क्या हैं नुकसान ?
- जरूरत से ज्यादा लेने पर पेनकिलर्स घातक हो सकती हैं। कहा जाता है कि एक साल तक पेनकिलर्स को रोज इस्तेमाल किया जाए, तो ये बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं।
- एक अनुमान के मुताबिक जिंदगी में एक हजार से ज्यादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है, तो साल में 10 गोली से ज्यादा कभी न लें।
- पेनकिलर्स लगातार लेते रहने से किडनी और लिवर में जहर बन सकता है। पेट में ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- उबकाई आना, सुस्ती, मुंह सूखना, अचानक ब्लड प्रेशर कम होना और कब्ज जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं।
क्या बरतें सावधानियां
- जब तक हो सके, दर्द सहन कर लें। पेनकिलर का इस्तेमाल मजबूरी में ही करें।
- पेनकिलर लेने की वजह से अगर पेट दर्द होता है, तो सबसे पहले उस पेनकिलर का इस्तेमाल बंद कर दें। एक एंटैसिड (डाइजीन, जिनटैक आदि) लें और डॉक्टर से सलाह लें।
- कोई भी पेनकिलर बेस्ट नहीं है, सिर्फ किसी का असर कम साइड इफेक्ट के साथ ज्यादा हो सकता है।
- दिल, बीपी, डायबीटीज और किडनी के मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई पेनकिलर नहीं लेना चाहिए।
- खाली पेट बिल्कुल न लें। कई तरह के पेनकिलर्स को खाली पेट लेने से किडनी, लिवर और पेट को नुकसान हो सकता है।
- आम आदमी बिना डॉक्टर से पूछे सिर्फ एक पेनकिलर ले सकता है और वह है पैरासीटामोल ।
दवाओं से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट और उनसे बचने के तरीके
1. कब्ज
साबुत अनाज और ज्यादा फाइबर वाले फल और सब्जियां, जैसे सेब, आलूबुखारा, बींस और ब्रोकली खाएं और खूब सारा लिक्विड लें।
2. दिन में सुस्ती
आपकी यह समस्या शरीर के संबंधित दवा के साथ ऐडजस्ट कर लेने पर खत्म हो सकती है। अपने डॉक्टर से ऐसी दवा रात में सोने से पहले लेने के बारे में पूछें। अगर सुस्ती लग रही हो तो गाड़ी न चलाएं और न ही कोई भारी उपकरण चलाएं।
3. डायरिया
हल्का और कम फाइबर वाला भोजन लें जैसे सेब की चटनी, चावल और दही। जब तक तबियत सामान्य न हो जाए, मसालेदार और फैट वाली चीजों से परहेज करें।
4. चक्कर आना
बैठे हों या लेटे हों तो धीरे-धीरे उठें।
5. मुंह सूखना
बिना शुगर वाली कैंडी ले सकते हैं। इसके साथ पूरे दिन बार-बार पानी के घूंट लेते रहें।
6. सिरदर्द
यह समस्या शरीर के दवा के साथ ऐडजस्टमेंट के बाद दूर हो सकती है। ऐसा न हो तो अपने डॉक्टर से सिरदर्द ठीक करने के लिए दवा पूछ सकते हैं।
7. भूख न लगना
थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाने की कोशिश करें। खाने में अपनी पसंदीदा चीजें शामिल करें। खाने से पहले थोड़ा टहलें। इससे आपको ज्यादा भूख महसूस होगी।
8. पेट खराब होना या मितली
डॉक्टर से पूछें कि दवा खाने के साथ ले सकते हैं या नहीं। खाना खाने के साथ दवा लेना बेहतर हो सकता है। दो या तीन बार ज्यादा मात्रा में खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाएं। हल्का खाना खाएं, जैसे कि सूखे मुरमुरे या ब्रेड। तला, घी वाला, मसालेदार या मीठा खाने से परहेज करें।
9. घबराहट महसूस होना
आपकी यह समस्या दवा के साथ शरीर के ऐडजस्ट होने के बाद खत्म हो सकती है। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर दवा की डोज कम कर सकते हैं।
10. यौन समस्याएं
आप दवा की डोज कम करने या दवा का कोई दूसरा विकल्प लेने के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
11. नींद संबंधी समस्याएं
कैफीन, निकोटीन, अल्कोहल जैसी चीजों से परहेज करें। दोपहर में या शाम को एक्सरसाइज न करें। अपने बेडरूम का माहौल शांत, अंधेरा और ठंडा रखें।
12. सूर्य की रोशनी से संवेदनशीलता
सीधी धूप से बचें। संभव हो तो पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, हैट लगाएं और अपने डॉक्टर की सलाह के हिसाब से सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
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जानें इन सवालों के जवाब ...ताकि दर्द न बन जाए दवा!
