"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
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Tuesday, 10 July 2018
Monday, 18 December 2017
Thursday, 29 June 2017
Tuesday, 21 March 2017
दांत के दर्द का बयान ------ Er S D Ojha
स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं
Er S D Ojha
मेरे अदब के सारे फरिश्ते हिल गए ,
ये कैसी वारदात हो रही मेरे दांतों में.
दांतों का दर्द जानलेवा तो नहीं, पर जान जरुर निकाल लेता है. जब हम खाना खाते हैं तो दांतों पर एक मुलायम सी परत चढ़ जाती है. यह परत जीवाणु ग्रस्त होती है. 1mm के एरिया में 800 लाख जीवाणु होते हैं . यदि ठीक ढंग से सफाई न की जाय तो दांत सड़ना शुरू हो जाता है. अन्ततोगत्वा दांत या तो अपने आप निकल जाते हैं या उन्हें निकालना पड़ता है. दांत खराब होने से पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है. दांत खराब होने से बाल भी झड़ना शुरू हो जाते हैं.
बाजार में विकने वाले पेस्ट मुंह को खुशबू दार तो बनाते हैं, पर सफाई से इनका कोई लेना देना नहीं है. नीम या बबूल के दातून दांतों की सफाई के साथ साथ उनमें चमक और ताजगी भी लाते हैं. दातून की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह use & throw पर आधारित होता है. दांत साफ किया और फेंक दिया. जब कि ब्रश को तब तक इस्तेमाल किया जाता है, जब तक कि इसके आकार में परिवर्तन नहीं हो जाता या यह तीन महीने पुराना नहीं हो जाता. ब्रश के माध्यम से कीटाणु निकल कर ब्रश में अपना घर बना लेते हैं. ब्रश के कीटाणु तब तक नहीं मरते जब तक कि ब्रश सूख नहीं जाता. ब्रश को सूखने में 10 -12 घंटे का समय लगता है. इसलिए दो रंग के ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए. एक सुबह के लिए और एक रात के लिए. इससे यह लाभ होगा कि आपको हर समय सूखा ब्रश मिलेगा. यदि कहीं आपको गल्ती से गीला ब्रश हीं मिल गया तो सारे ब्रश के कीटाणु आपके मुंह में पुनः घर बना लेंगे. इसलिए सुबह आप एक रंग के ब्रश का इस्तेमाल कर रहे हैं तो शाम को अलग रंग के ब्रश का इस्तेमाल करें ताकि आप सूखे या गीले में आसानी से फर्क कर सकें. ब्रश उम्दा गुणवत्ता का रखें,जिसके बाल पास पास हों . पहले पेस्ट मुंह में रख अन्दर हीं अन्दर उसे घुलने दें. बाद में हल्का सा तीन मिनट के लिए ब्रश घुमा दें. दांत भी साफ और रगड़ से मसूड़े भी खराब न हो .
90% लोगों को दांत के दर्द से जीवन में अक्सर परेशान होना पड़ता है. जहां खाने का सुख, वहां दांत दर्द. टाफी, चाकलेट, टीन बन्द / डिब्बा बन्द भोजन ,केक, फास्ट फूड आदि दांतों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भोज्य पदार्थ हैं और खाने के बाद अतिरिक्त सफाई की मांग करते हैं. बाज दफा ठंडे पदार्थों का सेवन करने के बाद गर्म पेय भी दांतों की sensitivity बढ़ा देते हैं. अगर यह समस्या आ जाती है तो हल्दी ,नमक और सरसों के तेल के सम्मिश्रण को दांतों पर माध्यिका से लगाएं. तर्जनी में विद्युत प्रवाह ज्यादा होता है. इसलिए उस अंगुली का इस्तेमाल न किया जाए. इस मिश्रण से हिलते हुए दांत मजबूत और चमकयुक्त हो जाते हैं. हींग में नीबू का रस मिला कर मंजन करने से दांत दर्द से राहत मिलती है. रोजाना सलाद में प्याज खाना भी फायदेमंद होता है. जिधर के दांत में दर्द हो, उधर के दांत से भोजन करने से बचना चाहिए, क्योंकि लगातार दबाव से मसूड़े चोटिल हो सकते हैं. टूथ पिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे मसूड़ों में छेद हो जाते हैं, जो आगे चलकर बेक्टिरिया के आरामगाह बन जाते हैं. दांतों के कीड़े लगने की स्थिति में अमरूद के पत्तों को पानी में उबालकर उस गुनगुने पानी से कुल्ला करने पर कीड़े मर जाते हैं.
