Tuesday, 1 July 2014

चिकित्सा समाज सेवा है : व्यवसाय नहीं---विजय राजबली माथुर

डाक्टर्स डे पर पूर्व प्रकाशित लेख एक बार फिर :
http://krantiswar.blogspot.in/2011/02/blog-post_28.html

Monday, February 28, 2011

चिकित्सा समाज सेवा है -व्यवसाय नहीं

 ब मैंने 'आयुर्वेदिक दयानंद मेडिकल कालेज,'मोहन नगर ,अर्थला,गाजियाबाद  से आयुर्वेद रत्न किया था तो प्रमाण-पत्र के साथ यह सन्देश भी प्राप्त हुआ था-"चिकित्सा समाज सेवा है-व्यवसाय नहीं".मैंने इस सन्देश को आज भी पूर्ण रूप से सिरोधार्य किया हुआ है और लोगों से इसी हेतु मूर्ख का ख़िताब प्राप्त किया हुआ है.वैसे हमारे नानाजी और बाबाजी भी लोगों को निशुल्क दवायें दिया करते थे.नानाजी ने तो अपने दफ्तर से अवैतनिक छुट्टी लेकर  बनारस जा कर होम्योपैथी की बाकायदा डिग्री हासिल की थी.हमारे बाबूजी भी जानने वालों को निशुल्क दवायें दे दिया करते थे.मैंने मेडिकल प्रेक्टिस न करके केवल परिचितों को परामर्श देने तक अपने को सीमित रखा है.इसी डिग्री को लेकर तमाम लोग एलोपैथी की प्रेक्टिस करके मालामाल हैं.एलोपैथी हमारे कोर्स में थी ,परन्तु इस पर मुझे भी विशवास नहीं है.अतः होम्योपैथी और आयुर्वेदिक तथा बायोकेमिक दवाओं का ही सुझाव देता हूँ.

एलोपैथी चिकित्सक अपने को वरिष्ठ मानते है और इसका बेहद अहंकार पाले रहते हैं.यदि सरकारी सेवा पा गये तो खुद को खुदा ही समझते हैं.जनता भी डा. को दूसरा भगवान् ही कहती है.आचार्य विश्वदेव जी कहा करते थे -'परहेज और परिश्रम' सिर्फ दो ही वैद्द्य है जो इन्हें मानेगा वह कभी रोगी नहीं होगा.उनके प्रवचनों से कुछ चुनी हुयी बातें यहाँ प्रस्तुत हैं-

उषापान-उषापान करके पेट के रोगों को दूर कर निरोग रहा जा जा सकता है.इसके लिए ताम्बे के पात्र में एक लीटर पानी को उबालें और ९९० मि.ली.रह जाने पर चार कपड़ों की तह बना कर छान कर ताम्बे के पात्र में रख लें इसी अनुपात में पानी उबालें.प्रातः काल में सूर्योदय से पहले एक ग्लास से प्रारम्भ कर चार ग्लास तक पियें.यही उषा पान है.

बवासीर-बवासीर रोग सूखा  हो या खूनी दस से सौ तक फिर सौ से दस तक पकी निम्बोली का छिलका उतार कर प्रातः काल निगलवा कर कल्प करायें,रोग सदा के लिए समाप्त होगा.

सांप का विष-सांप द्वारा काटने पर उस स्थान को कास कर बाँध दें,एक घंटे के भीतर नीला थोथा तवे पर भून कर चने के बराबर मात्रा में मुनक्का का बीज निकल कर उसमें रख कर निगलवा दें तो विष समाप्त हो जायेगा.
बिच्छू दंश-बिच्छू के काटने पर (पहले से यह दवा तैयार कर रखें) तुरंत लगायें ,तुरंत आराम होगा.दवा तैयार करने के लिये बिच्छुओं को चिमटी से जीवित पकड़ कर रेक्तीफायीड स्प्रिट में डाल दें.गलने पर फ़िल्टर से छान कर शीशी में रख लें.बिच्छू के काटने पर फुरहरी से काटे स्थान पर लगायें.

डायबिटीज-मधुमेह की बीमारी में नीम,जामुन,बेलपत्र की ग्यारह-ग्यारह कोपलें दिन में तीन बार सेवन करें अथवा कृष्ण गोपाल फार्मेसी ,अजमेर द्वारा निर्मित औषधियां  -(१)शिलाज्लादिव्री की दो-दो गोली प्रातः-सायं दूध के साथ तथा (२) दोपहर में गुद्च्छादिबूरीके अर्क के साथ सेवन करें.

