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Monday, 19 January 2015

एलोवेरा*ग्वारपाठा*घृतकुमारी ( Aloe vera)-----आयुर्वेदिक ज्ञान



aloe vera juice
एलोवेरा*ग्वारपाठा*घृतकुमारी ( Aloe vera):
एक लोकप्रिय वनस्पति, औषधि और घर, बगीचे की शान एलोवेरा, ग्वार पाठा, घृतकुमारी और घीकुवांर कई नामों से जाना जाता है। अमृत जैसे गुणों वाली मानव कल्याण कारी इस औषधिय पोधे में सैकड़ो बीमारियों का उपचार करने की अद्भुत क्षमता है। यह एक साइलेंट हीलर, चमत्कारीक औषधि है। एलो वेरा जैसे गुण किसी अन्य जड़ी-बूटी में एक साथ मिलना मुश्किल है। एलोवेरा घर में एक तरह का फमेली डॉक्टर (वैध) है।
भारत वर्ष में एलोवेरा की लगभग 225 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं और इस का इतिहास हजारों साल पुराना है। एलोवेरा का जूस बहुत पौष्टिक होता है। इस का नियमित सेवन काया कल्प कर देता है। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है खून की कमी को दूर करता है। यह खून में हीमीग्लोबिन की मात्रा बढ़ाकर बुढापे को रोकने और शरीर का वजन नियंत्रित करता है। 25 -30 मी.ली. एलोवेरा का रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में शक्ति व चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है। शरीर में लगभग 90 % बिमारियाँ लगातार ख़राब पाचन से आती है। और एलोवेरा में मौजूद सापोनिन और लिग्निन आँतों में जमे मैल को साफ़ करता है और इनको पौष्टिकता प्रदान करता है। एलोवेरा से करीब दो ढाई सौ बिमारियाँ ठीक हो जाती है एलोवेरा जैल 3 और 4 महिनों के नियमित सेवन से असाध्य कहे जाने वाली बिमारियाँ, गठिया, अस्थमा, डायेबिटीज, गैस की परेशानी, ह्रदयघात, ब्लड प्रशर, मोटापा, कब्ज, पेट की गैस, थायराइड, उर्जा का क्षय, शरीर में शक्ति की वृद्धि करने वाला मानसिक तनाव, बुखार, यकृत, प्लीहा की वृद्धि को कम करने वाला, त्वचा, खांसी, दमा, मासिक धर्म के दोष, अंडवृद्धि ,सूजन स्त्रियों की प्रसव सम्बन्धी समस्याए, कोलेस्ट्रोल, फोड़े फुंसियाँ, गुर्दे के रोग कमर दर्द, और बालों के रोग, तथा हाजमा को बढ़ाने वाला, पेट के कीड़ों को खत्म करने वाला, वीर्य की मात्रा को बढ़ाने वाला, खून को साफ करने वाला, सौन्दर्य निखारने वाला तथा आंखों के लिए गुणकारी, आमाशय को बल देने वाला, यादास्त बढ़ाने वाला, मूत्र और मासिक धर्म को नियमित करने वाला, बवासीर तथा हडि्डयों के जोड़ों के रोगों को ठीक करने वाला, आग से जले को ठीक करने वाला और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में लाभदायक होता है। यह जहर को भी नष्ट करता है।
कब्ज ,दस्त (अतिसार) उलटी तथा पेट और आंतो के रोगों से बचाव करता है। आंतो की बिना किसी दोष के सफाई करता है, और पोषण देता है। एलोवेरा में मोजूद तत्व शरीर में प्रोटीन को ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाते है। हाजमे की खराबी से पैदा हुआ उच्च अम्लपित को नियंत्रित करके विषैलेपन को दूर करता है, हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है। बदन दर्द मासपेशियो की जकड़न और गठिया रोगों में राम बाण है। एलोवेरा जूस की हर रोज नियमित 25 -30 मी.ली. की खुराक पीने से शरीर के प्रतिरोधक तन्त्र की (ईम्यूल सिस्टम) क्षमता को मजबूत करता है। एलोवेरा शरीर की मरमत और पोषण सम्बन्धी जरुरतॊं को पूरा करने वाला एक कुदरती, प्रभावशाली फ़ूड सप्लीमेंट, औषधि और टोनिक है। यह आलस और थकान को दूर करके भरपूर तन्दुरुस्ती लाता है, उर्जा का स्तर बढ़ाता है, वजन को नियंत्रित करता है। त्वचा को पोषक तत्व प्रदान करता है यह घावॊं, खरोंचो, जले, खाज खुजली को और धूप की जलन को शांत करने मे भी मदद करता है। दांत मूंह और मसूढों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है।