दवाएं दर्द मिटाने और बीमारी भगाने के लिए होती हैं, लेकिन अगर उन्हें सही तरीके और सही मात्रा में न लिया जाए तो वे दर्द की वजह भी बन सकती हैं। ऐलोपैथिक दवाओं के मामले में तो ऐसी आशंका और भी ज्यादा होती है।
आप जो दवाएं ले रहे हैं, वे आपके लिए सुरक्षित हैं या नहीं, यह सुनिश्चित जरूर करें। मरीज जो भी दवाएं ले रहे हैं, उनके बारे में हर तरह की जानकारी उन्हें मिलनी चाहिए।
आपके लिए बेहद जरूरी है इन सवालों के जवाब जानना:
1. साइड इफेक्ट
आप जो भी दवा लेते हैं, उसके साइड इफेक्ट के बारे में जरूर पता करें। ओटीसी यानी ओवर द काउंटर कैटिगरी में आने वाली दवाओं के भी कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। इसकी जानकारी दवा के रैपर या बॉटल पर लिखी होती है। डॉक्टर की पर्ची देखकर मिलने वाली दवाओं के साथ भी एक पर्चा जरूर आता है, जिस पर दवा के संभावित साइड इफेक्ट लिखे होते हैं। युवाओं और पूरी तरह फिट कॉलेज स्टूडेंट्स को भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। कुछ लोगों को साइड इफेक्ट का खतरा ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर बर्थ कंट्रोल वाली दवाएं ब्लड में क्लॉट बनने का कारण बन सकती हैं।
2. आपसी प्रभाव
आप जो दवाएं ले रहे हैं, उनके संभावित पारस्परिक प्रभाव को जानें। कई बार दवा के साथ आने वाले पर्चे पर उससे संबंधित साइड इफेक्ट के साथ दूसरी दवाओं के साथ इसके पारस्परिक प्रभाव की भी जानकारी होती है। कई दवाओं के गंभीर पारस्परिक प्रभाव दिखते हैं। कोई भी नई दवा शुरू करने से पहले जांच करें। उदाहरण के तौर पर अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिस्ऑर्डर में ली जाने वाली दवा एडरआल (Adderall) कई एंटी डिप्रेशन दवाओं के साथ पारस्परिक प्रभाव छोड़ती है। पारस्परिक प्रभाव आमतौर पर दो अलग तरह की दवाओं के बीच होता है, मगर ऐसा खाने-पीने की कुछ खास चीजों और तंबाकू से भी हो सकता है। डिप्रेशन में ली जाने वाली दवा मोनामाइन ऑक्सिडेज इनहिबिटर लेने के साथ आप चीज, मीट, सोया सॉस, बीयर और वाइन आदि का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
3. एनसेड दवाओं का असर
एनसेड जैसे इब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) का इस्तेमाल हर समय नहीं हो सकता। एक ही तरह की दवा का बार-बार इस्तेमाल कई तरह के गंभीर साइड इफेक्ट का कारण बन सकता है। इब्यूप्रोफेन और ऐस्पिरिन जैसी ओटीसी दवाओं का एक जाना-पहचाना साइड इफेक्ट होता है। ये दवाएं आंतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बहुत सारी एनसेड्स, ओवर द काउंटर दवाएं (जो टाइलेनॉल या ऐस्पिरिन नही हैं) भी पेट की गंभीर समस्या का कारण बन सकती हैं। इनकी वजह से पेट का अल्सर या ब्लीडिंग हो सकती है। अगर इब्यूप्रोफेन को ज्यादा मात्रा में खाली पेट इस्तेमाल करते हैं तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है। जहां तक हो सके अपनी मर्जी से इन दवाओं का इस्तेमाल न करें। इस तरह की दिक्कतों से बचने का एक ही तरीका है, जब तक बहुत जरूरी न हो, दवा न लें और लें तो अपने लक्षणों के हिसाब से ही लें। उदाहरण के तौर पर एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) बुखार और फ्लू जैसे लक्षणों में ठीक रहती है जबकि इब्यूप्रोफेन दर्द से निजात के लिए ठीक है। बहुत सारे लोग इब्यूप्रोफेन का इस्तेमाल करते हैं। यह किडनी और पेट पर भारी पड़ सकता है।