थायराड-इस रोग में दही,खट्टे ,ठन्डे,फ्रिज के पदार्थों से परहेज करें.यकृतअदि लौह पानी के साथ तथा मंडूर भस्म शहद के सेवन करें.लाभ होगा.

श्वेत दाग-श्वेत्रादी रस एक-एक गोली सुबह -शाम बापुच्यादी चूर्ण पानी से सेवन करें.
(मेरी राय में इसके अतिरिक्त बायोकेमिक की साईलीशिया 6 X का 4 T D S  सेवन शीघ्र लाभ दिलाने में सहायक होगा)

आज रोग और प्रदूषण वृद्धि  क्यों?-आचार्य विश्वदेव जी का मत था कि नदियों में सिक्के डालने की प्रथा आज फिजूल और हानिप्रद है क्योंकि अब सिक्के एल्युमिनियम तथा स्टील के बनते हैं और ये धातुएं स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद हैं.जब नदियों में सिक्के डालने की प्रथा का चलन हुआ था तो उसका उद्देश्य नदियों के जल को प्रदूषण-मुक्त करना था.उस समय सिक्के -स्वर्ण,चांदी और ताम्बे के बनते थे और ये धातुएं जल का शुद्धीकरण करती हैं.अब जब सिक्के इनके नहीं बनते हैं तो लकीर का फ़कीर बन कर विषाक्त धातुओं के सिक्के नदी में डाल कर प्रदूषण वृद्धी नहीं करनी चाहिए.

 नदी जल के प्रदूषित होने का एक बड़ा कारण आचार्य विश्वदेव जी मछली -शिकार को भी मानते थे.उनका दृष्टिकोण था कि कछुआ और मछली जल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और काई को खा जाते थे जिससे जल शुद्ध रहता था.परन्तु आज मानव इन प्रनिओं का शिकार कर लेता है जिस कारण नदियों का जल प्रदूषित रहने लगा है.

क्षय रोग की त्रासदी-आचार्य विश्वदेव जी का दृष्टिकोण था कि मुर्गा-मुर्गियों का इंसानी भोजन के लिये शिकार करने का ही परिणाम आज टी.बी.त्रासदी के रूप में सामने है.पहले मुर्गा-मुर्गी घूरे,कूड़े-करकट से चुन-चुन कर कीड़ों का सफाया करते रहते थे.टी.बी. के थूक,कफ़ आदि को मुर्गा-मुर्गी साफ़ कर डालता था तो इन रोगों का संक्रमण नहीं हो पाटा था.किन्तु आज इस प्राणी का स्वतंत्र घूमना संभव नहीं है -फैशनेबुल लोगों द्वारा इसका तुरंत शिकार कर लिया जाता है.इसी लिये आज टी. बी. के रोगी बढ़ते जा रहे हैं.

क्या सरकारी और क्या निजी चिकित्सक आज सभी चिकित्सा को एक व्यवसाय के रूप में चला  रहे हैं.आचार्य विश्वदेव जी समाज सेवा के रूप में अपने प्रवचनों में रोगों और उनके निदान पर प्रकाश डाल कर जन-सामान्य के कल्याण की कामना किया करते थे और काफी लोग उनके बताये नुस्खों से लाभ उठा कर धन की बचत करते हुए स्वास्थ्य लाभ करते थे जो आज उनके न रहने से अब असंभव सा हो गया है.

विश्व देव  के एक प्रशंसक के नाते मैं "टंकारा समाचार",७ अगस्त १९९८ में छपे मेथी के औषधीय गुणों को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ.अभी ताजी मेथी पत्तियां बाजार में उपलब्ध हैं आप उनका सेवन कर लाभ उठा सकते हैं.मेथी में प्रोटीन ,वसा,कार्बोहाईड्रेट ,कैल्शियम,फास्फोरस तथा लोहा प्रचुर मात्रा  में पाया जाता है.यह भूख जाग्रत करने वाली है.इसके लगातार सेवन से पित्त,वात,कफ और बुखार की शिकायत भी दूर होती है.
पित्त दोष में-मेथी की उबली हुयी पत्तियों को मक्खन में तल  कर खाने से लाभ होता है.

गठिया में-गुड,आटा और मेथी से बने लड्डुओं से सर्दी में लाभ होता है.