एलोवेरा मे अनेक प्रकार के घटक खनिज लवण विटामिन फ़ोलिक एसिड तथा नियासिन पाए जाते है। जिसका सर्जन और संग्रह शरीर द्वारा स्वयं नही किया जा सकता लेकिन शरीर को चुस्त दरुस्त और स्वस्थ रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है एलोवेरा मे विटामिन ए. बी1, बी 6, बी 12, सी पाये जाते है। और एलोवेरा के रस या जैल में, अनेक कुदरती तत्व है जो जोडों और मांसपेशियों को गति मान बनाए रखने मे भी मदद कर सकता है। एलोवेरा में प्रभावी एंटी-ओक्सिडैनट, एंटी-एजिड, एंटी-सप्टिक, एंटी-बैक्टेरियल, एंटी-कोलस्ट्रोल, एंटी-इन्फ्लेमेट्री, एंटि-बाइटिक और एंटी-शुगर प्रापर्टीज (गुण) है। एलोवेरा में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला सेपोनिन का गुण है की जो शरीर के रोगाणु को नष्ट करके अंदरूनी मरमत और सफाई करता है।
एलोवेरा के औषधिये गुण:
एलोवेरा का जूस जले हुए स्थान पर 2-3 बार लगाने से फफोले नहीं उठते, निशान नहीं रहते तथा जलन नहीं होती है जले हुए घाव भी जल्दी भर जाते हैं।
एक चम्मच एलोवेरा जूस में आधा चम्मच शहद मिलाकर जले हुए भाग पर लगाने से लाभ मिलता है।
25 मी. ली. अलोवेरा का रस दिन में 2 बार पीने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।
गेहूं के आटे में एलोवेरा का रस मिलाकर रोटी बना लें, और इन रोटियों को देशी घी में डाल दें तथा इन्हें सुबह सवेरे 5 - 7 दिनों तक लगतार सेवन करने से हर तरह का सिर दर्द ठीक हो जाता है।
एलोवेरा के गूदे पर सेंधा नमक डालें इसे कुत्ते के काटे हुए स्थान पर दिन में 4 बार लगाये इस प्रयोग से लाभ मिलता है।
लाल पीले रंग के फूल वाले एलोवेरा के गूदे को स्प्रिट में मिला कर रख दे जब गल जाए इसे सर पर लेप करे तो गंजे सिर पर बाल उग आत़े हैं और बाल काले होने लगते हैं।
एक चुटकी भूनकर पीसा हुआ हींग और कुछ एलोवेरा की जड़ को कुचल कर उबालकर छान लें और इसे पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
20 ग्राम एलोवेरा के ताजे रस, 10 ग्राम शहद और आधे नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 बार सुबह और शाम पीने से पेट के हर प्रकार के रोग ठीक हो जाते है।
एलोवेरा का रस और गाय का घी छ, छ ग्राम, और 1 ,1 ग्राम सेंधा नमक व हरीतकी का चूर्ण इन सब को एक साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें या एलोवेरा के गूदे को गर्म करके पिने से पेट में गैस की शिकायत दूर होती है।
एलोवेरा के गूदे का रस पेट पर लेप करने से आंतों में जमा कठोर मल ढीला होकर निकल जाएगा, कब्ज की समस्या दूर होगी और पेट के अन्दर की गांठे भी पिघल जाएगी तथा पेट दर्द भी ठीक हो जाएगा।
एक चम्मच एलोव्व्रा के रस में 2 चुटकी सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
कमर का दर्द 5 ग्राम एलोवेरा का रस 25 -25 ग्राम नागौरी असगंध व सोंठ में 2 लौंग मिलकर इन सबको पीस लें। सुबह 5 ग्राम चटनी का सेवन करें।
या शहद और सोंठ का चूर्ण एलोवेरा के 15 ग्राम जूस में मिलाकर सुबह-शाम नियमित सेवन करने से दर्द ठीक हो जाता है।
या 10 ग्राम एलोवेरा के जूस में 1 ग्राम शहद और सोंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से ठण्ड से हुआ कमर दर्द ठीक होता है।
अथवा एलोवेरा का जूस मिला कर गेंहू के आटे को गूंथ कर रोटी बना ले इसमें गुड और घी मिला दें और लड्डू बना लें। इन लड्डुओं को खाने से कमर का दर्द ठीक हो जाता है।
100 ग्राम एलोवेरा के पत्तों और 10 ग्राम सेंधा नमक के चूर्ण को एक मिट्टी के बर्तन में डालकर, जब तक पकाए कि ये सब जलकर राख बन जाएं इस राख का1 ग्राम चूर्ण में 5 - 10 मुनक्का के साथ खाने से श्वास रोग में अधिक लाभ मिलता है।
या एलोवेरा का 1/2 किलो जूस लेकर किसी साफ कपड़े से छान लें इसे कलईदार बर्तन में डालकर धीमी आंच पर पकाएं, जब यह अध पका हो जाए तब इसमें 15 ग्राम लाहौरी नमक का बारीक चूर्ण मिला दें तथा चम्मच से अच्छी तरह से घोट दें। जब सब पानी जलकर चूर्ण शेष रह जाये तो इसे ठंडा करें और इसका चूर्ण बना कर सीसे के बर्तन में भर ले। 1/4 ग्राम चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से पुरानी से पुरानी खांसी, काली खांसी और दमा ठीक हो जाता है।