4. एसिटामिनोफेन से सावधान
ओटीसी दवा एसिटामिनोफेन को भारत में लोग पैरासिटामॉल के नाम से जानते हैं। वायरल आदि के दर्द या बुखार से राहत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके भी इब्यूप्रोफेन जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं। यह शरीर में जाकर अल्कोहल की तरह प्रतिक्रिया करती है। ऐसे में अगर टाइलेनॉल (tylenol) यानी मामूली दर्द निवारक दवा और अल्कोहल अगर एक समय पर लिया जाए तो लिवर को संघर्ष करना पड़ता है। यही वजह है कि अगर आप पैरासिटामॉल लेते हैं और ज्यादा मात्रा में डिंक करते हैं तो लिवर को नुकसान हो सकता है।
5. खांसी की दवा
खांसी को दबाने वाले सिरप खांसी आने की उत्तेजना को कम करते हैं। इसे सप्रेसेंट कहते हैं। खांसी की वजह पर असर करने वाली दवा बलगम बाहर निकालती है। इसे एक्सपेक्टरेंट कहते हैं। अगर आपको सूखी खांसी है तो सप्रेसेंट का इस्तेमाल करें और अगर बलगम वाली खांसी है तो एक्सपेक्टरेंट का। गलत दवा का इस्तेमाल आपकी तकलीफें बढ़ा सकता है। आमतौर पर खांसी की दवाएं उतनी असरदार नहीं होतीं जितना विज्ञापनों में दावा किया जाता है।
6. मात्रा का ध्यान
कोई भी दवा न्यूनतम आवश्यक मात्रा में ही इस्तेमाल करें। किसी भी दवा का इस्तेमाल उतनी ही मात्रा में करें, जितनी जरूरत हो। जितना जरूरी है सही प्रकार की दवा का इस्तेमाल, उतना ही जरूरी है सही मात्रा में इस्तेमाल। ज्यादा मात्रा में दवा का इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदेय है। मसलन इब्यूप्रोफेन का पेट पर असर होता है। हमेशा डॉक्टर की लिखी गई डोज का ही इस्तेमाल करें। ज्यादा मात्रा में दवा लेने का मतलब यह नहीं है कि आपकी परेशानी जल्द ठीक हो जाएगी, बल्कि इससे दवा का नुकसान ज्यादा होगा।
7. एंटीबायोटिक का इस्तेमाल
एंटीबायोटिक और दूसरी दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें। एंटीबायोटिक महत्वपूर्ण दवा होती है। अगर आप इसका पूरा कोर्स नहीं लेंगे तो इंफेक्शन और खराब स्थिति में पहुंच सकता है। यह भी याद रखें कि एंटीबायोटिक वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू ठीक नहीं करता। अगर आपको फ्लू है और एंटीबायोटिक इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है। एंटीबायोटिक ब्रोंकाइटिस और साइनस इंफेक्शन जैसी समस्याओं के इलाज के लिए ठीक रहती हैं। बाकी दवाएं, जैसे एंटी डिप्रेशन दवा अगर तय वक्त पर नियमित रूप से न ली जाएं तो काम करना बंद कर देती हैं। डॉक्टर से पूछे बिना दवाओं और घरेलू नुस्खों को मिलाएं नहीं।
8. गर्भनिरोधक गोलियां
गर्भनिरोधक गोलियां इस्तेमाल के दिन से ही काम नहीं करतीं। एक हफ्ते या कई बार एक महीने तक लगातार इस्तेमाल के बाद ही ये असर दिखाती हैं। ऐसे में इन्हें लेना शुरू करने के पहले दिन से निश्चिंत होने का दावा भ्रामक हो सकता है। लगातार तीन महीने के इस्तेमाल के बाद ही ये गोलियां पूरी तरह असरदार होती हैं। लगातार दो या इससे ज्यादा दिन तक गोली लेना भूल जाने से इसका असर कम हो जाता है।