प्रसव के बाद-मेथी बीजों को भून कर बनाये लड्डुओं के सेवन से स्वास्थ्य-सुधार तथा स्तन में दूध की मात्र बढ़ती है.


कब्ज में-रात को सोते समय एक छोटा चम्मच मेथी के दाने निगल कर पानी पीने से लाभ होता है.यह
एसीडिटी ,अपच,कब्ज,गैस,दस्त,पेट-दर्द,पाचन-तंत्र की गड़बड़ी में लाभदायक है.

आँतों की सफाई के लिये-दो चम्मच मेथी के दानों को एक कप पानी में उबाल कर छानने के बाद चाय बना कर पीने से लाभ होता है.

पेट के छाले-दूर करने हेतु नियमित रूप से मेथी का काढ़ा पीना चाहिए.

बालों का गिरना-रोकने तथा बालों की लम्बाई बढ़ने के लिये दानों के चूर्ण का पेस्ट लगायें.

मधुमेह में-मेथी पाउडर का सेवन दूध के साथ करना चाहिए.
मुंह के छाले-दूर करने हेतु पत्ते के अर्क से कुल्ला करना चाहिए.

मुंह की दुर्गन्ध -दूर करने हेतु दानों को पानी में उबाल कर कुल्ला करना चाहिए.

आँखों के नीचे का कालापन -दूर करने के लिये दानों को पीस कर पेस्ट की तरह लगायें.

कान बहना-रोकने हेतु दानों को दूध में पीस कर छानने के बाद हल्का गर्म करके कान में डालें.

रक्त की कमी में-दाने एवं पत्तों का सेवन लाभकारी है.

गर्भ-निरोधक-मेथी के चूर्ण तथा काढ़े से स्नायु रोग,बहु-मूत्र ,पथरी,टांसिल्स,रक्त-चाप तथा मानसिक तनाव और सबसे बढ़ कर गर्भ-निरोधक के रूप में लाभ होता है.

आज के व्यवसायी करण के युग में निशुल्क सलाह देने को हिकारत की नजर से देखा जाता है.आप भी पढ़ कर नजर-अंदाज कर सकते हैं.

Friday, 27 June 2014

रसोई से इलाज एवं मुलेठी के कुछ औषधीय गुण





!!====मुलेठी (यष्टीमधु )====!! ======================= मुलेठी से हम सब परिचित हैं | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है| मुलेठी की जड़ एवं सत सर्वत्र बाज़ारों में पंसारियों के यहाँ मिलता है | चरकसंहिता में रसायनार्थ यष्टीमधु का प्रयोग विशेष रूप से वर्णित है | सुश्रुत संहिता में यष्टिमधु फल का प्रयोग विरेचनार्थ मिलता है | मुलेठी रेशेदार,गंधयुक्त तथा बहुत ही उपयोगी होती है | यह ही एक ऐसी वस्तु है जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है | मुलेठी वातपित्तशामक है | यह खाने में ठंडी होती है | इसमें ५० प्रतिशत पानी होता है | इसका मुख्य घटक ग्लीसराइज़ीन है जिसके कारण ये खाने में मीठा होता है | इसके अतिरिक्त इसमें घावों को भरने वाले विभिन्न घटक भी मौजूद हैं | मुलेठी खांसी,जुकाम,उल्टी व पित्त को बंद करती है | यह पेट की जलन व दर्द,पेप्टिक अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है |
 ------------------------------------------------मुलेठी के कुछ औषधीय गुण  :- --------------------------------------------------------------------- १- मुलेठी चूर्ण और आंवला चूर्ण २-२ ग्राम की मात्रा में मिला लें | इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है |
 २- मुलेठी-१० ग्राम ,काली मिर्च -१० ग्राम ,लौंग -०५ ग्राम ,हरड़ -०५ ग्राम,मिश्री - २० ग्राम ऊपर दी गयी सारी सामग्री को मिलाकर पीस लें | इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी और जुकाम,गले की खराबी, सिर दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं |
 ३- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है |
 ४- मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुहँ के छाले मिटते हैं तथा स्वर भंग (गला बैठना) में लाभ होता है |
 ५- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट और आँतों की ऐंठन व दर्द का शमन होता है |
 ६- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं |

https://www.facebook.com/groups/healthcaretips.here/659785864113928/?notif_t=group_activity 

