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Sunday 1 September 2013

शक्तिवर्द्धक घरेलू नुस्खे...................

 
हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के कुछ ऐसे ही औषधिय गुणों के बारे में...

- इसके एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है।


- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरा धनिया की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है। डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।
 
 
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शक्तिवर्धक घरेलू नुस्खे...................

* रोजाना 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए, साथ ही नाश्ते के रूप में ऐसे पदार्थ लें, जिसमें प्रत्येक से 200 कैलोरी प्राप्त हो। नाश्ते में खड़ा अनाज उगाकर लें, चोकर से बना केक खाएँ, चोकर में मेग्निशियम पर्याप्त होता है।
* आलू के दो पराठें के साथ लगभग 50 ग्राम दही का सेवन करें, यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
* आप चाहें तो उबला अण्डा काली मिर्च बुरककर सेवन करें, अण्डे के सफेद भाग में प्रोटीन भरपूर होता है और पीले भाग में अतिरिक्त विटामिन-बी होता है।
* एक मुट्ठी मूँगफली के दाने सेंककर, 10 ग्राम गु़ड़ के साथ चबा-चबाकर नाश्ते के तौर पर सेवन करें, ये ऊर्जा का पर्याप्त भण्डार हैं।
* अत: आप नाश्ते में कुछ भी मनमर्जी का न खाएँ। खाएँ तो ऐसी चीज खाएँ, जिससे आपको एनर्जी मिले और पेट तथा आँतें भी कष्ट महसूस न करें।

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शहद


शहद को आयुर्वेद में औषधीय गुणों का खजाना माना गया है। शहद का अलग-अलग तरह से उपयोग कर हम हमारे शरीर की कई सारी समस्याओं को दूर भगा सकते हैं। शहद में यह गुण होता भी है कि इसका अलग-अलग वस्तुओं के साथ उपयोग करने पर इसकी तासीर भी भिन्न हो जाती है। आइए जानते हैं शहद के ऐसे ही कुछ गुणों को....

-शहद को मसूड़ों पर मलने से पायरिया नहीं होता।

-छोटे बच्चों को दूध पिलाने से पहले शहद चटा दें। फिर दूध पिलाएं ये रोग निरोधक क्षमता बढ़ाता है।

- बेसन, मलाई में शहद मिलाकर त्वचा पर लगाएं। थोड़ी देर बाद धो लें, चेहरा चमक उठेगा ।

- प्रतिदिन 25 ग्राम शहद दूध के साथ जरूर लें । इससे शरीर को ताकत मिलती है।

- त्वचा सम्बन्धी रोग हो या कहीं जल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जादू सा असर दिखाई देगा।

- रात को सोने से पहले दूध के साथ शहद लेने पर बहुत अच्छी नींद आती है।

- दूध में शक्कर की जगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भी निकल जाते हैं।

- जुकाम होने पर शहद की भाप लें व उसी पानी से कुल्ला करें।

 सेब
अंग्रेजी में कहा गया है, "एन एपल ए डे", कीप्स द डॉक्टर अवे" अर्थात् एक सेब रोज खाओ और डॉक्टर को दूर भगाओ। सेब पौष्टिक तत्वों से भरा है। ये न केवल रोगों से लड़ने में मदद करता है बल्कि आपके शरीर को भी स्वस्त रखता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि सेब के सेवन से ह्वदय रोग, कैंसर, मधुमेह के साथ ही दिमागी बीमारियों जैसे पार्किंसन और अल्जाइमर आदि में भी आराम मिलता है। सेब रेशे वाला फल है इसीलिए इसमें में फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। सेब को खाने से पाचन तंत्र भी सही रहता है। यह एक अच्छा एंटी ओक्सिडेंट भी है जो मधुमेह, कैंसर, और दिमाग से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। सेब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को सामान्य करता है। जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। आइये और जानते हैं सेब खाने के लाभों के बारे में और देखते हैं कि कैसे यह जादुई फल हमें स्‍वस्‍थ्‍य रखता है।

सेब खाने के फायदे
सेब खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है। ये स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि बहुत स्वास्थवर्धक भी होता है। यहाँ नीचे इससे मिलने वाले सभी फायदों के बारे में लिखा है।

1- इसमें एंटी आक्सीडेंट पाए जाते हैं जो की हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के कैंसरो को बढने से रोकता है|

2- सेब दिल की बिमारियों को भी ठीक कर देता है|

3- सेब से बहुत से मिनरल्स (पोटाशियम, कैल्सियम, फोस्फोरोस और मग्नेशियम, आयरन, कापर और जिंक) होते हैं जो कि त्वचा, नाखुनो और बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होतें हैं|

