सर्दीके मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है। यह स्वास्थ्य के लिए
लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। सर्दियों में गुड़ से बनाई गई
खास सामग्री बच्चों और बुजुर्गों सबको अच्छी लगती है। इस मौसम में गुड़ का
नियमित सेवन करने से सर्दी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद
संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला
होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से इन बीमारियों में राहत मिलती हैः
- गुड़ के साथ पकाए चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।
- बाजरे की खिचड़ी में गुड़ डालकर खाने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है।
- गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
*तिल-गुड़ के लड्डू खाने से मासिक धर्म का रक्त निर्बाध गति से बहता है तथा दर्द में आराम मिलता है।
*सर्द ऋतु में गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से ज़काम, खाँसी, दमा, ब्रांकाइटिस आदि रोग दूर होते हैं।
* ठंड के दिनों में तिल्ली के साथ इसका सेवन करने से ठंड का मुकाबला करने की
ताकत आती है।
ठंड में मेवे के लड्डुओं में भी शकर के बजाय गुड़ मिलाइये।
शकर तो सफेद जहर है। गुड़ पीला अमृत है। शकर को साफ करने के चक्कर
में इसका प्राकृतिक केल्शियम नष्ट हो जाता है। गुड़ में यह मौजूद रहता है।
पुराना गुड़ अधिक अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर पुराना गुड़ न मिले तो नए
को ही कुछ देर धूप में रखने से वह पुराने की तरह गुणकारी हो जाता है।
-भोजन के पश्चात नित्य गुड़ की एक डली मुँह में रख कर चूसने से पाचन अच्छा
होता है। साथ ही वायुविकार अर्थात गैसेस से भी मुक्ति मिलती है। एसिडिटी
नहीं होती।
-चीनी की चाय की जगह गुड़ की चाय अधिक स्वास्थ्यकर मानी जाती है।
-250 ग्राम कच्चा पीसा जीरा और 125 ग्राम गुड़ को मिला कर इसकी गोलियाँ
बना लें। दो-दो गोली नित्य दिन में तीन बार खाने से मूत्र विकार में लाभ
मिलता है। जैसे मूत्र नहीं होना, मूत्र में जलन आदि।
-रक्तविकार वालों को गुड़ की चाय, दूध के साथ गुड़ या गुड़ की लस्सी पीने से लाभ होता है।
-बीस ग्राम गुड़ और एक चम्मच आँवले का चूर्ण नित्य लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।
-गुड़ और शुद्ध घी मिला कर खाने से शरीर तगड़ा होता है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता।
-एसिडिटी वालों को रोज प्रातःकाल थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए। -ठंड के
दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गर्मागर्म पीना अच्छा रहता है। यह सर्दी-जुकाम से बचाता है।
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मूंगफली-
यह मटर, सेम, बीन्स जैसे फली परिवार से जुड़ी हुई है और हर उम्र के लोगों
की पसंदीदा है। कुरकुरे स्वाद और गर्म तासीर वाली मूंगफली अपने पोषक तत्वों
के कारण बादाम के समकक्ष ठहरती है और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।
सर्दियों में आसानी से उपलब्ध होने और किफायती होने की वजह से कुछ लोगों ने
तो इसे ‘गरीबों का काजू’ की उपाधि दी है। भुनी हुई, कच्ची, उबाली हुई, तली
हुई या रोस्टिड, टेंगी, मसालेदार मूंगफली सड़क के किनारे, बस स्टैंड, लोकल
ट्रेन, मॉल-बाजार हर जगह आसानी से मिल जाती है। इसी
वजह से यह ‘टाइम पास‘ नाश्ते के रूप में भी मशहूर है। विभिन्न रूपों में
खाई जाने वाली यह दानेदार मूंगफली न केवल पौष्टिक तत्वों का खजाना है,
बल्कि अपने गुणों की वजह से हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकर भी है। यह
प्रोटीन, कैलोरीज, विटामिन बी, ई, तथा के, मिनरल्स, कैल्शियम, नियासिन,जिंक
का अच्छा स्त्रोत है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व कई बीमारियों से
हमारे शरीर की रक्षा करने में सक्षम हैं।सर्दीके मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। सर्दियों में गुड़ से बनाई गई खास सामग्री बच्चों और बुजुर्गों सबको अच्छी लगती है। इस मौसम में गुड़ का नियमित सेवन करने से सर्दी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से इन बीमारियों में राहत मिलती हैः
- गुड़ के साथ पकाए चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।
- बाजरे की खिचड़ी में गुड़ डालकर खाने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है।
- गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
*तिल-गुड़ के लड्डू खाने से मासिक धर्म का रक्त निर्बाध गति से बहता है तथा दर्द में आराम मिलता है।
*सर्द ऋतु में गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से ज़काम, खाँसी, दमा, ब्रांकाइटिस आदि रोग दूर होते हैं।
* ठंड के दिनों में तिल्ली के साथ इसका सेवन करने से ठंड का मुकाबला करने की
ताकत आती है।
ठंड में मेवे के लड्डुओं में भी शकर के बजाय गुड़ मिलाइये।
शकर तो सफेद जहर है। गुड़ पीला अमृत है। शकर को साफ करने के चक्कर
में इसका प्राकृतिक केल्शियम नष्ट हो जाता है। गुड़ में यह मौजूद रहता है।
पुराना गुड़ अधिक अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर पुराना गुड़ न मिले तो नए
को ही कुछ देर धूप में रखने से वह पुराने की तरह गुणकारी हो जाता है।
