स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं
"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Wednesday 24 December 2014
Saturday 13 December 2014
दही मथें माखन मिले ----- अंबिका शर्मा
दही मथें माखन मिले, केसर संग मिलाय,
होठों पर लेपित करें, रंग गुलाबी आय..
बहती यदि जो नाक हो, बहुत बुरा हो हाल,
यूकेलिप्टिस तेल लें, सूंघें डाल रुमाल..
अजवाइन को पीसिये , गाढ़ा लेप लगाय,
चर्म रोग सब दूर हो, तन कंचन बन जाय..
अजवाइन को पीस लें , नीबू संग मिलाय,
फोड़ा-फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय..
अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम,
पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम..
ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल,
नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल..
अदरक का रस लीजिए. मधु लेवें समभाग,
नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग..
रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर,
बेहतर लीवर आपका, टी० बी० भी हो दूर..
गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम,
रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम..
शहद आंवला जूस हो, मिश्री सब दस ग्राम,
बीस ग्राम घी साथ में, यौवन स्थिर काम..
चिंतित होता क्यों भला, देख बुढ़ापा रोय,
चौलाई पालक भली, यौवन स्थिर होय..
लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह,
जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह..
प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह,
जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह..
सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय,
दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय..
सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार,
दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार..
तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल,
सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल..
थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग,
अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग.
अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय,
मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय..
ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि,
उदर व्याधियाँ दूर हों, जीवन में हो सिद्धि..
दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ,
दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ..
मुँह में बदबू हो अगर, दालचीनि मुख डाल,
बने सुगन्धित मुख, महक, दूर होय तत्काल..
कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट,
घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट..
बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग,
सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग..
बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम,
सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम..
नीबू बेसन जल शहद, मिश्रित लेप लगाय,
चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय..
मधु का सेवन जो करे, सुख पावेगा सोय,
कंठ सुरीला साथ में, वाणी मधुरिम होय.
पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज,
नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज..
ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम,
नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम..
कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय,
अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय..
अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम,
कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम..
छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग,
जीरा उसमें डालकर, पियें सदा यह भोग..।
https://www.facebook.com/gurmukhsalh/posts/10202909951574103
***********************************
चर्म रोग सब दूर हो, तन कंचन बन जाय..
अजवाइन को पीस लें , नीबू संग मिलाय,
फोड़ा-फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय..
अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम,
पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम..
ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल,
नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल..
अदरक का रस लीजिए. मधु लेवें समभाग,
नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग..
रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर,
बेहतर लीवर आपका, टी० बी० भी हो दूर..
गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम,
रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम..
शहद आंवला जूस हो, मिश्री सब दस ग्राम,
बीस ग्राम घी साथ में, यौवन स्थिर काम..
चिंतित होता क्यों भला, देख बुढ़ापा रोय,
चौलाई पालक भली, यौवन स्थिर होय..
लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह,
जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह..
प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह,
जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह..
सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय,
दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय..
सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार,
दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार..
तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल,
सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल..
थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग,
अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग.
अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय,
मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय..
ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि,
उदर व्याधियाँ दूर हों, जीवन में हो सिद्धि..
दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ,
दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ..
मुँह में बदबू हो अगर, दालचीनि मुख डाल,
बने सुगन्धित मुख, महक, दूर होय तत्काल..
कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट,
घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट..
बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग,
सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग..
बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम,
सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम..
नीबू बेसन जल शहद, मिश्रित लेप लगाय,
चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय..
मधु का सेवन जो करे, सुख पावेगा सोय,
कंठ सुरीला साथ में, वाणी मधुरिम होय.
पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज,
नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज..
ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम,
नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम..
कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय,
अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय..
अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम,
कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम..
छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग,
जीरा उसमें डालकर, पियें सदा यह भोग..।
https://www.facebook.com/gurmukhsalh/posts/10202909951574103
***********************************
Friday 12 December 2014
चना,अदरक और मालिश सेवन से रहें-स्वस्थ
स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )-----
Tuesday 9 December 2014
एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ?---भारतीय आयुर्वेद
जीवन का आधार ............. आयुर्वेद:
WHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|
एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |
ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को| यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है|
सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा|
फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन बामारियों से कैसे निपटा जाये ?
........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद |
एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-
(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है|
(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |
(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |
(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है|
(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है|
(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|
(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है।
https://www.facebook.com/sagardipaks01/posts/296747900535170
WHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|
एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |
ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को| यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है|
सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा|
फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन बामारियों से कैसे निपटा जाये ?