Friday, 6 June 2014

मीठी नीम,काली मिर्च,मसालों आदि से चिकित्सा







कढ़ी पत्ता या मीठी नीम
अक्सर हम भोजन में से कढ़ी पत्ता निकाल कर अलग कर देते है | इससे हमें उसकी खुशबु तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता |कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है ,इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है | इसे हम मसालों में , भेल में भी डाल सकते है | इसकी छाल भी औषधि है | हमें अपने घरों में इसका पौधा लगाना चाहिए |
- कढ़ी पत्ता पाचन के लिए अच्छा होता है ,यह डायरिया , डिसेंट्री,पाइल्स , मन्दाग्नि में लाभकारी होता है | यह मृदु रेचक होता है |
- यह बालों के लिए बहुत उत्तम टॉनिक है , कढ़ी पत्ता बालों को सफ़ेद होने से और झड़ने से रोकता है |
- इसके पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से जुओं से छुटकारा मिलता है |
- कढ़ी पत्ता पेन्क्रीआज़ के बीटा सेल्स को एक्टिवेट कर मधुमेह को नियंत्रित करता है |
- हरे पत्ते होने से आयरन , जिंक ,कॉपर , केल्शियम ,विटामिन ए और बी , अमीनो एसिड ,फोलिक एसिड आदि तो इसमें होता ही है |
- इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो बुढापे को दूर रखते है और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देते .
- जले और कटे स्थान पर इसके पत्ते पीस कर लगाने से लाभ होता है .
- जहरीले कीड़े काटने पर इसके फलों के रस को निम्बू के रस के साथ मिलाकर लगाने से लाभ होता है |
- यह किडनी के लिए लाभकारी होता है |
- यह आँखों की बीमारियों में लाभकारी होता है इसमें मौजूद एंटी ओक्सीडेंट केटरेक्ट को शुरू होने से रोकते है ,यह नेत्र ज्योति को बढाता है .
- यह कोलेस्ट्रोल कम करता है |
- यह इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है |
- वजन कम करने के लिए रोजाना कुछ मीठी नीम की पत्तियाँ चबाये|
प्रतिदिन भोजन में कढ़ी पत्ते को दाल , सब्ज़ी में डालकर या चटनी बनाकर प्रयोग किया जा सकता है , जिस प्रकार दक्षिण भारत में किया जाता है |

Sunday, 25 May 2014

आम के फायदे





https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1456534817924576&set=a.1387398258171566.1073741827.100007042153277&type=1&theater

आम खाने के लाजवाब फायदे:
1. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है
आम में प्रचूर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी के लिए आम एक प्राकृति उपचार है, क्योंकि इसमें पोटेशियम (156 मिलीग्राम में 4 प्रतिशत) और मैग्निशियम (9 मिलीग्राम में 2 प्रतिशत) भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

2. कैंसर के खतरे को कम करता है और कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटाता है
आम में एक घुलनशील आहार संबंधी फाइबर पेक्टिन पाया जाता है। पेक्टिन ब्लड कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है। यह हमें ग्रंथि में होने वाले कैंसर से भी बचाता है।

3. वजन बढ़ाने में मददगार
आम का सेवन करना वजन बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है। 150 ग्राम आम में करीब 86 कैलोरी ऊर्जा होती है, जो हमारे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित कर ली जाती है। इतना ही नहीं, आम में स्टार्च पाया जाता है, जो सूगर में परिवर्तित होकर अंतत: वजन को बढ़ाता है।

4. पाचन प्रक्रिया में सहायक
आम अपच और एसीडीटी जैसी समस्याओं को भी दूर करता है। आम में पाए जाने वाले एंजाइम्स भोजन को पचाने में मदद करते हैं।

5. एनीमिया का उपचार
जो लोग एनियामा से ग्रसित हैं, उनके लिए आम काफी फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें प्रचूर मात्रा में आइरन पाया जाता है। नियमित और पर्याप्त रूप से आम का सेवन शरीर में खून की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे एनीमिया जैसी बीमारी दूर रहती है।

6. गर्मवती महिला के लिए लाभदायक
गर्मवती महिला को आयरन की विशेष जरूरत होती है। इसलिए उनके लिए आम काफी लाभदायक होता है। यूं तो डॉक्टर आयरन की गोली लेने की सलाह देते हैं, पर अगर आप चाहें तो आयरन से भरपूर आम के जूस का सेवन भी कर सकते हैं।