4- सेब खाने से दिमाग तेज होता है। पढ़ने वाले बच्चो को तो सेब जरुर खाना चाहिए|

5- सेब मे अधिक मात्रा मे एंटी आक्सीडेंट पाए जातें हैं जो कि कलोस्ट्रोल के लेवल को कम करने मे मदद करते हैं|

6- सेब खाने हमारे शरीर के फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

7- सेब हमारे शरीर मे ऐसे बेक्टेरिया को बढने मे मदद करता है जो हमारी पाचन प्रणाली को बढ़ाते हैं|

8- सेब का जूस हमारे शरीर मे से सभी हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल देता है जिससे हमारी किडनी और लीवर कि बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं|

9- सेब में पाया जाने वाला फाइबर दिल के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है|

10- सेब का जूस अधिक उम्र के लोगो के लिए बहुत लाभदायक होता है क्योंकि ये गठिया और जोड़ो के दर्द को कम करने मे मदद करता है|



Saturday 31 August 2013

तोरई और चावल के औषधीय प्रयोग

 
तोरई
 तोरई एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। तोरई एक विशेष महत्त्व वाली सब्ज़ी है। यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्ज़ी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ़ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों में फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है।

तोरई की तरकारी बहुत हल्की मानी जाती है।

तोरई छोटी, रूखी, तेज, उष्णवीर्य और उल्टी को दूर करने वाली है।

यह कफ-पित्त के रोग को दूर करने वाली, ख़ून को साफ़ करने वाली, निःसारक, सूजन और पेट की गैस को दूर करने वाली है।

पेट की गाँठें, रस और फल में कड़ुवा, ख़ून की बीमारी, तिल्ली के बढ़ने में, खाँसी, सांस सफ़ेद दाग़ (कुष्ठ), पीलिया, बवासीर और टी.बी. को दूर करती है।

तोरई का छिलका : तोरई का ताजा छिलका त्वचा पर रगड़ने से त्वचा साफ होती है।
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चावल 
चावल से तो प्रायः सभी परिचित होंगे, भारत के कई प्रदेशों में चावल मुख्य भोजन के रूप में शामिल है। चावल बहुत गुणकारी होता है, यह हलका व सुपाच्य भोज्य है, इसे बीमार तथा स्वस्थ सभी लोग पसंद करते हैं। पुराना चावल ज्यादा सुस्वादु लगता है।
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* मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
* जिनका पेट कमजोर हो यानी जो आसानी से भोजन न पचा पाते हों, उन्हें चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दें, फिर खिलाएं तो आराम होगा।
* तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। चावल को मांड सहित खाना चाहिए। मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है।
* चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है।


* अतिसार में चावल का आटा लेई की भांति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं।

* पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है। इसी के विपरीत भात को दही के साथ मिलाकर खाने से यदि दस्त लगे हों तो बंद हो जाते हैं।

* यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शकर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।

* सूर्योदय से पूर्व चावल की खील 25 ग्राम लेकर शहद मिलाकर खाकर सो जाएं। सप्ताहभर में आधासीसी सिर दर्द दूर हो जाएगा।

Thursday 29 August 2013

पान


*****पान के औषधीय गुण
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भारतीय संस्कृति में पान को हर तरह से शुभ माना जाता है।
*****************इसके अलावा पान का रोगों को दूर भगाने में भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। खाना खाने के बाद और मुंह का जायका बनाए रखने के लिए पान बहुत ही कारगर है। कई बीमारियों के उपचार में पान का इस्तेमाल लाभप्रद माना जाता है
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* पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया की शिकायत दूर हो जाती है। इसके इस्तेमाल में एक सावधानी रखना जरूरी होती है कि पान की पीक पेट में न जाने पाए।

* चोट लगने पर पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे कुछ ही घंटों में दर्द दूर हो जाता है। खांसी आती हो तो गर्म हल्दी को पान में लपेटकर चबाएं।

* यदि खांसी रात में बढ़ जाती हो तो हल्दी की जगह इसमें अजवाइन डालकर चबाना चाहिए। यदि किडनी खराब हो तो पान का इस्तेमाल बगैर कुछ मिलाए करना चाहिए। इस दौरान मसाले, मिर्च एवं शराब (मांस एवं अंडा भी) से पूरा परहेज रखना जरूरी है।

