वाले सिर दर्द में आराम मिलता है।
- See more at: http://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/health-benefits-of-dalchini-in-hindi-1385801960-2.html#sthash.C71UmzG4.dpuf
 

Friday 6 June 2014

मीठी नीम,काली मिर्च,मसालों आदि से चिकित्सा







कढ़ी पत्ता या मीठी नीम
अक्सर हम भोजन में से कढ़ी पत्ता निकाल कर अलग कर देते है | इससे हमें उसकी खुशबु तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता |कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है ,इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है | इसे हम मसालों में , भेल में भी डाल सकते है | इसकी छाल भी औषधि है | हमें अपने घरों में इसका पौधा लगाना चाहिए |
- कढ़ी पत्ता पाचन के लिए अच्छा होता है ,यह डायरिया , डिसेंट्री,पाइल्स , मन्दाग्नि में लाभकारी होता है | यह मृदु रेचक होता है |
- यह बालों के लिए बहुत उत्तम टॉनिक है , कढ़ी पत्ता बालों को सफ़ेद होने से और झड़ने से रोकता है |
- इसके पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से जुओं से छुटकारा मिलता है |
- कढ़ी पत्ता पेन्क्रीआज़ के बीटा सेल्स को एक्टिवेट कर मधुमेह को नियंत्रित करता है |
- हरे पत्ते होने से आयरन , जिंक ,कॉपर , केल्शियम ,विटामिन ए और बी , अमीनो एसिड ,फोलिक एसिड आदि तो इसमें होता ही है |
- इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो बुढापे को दूर रखते है और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देते .
- जले और कटे स्थान पर इसके पत्ते पीस कर लगाने से लाभ होता है .
- जहरीले कीड़े काटने पर इसके फलों के रस को निम्बू के रस के साथ मिलाकर लगाने से लाभ होता है |
- यह किडनी के लिए लाभकारी होता है |
- यह आँखों की बीमारियों में लाभकारी होता है इसमें मौजूद एंटी ओक्सीडेंट केटरेक्ट को शुरू होने से रोकते है ,यह नेत्र ज्योति को बढाता है .
- यह कोलेस्ट्रोल कम करता है |
- यह इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है |
- वजन कम करने के लिए रोजाना कुछ मीठी नीम की पत्तियाँ चबाये|
प्रतिदिन भोजन में कढ़ी पत्ते को दाल , सब्ज़ी में डालकर या चटनी बनाकर प्रयोग किया जा सकता है , जिस प्रकार दक्षिण भारत में किया जाता है |