रोजाना सुबह-शाम 15 ग्राम एलोवेरा के जूस का सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
बराबर मात्रा में एलोवेरा का जूस और गेहूं का आटा लेकर घी और चीनी मिलाकर हलुआ बना लें लगभग एक सप्ताह तक खाने से नपुंसकता दूर होती है।
10 ग्राम एलोवेराका जूस, 4 तुलसी के पत्ते और थोड़ी-सी सनाय के पत्ते मिलाकर पिस लें और खाना खाने के बाद इसका सेवन करें कब्ज की शिकायत खत्म हो जाती है।
छोटे बच्चों की नाभि पर साबुन के साथ एलोवेरा के गूदे का लेप करने से दस्त साफ होते हैं और कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
हरड़ के साथ 15 ग्राम एलोवेरा के रस का सेवन करने से या 25 ग्राम एलोवेरा में एक चुटकी काला नमक मिलाकर सुबह और शाम खाली पेट खाने से कब्ज दूर रहती है।और पाचन क्रिया भी दुरुश्त हो जाती है।
सुबह-शाम 3 ग्राम एलोवेरा के रस में सेंधा व समुंद्री नमक मिलाकर सेवन करने से यकृत की बीमारी ठीक होती है या आधा चम्मच एलोवेरा के रस में 1 -1 चुटकी सेंधा नमक और हल्दी का चूर्ण तीनों को मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से यकृत स्वस्थ और बढ़ा हुआ जिगर भी ठीक हो जाता है।
एलोवेरा का रस गर्म करके फोड़े-फुंसियों पर बांधे इससे या तो वह बैठ जाएगी या फिर पककर फूट जाएगी। एलोवेरा के गूदे में हल्दी मिलाकर घाव पर लगाए घाव भी जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
25-30 मिलीलीटर ग्वारपाठे के जूस में एक चुटकी भुनी हींग के साथ सुबह शाम सेवन करने से स्त्रियों के रोगों में आराम मिलता है ।
पीलिया के रोग में एलोवेरा का 15-20 मिलीलीटर रस दिन में 2 से 3 बार पीने से आंखों का पीलापन और कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है। एलोवेरा का रस रोगी की नाक में डालने से नाक से निकलने वाले पीले रंग का स्राव होना बंद हो जाता है।
5 ग्राम एलोवेरा गूदे को मट्ठा के साथ सेवन करने से तिल्ली का बढ़ना, जिगर का बढ़ना, पेट में गैस बनने के कारण दर्द, तथा अन्य पाचन संस्थान के रोगों के कारण होने वाला पीलिया भी ठीक हो जाता हैं।
गूदा या रस निकले एलोवेरा के छिलके व समान मात्रा में नमक मिला कर मटकी में भर कर ढक्कन से मुहं को बंध करके कंडो की आग पर रख कर अन्दर के द्रव्य को जलकर भस्म होने दे ,इसे ठंडा करके शीशे के बर्तन में डालकर रख ले इस भस्म को 1 से 2 ग्राम दिन में दो बार रोगी को दे इससे पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।
भोजन में एलोवेरा की सब्जी खाने से हाथ-पैर नहीं फटते हैं। 5 ग्राम एलोवेरा का गूदा लगभग १/४ ग्राम से १/२ ग्राम गूडूची के रस के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
मात्रा :-
एलोवेरा का रस या जैल 25 से 30 मिलीमीटर की मात्रा में लिया जा सकता है।
सावधानीयां:-
एलोवेरा तोड़ने के तीन घंटे बाद सेही इस का रस या जैल औषधिये व पौष्टिकता के गुण खोने लगता है, इसलिए इसका इस्तेमाल निर्धारित समय में ही करना चाहिए।
इसका डब्बा बंध जैल या जूस खोलने के बाद इसे फ्रिज में ही रखें ठीक से हिला कर इसका इस्तेमाल महीने डेढ़ महीने तक करना ही बेहतर रहता है।
एलोवेरा का इस्तेमाल सुबह खाली पेट ले इसके पहले और बाद एक घंटे तक कुछ न लें।
हानिकारक प्रभाव:-
स्किन एलर्जी से पीड़ित रोगी त्वचा पर जैल का इस्तेमाल न करें ।
निर्धारित मात्रा 25 से 30 मी. ग्राम से अधिक मात्रा में सेवन न करें।
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निषेद्ध : 
गर्भावस्था में एलोवेरा का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
प्रसूता स्त्रियों को स्तनपान के दौरान एलोवेरा का सेवन न करे।
माहवारी के दिनों में एलोवेरा का इस्तेमाल न करे।
दस्तो में एलोवेरा का इस्तेमाल न करे।