* जलने या छाले पड़ने पर पान के रस को गर्म करके लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं। पीलिया ज्वर और कब्ज में भी पान का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। जुकाम होने पर पान में लौंग डालकर खाने से जुकाम जल्दी पक जाता है। श्वास नली की बीमारियों में भी पान का इस्तेमाल अत्यंत कारगर है। इसमें पान का तेल गर्म करके सीने पर लगातार एक हफ्ते तक लगाना चाहिए।

* पान में पकी सुपारी व मुलेठी डालकर खाने से मन पर अच्छा असर पड़ता है। यूं तो हमारे देश में कई तरह के पान मिलते हैं। इनमें मगही, बनारसी, गंगातीरी और देशी पान दवाइयों के रूप में ज्यादा कारगर सिद्ध होते हैं। भूख बढ़ाने, प्यास बुझाने और मसूड़ों की समस्या से निजात पाने में बनारसी एवं देशी पान फायदेमंद साबित होता है।
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चेतावनी :पान का अत्यधिक प्रयोग मुंह के कैंसर का कारण भी हो सकता है। यहां सिर्फ पान के औषधीय महत्व की जानकारी दी गई है।



  • गहरी नींद के आसान उपाय........

    * रात्रि भोजन करने के बाद पन्द्रह से बीस मिनट धीमी चाल से सैर कर लेने के बाद ही बिस्तर पर जाने की आदत बना लेनी चाहिए। इससे अच्छी नींद के अलावा पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
    * अगर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही हो या फिर मन में घबराहट सी हो तब अपना मन पसंद संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य या स्वास्थ्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ें, ऐसा करने से मन में शांति का भाव आएगा, जो गहरी नींद में काफी सहायक होता है।
    * अनिद्रा के रोगी को अपने हाथ-पैर मुँह स्वच्छ जल से धोकर बिस्तर पर जाना जाहिए। इससे नींद आने में कठिनाई नहीं होगी। एक खास बात यह कि बाजार में मिलने वाले सुगंधित तेलों का प्रयोग नींद लाने के लिए नहीं करें, नहीं तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।
    * सोते समय दिनभर का घटनाक्रम भूल जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में भी कुछ न सोचें। सारी बातें सुबह तक के लिए छोड़ दें। दिनचर्या के बारे में सोचने से मस्तिष्क में तनाव भर जाता है, जिस कारण नींद नहीं आती।
    * अपना पलंग मन-मुताबिक ही चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम महसूस होता हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट बनी रहती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करती है।
    * अगर अनिद्रा की समस्या पुरानी और गंभीर है, नींद की गोलियाँ खाने की आदत बनी हुई है तो किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर शवासन का अभ्यास करें और रात को सोते वक्त शवासन करें। इससे पूरे शरीर की माँसपेशियों का तनाव निकल जाता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिस कारण आसानी से नींद आ जाती है।
    * अच्छी नींद के लिए कमरे का हवादार होना भी जरूरी है। अगर मौसम बाहर सोने के अनुकूल है तो छत पर या बाहर सोने को प्राथमिकता दें। कमरे में कूलर-पँखा या फिर एयर कंडीशनर का शोर ज्यादा रहता है, तो इनकी भी मरम्मत करवा लेनी चाहिए, क्योंकि शोर से मस्तिष्क उत्तेजित रहता है, जिस कारण निद्रा में बाधा पड़ जाती है।

    * सोने से पहले चाय-कॉफी या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करें। इससे मस्तिष्क की शिराएँ उत्तेजित हो जाती हैं, जो कि गहरी नींद आने में बाधक होती हैं।

Tuesday 27 August 2013

प्रतिदिन काम आने वाली बातों से स्वास्थ्य को सही रखें


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धन्यवाद ......

Health Advice (स्वास्थ्य सलाह) घरेलू नुस्खे

कौन नहीं चाहता कि उसके जहन में ऐसे नुस्खे समाए रहें जिनसे वह समय-समय पर लाभ उठा सके। अपनी प्रतिदिन काम आने वाली बातों से स्वास्थ्य को सही रख सके। आइए चुनते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स।

* पेट में दर्द हो तथा पके जामुन उपलब्ध हों, इसका रस निकालकर पी लें। दर्द तो दूर होगा ही, शरीर हो अपार शक्ति भी मिलेगी।

* गठिया की पीड़ा से परेशान हैं, राई को पीसकर रखें। उसे जोड़ों पर मलने पर दर्द में आशातीत आराम पायेंगे।