-भोजन के पश्चात नित्य गुड़ की एक डली मुँह में रख कर चूसने से पाचन अच्छा होता है। साथ ही वायुविकार अर्थात गैसेस से भी मुक्ति मिलती है। एसिडिटी नहीं होती।
-चीनी की चाय की जगह गुड़ की चाय अधिक स्वास्थ्यकर मानी जाती है।
-250 ग्राम कच्चा पीसा जीरा और 125 ग्राम गुड़ को मिला कर इसकी गोलियाँ बना लें। दो-दो गोली नित्य दिन में तीन बार खाने से मूत्र विकार में लाभ मिलता है। जैसे मूत्र नहीं होना, मूत्र में जलन आदि।
-रक्तविकार वालों को गुड़ की चाय, दूध के साथ गुड़ या गुड़ की लस्सी पीने से लाभ होता है।
-बीस ग्राम गुड़ और एक चम्मच आँवले का चूर्ण नित्य लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।
-गुड़ और शुद्ध घी मिला कर खाने से शरीर तगड़ा होता है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता।
-एसिडिटी वालों को रोज प्रातःकाल थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए। -ठंड के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गर्मागर्म पीना अच्छा रहता है। यह सर्दी-जुकाम से बचाता है।
-भोजन के पश्चात नित्य गुड़ की एक डली मुँह में रख कर चूसने से पाचन अच्छा होता है। साथ ही वायुविकार अर्थात गैसेस से भी मुक्ति मिलती है। एसिडिटी नहीं होती।
-चीनी की चाय की जगह गुड़ की चाय अधिक स्वास्थ्यकर मानी जाती है।
-250 ग्राम कच्चा पीसा जीरा और 125 ग्राम गुड़ को मिला कर इसकी गोलियाँ बना लें। दो-दो गोली नित्य दिन में तीन बार खाने से मूत्र विकार में लाभ मिलता है। जैसे मूत्र नहीं होना, मूत्र में जलन आदि।
-रक्तविकार वालों को गुड़ की चाय, दूध के साथ गुड़ या गुड़ की लस्सी पीने से लाभ होता है।
-बीस ग्राम गुड़ और एक चम्मच आँवले का चूर्ण नित्य लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।
-गुड़ और शुद्ध घी मिला कर खाने से शरीर तगड़ा होता है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता।
-एसिडिटी वालों को रोज प्रातःकाल थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए। -ठंड के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गर्मागर्म पीना अच्छा रहता है। यह सर्दी-जुकाम से बचाता है।
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कुपोषण से लड़ने में मदद विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ जैसी संगठनों ने अपने अध्ययनों से यह साबित किया है कि मूंगफली में मौजूद पोषक तत्व कुपोषण के शिकार बच्चों को बचाने में मदद करते हैं।
* मुट्ठी भर मूंगफली दूध, घी और सूखे मेवों की आपूर्ति करती है। *100 ग्राम कच्ची मूंगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है, जबकि मांस, मछली और अंडों में यह 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होती।
* मूंगफली के 250 ग्राम मक्खन से 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या फिर 15 अंडों के बराबर ऊर्जा आसानी से मिल सकती है। यही नहीं, *250 ग्राम भुनी मूंगफली में जितने खनिज और विटामिन मिलते हैं, उतने 250 ग्राम मांस में भी प्राप्त नहीं होते।
सेवन में सावधानियां :
मूंगफली को पूरी तरह चबा कर खाना चाहिए, क्योंकि इसे पचाने में दिक्कत होती है। इससे पेट दर्द या एसिडिटी की शिकायत हो सकती है।
* अस्थमा, पीलिया या पेट में गैस बनने की शिकायत होने वाले व्यक्तियों को मूंगफली के सेवन से बचना चाहिए।
* इसके अलावा मूंगफली के सेवन से होंठ, गले और सीने में जलन हो या सांस लेने में दिक्कत हो-ऐसे व्यक्तियों को भी मूंगफली नहीं खानी चाहिए।
* मूंगफली पोषक तत्वों से भरपूर है, फिर भी एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना 50-80 ग्राम से ज्यादा मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए, अन्यथा आप मोटापे जैसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
*सौंदर्य बढ़ाए मूंगफली के निरंतर उपयोग से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा मुलायम होती है।
* सर्दियों में त्वचा में सूखापन आने पर थोड़े-से मूंगफली के तेल में दूध और गुलाबजल मिलाकर मालिश करके स्नान करने से आराम मिलता है।
*होंठ फटने पर चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर अंगुली से हथेली पर रगड़ें। इस तेल से होठों की मालिश करने से लाभ मिलता है।
* मूंगफली के तेल में नींबू का रस मिलाकर पिंपल्स पर लगाने से आराम मिलता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करे कैंसर को रोकने में मददगार जन्म दोष के जोखिम को कम करने में सक्षम पथरी की रोकथाम में सहायक ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है दिल की रक्षा करने में सहायक मधुमेह के रोगियों के लिए एक स्वस्थ नाश्ता बॉडी बिल्डिंग में रुचि रखने वालों के लिए वरदान है बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करे दांतों और हड्डियों के स्वास्थ्य में मददगार पेट संबंधी बीमारियों के इलाज में उपयोगी वायु संबंधी बीमारियों को कम करने में सहायक है।
ज्ञानवर्द्धक आलेख
ReplyDeleteमुझे दोनों गुणकारी लगते हैं
सादर
बहूत अच्छा जानकारी ।
ReplyDeleteVery good advise sir
ReplyDeleteThanks for good article
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