स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं
"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Showing posts with label आयुर्वेदिक चिकित्सा. Show all posts
Showing posts with label आयुर्वेदिक चिकित्सा. Show all posts
Monday, 26 January 2015
Sunday, 18 January 2015
बथुआ है गुणों की खान---आयुर्वेदिक चिकित्सा
इन दिनों दिनों बाज़ार में खूब बथुए का साग आ रहा है।
- बथुआ संस्कृत भाषा में वास्तुक और क्षारपत्र के नाम से
जाना जाता है बथुआ एक
ऐसी सब्जी या साग है,
जो गुणों की खान होने पर
भी बिना किसी विशेष परिश्रम और
देखभाल के खेतों में स्वत: ही उग जाता है। एक
डेढ़ फुट का यह हराभरा पौधा कितने ही गुणों से
भरपूर है। बथुआ के परांठे और रायता तो लोग चटकारे लगाकर खाते
हैं बथुआ का शाक पचने में हल्का ,रूचि उत्पन्न करने वाला,
शुक्र तथा पुरुषत्व को बढ़ने वाला है | यह
तीनों दोषों को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों का शमन
करता है |
- विशेषकर प्लीहा का विकार, रक्तपित,
बवासीर तथा कृमियों पर अधिक
प्रभावकारी है |
- इसमें क्षार होता है , इसलिए यह पथरी के रोग
के लिए बहुत अच्छी औषधि है . इसके लिए
इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है .
- यह कृमिनाशक मूत्रशोधक और बुद्धिवर्धक है .
-किडनी की समस्या हो जोड़ों में दर्द
या सूजन हो ; तो इसके
बीजों का काढ़ा लिया जा सकता है . इसका साग
भी लिया जा सकता है .
- सूजन है, तो इसके पत्तों का पुल्टिस गर्म करके
बाँधा जा सकता है . यह वायुशामक होता है .
- गर्भवती महिलाओं को बथुआ
नहीं खाना चाहिए .
- एनीमिया होने पर इसके पत्तों के 25 ग्राम रस में
पानी मिलाकर पिलायें .
- अगर लीवर की समस्या है ,
या शरीर में गांठें हो गई हैं तो , पूरे पौधे को सुखाकर
10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पिलायें .
- पेट के कीड़े नष्ट करने हों या रक्त शुद्ध
करना हो तो इसके पत्तों के रस के साथ नीम के
पत्तों का रस मिलाकर लें . शीतपित्त
की परेशानी हो , तब
भी इसका रस पीना लाभदायक
रहता है .
- सामान्य दुर्बलता बुखार के बाद की अरुचि और
कमजोरी में इसका साग
खाना हितकारी है।
- धातु दुर्बलता में भी बथुए का साग
खाना लाभकारी है।
- बथुआ को साग के तौर पर खाना पसंद न
हो तो इसका रायता बनाकर खाएं।
- बथुआ लीवर के विकारों को मिटा कर पाचन
शक्ति बढ़ाकर रक्त बढ़ाता है। शरीर
की शिथिलता मिटाता है। लिवर के आसपास
की जगह सख्त हो, उसके कारण
पीलिया हो गया हो तो छह ग्राम बथुआ के
बीज सवेरे शाम पानी से देने से लाभ
होता है।
- सिर में अगर जुएं हों तो बथुआ को उबालकर इसके
पानी से सिर धोएं। जुएं मर जाएंगे और सिर
भी साफ हो जाएगा।
- बथुआ को उबाल कर इसके रस में नींबू, नमक और
जीरा मिलाकर पीने से पेशाब में जलन और
दर्द नहीं होता।
- यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, भोजन में रुचि बढ़ाने वाला पेट
की कब्ज मिटाने वाला और स्वर (गले) को मधुर बनाने
वाला है।
- पत्तों के रस में मिश्री मिला कर पिलाने से पेशाब
खुल कर आता है।
- इसका साग खाने से बवासीर में लाभ होता है।
- कच्चे बथुआ के एक कप रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर
प्रतिदिन लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
https://www.facebook.com/oldveda/posts/862494320469250
- बथुआ संस्कृत भाषा में वास्तुक और क्षारपत्र के नाम से
जाना जाता है बथुआ एक
ऐसी सब्जी या साग है,
जो गुणों की खान होने पर
भी बिना किसी विशेष परिश्रम और
देखभाल के खेतों में स्वत: ही उग जाता है। एक
डेढ़ फुट का यह हराभरा पौधा कितने ही गुणों से
भरपूर है। बथुआ के परांठे और रायता तो लोग चटकारे लगाकर खाते
हैं बथुआ का शाक पचने में हल्का ,रूचि उत्पन्न करने वाला,
शुक्र तथा पुरुषत्व को बढ़ने वाला है | यह
तीनों दोषों को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों का शमन
करता है |
- विशेषकर प्लीहा का विकार, रक्तपित,
बवासीर तथा कृमियों पर अधिक
प्रभावकारी है |
- इसमें क्षार होता है , इसलिए यह पथरी के रोग
के लिए बहुत अच्छी औषधि है . इसके लिए
इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है .