* किसी कारण से या जान-बूझकर किसी ने जहरीला पदार्थ पी लिया हो तो राई का चूर्ण एक छोटा चम्मच खाकर पानी पी लें। उससे उल्टी हो जायेगी। स्वयं भी उल्टी करने का प्रयास करें तो सारा जहर उल्टी के साथ बाहर निकल जायेगा। खतरा खत्म।

* कान में दर्द हो तो 1. सरसों का तेल गुनगुना करें, उसे कानों में डालें। आराम पायेंगे। 2. सुदर्शन वृक्ष के पत्तों के रस की दो-चार बंद निकालकर कान में डाले। आराम मिल जायेगा।

* यदि बाल टूटते हैं, बढ़ते भी न हों तो बालों को दही के पानी के पानी से धोएं। टूटने बन्द हो जायेंगे। लम्बे भी होंगे। कुछ दिन उपचार करें।

* नींद न आने की जिसे शिकायत हो, उसकी मदद बेंगन करता है। बैंगन को छीलें, इसकी सब्जी घी व दही के साथ बनायें। रात को अपने भोजन में केवल इसे ही खाएं। यह अच्छी नींद लाने का सरल व सस्ता उपाय है।

* सर्दी है, नाक बन्द हो गयी है, सांस लेने में भी तकलीफ होती है, ऐसे में कपूर की पोटली सूंधे। नाक खुल जायेगी।

बातें काफी छोटी व सरल हैं। मगर इनसे आप चलते-फिरते अपना उपचार कर सकते हैं, बिना कठिनाई के।


अश्व यानी घोड़ा, शक्ति का प्रतीक होता है, तभी इंजन या मोटर की शक्ति को, 'हॉर्स पॉवर' कहा जाता है यानी अश्व शक्ति से मापा जाता है और घोड़ा घास के अलावा चना ही खाता है। दिनभर मेहनत करता है, ताँगा खींचता है पर थकता नहीं। इससे यह भी साबित होता है कि चने में कितनी शक्ति होती है।

ताकतवर तो हाथी भी होता है पर किसी इंजन की शक्ति को एलीफेंट पॉवर नहीं कहा जाता, क्योंकि हाथी में बल तो बहुत होता है पर साथ ही आलस्य और ढीला-ढालापन भी होता है। हाथी घोड़े की तरह फुर्तीला और सुडौल शरीर वाला नहीं होता और उसका बल आम तौर पर मनुष्य के काम नहीं आता जैसे घोड़े का बल काम आता है।

चने का नाश्ता : नाश्ते के लिए एक मुठ्ठी काले देशी चने पानी में डालकर रख दें। सुबह इन्हें कच्चे या उबालकर या तवे पर थोड़ा भुनकर मसाला मिलाकर, खूब चबा-चबाकर खाएँ। चने के साथ किशमिश खा सकते हैं, कोई मौसमी फल खा सकते हैं। केला खाएँ तो केले को पानी से धोकर छिलकासहित गोलाकार टुकड़े काट लें और छिलका सहित चबा-चबाकर खाएँ। नाश्ते में अन्य कोई चीज न लें।

भोजन में चना : रोटी के आटे में चोकर मिला हुआ हो और सब्जी या दाल में चने की चुनी यानी चने का छिलका मिला हुआ हो तो यह आहार बहुत सुपाच्य और पौष्टिक हो जाता है। चोकर और चने में सब प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। चना गैस नहीं करता, शरीर में विषाक्त वायु हो तो अपान वायु के रूप में बाहर निकाल देता है। इससे पेट साफ और हलका रहेगा, पाचन शक्ति प्रबल बनी रहेगी, खाया-पिया अंग लगेगा, जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और शक्तिशाली बना रहेगा। मोटापा, कमजोरी, गैस, मधुमेह, हृदय रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग नहीं होंगे।

चने को गरीब का भोजन भी कहा जाता है, लेकिन इसकी ताकत को हम अनदेखा कर देते हैं। चना सस्ता भी है और सरल सुलभ भी, इसलिए हमें पथ्य यानी सेवन करने योग्य आहार के रूप में चने का सेवन करके स्वास्थ्य लाभ अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

रक्ताल्पता, कब्ज, डायबिटिज और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। बालों और त्वचा की सौंदर्य वृद्धि के लिए चने के आटे का प्रयोग हितकारी होता है।

एक मुट्ठी चना से आप स्वस्थ और ताकतवर बन सकते हैं। ये आपको सुंदर और तेज दिमाग वाला बनायेगा। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।

