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Friday, 10 July 2015

पेट का रखवाला पपीता --- आरती सिंह

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10 जुलाई 2015 
पेट का रखवाला पपीता--------------
पपीते में पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो मांसाहार गलाने के काम आता है। भोजन पचाने में भी यह अत्यंत सहायक होता है.......पपीते के नियमित सेवन से अरूचि दूर होती है, कब्ज़ ठीक होता है और भूख बढ़ती है.........पपीता स्वादिष्ट होने और अपने सुंदर रंग के कारण जैम, जेली, हलवे और शीतल पेय के लिये प्रयोग में लाया जाता है......यकृत तथा पीलिया के रोग में पपीता अत्यंत लाभकारी है.......सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
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100 ग्राम पपीते में 98 कैलरी, एक से दो ग्राम प्रोटीन, एक से दो ग्राम रेशे तथा 70 मिग्रा लोहा होता है साथ ही यह विटामिन सी और विटामिन बी का बड़ा अच्छा स्रोत है। इन्हीं गुणों के कारण इसे स्वास्थ्य के लिये सबसे लाभदायक फलों में से एक माना जाता है। कच्चे पपीते में पपेन नामक एन्ज़ाइम पाया जाता है। इस एनज़ाइम का उपयोग मीट टेन्डराइज़र में किया जाता है। कच्चे पपीते को छील कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के भी मांसाहार आसानी से गलाया जा सकता है। यह एनज़ाइम पाचन तंत्र के लिये बहुत लाभदायक होता है......पपीता एक सर्वसुलभ और अत्यंत गुणकारी फल है पर यह तोड़ने के बाद ज्यादा दिनों तक ताज़ा नहीं रहता इसलिए ताजा पपीता खाना ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है......पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी टिक्की और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है या इसके लच्छों को कपूरकंद की तरह शकर मे पाग कर भी खाया जाता है।
सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग होता है। पके हुए पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहाँसे और झाँई से बचाव किया जा सकता है। इससे त्वचा का रूखापन दूर होता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है। यह स्वाभाविक ब्लीच के साथ साथ त्वचा की स्निग्धता की भी रक्षा करता है इस कारण चेहरे के दाग धब्बों को मिटाने के लिये इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक है।

Sunday, 14 June 2015

जान के दुश्मन----------------- शैम्पू और टूथपेस्ट ------ आरती सिंह

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डॉ आरती सिंह









14 jun 2015
 

शैम्पू और टूथपेस्ट भी बन सकते हैं आपकी जान के दुश्मन-----------------

घर में इस्तेमाल होने वाले बहुत से उत्पादों में कई ऎसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो हमें उस उत्पाद का आदी बनाते हैं.....जर्नल "प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकाडमी ऑफ साइंसेज " में प्रकाशित अध्ययन में डेनमार्क तथा जर्मनी के शोधकर्ताओं ने ऎसे 100 घरेलू उत्पादों का अध्ययन कर नतीजा पेश किया, जो कहता है कि इनमें हर तीसरा उत्पाद हमारी प्रजनन क्षमता पर असर डालता है.......... इन रोजाना उपयोग होने वाले घरेलू उत्पाद में ट्राइक्लोसन पाया जाता है, जो लिवर फिब्रोसिस तथा कैंसर से जुड़ा हुआ है............प्रयोगशाला में चूहों पर हुए एक परीक्षण में यह बात सामने आई है। ट्राइक्लोसन एक एंटी-माइक्रोबियल तत्व है, जो मुख्य रूप में टूथपेस्ट, सोप, शैम्पू और अन्य घरेलू उत्पादों में पाया जाता है............शोधकर्ताओं के अनुसार, इस त्तव का लंबे समय तक उपयोग आपको विकारों की चपेट में ला सकता है, क्योंकि यह आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता जाता है। यह ऊतकों के संकुचन में भी दिक्कत लाता है.......अमरीका के फूड एंड ड्रग विभाग ने ट्राइक्लोसन को पहले से ही जांच के दायरे में ले रखा है, क्योंकि यह हार्मोस तथा मांसपेशियों के संकुचन को खराब करती है.......