7. मुंहासे को रखे दूर
आम त्वचा पर होने वाले मंहासे पर भी प्रभावी रूप से असर करता है। यह मुंहासे के बंद पड़े छिद्रों को खोल देता है। एक बार जब यह छिद्र खुल जाते हैं, तो मुंहासों का निर्माण अपने-आप बंद हो जाता है। देखा जाए तो त्वचा के बंद पड़े छिद्रों को खोलना ही मुंहासों से छुटकारा पाने से सबसे अच्छा तरीका है। पर इसके लिए आपको नियमित आम खाने की जरूरत नहीं है। आप आम के गूदे को त्वचा पर लगाएं और 10 मिनट बाद धो लें।

8. समय से पहले बुढ़ापे को रोकता है
आम में बड़ी मात्रा में विटामिन A और विटामिन C पाए जाते हैं, जो कि शरीर के अंदर कोलाजेन प्रोटीन के निर्माण में सहायक होते हैं। कोलाजेन ब्लड वेसल और शरीर के कनेक्टिव टिशू को सुरक्षित रखता है, जिससे त्वचा की उम्र ढलने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

9. मस्तिष्क को बनाए स्वस्थ्य
आम में विटामिन B-6 प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है।

10. शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है
गाजर की तरह आम में भी बीटा-केरोटीन और कार्टेन्वाइड उच्च मात्रा में पाया जाता है। आम में पाए जाने वाले यह तत्व शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को बेहतर और मजबूत बनाते हैं।

Saturday, 24 May 2014

जौ(Barley),इमली से लू का बचाव :कपूर से दर्द भगाएँ





जौ(Barley) -----
___________________________________________________

प्राचीन काल से जौ का उपयोग होता चला आ रहा है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों का आहार मुख्यतः जौ थे। वेदों ने भी यज्ञ की आहुति के रूप में जौ को स्वीकार किया है। गुणवत्ता की दृष्टि से गेहूँ की अपेक्षा जौ हलका धान्य है। उत्तर प्रदेश में गर्मी की ऋतु में भूख-प्यास शांत करने के लिए सत्तू का उपयोग अधिक होता है। जौ को भूनकर, पीसकर, उसके आटे में थोड़ा सेंधा नमक और पानी मिलाकर सत्तू बनाया जाता है। कई लोग नमक की जगह गुड़ भी डालते हैं। सत्तू में घी और चीनी मिलाकर भी खाया जाता है।
जौ का सत्तू ठंडा, अग्निप्रदीपक, हलका, कब्ज दूर करने वाला, कफ एवं पित्त को हरने वाला, रूक्षता और मल को दूर करने वाला है। गर्मी से तपे हुए एवं कसरत से थके हुए लोगों के लिए सत्तू पीना हितकर है। मधुमेह के रोगी को जौ का आटा अधिक अनुकूल रहता है। इसके सेवन से शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ती नहीं है। जिसकी चरबी बढ़ गयी हो वह अगर गेहूँ और चावल छोड़कर जौ की रोटी एवं बथुए की या मेथी की भाजी तथा साथ में छाछ का सेवन करे तो धीरे-धीरे चरबी की मात्रा कम हो जाती है। जौ मूत्रल (मूत्र लाने वाला पदार्थ) हैं अतः इन्हें खाने से मूत्र खुलकर आता है।
जौ को कूटकर, ऊपर के मोटे छिलके निकालकर उसको चार गुने पानी में उबालकर तीन चार उफान आने के बाद उतार लो। एक घंटे तक ढककर रख दो। फिर पानी छानकर अलग करो। इसको बार्ली वाटर कहते हैं। बार्ली वाटर पीने से प्यास, उलटी, अतिसार, मूत्रकृच्छ, पेशाब का न आना या रुक-रुककर आना, मूत्रदाह, वृक्कशूल, मूत्राशयशूल आदि में लाभ होता है।

औषधि-प्रयोगः
धातुपुष्टिः एक सेर जौ का आटा, एक सेर ताजा घी और एक सेर मिश्री को कूटकर कलईयुक्त बर्तन में गर्म करके, उसमें 10-12 ग्राम काली मिर्च एवं 25 ग्राम इलायची के दानों का चूर्ण मिलाकर पूर्णिमा की रात्रि में छत पर ओस में रख दो। उसमें से हररोज सुबह 60-60 ग्राम लेकर खाने से धातुपुष्टि होती है।
गर्भपातः 
जौ के आटे को एवं मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है।