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Sunday, 24 May 2015

विटामिन और प्रोस्‍टेट की समस्‍या

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पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लेकिन  क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार हैं।
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    कुछ आहार प्रजनन क्षमता को पहुंचाते हैं नुकसान :

    पुरुषों में प्रजनन क्षमता का घटना आजकल बहुत आम हो रहा है। बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार कुछ आहार भी हैं। अनजाने में पुरुष कई बार ऐसे आहार का सेवन करते हैं, जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ जाता है। आइये जानते हैं ऐसे ही आहारों के बारे में।

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    अधिक सोडियम वाले आहार :

    जिस आहार में सोडियम अधिक होता है, उसका पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। अधिक सोडियम वाला आहार लेने से ब्लड प्रैशर बढ़ सकता है जो बाद में जाकर दिल की बीमारी बन सकता है। सोडियम अंगों में खून के दौरे को कम कर देता है जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो जाता है। चीज, स्नैक्स, बेकन, पिकल, सन ड्राई टमैटो, बेकिंग सोडा, नमक, सोया सॉस सोडियम के रिच सोर्स हैं। प्रजनन क्षमता में कमी न आए, इसके लिए इन सब चीज़ों को खाने से बचें।

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    अधिक ऑयली और सेचुरेटिड आहार :

    ऑयली और सेचुरेटिड खाने की चीज़ों से बचना चाहिए क्योंकि इनसे खराब कॉलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है। कॉलेस्ट्रॉल काउंट शरीर के मुख्य अंगों में खून के बहाव को प्रभावित करता है, जिससे बाद में जाकर इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है। मीट, अंडे, बटर, सूखा नारियल, चीज, प्रोसेस्ड मीट, व्हिप्ड क्रीम, डार्क चॉकलेट, फिश ऑइल आदि से परहेज करना चाहिए।

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    अधिक ट्रांस फैट वाले आहार :

    जिन आहारों में ट्रांस फैट होता है उन्हें खाने से बचना चाहिए। ट्रांस फैट से धमनियों में अवरोध पैदा हो सकता है और धीरे-धीरे दिल की बीमारी और इरेक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा पैदा हो जाता है। चिप्स, कुकीज, फ्रैंच फ्राइज, मार्जरीन, मफिन्स, केक और दूसरे इस प्रकार के फ्राईड और पैकेज्ड फूड में ट्रांसफैट होता है। प्रजनन क्षमता की कमी से बचने के लिए इस तरह के ट्रांस फैड आहार खाने से बचें।
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    अधिक अल्कोहल का सेवन :

    इरेक्टाइल डिसफंक्शन से बचने के लिए अल्कोहल से बचना चाहिए। शोधकर्ताओं के मुताबिक एक ग्लास रेड वाइन तक तो ठीक है लेकिन अन्य अल्कोहल ड्रिंक इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ाता है।

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    धूम्रपान :

    दुनियाभर के शोधकर्ताओं ने पाया है कि धूम्रपान से पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।  न केवल प्राइमरी स्मोकर्स में अपितु सेकेंडरी और पैसिव स्मोकर्स में भी इसका बड़ा खतरा है| चाहे आप धूम्रपान करें या आपका पार्टनर लेकिन दोनों में प्रजनन क्षमता पर समान प्रभाव पड़ता है। इससे शुक्राणुओं की संख्या में लगातार कमी होती रहती है।

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    अधिक चीज़ का सेवन :

    दिन में चीज के तीन से अधिक स्लाइस खाने से युवकों की प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि वसा से भरपूर इस डेयरी आहार की मामूली सी मात्रा भी पुरूषों की प्रजनन क्षमता बाधित कर सकती है।

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    अधिक शर्करा वाले आहार :

    जिन आहारों में शर्करा की मात्रा अधिक होती है उनसे भी प्रजनन क्षमता में कमी होने का खतरा होता है। डार्क चॉकलेट, डेयरी उत्पादों में शर्करा की मात्रा उच्च होती है। इनका सेवन कम करें।


पुरुषों में प्रोस्‍टेट ग्रंथि पायी जाती है, इस ग्रंथि के सुचारु काम करने से सीनम के निर्माण में मदद मिलती है, इसमें समस्‍या होने पर प्रोस्‍टेट कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
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    विटामिन और प्रोस्‍टेट की समस्‍या:

    बदलते मौसम में पुरुषों में प्रोस्‍टेट की समस्‍या भी बढ़ जाती है, ठंड के मौसम में यह समस्‍या अधिक होती है। विटामिन डी के सेवन से प्रोस्‍टेट के होने की संभावना अधिक रहती है। प्रोस्‍टेट की समस्‍या होने पर पुरुषों को प्रोस्‍टेट कैंसर, प्रोस्‍टेटिक हाइपेथ्रोपी जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। इसके कारण मूत्र मार्ग अवरुद्ध हो सकता है, इसके कारण पेशाब करने में भी परेशानी होती है। इसलिए इस समस्‍या से बचने के लिए विटामिन का पर्याप्‍त मात्रा में सेवन कीजिए।
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    प्रोस्‍टेट क्‍या है:

    इसे पौरुष ग्रंथि भी माना जाता है, यह पुरुषों के जनानांगों का अहम हिस्‍सा होता है। यह ग्रंथि अखरोट के आकार की होती है। यह ग्रंथि सीनम निर्माण में मदद करती है, जिससे सेक्‍सुअल क्‍लाइमेक्‍स के दौरान वीर्य आगे जाता है। इस ग्रंथि में सामान्‍य बैक्‍टीरियल संक्रमण से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं। इसमें समस्‍या होने पर प्रोस्‍टेटिक हाईपेथ्रोफी और प्रोस्‍टेट कैंसर हो सकता है। पहले प्रकार की बीमारी में प्रोस्‍टेट का आकार सामान्‍य अधिक हो जाता है। जबकि प्रोस्‍टेट कैसर में प्रोस्‍टेट ग्रंथि कैंसर ग्रस्‍त हो जाती है।
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    शोध के अनुसार:

    ठंड के मौसम में अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हुई तो इसके कारण प्रोस्‍टेट की समस्‍या हो सकती है। नॉर्थवेस्‍टर्न यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये शोध में यह बात सामने आयी। इस शोध की मानें तो विटामिन डी की कमी का असर प्रोस्‍टेट ग्रंथि पर पड़ता है और इसकी कमी से सर्दियों में प्रोस्‍टेट की समस्‍या हो सकती है। जिसके बचाव के लिए विटामिन डी का सेवन बहुत जरूरी है।
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    विटामिन डी का स्‍तर:

    नॉर्थवेस्‍टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पुरुषों के रक्‍त में विटामिन डी के स्‍तर की जांच की। इसके लिए उन्‍होंने 40 से 79 साल के लोगों का परीक्षण किया। इस शोध के अनुसार जिन लोगों में बॉयोप्‍सी के बाद विटामिन डी का स्‍तर कम देखा गया उनमें बाद में प्रोस्‍टेट कैंसर के होने की संभावना भी बढ़ गई। बढ़ती उम्र के साथ यह समस्‍या भी बढ़ जाती है।
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    विटामिन डी से कैंसर से बचाव:

    अगर पुरुषों के शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं है तो इससे प्रोस्‍टेट कैंसर की कोशिकाओं का विकास नहीं हो पाता है। यानी विटामिन डी कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है। यानी अगर पुरुषों को प्रोस्‍टेट कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से बचना है तो विटामिन डी का पर्याप्‍त मात्रा में सेवन बहुत जरूरी है।
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    रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण करता है:

    विटामिन डी प्रोस्‍टेट की संभावना कम हो जाती है। क्‍योंकि यह रक्‍त संचार को सुचारु करता है। इसके अलावा विटामिन डी नई रक्‍त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायक है, विटामिन डी के पर्याप्‍त सेवन से नई रक्‍त कोशिकायें बनती हैं। शरीर में कोशिकाओं को स्‍वस्‍थ रखने के लिए और प्रोस्‍टेट को सुचारु तरीके से काम करने के लिए नई रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण बहुत जरूरी है।
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    कितना विटामिन डी है जरूरी:

    विटामिन डी की सही मात्रा रक्‍त कोशिकाओं में मापी जाती है। पुरुषों के रक्‍त में विटामिन डी 30 से 80 नोनोग्राम होनी चाहिए। अगर इसका स्‍तर इससे कम है तो इसके कारण पुरुषों में प्रोस्‍टेट कैंसर होने की संभावना 5 गुना अधिक हो जाती है। इसके अलावा विटामिन डी सूर्य की हानिकारक अल्‍ट्रावॉयलेट किरणों से त्‍वचा कैंसर होने से भी बचाता है। नेशनल हेल्‍थ इंस्‍टीट्यूट नियमित रूप से 600 आईयू विटामिन डी के खपत की सलाह देता है।
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    विटामिन डी के स्रोत:

    विटामिन डी की कमी दूर करने और अपने प्रोस्‍टेट को बचाने के लिए ऐसे आहार का सेवन कीजिए जिसमें विटामिन डी भरपूर मात्रा में मौजूद हो। इसके लिए सालमन और टूना मछली खायें, मशरूम में भी विटामिन डी होता है। दूध, फलों, सेरेल्‍स में विटामिन डी पाया जाता है। इसके अलावा सूर्य की किरणों में भी पाया जाता है। अगर विटामिन डी की कमी पूरी न हो पाये तो विटामिन डी के सप्‍लीमेंट का सेवन करना चाहिए, यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन सप्‍लीमेंट लेने से पहले अपने चिकित्‍सक से सलाह जरूर लीजिए
  • साभार :
    http://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/impotence-in-hindi-7-foods-that-cause-it-1421410084.html?
    http://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/important-vitamins-for-your-prostate-in-hindi-1418623803.html? 
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  • फेसबुक पर जगदीश चंद्र जी जो National Centre For Disease Control, Delhi से सम्बद्ध रहे हैं ने इस पोस्ट पर निम्नलिखित बातों को और जोड़ा है ---
विजय राज बाली जी की वाल से ........
सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयः
जन कल्याणार्थ-जनस्वाथ्य संबंधी आलेखों का संकलन
"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Sunday, 24 May 2015
विटामिन और प्रोस्‍टेट की समस्‍या
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पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार हैं।
कुछ आहार प्रजनन क्षमता को पहुंचाते हैं नुकसान :
पुरुषों में प्रजनन क्षमता का घटना आजकल बहुत आम हो रहा है। बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार कुछ आहार भी हैं। अनजाने में पुरुष कई बार ऐसे आहार का सेवन करते हैं, जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ जाता है। आइये जानते हैं ऐसे ही आहारों के बारे में।
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१९७० के दसक में जब जनसत्ता छापना सुरु हुआ कुछ सालों के पश्चात जनसत्ता में एक लेख छपा था की यूरोप में पुरुष और नारी में प्रजनन क्षमता घट रही है, सायद इस दोष का कारण शीघ्र सन्तानुत्पति की इच्छा नहीं होना था, विकास तेजी से हो रहा था और सभी संपन्न थे, इस लिए जवानी के दिनों को स्मृतितियों में संजोने के लिए यह अय्यासी जारी थी, याद नहीं उस समय इस दोष का कारण क्या लिखा था जहां तक मुझे थोड़ा याद है, कि उसमे सायद यही लिखा था कि यूरोप में पुरुष और स्त्रियों का युवा अवस्था से ही सेक्स का खुलापन ही इस दोष का कारण है, जवानी के इस शारीरिक सुख के भोग को वह ब्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे, राजतांत्रिक काल में राजाओं की संतानोत्पति का न होना और बाद में नियोग यज्ञ क्या था , ऋषियों के आम के फल या किसी विशेष प्रकार के फल देने से संतानोत्पति हो ही नहीं सकती यह विज्ञान का नियम है, मनुष्य शरीर की इस प्राकृतिक वातावरण में रहने की एक सीमा है, इसी नियम के तहत शरीर में उत्पन्न होने वाले तमाम पदार्थों की भी एक सीमा हो सकती है, पुरुष के स्पर्म्स और स्त्रिी के गर्भासय में उत्पन होने वाले ओवास की उत्पति की भी एक सीमा हो सकती है, हम समय सीमा में उत्पन्न होकर नष्ट होने वाले इन पदार्थों को ब्यर्थ के भोग विलास में गँवा देते हैं, तो भविष्य के लिए हम क्या उम्मीद करें , और फिर समय बदलने के साथ ही हम पढ़ रहे हैं, कि यूरोप में चाइल्ड एडॉप्शन जोरों से बढ़ने लगा, अमेरिका क्षेत्रफल के अनुसार उसकी आबादी बहुत ही कम है, और अन्य यूरोपीय मुल्कों की भी यही अवस्था है, आज तो दुनिया में टेस्ट ट्यूब बेबी और किराए की कोख सरोगेसी माँ का ज़माना आ गया है, इस लिए दुनिया बदलने लगी है लेकिन इसका भी एक दिन अंत हो जाएगा, आगे क्या होगा यह तो वैज्ञानिक सोच के भविष्य वक्ताओं की सोच के अनुसार भविष्य के गर्भ में छुपा है ?
संदर्भ :
https://www.facebook.com/jagdish.chander.5/posts/597866240316909?pnref=story