"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
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Monday, 16 October 2017
Friday, 1 September 2017
Friday, 26 May 2017
Sunday, 3 April 2016
सहजन और मेवा से उपचार
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नई दिल्ली. आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। दक्षिण भारत में इसके साल भर फली देने वाले पेड़ होते है। जहां इसे सांबर में डाला जाता है। वहीं उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छंटाई कर दी जाती है।
हम आपको सहजन के 25 अतिमहत्वपूर्ण गुणों के बारे में बताने जा रहे है। पाठकों को सलाह है कि इसे प्रयोग करने से पहले किसी चिकित्सक की सलाह जरुर लें।
1- आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
2- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
3- जड़ दमा, जलोधर, पथरी, प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
4- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदना नाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
5- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
6- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है|
7- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
8- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
9- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
10- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
11- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
12- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
13- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
14- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
15- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
16- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे।
17- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
18- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
19- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है।
20- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
21- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
22- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जोकि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
23- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
24- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
25- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलीवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलीवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
साभार :
http://www.newspoint360.com/news/health/25-important-qualities-of-sahjan/791.html
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नई दिल्ली. आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। दक्षिण भारत में इसके साल भर फली देने वाले पेड़ होते है। जहां इसे सांबर में डाला जाता है। वहीं उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छंटाई कर दी जाती है।
हम आपको सहजन के 25 अतिमहत्वपूर्ण गुणों के बारे में बताने जा रहे है। पाठकों को सलाह है कि इसे प्रयोग करने से पहले किसी चिकित्सक की सलाह जरुर लें।
1- आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
2- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
3- जड़ दमा, जलोधर, पथरी, प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
4- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदना नाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
5- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
6- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है|
7- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
8- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
9- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
10- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
11- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
12- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
13- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
14- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
15- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
16- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे।
17- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
18- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
19- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है।
20- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
21- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
22- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जोकि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
23- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
24- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
25- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलीवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलीवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
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http://www.newspoint360.com/news/health/25-important-qualities-of-sahjan/791.html
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Wednesday, 2 March 2016
6 घरेलू नुस्ख़े और सफ़ेद दाग़, भोजन के नियम
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http://khabarindiatv.com/lifestyle/health-6-traditional-remedies-to-correct-white-skin-spots-460752
शरीर में सफ़ेद दाग़ों का हो जाना त्वचा की एक आम बीमारी है जिसे लेकर उल्-सीधी धारणाएं बनी हुई हैं। कुछ लोग तो इसे छूत की बीमारी मानकर ऐसे लोगों से दूरी बनाने लगते हैं। कुछ लोग इसे अभिशाप की तरह देखते हैं। लेकिन सफेद दाग की समस्या को साधारण और आसान घरेलू उपायों से भी दूर किया जा सकता है।
सफेद दाग़ एक तरह की त्वचा की बीमारी है जो किसी एलर्जी या त्वचा की समस्या के कारण हो जाती है। कई बार ये आनुवांशिक भी होता है। दुनिया के दो प्रतिशत लोग इस समस्या से परेशान हैं और भारत में चार प्रतिशत तक लोग इस समस्या से पीड़ित हैं। इन घरेलू उपायों को अपनाकर इस समस्या का से निज़ात पाई जा सकती है हालंकि इस इलाज में सब्र की बहुत ज़रुरत होती है।
1- नीम का रस और फल है उपयोगी
नीम की पत्तियां और फल बहुत गुणकारी होते हैं। इससे कई प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। नीम के पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर दाग़ वाली जगहों पर एक महीने लगाने से दाग़ ख़त्म हो जाते हैं। साथ ही नीम के फल खाने और नीम के पत्तों का जूस पीने से भी फ़ायदा होता है। इससे ख़ून साफ हो जाता है और सफेद दाग़ के साथ त्वचा के दूसरे रोग भी ख़त्म हो जाते हैं।
2-शरीर को अंदर बाहर से रखें साफ-सुथरा
कई बार लोग मल-मूत्र को रोकने की आदत होती है जो कई बीमारियों को जन्म दे सकती है। इससे शरीर के अंदर अपशिष्ट पदार्थ जमा हो जाते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए हमेशा शरीर के विषैले तत्व को बाहर निकालें और शरीर को शुद्ध रखें।
3- बथुआ है फायदेमंद
भोजन में बथुआ ज़्यादा से ज़्यादा शामिल करने से बहुत फ़ायदे होते हैं। बथुआ उबाल कर उसके पानी से रोज़ाना सफेद दाग़ धोने से दाग़ ख़त्म हो जाते हैं। इसके अलावा दो कप कच्चे बथुआ के रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं। जब केवल तेल रह जाये तो उसे उतार ले। इसे रोज़ दाग पर लगाने से फ़ायदा होता है।
4- अखरोट खाएं
अखरोट सफेद दाग में काफी फायदेमंद है। अखरोट रोज़ खायें। यह सफेद पड़ चुकी त्वचा को काली करने में मदद करता है।
5- अदरक
रोज़ाना अदरक का जूस पीने और अदरक के एक टुकड़े को खाली पेट चबाने से सफ़ेद दाग़ ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा अदरक को पीसकर सफेद दाग़ पर लगाने से भी ये बीमारी क़त्म हो जाती है।
6- इनसे करें परहेज़
इन घरेलू उपायों के साथ ही कई खाने की चीजों से परहेज भी करना चाहिए जिससे सफेद दाग की समस्या बढ़े ना। मिठाई, रबड़ी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें। साथ ही दूध की किसी चीज के साथ मछली ना खाएं।
http://khabarindiatv.com/lifestyle/health-6-traditional-remedies-to-correct-white-skin-spots-460752
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