Saturday, 1 November 2014

शौच-विज्ञान ---Kamal Patel Patel


सहजता से मलत्याग न होने पर कुछ लोग जोर
लगाकर शौच करते हैं किंतु ऐसा करना ठीक नहीं है।

उषःपान (प्रातः जल सेवन) के बाद कुछ देर भ्रमण करने से मलत्याग सरलता से होता।
यदि कब्ज रहता हो तो रात
को पानी में भिगोकर रखे मुनक्के सुबह
उबालकर उसी पानी में मसल लें।
बीज निकाल कर मुनक्के खा लें और बचा हुआ पानी पी लें।

अथवा रात्रि भोजन के बाद पानी साथ त्रिफला चूर्ण लेने पर भी कब्ज दूर होता है।
साधारणतया सादा, हल्का आहार लेने
तथा दिन भर में पर्याप्त मात्रा में
पानी पीते रहने से कब्ज मिट
जाता है।

सिर व कान ढँक जाये ऐसी गोल
टोपी पहनके, मौनपूर्वक बैठकर मल-मूत्र
का त्याग करना चाहिए। इस समय दाँत भींचकर
रखने से वे मजबूत बनते हैं।
शौच व लघुशंका के समय मौन रहना चाहिए।

मल-विसर्जन के समय बायें पैर पर दबाव रखें। इस प्रयोग
से बवासीर रोग नहीं होता।

पैर के पंजों के बल बैठकर पेशाब करने से मधुमेह
की बीमारी नहीं होती।

भोजन के बाद पेशाब करने से पथरी का डर
नहीं रहता।

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