दांत के दर्द का बयान कोई भुक्त भोगी हीं कर सकता है . सबसे तीब्र एहसास अक्ल दाढ़ों में होती है.
एक टीस सी उठती है ,
दर्द फैलता है दांतों में .
जैसे दाढ़ अक्ल के नहीं,
अक्ल फंसी हो इन दाढ़ों में
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1583733015285912&set=a.1551150981877449.1073741826.100009476861661&type=3
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Er S D Ojha
मेरे अदब के सारे फरिश्ते हिल गए ,
ये कैसी वारदात हो रही मेरे दांतों में.
दांतों का दर्द जानलेवा तो नहीं, पर जान जरुर निकाल लेता है. जब हम खाना खाते हैं तो दांतों पर एक मुलायम सी परत चढ़ जाती है. यह परत जीवाणु ग्रस्त होती है. 1mm के एरिया में 800 लाख जीवाणु होते हैं . यदि ठीक ढंग से सफाई न की जाय तो दांत सड़ना शुरू हो जाता है. अन्ततोगत्वा दांत या तो अपने आप निकल जाते हैं या उन्हें निकालना पड़ता है. दांत खराब होने से पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है. दांत खराब होने से बाल भी झड़ना शुरू हो जाते हैं.
बाजार में विकने वाले पेस्ट मुंह को खुशबू दार तो बनाते हैं, पर सफाई से इनका कोई लेना देना नहीं है. नीम या बबूल के दातून दांतों की सफाई के साथ साथ उनमें चमक और ताजगी भी लाते हैं. दातून की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह use & throw पर आधारित होता है. दांत साफ किया और फेंक दिया. जब कि ब्रश को तब तक इस्तेमाल किया जाता है, जब तक कि इसके आकार में परिवर्तन नहीं हो जाता या यह तीन महीने पुराना नहीं हो जाता. ब्रश के माध्यम से कीटाणु निकल कर ब्रश में अपना घर बना लेते हैं. ब्रश के कीटाणु तब तक नहीं मरते जब तक कि ब्रश सूख नहीं जाता. ब्रश को सूखने में 10 -12 घंटे का समय लगता है. इसलिए दो रंग के ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए. एक सुबह के लिए और एक रात के लिए. इससे यह लाभ होगा कि आपको हर समय सूखा ब्रश मिलेगा. यदि कहीं आपको गल्ती से गीला ब्रश हीं मिल गया तो सारे ब्रश के कीटाणु आपके मुंह में पुनः घर बना लेंगे. इसलिए सुबह आप एक रंग के ब्रश का इस्तेमाल कर रहे हैं तो शाम को अलग रंग के ब्रश का इस्तेमाल करें ताकि आप सूखे या गीले में आसानी से फर्क कर सकें. ब्रश उम्दा गुणवत्ता का रखें,जिसके बाल पास पास हों . पहले पेस्ट मुंह में रख अन्दर हीं अन्दर उसे घुलने दें. बाद में हल्का सा तीन मिनट के लिए ब्रश घुमा दें. दांत भी साफ और रगड़ से मसूड़े भी खराब न हो .
