Thursday, 8 January 2015

हींग कई बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है

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http://www.bhaskar.com/news/LIF-HNB-10-health-benefits-of-heeng-4864266-PHO.html 

लाइफस्टाइल डेस्क: हींग कई बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। आंखों की बीमारी होने पर हींग का सेवन करना चाहिए। हींग बहुत ही अच्छा पाचक भी है। दिमाग की बीमारियों का इलाज हींग के इस्तेमाल से होता है। हींग कान के रोगों में भी फायदेमंद है। हींग कफ और वात को ठीक करती है। आइए, हम आपको हींग के औषधीय गुणों की जानकारी देते हैं।
हींग के लाभ:–
1-दांतों की समस्या के लिए हींग बहुत फायदेमंद है। दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात में सोते वक्त दांतों में हींग दबाकर सोएं। ऐसा करने से कीड़े अपने-आप निकल जाएंगे। यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो, तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दीजिए। इससे पीडा भी समाप्त होगी और कांटा अपने-आप निकल जाएगा।
2-दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोगों में हींग बहुत फायदेमंद है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से फायदा होता है।
3-बवासीर की समस्या होने पर हींग का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। बवासीर होने पर हींग का लेप लगाने से आराम मिलता है।
4-कब्ज की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोडा-सा मीठा सोडा मिलाकर रात में सोने से पहले लीजिए। इससे पेट साफ हो जाएगा और कब्ज की शिकायत समाप्त होगी।
5-पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करने से फायदा होता है।
पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनीमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
अगर किसी खुले जख्म पर कीड़े पड़ गए हों, तो उस जगह पर हींग का चूर्ण लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

8-खाने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकड़ा मक्खन के साथ में लेने से भूख ज्यादा लगती है।
9-पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है।
10-कान में दर्द होने पर तिल के तेल में हींग को पकाकर उस तेल की बूंदों को कान में डालने से दर्द समाप्त हो जाता है।
11-उल्टी आने पर हींग को पानी में पीसकर पेट पर लगाने से फायदा होता है।
12-सिरदर्द होने पर हींग को गर्म करके उसका लेप लगाने से फायदा होता है।
ईरानी मूल की मानी जाने वाली हींग खांसी, सूखी खांसी, इन्फ्लुएंजा, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों को दूर करने में भी काफी मददगार है। दाल, सांभर व अन्य किसी रसदार सब्जी में हींग का इस्तेमाल किया जाता है।  

1 3-घी के साथ सेवन करें
देसी घी में हींग के पाउडर को भून लें। इससे खांसी और सांस से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है।

थोड़ी-सी हींग में एक चम्मच शहद और आधा चम्मच सफेद प्याज का रस मिला लें। साथ ही, इसमें आधा चम्मच सुपारी का रस और सूखी अदरक मिला लें। सांस से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए रोज इस मिश्रण का थोड़ी मात्रा में सेवन करें। 
4- हींग और शहद

5-गर्म पानी के साथ हींग

गर्म पानी में एक चुटकी हींग डाल लें। इस मिश्रण को पीने से गंभीर ब्रोंकाइटिस में राहत मिलती है। यह उपाय करने में आसान है। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि हींग की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका ज़्यादा सेवन न करें।


Wednesday, 24 December 2014

दर्द : दिल,जोड़ों या शरीर का

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Saturday, 13 December 2014

दही मथें माखन मिले ----- अंबिका शर्मा


दही मथें माखन मिले, केसर संग मिलाय,
होठों पर लेपित करें, रंग गुलाबी आय..

बहती यदि जो नाक हो, बहुत बुरा हो हाल,
यूकेलिप्टिस तेल लें, सूंघें डाल रुमाल..

अजवाइन को पीसिये , गाढ़ा लेप लगाय,
चर्म रोग सब दूर हो, तन कंचन बन जाय..

अजवाइन को पीस लें , नीबू संग मिलाय,
फोड़ा-फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय..

अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम,
पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम..

ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल,
नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल..

अदरक का रस लीजिए. मधु लेवें समभाग,
नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग..

रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर,
बेहतर लीवर आपका, टी० बी० भी हो दूर..

गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम,
रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम..

शहद आंवला जूस हो, मिश्री सब दस ग्राम,
बीस ग्राम घी साथ में, यौवन स्थिर काम..

चिंतित होता क्यों भला, देख बुढ़ापा रोय,
चौलाई पालक भली, यौवन स्थिर होय..

लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह,
जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह..

प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह,
जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह..

सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय,
दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय..

सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार,
दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार..

तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल,
सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल..

थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग,
अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग.

अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय,
मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय..

ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि,
उदर व्याधियाँ दूर हों, जीवन में हो सिद्धि..

दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ,
दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ..

मुँह में बदबू हो अगर, दालचीनि मुख डाल,
बने सुगन्धित मुख, महक, दूर होय तत्काल..

कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट,
घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट..

बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग,
सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग..

बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम,
सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम..

नीबू बेसन जल शहद, मिश्रित लेप लगाय,
चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय..

मधु का सेवन जो करे, सुख पावेगा सोय,
कंठ सुरीला साथ में, वाणी मधुरिम होय.

पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज,
नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज..

ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम,
नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम..

कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय,
अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय..

अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम,
कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम..

छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग,
जीरा उसमें डालकर, पियें सदा यह भोग..।

https://www.facebook.com/gurmukhsalh/posts/10202909951574103 
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Friday, 12 December 2014

चना,अदरक और मालिश सेवन से रहें-स्वस्थ

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Tuesday, 9 December 2014

एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ?---भारतीय आयुर्वेद


जीवन का आधार ............. आयुर्वेद:
WHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|
एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |
ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को| यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है|
सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा|
फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन बामारियों से कैसे निपटा जाये ?
........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद |
एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-
(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है|
(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |
(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |
(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है|
(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है|
(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|
(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है।
https://www.facebook.com/sagardipaks01/posts/296747900535170