Monday 10 April 2017

पथरीनाशक औषधि

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गुर्दे और मूत्राशय की पत्थरी में रामबाण तरबूज के बीज :



https://onlyayurved.com/health/stone/tarbooj-se-pathri-ka-ilaj/



https://onlyayurved.com/health/stone/kidney-gall-bladder-stone/

नहीं बनेगी पत्थरी (स्टोन) अगर खाएंगे कुल्थी :


बार बार पत्थरी की शिकायत रहती है तो करे ये उपचार। गुर्दे और मूत्राशय की पत्थरी का रामबाण इलाज।
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कई लोगो को अक्सर ही (पत्थरी) स्टोन की समस्या आम ही रहती हैं। बार बार ऑपरेशन करवाने के बाद भी उनको ये समस्या दोबारा हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्युकी उनका शरीर भोजन द्वारा ग्रहण किये हुए कैल्शियम को पचा नहीं पाता। और किडनी भी शरीर की गंदगी की सफाई करते समय इसको साफ़ करने में असक्षम हो जाती हैं और यही से ये हमारे मूत्राशय को भी प्रभावित करती हैं।

तो आइये जानते हैं इस से मुक्ति पाने का सरल घरेलु उपाय।

कुल्थी – प्राकृतिक पत्थरी नाशक। kulthi ki dal ke fayde.
गुर्दे से जुड़ी कई समस्याएं हैं, मसलन गुर्दे में दर्द, मूत्र में जलन या मूत्र का अधिक या कम आना आदि।
इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या, जिसके पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वह है किडनी में पथरी।

आयुर्वेद व घरेलू चिकित्सा में किडनी की पथरी में कुलथी को फायदेमंद माना गया है। गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शर्करानाशक है। वात एवं कफ का शमन करती है और शरीर में उसका संचय रोकती है। कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति और पुनरावृत्ति रोकती है। इसके अतिरिक्त यह यकृत व पलीहा के दोष में लाभदायक है। मोटापा भी दूर होता है।

250 ग्राम कुल्थी कंकड़-पत्थर निकाल कर साफ कर लें। रात में तीन लिटर पानी में भिगो दें। सवेरे भीगी हुई कुल्थी उसी पानी सहित धीमी आग पर चार घंटे पकाएं।

जब एक लिटर पानी रह जाए (जो काले चनों के सूप की तरह होता है) तब नीचे उतार लें। फिर तीस ग्राम से पचास ग्राम (पाचन शक्ति के अनुसार) देशी घी का उसमें छोंक लगाएं। छोंक में थोड़ा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते हैं। पथरीनाशक औषधि तैयार है।

आप दिन में कम-से-कम एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर यह सारा सूप पी जाएं। 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं।

एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।

यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह न सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है।

गुर्दे में सूजन की स्थिति में जितना पानी पी सकें, पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है।

यह कमर-दर्द की भी रामबाण दवा है। कुल्थी की दाल साधारण दालों की तरह पका कर रोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। यह दाल मज्जा (हड्डियों के अंदर की चिकनाई) बढ़ाने वाली है।

पथरी में ये खाएं :
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।

ये न खाएं :
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें।

कुल्थी का पानी भी लाभदायक :
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।

कुल्थी का पानी बनाने की विधि:
किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।

इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।

इसके साथ ये सहायक उपचार भी करे :
कुल्थी के पानी के साथ हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।

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Friday 7 April 2017

डिप्रेशन से बचाव, दही और अलसी से स्वास्थ्य रक्षा

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Friday 31 March 2017

एलर्जी,पित्ती और आँखों की सेहत ------ कविता देवगन

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Sunday 26 March 2017

टी बी,कंधा दर्द और सूजन का इलाज ------ नेहा

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Tuesday 21 March 2017

दांत के दर्द का बयान ------ Er S D Ojha

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Er S D Ojha

मेरे अदब के सारे फरिश्ते हिल गए ,
ये कैसी वारदात हो रही मेरे दांतों में.