........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद |
एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-
(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है|
(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |
(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |
(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है|
(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है|
(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|
(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है।
Wednesday 19 November 2014
काली मिर्च आदि से घरेलू इलाज और कैंसर
जैतून के तेल के लाभ
जैतून के तेल का प्रयोग शरीर के लिए बहुत ही
फायदेमंद होता है। जैतून के तेल में फ्लेवसेनॉयड्स स्कवेलीन और
पोरीफेनोल्स एंटीऑक्सीडेंट्स होता है जो फ्री रैडिकल्स से कोशिकाओं को
समाप्त होने से बचाता है। सर्दियों और गर्मियों के मौसम में यह रूखी त्वचा
के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका प्रयोग करने से बालों से डैंड्रफ
समाप्त होता है। झुर्रियों को समाप्त करने के लिए यह बहुत उपयोगी है। शरीर
के हर अंग में इस तेल का प्रयोग किया जा सकता है। खाने में इसे शामिल कर
ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसे रोगों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
******************************************
गाजर के सेवन से भी कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार किसी की जन्म कुंडली में 'शनि' व 'मंगल' ग्रह में परस्पर संबंध हो तो 'कैंसर' रोग होने सम्भावना रहती है।
*आगरा कालेज,आगरा के जूलाजी विभाग के अध्यक्ष रहे एक अवकाश प्राप्त सज्जन को 64 वर्ष की अवस्था मूत्र नली में कैंसर का डॉ को पता चला था ,वह पहले से ही डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज थे। आपरेशन करवाने से घबरा रहे थे लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनको शनि व मंगल ग्रहों के शमन का परामर्श दिया गया जिसका पालन उन्होने बखूबी किया फलतः उनका आपरेशन सफल रहा । लेकिन आपरेशन दिये गए समय पर करवाने में डॉ को राज़ी करना सरल काम नहीं था। जब डॉ आपरेशन करना चाहते थे समय उनके प्रतिकूल था उनको न करवाने का परामर्श दिया था। अनुकूल समय पर डॉ नहीं करते थे। अंततः जब ज्योतिष के अनुसार अनुकूल समय पर डॉ ने आपरेशन करना स्वीकार किया तभी उन्होने आपरेशन करवाया जो सफल हो सका जबकि डॉ सफलता की गारंटी नहीं दे रहे थे।
* अलीगढ़ स्थित एक मेडिकल रिप्रेंजनटेटिव की पत्नी को मस्तिष्क में कैंसर का पता चला था जिनके दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनके आगरा स्थित मित्र ने मुझसे संपर्क कर परामर्श मांगा और दी गई सलाह के अनुसार उपचार व आपरेशन करवाया गया जो पूर्ण रूप से सफल रहा जबकि वहाँ भी डॉ ने गारंटी नहीं दी थी।
******************************************
गाजर के सेवन से भी कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार किसी की जन्म कुंडली में 'शनि' व 'मंगल' ग्रह में परस्पर संबंध हो तो 'कैंसर' रोग होने सम्भावना रहती है।
*आगरा कालेज,आगरा के जूलाजी विभाग के अध्यक्ष रहे एक अवकाश प्राप्त सज्जन को 64 वर्ष की अवस्था मूत्र नली में कैंसर का डॉ को पता चला था ,वह पहले से ही डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज थे। आपरेशन करवाने से घबरा रहे थे लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनको शनि व मंगल ग्रहों के शमन का परामर्श दिया गया जिसका पालन उन्होने बखूबी किया फलतः उनका आपरेशन सफल रहा । लेकिन आपरेशन दिये गए समय पर करवाने में डॉ को राज़ी करना सरल काम नहीं था। जब डॉ आपरेशन करना चाहते थे समय उनके प्रतिकूल था उनको न करवाने का परामर्श दिया था। अनुकूल समय पर डॉ नहीं करते थे। अंततः जब ज्योतिष के अनुसार अनुकूल समय पर डॉ ने आपरेशन करना स्वीकार किया तभी उन्होने आपरेशन करवाया जो सफल हो सका जबकि डॉ सफलता की गारंटी नहीं दे रहे थे।
* अलीगढ़ स्थित एक मेडिकल रिप्रेंजनटेटिव की पत्नी को मस्तिष्क में कैंसर का पता चला था जिनके दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनके आगरा स्थित मित्र ने मुझसे संपर्क कर परामर्श मांगा और दी गई सलाह के अनुसार उपचार व आपरेशन करवाया गया जो पूर्ण रूप से सफल रहा जबकि वहाँ भी डॉ ने गारंटी नहीं दी थी।
काम के लिए
सर्दी-जुकाम होने पर दालचीनी का प्रयोग करना
चाहिए। एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर सुबह-शाम लेने से
खांसी-जुकाम में आराम मिलता है। हल्के गर्म पानी में एक चुटकी दालचीनी
पाउडर तथा एक चुटकी पिसी काली मिर्च शहद में मिलाकर पीने से जुकाम तथा गले
की खराश दूर होती है। इसके पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे
पर लगाने से ठंडी हवा से होने वाले सिर दर्द में आराम मिलता है।
- See more at:
http://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/health-benefits-of-dalchini-in-hindi-1385801960-2.html#sthash.C71UmzG4.dpuf
Subscribe to:
Posts (Atom)