Sunday, 14 September 2014

पथरी के लिए घरेलू उपचार



Stone, पथरी के लिए घरेलू उपचार

आजकल हर दूसरा व्यक्ति पथरी की समस्या से परेशान है। पथरी होने की कोई उम्र नहीं होती है, यह किसी भी उम्र में हो जाती है। पथरी होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने से गुर्दे में पानी कम छनता है। पानी कम छनने से शरीर में मौजूद कैल्शियम,यूरिक एसिड और दूसरे पथरी बनाने वाले तत्व गुर्दे में फंस जाते हैंजो बाद में धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं।शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है .शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है ,जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़ जाती है .जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !(काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है |मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है
लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है ,दूध व बादाम का नियमित सेवन से पथरी की संभावना
कम होती है।गुर्दे की पथरी एक बार होने के बाद दोबारा भी हो सकती है।खान-पान पर नियंत्रण रखकर पथरी की आशंका को कम कर सकते हैं।
खासतौर पर गर्मियों में दो से ढाई लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।पेशाब का रंग यदि पीला है तो यह समझ जाएं कि शरीर में पानी की मात्रा कम है।आजकल पथरी का रोग लोगों में आम समस्या बनती जा रही है| जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है। जरुरत से कम पानी पीने से भी गुर्दे की पथरी का निर्माण होता है। हम बात करते हैं गुर्दे की पथरी के बारे में-आपको बता दें कि गुर्दे की पथरी मूत्रतंत्र का एक रोग है जिसमें गुर्दे के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसी कठोर वस्तुएं बन जाती हैं| आमतौर पर यह ये पथरियाँ मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं। बहुत से लोगों में पथरियाँ बनती हैं और बिना किसी तकलीफ के बाहर निकल जाती हैं, वहीँ अगर यही पथरी बड़ी हो जाएँ तो मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर देती हैं| इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है। यह बीमारी आमतौर से 30 से 60 वर्ष के उम्र के लोगों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। मधुमेह रोगियों में को गुर्दे की पथरी होने की ज्यादा सम्भावना रहती है|

गुर्दे की पथरी के लक्षण-

गुर्दे की पथरी से पीठ या पेट के निचले हिस्से में अचानक तेज दर्द होता है| यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भी हो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं मूत्र में रक्त भी आ सकता है।

पथरी का घरेलू इलाज-

जिस व्यक्ति को पथरी की समस्या हो उसे खूब केला खाना चाहिए क्योंकि केला विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है, जो ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता है व ऑक्जेलिक अम्ल को विखंडित कर देता है। इसके आलावा नारियल पानी का सेवन करें क्योंकि यह प्राकृतिक पोटेशियम युक्त होता है, जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है और इसमें पथरी घुलती है।

कहने को करेला बहुत कड़वा होता है पर पथरी में यह भी रामबाण साबित होता है| करेले में पथरी न बनने वाले तत्व मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस होते हैं और वह गठिया तथा मधुमेह रोगनाशक है। जो खाए चना वह बने बना। पुरानी कहावत है। चना पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है।

गाजर में पायरोफॉस्फेट और पादप अम्ल पाए जाते हैं जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन पदार्थ मूत्र संस्थान की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से बचाता है।

इसके अलावा नींबू का रस एवं जैतून का तेल मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगी साथ हीं पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।

पथरी को गलाने के लिये अध उबला चौलाई का साग दिन में थोडी थोडी मात्रा में खाना हितकर होता है, इसके साथ आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबाल कर कपडे से छान लें, और बथुये को उसी पानी में अच्छी तरह से निचोड कर जरा सी काली मिर्च जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर इसे दिन में चार बार पीना चाहिये, इस प्रकार से गुर्दे के किसी भी प्रकार के दोष और पथरी दोनो के लिए साग बहुत उत्तम माने गये है।

जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इसके अलावा तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें, उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे, पथरी में लाभ होगा|

प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

अगर किसी कारण से पेशाब गाढा हो जाता है तब शरीर में पथरी होना शुरू हो जाता है।

पहले छोटे-छोटे दाने बनते हैं बाद में दाने बढ जाते हैं जिसे पथरी कहते हैं।
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना
(युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन
आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर
छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है

आयुर्वेदिक इलाज

सबसे पहले आप सोनोग्राफी करवा के पता करें की

पथरी कितने साइज़ की है|

पखानबेद नाम का एक पौधा होता है !

उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है !

उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले !

और आधा आधे या एक कप काढ़ा रोज पीएं |

15 दिन बाद सोनोग्राफी करवाइए ,

मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म हो जायेगी

या फिर टूट कर आधी हो जायेगी

और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती है

पथरी से बचने के लिए निम्न चीजों का सेवन अधि करें

- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलाकर
२१ दिन तक

प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।

-: नारियल पानी :-

इसमें जैविक परमाणु होते हैं जो खनिज पदार्थो को
उत्पन्न होने से रोकते हैं

अर्थात् पथरी को बनने से रोकते हैं।

नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है।

पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी

और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर

सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

-: पका हुआ जामुन :-

पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।

-: बार्ली :-

यह पथरी को बढ़ने से रोकता है अथवा नष्ट करने में सफल माना गया है।

-: अनन्नास :-

इसमें एंजाइम्स होते हैं जो फैब्रिन का नाश करते हैं।

-: केला :-

इसमें पाई जाने वाली विटामिन बी 6 : आक्सेलिक एसिड में परिवर्तित होती है

और पथरी को बनने से रोकती है।

-: नींबू, संतरा, मुसम्मी :-

इसमें पाया जाने वाला सिट्रेट पथरी की उत्पत्ति पर रोक लगाने में मददगार साबित होता है।

