"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
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Sunday, 7 October 2018
Sunday, 26 March 2017
Friday, 8 May 2015
टी बी कारण और निवारण (भाग-2 ) --- विजय राजबली माथुर
गतांक से आगे :
http://vijaimathur05.blogspot.in/2015/03/blog-post.html
ज्वर की तीव्रता में निम्न योग अच्छा है :
(1 ) मुक्ता पंचामृत - 1 रत्ती
पंचानन रस - 1 रत्ती
अमृता सत्व -2 रत्ती
ऐसी दो मात्राएं मधु ( शहद ) से दें ।
( 2 ) शुद्ध नवसार - 2 रत्ती
अमृतारिष्ट - 1 टोला
समान जल मिला कर भोजनोपरांत ।
(3 ) चंद्रामृत रस -4 रत्ती
सितोपलादि - 1 माशा
शहद के साथ दें।
इस अवस्था में 'सर्वज्वर लौह', चंदनादी लौह, कुमुदेश्वर रस का प्रयोग करा सकते हैं।
रकतीष्ठीवन की अवस्था में निम्न औषद्ध योग लाभ करते हैं:
(1 ) बसंत मालती - 1 रत्ती
रक्तपित्त कुलकंडन रस - 1 रत्ती
शत मूल्यादी लौह - 2 रत्ती
लाक्षा चूर्ण - 4 रत्ती
सितोपलादि चूर्ण - 4 रत्ती
तीन मात्राएं शहद के साथ दें।
( 2 ) शुद्ध स्वर्ण गैरिक - 2 रत्ती
दुग्ध पाषाण - 4 रत्ती
दो मात्राएं ।
( 3 ) उशीराशव - 1 तोला
समान जल मिला कर भोजनोपरांत ।
( 4 ) स्वर्ण माक्षिक भस्म - 1 रत्ती
प्रवाल पिष्टि - 2 रत्ती
वासवलेह - 1 तोला
रात को एक मात्रा बकरी के दूध से दें।
( 5 ) एलादी बटी चूसने के लिए दें।
(6 ) चंदनादि तैल या लाक्षादि तैल का अभ्यंग (मालिश ) करें।
यदि रोगी का श्वास फूलता हो तो श्वास कास चिंतामणि, श्वास चिंतामणि, बृहन्मृगांक बटी, महाश्वासारिलौह का प्रयोग करना चाहिए।
ज्योतिषीय उपचार :
चंद्र, मंगल व शनि के संयुक्त प्रकोप से TB रोग होता है अतः प्रतिदिन 108 बार पश्चिम की ओर मुख करके व पृथ्वी से इंसुलेशन बनाते हुये (लकड़ी, रेशम या पोलीथीन के आसान पर बैठ कर )इन मंत्रों का जाप करें:
1- ॐ सों सोमाय नमः
2- ॐ अंग अंगारकाय नमः
3- ॐ शम शनेश्चराय नमः
http://vijaimathur05.blogspot.in/2015/03/blog-post.html
ज्वर की तीव्रता में निम्न योग अच्छा है :
(1 ) मुक्ता पंचामृत - 1 रत्ती
पंचानन रस - 1 रत्ती
अमृता सत्व -2 रत्ती
ऐसी दो मात्राएं मधु ( शहद ) से दें ।
( 2 ) शुद्ध नवसार - 2 रत्ती
अमृतारिष्ट - 1 टोला
समान जल मिला कर भोजनोपरांत ।
(3 ) चंद्रामृत रस -4 रत्ती
सितोपलादि - 1 माशा
शहद के साथ दें।
इस अवस्था में 'सर्वज्वर लौह', चंदनादी लौह, कुमुदेश्वर रस का प्रयोग करा सकते हैं।
रकतीष्ठीवन की अवस्था में निम्न औषद्ध योग लाभ करते हैं:
(1 ) बसंत मालती - 1 रत्ती
रक्तपित्त कुलकंडन रस - 1 रत्ती
शत मूल्यादी लौह - 2 रत्ती
लाक्षा चूर्ण - 4 रत्ती
सितोपलादि चूर्ण - 4 रत्ती
तीन मात्राएं शहद के साथ दें।
( 2 ) शुद्ध स्वर्ण गैरिक - 2 रत्ती
दुग्ध पाषाण - 4 रत्ती
दो मात्राएं ।
( 3 ) उशीराशव - 1 तोला
समान जल मिला कर भोजनोपरांत ।
( 4 ) स्वर्ण माक्षिक भस्म - 1 रत्ती
प्रवाल पिष्टि - 2 रत्ती
वासवलेह - 1 तोला
रात को एक मात्रा बकरी के दूध से दें।
( 5 ) एलादी बटी चूसने के लिए दें।
(6 ) चंदनादि तैल या लाक्षादि तैल का अभ्यंग (मालिश ) करें।
यदि रोगी का श्वास फूलता हो तो श्वास कास चिंतामणि, श्वास चिंतामणि, बृहन्मृगांक बटी, महाश्वासारिलौह का प्रयोग करना चाहिए।
ज्योतिषीय उपचार :
चंद्र, मंगल व शनि के संयुक्त प्रकोप से TB रोग होता है अतः प्रतिदिन 108 बार पश्चिम की ओर मुख करके व पृथ्वी से इंसुलेशन बनाते हुये (लकड़ी, रेशम या पोलीथीन के आसान पर बैठ कर )इन मंत्रों का जाप करें:
1- ॐ सों सोमाय नमः
2- ॐ अंग अंगारकाय नमः
3- ॐ शम शनेश्चराय नमः
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