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दवाएं दर्द मिटाने और बीमारी भगाने के लिए होती हैं, लेकिन अगर उन्हें सही तरीके और सही मात्रा में न लिया जाए तो वे दर्द की वजह भी बन सकती हैं। ऐलोपैथिक दवाओं के मामले में तो ऐसी आशंका और भी ज्यादा होती है।
आप जो दवाएं ले रहे हैं, वे आपके लिए सुरक्षित हैं या नहीं, यह सुनिश्चित जरूर करें। मरीज जो भी दवाएं ले रहे हैं, उनके बारे में हर तरह की जानकारी उन्हें मिलनी चाहिए।
आपके लिए बेहद जरूरी है इन सवालों के जवाब जानना:
1. साइड इफेक्ट
आप जो भी दवा लेते हैं, उसके साइड इफेक्ट के बारे में जरूर पता करें। ओटीसी यानी ओवर द काउंटर कैटिगरी में आने वाली दवाओं के भी कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। इसकी जानकारी दवा के रैपर या बॉटल पर लिखी होती है। डॉक्टर की पर्ची देखकर मिलने वाली दवाओं के साथ भी एक पर्चा जरूर आता है, जिस पर दवा के संभावित साइड इफेक्ट लिखे होते हैं। युवाओं और पूरी तरह फिट कॉलेज स्टूडेंट्स को भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। कुछ लोगों को साइड इफेक्ट का खतरा ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर बर्थ कंट्रोल वाली दवाएं ब्लड में क्लॉट बनने का कारण बन सकती हैं।
2. आपसी प्रभाव
आप जो दवाएं ले रहे हैं, उनके संभावित पारस्परिक प्रभाव को जानें। कई बार दवा के साथ आने वाले पर्चे पर उससे संबंधित साइड इफेक्ट के साथ दूसरी दवाओं के साथ इसके पारस्परिक प्रभाव की भी जानकारी होती है। कई दवाओं के गंभीर पारस्परिक प्रभाव दिखते हैं। कोई भी नई दवा शुरू करने से पहले जांच करें। उदाहरण के तौर पर अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिस्ऑर्डर में ली जाने वाली दवा एडरआल (Adderall) कई एंटी डिप्रेशन दवाओं के साथ पारस्परिक प्रभाव छोड़ती है। पारस्परिक प्रभाव आमतौर पर दो अलग तरह की दवाओं के बीच होता है, मगर ऐसा खाने-पीने की कुछ खास चीजों और तंबाकू से भी हो सकता है। डिप्रेशन में ली जाने वाली दवा मोनामाइन ऑक्सिडेज इनहिबिटर लेने के साथ आप चीज, मीट, सोया सॉस, बीयर और वाइन आदि का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
3. एनसेड दवाओं का असर
एनसेड जैसे इब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) का इस्तेमाल हर समय नहीं हो सकता। एक ही तरह की दवा का बार-बार इस्तेमाल कई तरह के गंभीर साइड इफेक्ट का कारण बन सकता है। इब्यूप्रोफेन और ऐस्पिरिन जैसी ओटीसी दवाओं का एक जाना-पहचाना साइड इफेक्ट होता है। ये दवाएं आंतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बहुत सारी एनसेड्स, ओवर द काउंटर दवाएं (जो टाइलेनॉल या ऐस्पिरिन नही हैं) भी पेट की गंभीर समस्या का कारण बन सकती हैं। इनकी वजह से पेट का अल्सर या ब्लीडिंग हो सकती है। अगर इब्यूप्रोफेन को ज्यादा मात्रा में खाली पेट इस्तेमाल करते हैं तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है। जहां तक हो सके अपनी मर्जी से इन दवाओं का इस्तेमाल न करें। इस तरह की दिक्कतों से बचने का एक ही तरीका है, जब तक बहुत जरूरी न हो, दवा न लें और लें तो अपने लक्षणों के हिसाब से ही लें। उदाहरण के तौर पर एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) बुखार और फ्लू जैसे लक्षणों में ठीक रहती है जबकि इब्यूप्रोफेन दर्द से निजात के लिए ठीक है। बहुत सारे लोग इब्यूप्रोफेन का इस्तेमाल करते हैं। यह किडनी और पेट पर भारी पड़ सकता है।
