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Thursday 24 September 2015

चिकित्सक के बिना चिकित्सा

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Tuesday 5 August 2014

स्वास्थ्य समस्याओं में लहसुन








लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है ।  औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खो के बारे में जानें जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।


1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।


2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।


3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।


4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।


5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।


6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।


7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।


8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।


9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।


10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।


11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।


12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।

13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू-

अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।

Friday 18 July 2014

चिरौंजी,लहसुन,मिर्च,मूँगफली,दही से चिकत्सा

चिरौंजी [Calumpang -nut -Tree ]
चिरौंजी के पेड़ भारत के पश्चिम प्रायद्वीप एवं उत्तराखण्ड में 450 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है , महाराष्ट्र , नागपुर और मालाबार में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं | इसके वृक्ष छाल अत्यन्त खुरदुरी होती है इसलिए संस्कृत में खरस्कन्द तथा इसकी छाल अधिक मोटी होती है ,इसलिए इसे बहुलवल्कल कहते हैं | इसके फल ८-१२ मिलीमीटर के गोलाकार कृष्ण वर्ण के ,मांसल , काले बीजयुक्त होते हैं | फलों को फोड़ कर जो गुठली निकाली जाती है उसे चिरौंजी कहते हैं | यह अत्यंत पौष्टिक तथा बलवर्धक होती है | चिरौंजी एक मेवा होती है और इसे विभिन्न प्रकार के पकवानों और मिठाईयों में डाला है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जनवरी-मार्च तथा मार्च-मई तक होता है | इसके बीज एवं तेल में एमिनो अम्ल , लीनोलीक ,मिरिस्टीक , ओलिक , पॉमिटिक , स्टीएरिक अम्ल एवं विटामिन पाया जाता है | 
विभिन्न रोगों चिरौंजी से उपचार --------
१- पांच-दस ग्राम चिरौंजी पीसकर उसमें मिश्री मिलाकर दूध के साथ खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है | 
२-चिरौंजी को गुलाब जल में पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहांसे ठीक होते हैं | 
३-दूध में चिरौंजी की खीर बनाकर खाने से शरीर का पोषण होता है | 
४-पांच -दस ग्राम चिरौंजी की गिरी को खाने से तथा चिरौंजी को दूध में पीसकर मालिश करने से शीतपित्त में लाभ होता है | 
५-चिरौंजी की ५-१० ग्राम गिरी को भूनकर ,पीसकर २०० मिलीलीटर दूध मिलाकर उबाल लें | उबालने के बाद ५०० मिलीग्राम इलायची चूर्ण व थोड़ी सी चीनी मिलाकर पिलाने से खांसी तथा जुकाम में लाभ होता है ।




Friday 21 February 2014

प्राचीन भारतीय परम्पराएँ शुद्ध वैज्ञानिक हैं

यह बिलकुल सही है कि आजकल लोग प्राचीन भारतीय परम्पराओं का इसलिए मखौल उड़ाते हैं क्योंकि उनके आधुनिक विज्ञान के अध्यन में उनको शामिल नहीं किया गया है। आधुनिक विज्ञान पश्चिम से परावर्तित होकर आया है जबकि प्राचीन विज्ञान भारत से अरब होता हुआ पश्चिम पहुंचा था। खुद को श्रेष्ठ बताने हेतु पश्चिम के वैज्ञानिकों ने भारतीय वैज्ञानिक परम्पराओं को 'अवैज्ञानिक' घोषित कर दिया था और हमारे लोगों ने उसको ब्रह्म-वाक्य मान कर सिरोधार्य कर लिया था।लेकिन निम्नाकित स्कैन कापियों से सिद्ध होता है कि आज भी हमारी अपनी प्राचीन मान्यताएँ ही शुद्ध वैज्ञानिक हैं न कि आधुनिक वैज्ञानिक मान्यताएँ जैसा कि अब खुद आधुनिक वैज्ञानिक भी स्वीकारने लगे हैं। 

हमारे देश में प्राचीन कालीन नियम यह था कि सुबह का भोजन अधिकतम दिन के 12 बजे तक और रात्रि का भोजन सूर्यास्त से पहले कर लिया जाये और सूर्यास्त के बाद पानी न पिया जाये । इसके पीछे विज्ञान का यह नियम था कि शरीर का अग्नि तत्व सूर्य के प्रकाश में खाये  गए भोजन को पचा कर आवश्यक ऊर्जा संचय कर सके। रात्रि काल में चंद्रमा के प्रकाश में शरीर का जल तत्व प्रभावी रहता है अतः अतिरिक्त पानी पीने की आवश्यकता नहीं है।इसी प्रकार अन्य जीवनोपयोगी नियम निर्धारित थे और लोग उनका पालन कर सुखी थे। किन्तु जबसे इन नियमों की अवहेलना हुई देश और देशवासियों का पतन आरंभ हो गया और अंततः देश गुलाम हो गया। गुलामी में अपना अर्वाचीन सब कुछ ठुकरा दिया गया-भुला दिया गया जिसका नतीजा आज की वीभत्स समस्याएँ हैं।  

और  आधुनिक दक़ियानूसी वैज्ञानिकों ने इस प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक सत्यता को अवैज्ञानिक कह कर नकार दिया नतीजतन अब लोग सुबह का भोजन शाम के तीन-चार बजे तथा रात्री भोजन 10-11 बजे करते है और तमाम बीमारियों का शिकार होकर डॉ व अस्पताल के चक्कर काट-काट कर खुद को 'आधुनिक' व 'प्रगतिशील' होने का स्वांग रचते हैं। इस स्वांग को 'ढोंग' और अवैज्ञानिक -अंधविश्वास अब अत्याधुनिक खोजें ही सिद्ध कर रही हैं।

 अतः आज समय की मांग है कि इस धरती के हम सब प्राणी महर्षि स्वामी दयानंद 'सरस्वती' के इस आव्हान कि 'फिर से वेदों की ओर चलो' का अनुपालन करें तथा 'सर्वे भवन्तु सुखिना : ........ सर्वे भवन्तु निरामया : ' रहें। 




Thursday 9 January 2014

छोटे लहसुन के बड़े फायदे

::::::::::::कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे:::::::::::
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है,
आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है:-----------------

@इन बीमारियों में है रामबाण@
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1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।
2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।
4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। 6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।
8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।
9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।
10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।
12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।
13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है। लहसुन की बदबू- अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी।
+++लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।