Sunday, 7 June 2015

सोयाबीन से तैयार पौष्टिक दूध --- आरती सिंह

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06 जून 2015 
125 ग्राम सोयाबीन से तैयार करें एक लीटर दूध..............
125 ग्राम सोयाबीन को साफ कीजिये, धोइये और रात भर के लिये भीगने दीजिये.....सोयाबीन से पानी निकाल दीजिये, उबलते पानी में डालिये और ढककर 5 मिनिट के लिये रख दीजिये, इस तरह से महक कम हो जायेगी और सोयाबीन के छिलके उतारने में आसानी रहेगी.....गरम किये गये दानों को हाथ से मलिये और छिलके अलग कर दीजिये, अब सोयाबीन को पानी में डालिये और छिलके तैरा कर हाथ से निकाल दीजिये......छिलके रहित सोयाबीन को मिक्सर में डालिये, पानी डाल कर एकदम बारीक पीस लीजिये...... पिसे मिश्रण में 1 लीटर पानी डालिये और मिक्सर चला कर अच्छी तरह मिक्स कर दीजिये......दूध को गरम करने के लिये आग पर रख दीजिये, दूध के ऊपर जो झाग दिखाई दे रहे हैं उनको चमचे से निकाल कर हटा दीजिये........ दूध उबालते समय थोड़ी थोड़ी देर में चमचे से चलाते रहिये. दूध में उबाल आने के बाद 5-10 मिनिट तक दूध को उबलने दीजिये. आग बन्द कर दीजिये...........अब इस उबले हुये दूध को को साफ कपड़े में डालकर अच्छी तरह छान लीजिये. छानने के बाद जो ठोस पदार्थ सोयाबीन पल्प कपड़े में रह गया है उसे किसी अलग प्याले में रख लीजिये,
सोयाबीन का दूध तैयार है. दूध को ठंडा होने दीजिये. सोयाबीन के दूध को आप अब पीने के काम में ला सकते हैं, सोयाबीन का दूध फ्रिज में रखकर 3 दिन तक काम में लाया जा सकता है.............

Tuesday, 2 June 2015

चुटकियों में कम कर देगा तोंद...... अदरक का इस्तेमाल --- आरती सिंह

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गर्मियों में अदरक का ऐसा इस्तेमाल...... चुटकियों में कम कर देगा तोंद...... 

आधुनिक जीवन शैली में मोटापा के साथ ही तोंद की समस्या आम हो चली है। ऐसे में कैलोरी को बर्न करने वाले पेय पदार्थों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित हो सकता है...........खासकर गर्मी के सीजन में पेय पदार्थों का इस्तेमाल आपको दिनभर तरोताजा रखने के साथ ही तोंद से निजात दिलाएगा। इसके अलावा सोने से पहले खास पेय पदार्थों को लेने से मोटापा भी घटाने में मदद मिलती है।

गर्मी के दिनों में नींबू पानी, खीरा का जूस, एलोवेरा का जूस और अदरक का रस पीना बेहतर होता है। अगर नींबू, एलोवेरा और खीरे का जूस मिलाकर पिया जाए, तो अधिक फायदेमंद होता है..............रोजाना एक चम्मच अदरक का रस आपकी तोंद को कम करने और मोटापा घटाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा अदरक का सेवन खून के प्रवाह को बेहतर बनाने के साथ ही कैंसर के खतरे को कम करता है।

साभार : 
https://www.facebook.com/groups/1374833052829804/permalink/1454187928227649/ 




















 

Sunday, 31 May 2015

बेल के औषधीय गुण --- आरती सिंह

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बेल फल उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं........इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं... बेल के फल का रस ठंडा होता है इसका सेवन गर्मियों में करने से लू और गर्मी की दिक्कते नहीं होती है.........ये गर्मियों में जहां आपको राहत देते हैं, वहीं इनका सेवन शरीर के लिए लाभप्रद भी है। बेल में शरीर को ताकतवर रखने के गुणकारी तत्व विद्यमान हैं। इसके सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यह रोगों को दूर भगा कर नई स्फूर्ति प्रदान करता है।
*पुराने से पुराने आँव रोग से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन अधकच्चे बेलफल का सेवन करें।
* यह डायरिया रोग में काफी लाभप्रद है। यह फल पाचक होने के साथ-साथ बलवर्द्धक भी है।
*पके फल के सेवन से वात-कफ का शमन होता है।
*आँख में दर्द होने पर बेल के पत्त्तों की लुगदी आँख पर बाँधने से काफी आराम मिलता है।
*कई मर्तबा गर्मियों में आँखें लाल-लाल हो जाती हैं तथा जलने लगती हैं। ऐसी स्थिति में बेल के पत्तों का रस एक-एक बूँद आँख में डालना चाहिए। लाली व जलन शीघ्र दूर हो जाएगी।
*बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इस फल के पत्तों का अर्क निकालकर पिलाना चाहिए।
*बेल की छाल का काढ़ा पीने से अतिसार रोग में राहत मिलती है।
*इसके पके फल को शहद व मिश्री के साथ चाटने से शरीर के खून का रंग साफ होता है, खून में भी वृद्धि होती है।
*बेल के गूदे को खांड के साथ खाने से संग्रहणी रोग में राहत मिलती है।
*बेल का मुरब्बा शरीर की शक्ति बढ़ाता है तथा सभी उदर विकारों से छुटकारा भी दिलाता है।
*गर्मियों में गर्भवती स्त्रियों का जी मिचलाने लगे तो बेल और सौंठ का काढ़ा दो चम्मच पिलाना चाहिए।
*पके बेल के गूदे में काली मिर्च, सेंधा नमक मिलाकर खाने से आवाज भी सुरीली होती है।
*छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक चम्मच पका बेल खिलाने से शरीर की हड्डियाँ मजबूत होती हैं। 
*बेल के फल का गुदा निकल कर उसमे थोड़ी मिश्री मिलाकर ३-४ बार लगातार खाने से आँखों की समस्याओ से रहत मिलती है ।
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