दांतों का दर्द जानलेवा तो नहीं, पर जान जरुर निकाल लेता है. जब हम खाना खाते हैं तो दांतों पर एक मुलायम सी परत चढ़ जाती है. यह परत जीवाणु ग्रस्त होती है. 1mm के एरिया में 800 लाख जीवाणु होते हैं . यदि ठीक ढंग से सफाई न की जाय तो दांत सड़ना शुरू हो जाता है. अन्ततोगत्वा दांत या तो अपने आप निकल जाते हैं या उन्हें निकालना पड़ता है. दांत खराब होने से पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है. दांत खराब होने से बाल भी झड़ना शुरू हो जाते हैं.

बाजार में विकने वाले पेस्ट मुंह को खुशबू दार तो बनाते हैं, पर सफाई से इनका कोई लेना देना नहीं है. नीम या बबूल के दातून दांतों की सफाई के साथ साथ उनमें चमक और ताजगी भी लाते हैं. दातून की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह use & throw पर आधारित होता है. दांत साफ किया और फेंक दिया. जब कि ब्रश को तब तक इस्तेमाल किया जाता है, जब तक कि इसके आकार में परिवर्तन नहीं हो जाता या यह तीन महीने पुराना नहीं हो जाता. ब्रश के माध्यम से कीटाणु निकल कर ब्रश में अपना घर बना लेते हैं. ब्रश के कीटाणु तब तक नहीं मरते जब तक कि ब्रश सूख नहीं जाता. ब्रश को सूखने में 10 -12 घंटे का समय लगता है. इसलिए दो रंग के ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए. एक सुबह के लिए और एक रात के लिए. इससे यह लाभ होगा कि आपको हर समय सूखा ब्रश मिलेगा. यदि कहीं आपको गल्ती से गीला ब्रश हीं मिल गया तो सारे ब्रश के कीटाणु आपके मुंह में पुनः घर बना लेंगे. इसलिए सुबह आप एक रंग के ब्रश का इस्तेमाल कर रहे हैं तो शाम को अलग रंग के ब्रश का इस्तेमाल करें ताकि आप सूखे या गीले में आसानी से फर्क कर सकें. ब्रश उम्दा गुणवत्ता का रखें,जिसके बाल पास पास हों . पहले पेस्ट मुंह में रख अन्दर हीं अन्दर उसे घुलने दें. बाद में हल्का सा तीन मिनट के लिए ब्रश घुमा दें. दांत भी साफ और रगड़ से मसूड़े भी खराब न हो .

90% लोगों को दांत के दर्द से जीवन में अक्सर परेशान होना पड़ता है. जहां खाने का सुख, वहां दांत दर्द. टाफी, चाकलेट, टीन बन्द / डिब्बा बन्द भोजन ,केक, फास्ट फूड आदि दांतों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भोज्य पदार्थ हैं और खाने के बाद अतिरिक्त सफाई की मांग करते हैं. बाज दफा ठंडे पदार्थों का सेवन करने के बाद गर्म पेय भी दांतों की sensitivity बढ़ा देते हैं. अगर यह समस्या आ जाती है तो हल्दी ,नमक और सरसों के तेल के सम्मिश्रण को दांतों पर माध्यिका से लगाएं. तर्जनी में विद्युत प्रवाह ज्यादा होता है. इसलिए उस अंगुली का इस्तेमाल न किया जाए. इस मिश्रण से हिलते हुए दांत मजबूत और चमकयुक्त हो जाते हैं. हींग में नीबू का रस मिला कर मंजन करने से दांत दर्द से राहत मिलती है. रोजाना सलाद में प्याज खाना भी फायदेमंद होता है. जिधर के दांत में दर्द हो, उधर के दांत से भोजन करने से बचना चाहिए, क्योंकि लगातार दबाव से मसूड़े चोटिल हो सकते हैं. टूथ पिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे मसूड़ों में छेद हो जाते हैं, जो आगे चलकर बेक्टिरिया के आरामगाह बन जाते हैं. दांतों के कीड़े लगने की स्थिति में अमरूद के पत्तों को पानी में उबालकर उस गुनगुने पानी से कुल्ला करने पर कीड़े मर जाते हैं.

दांत के दर्द का बयान कोई भुक्त भोगी हीं कर सकता है . सबसे तीब्र एहसास अक्ल दाढ़ों में होती है.

एक टीस सी उठती है ,
दर्द फैलता है दांतों में .
जैसे दाढ़ अक्ल के नहीं, 
अक्ल फंसी हो इन दाढ़ों में

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