90% लोगों को दांत के दर्द से जीवन में अक्सर परेशान होना पड़ता है. जहां खाने का सुख, वहां दांत दर्द. टाफी, चाकलेट, टीन बन्द / डिब्बा बन्द भोजन ,केक, फास्ट फूड आदि दांतों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भोज्य पदार्थ हैं और खाने के बाद अतिरिक्त सफाई की मांग करते हैं. बाज दफा ठंडे पदार्थों का सेवन करने के बाद गर्म पेय भी दांतों की sensitivity बढ़ा देते हैं. अगर यह समस्या आ जाती है तो हल्दी ,नमक और सरसों के तेल के सम्मिश्रण को दांतों पर माध्यिका से लगाएं. तर्जनी में विद्युत प्रवाह ज्यादा होता है. इसलिए उस अंगुली का इस्तेमाल न किया जाए. इस मिश्रण से हिलते हुए दांत मजबूत और चमकयुक्त हो जाते हैं. हींग में नीबू का रस मिला कर मंजन करने से दांत दर्द से राहत मिलती है. रोजाना सलाद में प्याज खाना भी फायदेमंद होता है. जिधर के दांत में दर्द हो, उधर के दांत से भोजन करने से बचना चाहिए, क्योंकि लगातार दबाव से मसूड़े चोटिल हो सकते हैं. टूथ पिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे मसूड़ों में छेद हो जाते हैं, जो आगे चलकर बेक्टिरिया के आरामगाह बन जाते हैं. दांतों के कीड़े लगने की स्थिति में अमरूद के पत्तों को पानी में उबालकर उस गुनगुने पानी से कुल्ला करने पर कीड़े मर जाते हैं.
दांत के दर्द का बयान कोई भुक्त भोगी हीं कर सकता है . सबसे तीब्र एहसास अक्ल दाढ़ों में होती है.
एक टीस सी उठती है ,
दर्द फैलता है दांतों में .
जैसे दाढ़ अक्ल के नहीं,
अक्ल फंसी हो इन दाढ़ों में
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Saturday, 28 January 2017
कैंसर से दूर रहिए
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टोस्ट कम सेंकिए, कैंसर से दूर रहिए :
टोस्ट कम सेंकिए, कैंसर से दूर रहिए :
ब्रेड, चिप्स और आलू को ज्यादा पकाने से बचिए. फूड वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इससे कैंसर होने का खतरा है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्टार्च वाला खाना जब बहुत ज्यादा तापमान पर और ज्यादा देर तक सेंका, भुना, तला या ग्रिल किया जाता है तो उसमें एक्रिलामाइड नाम का रसायन पैदा होता है.
एक्रिलामाइड अलग अलग तरह के खाने में मौजूद होता है. और ये खाना बनाते समय स्वाभाविक रूप से पैदा होता है.
यह उन भोजन में सबसे अधिक पाया जाता है जिनमें शर्करा अधिक होता है और जो 120 डिग्री सेल्सियस तक पकाए जाते हैं. जैसे कि चिप्स, ब्रेड, सुबह नाश्ते की दालें, बिस्किट, क्रैक्स, केक और कॉफी.
दरअसल जब ब्रेड को हम टोस्ट करने के लिए ग्रिल करते हैं तो उसमें ज्यादा मात्रा में एक्रिलामाइड बनते हैं. टोस्ट का रंग जितना गहरा होगा उसमें उतनी अधिक मात्रा में एक्रिलामाइड बनेंगे.
ब्रेड जब भूरा होने लगता है तो उसमें मौजूद शर्करा, एमीनो एसिड और पानी मिलकर रंग और एक्रिलामाइड बनाते हैं. और इसी से सुगंध भी पैदा होती है.
फूड स्टैंडर्स एजेंसी (एफएसए) ने खाना बनाने से जुड़े निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करने और खाने को भूरा होने तक भुनने या पकाने से बचने की सलाह दी है.
हालांकि कैंसर रिसर्च से जुड़ी प्रवक्ता का कहना है कि गहरे लाल भुने खानों से कैंसर होने की पुष्टि अभी इंसानों में नहीं हुई है.
नमक कम कीजिए, कैंसर को 'दूर रखिए' :
जानवरों के साथ किए गए शोध बताते हैं कि यह रसायन डीनए के लिए विषैला होता है और इससे कैंसर पैदा करता है.
हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है पर वैज्ञानिकों ने इसे इंसानों के लिए भी हानिकारक माना है.
एक्रिलामाइड से कैंसर का खतरा होने के साथ साथ, तंत्रिका और प्रजनन तंत्र पर भी हानिकारक असर हो सकता है.
एफएसए ने ये भी चेतावनी दी है कि आलू को फ्रिज में ना रखें. क्योंकि कम तापमान में रहने से इसमें मौजूद शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है. फिर जब इसे पकाया जाता है तब उसमें हानिकारक एक्रिलामाइड पैदा होते हैं.
Saturday, 26 July 2014
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