-: आंवला :-

भी पथरी में बहुत फायदा करता है। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।

- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ दिन में तिन बार लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

-: सहजन की सब्जी :-

खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।

आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा।
मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर

डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए।

अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए

और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए,

इस घोल को पी‍जिए। पथरी निकल जाएगी।

-: चना :-

यह भी पथरी निरोधक पदार्थ माना गया है।

-: गाजर :-

इसमें फॉस्फेट अथवा विटामिन ए पाए गए हैं
जो पथरी को खत्म करने में मदद करते हैं।

-: करेला :-

इसमें मैग्नीशियम तथा फास्फोरस जैसे पथरी निरोधक तत्व पाए जाते हैं। तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

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आइये अब देखते हैं की किन चीजों के सेवन से
पथरी होने की सम्भावना बढ़ जाती है

- पालक, चौलाई और हरे पत्ते वाली सब्जियों में
अधिक मात्रा में आक्सेलेट तत्व पाए जाते हैं।

-: काले अंगूर :-

काले अंगूरों के सेवन से परहेज करें।

-तिल, काजू अथवा खीरे, आँवला अथवा चीकू (सपोटा) में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है।

-: तरबूज और मशरूम :-

इनमें भी अधिक मात्रा में यूरिक एसिड व प्यूरीन पाई जाती है।

- बैंगन में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में पाई जाती है।

फूल गोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है।

चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है,
उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।

कोल्ड्रिंक बिलकुल मत पीजिए।

Monday, 1 September 2014

सर्दी और जिगर की खराबी के विभिन्न उपचार



Most important foods to fight against the common cold
1. Ginger : Ginger is the best one to fight against common cold. Take Ginger as in the form of Ginger Tea for best results. It helps to reduce the cough and flu.

2. Vitamin C Sources : Foods which are rich in Vitamin C will be beneficial to fight against cold such as Citrus fruits, Potatoes, Strawberrie, pineapples.

3. Fluids : Many people thinks that drinking fluids and water increase the cold when we are suffering from cold but its wrong drink more fluids to keep you from liquefied.

4. Citrus fruits : Citrus fruits are rich sources of Vitamina C, Try to take Orange juice, Lemon juice. It gives good result.

5. Hot and Spicy food : Chillis or spicy sauces to help congestion and gives good breathing.

6. Garlic : Garlic contains flavoring agent called alliin which acts as a antioxidant and destroy radicals,oxygen molecules that damages the cells.
WBCF:









Wednesday, 20 August 2014

"भोजनान्ते विषं वारी":खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है ---वाग्भट्ट






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खाना खाने के बाद पेट मे खाना पचेगा या खाना सड़ेगा
ये जानना बहुत जरुरी है ...


हमने रोटी खाई,हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया
लस्सी पी ,
दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|,
ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |
पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय"
उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"|
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है
" epigastrium "|

ये एक थेली की तरह होता है
और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण है
क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है।

ये बहुत छोटा सा स्थान हैं
इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |
हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्न"।
|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।

ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |
यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|
ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |

अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|

और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|

आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|

अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,

एक क्रिया है जिसको हम कहते हे "Digestion" और दूसरी है "fermentation"
फर्मेंटेशन का मतलब है सडना
और डायजेशन का मतलब हे पचना|

आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा|

जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|

ये तभी होगा जब खाना पचेगा|

यह सब हमें चाहिए|

ये तो हुई खाना पचने की बात

अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड (uric acid )

|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,
मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है

तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओ
यूरिक एसिड कम करो|

और एक दूसरा उदाहरण खाना

जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे
LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol )|

जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )

हाई-बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ?

तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा खतरनाक एक विष हे
वो है VLDL
(Very Low Density lipoprotive)|

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|

खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|

जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे, कोई LDL -VLDL के नाम से कहे समझ लीजिए की ये
विष हे और ऐसे विष 103 है |

ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,

कोई कहता हे मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|

खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त ,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि

और

खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल
,LDL-VLDL|

और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !

पेट मे बनने वाला यही जहर जब
ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
*जिसे आप heart attack कहते हैं !

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है
की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए
और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|

क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है

महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |

आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे।

खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!

"भोजनान्ते विषं वारी"
---------------
(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर
है )

* इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये!*

अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??

बात ऐसी है !

जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है !

पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट
का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है !

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत
धीमी हो जाती है )

पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं ।

तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!

जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने
लगता है उनको घंटे बाद
पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???

तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे ये मिनट का calculation ????

बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है !

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !
पानी ना पीये खाना खाने के बाद।
इसका जरूर पालन  करे !

Tuesday, 19 August 2014

Papaya For Uric Acid/Gout Problem

https://www.facebook.com/india.cd/photos/a.417889443884.217393.7319903884/10152070085533885/?type=1&theater

http://www.india.cd/ask/

Papaya For Uric Acid/Gout Problem


First boil at least 3 liters of water, wash properly a green papaya of medium size, slice and remove the seeds, then cut into small cubes then place into the water and bring to boil, then add tea leaves (oolong) or green tea at least 5 bags similar to the tea making process. This is very effective for treatment of GOUT/URIC ACID. Frequently drinking this formula will heal the pain you've been suffering. Important point, skin of the papaya should be included !

Dosage: Drink frequently. About 3-4 glasses a day. After symptoms are cured, drink onc
e every week to maintain alkaline state of the body.
 
 

Tuesday, 5 August 2014

स्वास्थ्य समस्याओं में लहसुन








लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है ।  औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खो के बारे में जानें जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।


1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।


2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।


3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।


4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।


5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।


6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।


7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।


8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।


9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।


10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।


11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।


12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।

13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू-

अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।