4. एसिटामिनोफेन से सावधान
ओटीसी दवा एसिटामिनोफेन को भारत में लोग पैरासिटामॉल के नाम से जानते हैं। वायरल आदि के दर्द या बुखार से राहत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके भी इब्यूप्रोफेन जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं। यह शरीर में जाकर अल्कोहल की तरह प्रतिक्रिया करती है। ऐसे में अगर टाइलेनॉल (tylenol) यानी मामूली दर्द निवारक दवा और अल्कोहल अगर एक समय पर लिया जाए तो लिवर को संघर्ष करना पड़ता है। यही वजह है कि अगर आप पैरासिटामॉल लेते हैं और ज्यादा मात्रा में डिंक करते हैं तो लिवर को नुकसान हो सकता है।
5. खांसी की दवा
खांसी को दबाने वाले सिरप खांसी आने की उत्तेजना को कम करते हैं। इसे सप्रेसेंट कहते हैं। खांसी की वजह पर असर करने वाली दवा बलगम बाहर निकालती है। इसे एक्सपेक्टरेंट कहते हैं। अगर आपको सूखी खांसी है तो सप्रेसेंट का इस्तेमाल करें और अगर बलगम वाली खांसी है तो एक्सपेक्टरेंट का। गलत दवा का इस्तेमाल आपकी तकलीफें बढ़ा सकता है। आमतौर पर खांसी की दवाएं उतनी असरदार नहीं होतीं जितना विज्ञापनों में दावा किया जाता है।
6. मात्रा का ध्यान
कोई भी दवा न्यूनतम आवश्यक मात्रा में ही इस्तेमाल करें। किसी भी दवा का इस्तेमाल उतनी ही मात्रा में करें, जितनी जरूरत हो। जितना जरूरी है सही प्रकार की दवा का इस्तेमाल, उतना ही जरूरी है सही मात्रा में इस्तेमाल। ज्यादा मात्रा में दवा का इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदेय है। मसलन इब्यूप्रोफेन का पेट पर असर होता है। हमेशा डॉक्टर की लिखी गई डोज का ही इस्तेमाल करें। ज्यादा मात्रा में दवा लेने का मतलब यह नहीं है कि आपकी परेशानी जल्द ठीक हो जाएगी, बल्कि इससे दवा का नुकसान ज्यादा होगा।
7. एंटीबायोटिक का इस्तेमाल
एंटीबायोटिक और दूसरी दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें। एंटीबायोटिक महत्वपूर्ण दवा होती है। अगर आप इसका पूरा कोर्स नहीं लेंगे तो इंफेक्शन और खराब स्थिति में पहुंच सकता है। यह भी याद रखें कि एंटीबायोटिक वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू ठीक नहीं करता। अगर आपको फ्लू है और एंटीबायोटिक इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है। एंटीबायोटिक ब्रोंकाइटिस और साइनस इंफेक्शन जैसी समस्याओं के इलाज के लिए ठीक रहती हैं। बाकी दवाएं, जैसे एंटी डिप्रेशन दवा अगर तय वक्त पर नियमित रूप से न ली जाएं तो काम करना बंद कर देती हैं। डॉक्टर से पूछे बिना दवाओं और घरेलू नुस्खों को मिलाएं नहीं।
8. गर्भनिरोधक गोलियां
गर्भनिरोधक गोलियां इस्तेमाल के दिन से ही काम नहीं करतीं। एक हफ्ते या कई बार एक महीने तक लगातार इस्तेमाल के बाद ही ये असर दिखाती हैं। ऐसे में इन्हें लेना शुरू करने के पहले दिन से निश्चिंत होने का दावा भ्रामक हो सकता है। लगातार तीन महीने के इस्तेमाल के बाद ही ये गोलियां पूरी तरह असरदार होती हैं। लगातार दो या इससे ज्यादा दिन तक गोली लेना भूल जाने से इसका असर कम हो जाता है।
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