- यह कृमिनाशक मूत्रशोधक और बुद्धिवर्धक है .
-किडनी की समस्या हो जोड़ों में दर्द
या सूजन हो ; तो इसके
बीजों का काढ़ा लिया जा सकता है . इसका साग
भी लिया जा सकता है .
- सूजन है, तो इसके पत्तों का पुल्टिस गर्म करके
बाँधा जा सकता है . यह वायुशामक होता है .
- गर्भवती महिलाओं को बथुआ
नहीं खाना चाहिए .
- एनीमिया होने पर इसके पत्तों के 25 ग्राम रस में
पानी मिलाकर पिलायें .
- अगर लीवर की समस्या है ,
या शरीर में गांठें हो गई हैं तो , पूरे पौधे को सुखाकर
10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पिलायें .
- पेट के कीड़े नष्ट करने हों या रक्त शुद्ध
करना हो तो इसके पत्तों के रस के साथ नीम के
पत्तों का रस मिलाकर लें . शीतपित्त
की परेशानी हो , तब
भी इसका रस पीना लाभदायक
रहता है .
- सामान्य दुर्बलता बुखार के बाद की अरुचि और
कमजोरी में इसका साग
खाना हितकारी है।
- धातु दुर्बलता में भी बथुए का साग
खाना लाभकारी है।
- बथुआ को साग के तौर पर खाना पसंद न
हो तो इसका रायता बनाकर खाएं।
- बथुआ लीवर के विकारों को मिटा कर पाचन
शक्ति बढ़ाकर रक्त बढ़ाता है। शरीर
की शिथिलता मिटाता है। लिवर के आसपास
की जगह सख्त हो, उसके कारण
पीलिया हो गया हो तो छह ग्राम बथुआ के
बीज सवेरे शाम पानी से देने से लाभ
होता है।
- सिर में अगर जुएं हों तो बथुआ को उबालकर इसके
पानी से सिर धोएं। जुएं मर जाएंगे और सिर
भी साफ हो जाएगा।
- बथुआ को उबाल कर इसके रस में नींबू, नमक और
जीरा मिलाकर पीने से पेशाब में जलन और
दर्द नहीं होता।
- यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, भोजन में रुचि बढ़ाने वाला पेट
की कब्ज मिटाने वाला और स्वर (गले) को मधुर बनाने
वाला है।
- पत्तों के रस में मिश्री मिला कर पिलाने से पेशाब
खुल कर आता है।
- इसका साग खाने से बवासीर में लाभ होता है।
- कच्चे बथुआ के एक कप रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर
प्रतिदिन लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
https://www.facebook.com/oldveda/posts/862494320469250
Saturday, 17 January 2015
प्रोस्टेट कैंसर के लिए घरेलू उपचार---आयुर्वेदिक चिकित्सा
घरेलू उपाय जीवनशैली का हिस्सा होते हैं। इनकी खास बात यह होती है कि आप इनका सेवन सामान्य चिकित्सा के साथ भी ले सकते हैं। प्रोस्टेट कैंसर में भी घरेलू उपाय चिकित्सीय सहायता से प्राप्त होने वाले लाभ को तो बढ़ाते ही हैं साथ ही आपके ठीक होने की गति में भी इजाफा करते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे बहुत कारगर हो सकते हैं। प्रोस्टेट एक ग्रंथि होती है जो पेशाब की नली के ऊपरी भाग के चारों ओर स्थित होती है। यह ग्रंथि अखरोट के आकार जैसी होती है। आमतौर पर प्रोस्टेट कैंसर 50 साल की उम्र के बाद सिर्फ पुरुषों में होने वाली एक बीमारी है। प्रोस्टेट कैंसर की शुरूआती अवस्था में अगर पता चल जाए तो उपचार हो सकता है।
इसका इलाज रेक्टल एग्जाममिनेशन से होता है। इसके लिए सीरम पीएसए की खून में जांच व यूरीनरी सिस्टम का अल्ट्रासाउंड भी करवाया जाता है। इसके अलावा घरेलू नुस्खों को अपनाकर कुछ हद तक इस प्रकार के कैंसर का इलाज हो सकता है। आइए हम आपको प्रोस्टेट कैंसर के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के लिए घरेलू नुस्खे:
एलोवेरा
अलोवेरा को प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त मरीजों को नियमित रूप से एलोवेरा का सेवन करना चाहिए। एलोवेरा में कैंसररोधी तत्व पाये जाते हैं जो कि कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं।
ब्रोकोली
ब्रोकोली के अंकुरों में मौजूद फायटोकेमिकल कैंसर की कोशाणुओं से लड़ने में सहायता करते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं और खून को शुद्ध भी करते हैं। प्रोस्टेंट कैंसर होने पर ब्रोकोली का सेवन करना चाहिए।
ग्रीन टी
प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त आदमी को नियमित रूप से एक से दो कप ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए। ग्रीन टी में कैंसर रोधी तत्वे पाये जाते हैं।
लहसुन
लहसुन में औषधीय गुण होते हैं। लहसुन में बहुत ही शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जैसे - एलीसिन, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी। इसके कारण कैंसर से बचाव होता है और कैंसर होने पर लहसुन का प्रयोग करने से कैंसर बढ़ता नही है।
अंगूर
प्रोस्टे़ट कैंसर के उपचार के लिए अंगूर भी कारगर माना जाता है। अंगूर में पोरंथोसाइनिडीस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है। इसके कारण प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में मदद मिलती है।
सोयाबीन
सोयाबीन से भी प्रोस्टेट कैंसर के उपचार में सहायता मिलती है। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को रोज के खानपान के साथ सोयाबीन के अंकुर या पकाए हुए सोयाबीन का सेवन करना चाहिए। सोयाबीन में कुछ ऐसे एंजाइम पाये जाते हैं जो हर प्रकार के कैंसर से बचाव करते हैं।
अमरूद और तरबूज
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए अमरूद और तरबूज भी बहुत कारगर हैं। अमरूद और तरबूज में लाइकोपीन तत्व ज्यादा मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसररोधी है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को इन फलों का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए।
व्हीटग्रास
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए व्हीटग्रास बहुत लाभकारी होता है। व्हीसट ग्रास कैंसर युक्त कोशिकाओं को कम करता है। इसके अलावा व्हीटग्रास खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर से विषैले तत्व भी हटते हैं।
इसके अलावा प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को ताले फलों और सबिजयों का भी सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए। प्रोस्टेट कैंसर के ये घरेलू उपाय चिकित्सीय सहायता के साथ साथ चल सकते हैं। कैंसर के लक्षण नजर आते ही आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। हां इन उपायों को आप अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं
https://www.facebook.com/oldveda/posts/857040097681339
Subscribe to:
Posts (Atom)