चना खाने से लाभ- 1. प्रोटीन- इससे शरीर चुस्‍त दुरुस्‍त बना रहता है। चने में लगभग 12-15 ग्राम प्रोटीन होता है जो कि अनाज के मुकाबले कई गुना ज्‍यादा होता है।
2. कालेस्‍ट्रॉल को घटाए- चना आंत में पित्‍त रस के साथ मिल कर खून में बढे हुए कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर कम करता है। यह लीवर को कोलेस्‍ट्रॉल सोखने से बचाता है।
3. फॉलिक एसिड- पहली बार मां बनने जा रही हैं तो चने का सेवन आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिये हिताकारी है। इसे खाने से शिशु के ब्रेन का विकास अच्‍छी तरह से होता है। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से बचाता है।
4. मधुमेह कंट्रोल करे- चना रक्त शर्करा के स्तर को कंट्रोल करता है।
5. मैगनीज से भरा- खून के लगातार बहाव में कॉपर और मैगनीज जैसे माइक्रो न्‍यूट्रियंट्स का होना बहुत जरुरी है। चना एक अच्‍छा स्रोत है जिसको खाने से शरीर का तापमान बना रहता है।
6. रेशा- एक कटोरा चना खाने से 28 ग्राम रेशा आपके शरीर में जाता है , जिससे पेट संबन्‍धी सारी शिकायते दूर रहती हैं। कब्‍ज हो या फिर पेट का कैंसर, दोनों ही नहीं होते।
7. फॉस्फोरस और आयरन- चने में 27 और 28 प्रतिशत फॉस्‍फोरस और आयरन होता है। यह न केवल रक्त कोशिकाओं का निमार्ण करते हैं बल्कि हीमोग्‍लोबीन बढा कर किडनियों को भी नमक की अधिकत्‍ता से साफ करते हैं।

Monday 26 August 2013

क्या आप जानते हैं?---घरेलू नुस्खे

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से साभार घरेलू नुस्खे


प्रात: कड़वी नीम की दो-चार
पत्तियाँ चबाकर उसे थूक देने से
दांत-जीभ व मुँह एकदम साफ
रहता और निरोगी रहते हैं।


 रात को मेथी के दाने पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उठकर दातुन कर वह पानी पीकर मेथी के दाने धीरे-धीरे चबा लीजिए डायबिटीज धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।

 मधुमेह के रोगियों को घृतकुमारी के रस का सेवन करने से लाभ होता है। यह शुक्राणुओं की दुर्बलता को मिटाता है। स्त्रियों के रोगों में यह गर्भाशय में शूल, अनियमित मासिक स्त्राव और अतिस्त्राव के विकारों को दूर करता है। बंग भस्म और शिलाजीत इसके साथ मिलाकर लेने से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।



* पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन 'ए' प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी (रात को न दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आँखों की ज्योति बढ़ती है।

* सेंधा नमक, जीरा और नीबू का रस मिलाकर पपीते का नियमित सेवन करने से मंदाग्नि, कब्ज, अजीर्ण तथा आंतों की सूजन में काफी लाभ होता है।

* बवासीर में प्रतिदिन सुबह खाली पेट पपीता खाएँ, इससे कब्ज दूर होगी। शौच साफ होगा और बवासीर से छुटकारा मिलेगा, क्योंकि बवासीर का मूल कारण कब्ज ही है।

* यकृत तथा पीलिया के रोग में पपीता अत्यंत लाभकारी है।

* पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी टिक्की और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है या इसके लच्छों को कपूरकंद की तरह शकर मे पाग कर भी खाया जाता है।

* पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता है, मोटापे को नियंत्रित करता है और अगर आपको खट्टी डकारें आती हैं तो पपीते का रस उसे भी बंद कर देगा। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बना कर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

* हार्ट की बीमारी
पपीते में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, सी और ई पाया जाता है. इस ऑक्सीडेंट से शरीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं जम पाता, जिससे हार्ट की बीमारी नहीं होती. इसके अलावा इसमें फाइबर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को खून में कंट्रोल कर के रखते हैं.

* कील मुंहासे
सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग होता है. पके हुए पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहांसे और झांई से बचाव किया जा सकता है. इससे त्वचा का रूखापन दूर होता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है. इस कारण चेहरे के दाग धब्बों को मिटाने के लिए इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक है.




हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए यानी की उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे

गर्मी के दिनों में यदि हम खाने के साथ हरी मिर्च खाए और फिर घर से बाहरजाए तो कभी भी लू नहीं लग सकती !
खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा

मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है

मिर्च के सेवन से भूखं कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।

लाल मिर्च में भी औषधीय गुण होते है किन्तु हरी मिर्च सेहत के लिए अधिक लाभकारी है