"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Showing posts with label पपीता. Show all posts
Showing posts with label पपीता. Show all posts
Sunday, 24 November 2019
Sunday, 24 January 2016
कौन सा फल खाएं और कौन सा न खाएं: डायबिटीज़ के मरीज़
स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं
जब बात डायबिटीज़ की आती है तो कुछ भी मीठा खाना जोखिमभरा काम हो सकता है क्योंकि मीठा खाने से ब्लड शुगर लेवल अचानक बढ़ जाता है। इसी वजह से ज्यादातर डायबिटीज़ के मरीज़ नैचुरली स्वीट यानी प्राकृतिक रूप से मीठे फलों को भी नहीं खाते। लेकिन, ये गलत है।
कंसल्टेंट डायबिटोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रदीप गडगे कहते हैं, ‘डायबिटीज़ के मरीज़ों में इस बात को लेकर बहुत गलतफहमियां हैं कि कौन सा फल खाएं और कौन सा न खाएं। डायबिटीज़ के मरीज़, जिनकी शुगर कंट्रोल में हो, वो हर तरह के फल खा सकते हैं, लेकिन सीमित मात्रा में। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि फल मीठे होते हैं लेकिन उनमें प्राकृतिक शुगर होती है और इनमें मौजूद विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए फायदेमंद होते हैं।’
अगर आप पपीते का पौष्टिक गुण देखो तो आपको मालूम चलेगा कि इसमें कम शुगर होती है (1 कप कटे पपीते में 8.3 ग्राम)। फिर भी, ये काफी मीठा होता है। इस वजह से ये फल डायबिटीज के मरीज़ों के लिए परफेक्ट होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी और फाइबर, साथ में कुछ अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जिसकी वजह से डायबिटीज़ के मरीज़ों का दिल की बीमारियों से बचाव होता है। अध्ययन में ये बात सामने आई है कि पपाया एक्स्ट्रैक्ट टाइप 2 डायबिटीज़ के बढ़ने की गति को कम करता है। (इसे भी पढ़ें- पेट की सब तकलीफों का इलाज कच्चा पपीता)
इस वजह से पपीता डायबिटीज़ के मरीज़ों को जरूर खाना चाहिए। लेकिन उससे पहले उन्हें अपने डॉक्टर से इस पर राय लेनी चाहिए कि उन्हें कितनी मात्रा में पपीता खाना चाहिए। डॉक्टर प्रदीप कहते हैं ये डायबिटीज़ की स्टेज पर निर्भर करता है कि इस फल की कितनी मात्रा खाना सही रहेगा।
Friday, 10 July 2015
पेट का रखवाला पपीता --- आरती सिंह
स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं
*********************************************************************************
*********************************************************************************
पेट का रखवाला पपीता--------------
पपीते में पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो मांसाहार गलाने के काम आता है। भोजन पचाने में भी यह अत्यंत सहायक होता है.......पपीते के नियमित सेवन से अरूचि दूर होती है, कब्ज़ ठीक होता है और भूख बढ़ती है.........पपीता स्वादिष्ट होने और अपने सुंदर रंग के कारण जैम, जेली, हलवे और शीतल पेय के लिये प्रयोग में लाया जाता है......यकृत तथा पीलिया के रोग में पपीता अत्यंत लाभकारी है.......सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
-
100 ग्राम पपीते में 98 कैलरी, एक से दो ग्राम प्रोटीन, एक से दो ग्राम रेशे तथा 70 मिग्रा लोहा होता है साथ ही यह विटामिन सी और विटामिन बी का बड़ा अच्छा स्रोत है। इन्हीं गुणों के कारण इसे स्वास्थ्य के लिये सबसे लाभदायक फलों में से एक माना जाता है। कच्चे पपीते में पपेन नामक एन्ज़ाइम पाया जाता है। इस एनज़ाइम का उपयोग मीट टेन्डराइज़र में किया जाता है। कच्चे पपीते को छील कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के भी मांसाहार आसानी से गलाया जा सकता है। यह एनज़ाइम पाचन तंत्र के लिये बहुत लाभदायक होता है......पपीता एक सर्वसुलभ और अत्यंत गुणकारी फल है पर यह तोड़ने के बाद ज्यादा दिनों तक ताज़ा नहीं रहता इसलिए ताजा पपीता खाना ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है......पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी टिक्की और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है या इसके लच्छों को कपूरकंद की तरह शकर मे पाग कर भी खाया जाता है।
-
100 ग्राम पपीते में 98 कैलरी, एक से दो ग्राम प्रोटीन, एक से दो ग्राम रेशे तथा 70 मिग्रा लोहा होता है साथ ही यह विटामिन सी और विटामिन बी का बड़ा अच्छा स्रोत है। इन्हीं गुणों के कारण इसे स्वास्थ्य के लिये सबसे लाभदायक फलों में से एक माना जाता है। कच्चे पपीते में पपेन नामक एन्ज़ाइम पाया जाता है। इस एनज़ाइम का उपयोग मीट टेन्डराइज़र में किया जाता है। कच्चे पपीते को छील कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के भी मांसाहार आसानी से गलाया जा सकता है। यह एनज़ाइम पाचन तंत्र के लिये बहुत लाभदायक होता है......पपीता एक सर्वसुलभ और अत्यंत गुणकारी फल है पर यह तोड़ने के बाद ज्यादा दिनों तक ताज़ा नहीं रहता इसलिए ताजा पपीता खाना ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है......पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी टिक्की और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है या इसके लच्छों को कपूरकंद की तरह शकर मे पाग कर भी खाया जाता है।
सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग होता है। पके हुए पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहाँसे और झाँई से बचाव किया जा सकता है। इससे त्वचा का रूखापन दूर होता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है। यह स्वाभाविक ब्लीच के साथ साथ त्वचा की स्निग्धता की भी रक्षा करता है इस कारण चेहरे के दाग धब्बों को मिटाने के लिये इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक है।
Subscribe to:
Comments (Atom)

















