पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी
समस्या बनता जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के
साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार
हैं।
पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि पायी जाती
है, इस ग्रंथि के सुचारु काम करने से सीनम के निर्माण में मदद मिलती है,
इसमें समस्या होने पर प्रोस्टेट कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
विजय राज बाली जी की वाल से ........सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयः
जन कल्याणार्थ-जनस्वाथ्य संबंधी आलेखों का संकलन
"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Sunday, 24 May 2015
विटामिन और प्रोस्टेट की समस्या
स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं
पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार हैं।
कुछ आहार प्रजनन क्षमता को पहुंचाते हैं नुकसान :
पुरुषों में प्रजनन क्षमता का घटना आजकल बहुत आम हो रहा है। बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार कुछ आहार भी हैं। अनजाने में पुरुष कई बार ऐसे आहार का सेवन करते हैं, जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ जाता है। आइये जानते हैं ऐसे ही आहारों के बारे में।
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१९७० के दसक में जब जनसत्ता छापना सुरु हुआ कुछ सालों के पश्चात जनसत्ता में एक लेख छपा था की यूरोप में पुरुष और नारी में प्रजनन क्षमता घट रही है, सायद इस दोष का कारण शीघ्र सन्तानुत्पति की इच्छा नहीं होना था, विकास तेजी से हो रहा था और सभी संपन्न थे, इस लिए जवानी के दिनों को स्मृतितियों में संजोने के लिए यह अय्यासी जारी थी, याद नहीं उस समय इस दोष का कारण क्या लिखा था जहां तक मुझे थोड़ा याद है, कि उसमे सायद यही लिखा था कि यूरोप में पुरुष और स्त्रियों का युवा अवस्था से ही सेक्स का खुलापन ही इस दोष का कारण है, जवानी के इस शारीरिक सुख के भोग को वह ब्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे, राजतांत्रिक काल में राजाओं की संतानोत्पति का न होना और बाद में नियोग यज्ञ क्या था , ऋषियों के आम के फल या किसी विशेष प्रकार के फल देने से संतानोत्पति हो ही नहीं सकती यह विज्ञान का नियम है, मनुष्य शरीर की इस प्राकृतिक वातावरण में रहने की एक सीमा है, इसी नियम के तहत शरीर में उत्पन्न होने वाले तमाम पदार्थों की भी एक सीमा हो सकती है, पुरुष के स्पर्म्स और स्त्रिी के गर्भासय में उत्पन होने वाले ओवास की उत्पति की भी एक सीमा हो सकती है, हम समय सीमा में उत्पन्न होकर नष्ट होने वाले इन पदार्थों को ब्यर्थ के भोग विलास में गँवा देते हैं, तो भविष्य के लिए हम क्या उम्मीद करें , और फिर समय बदलने के साथ ही हम पढ़ रहे हैं, कि यूरोप में चाइल्ड एडॉप्शन जोरों से बढ़ने लगा, अमेरिका क्षेत्रफल के अनुसार उसकी आबादी बहुत ही कम है, और अन्य यूरोपीय मुल्कों की भी यही अवस्था है, आज तो दुनिया में टेस्ट ट्यूब बेबी और किराए की कोख सरोगेसी माँ का ज़माना आ गया है, इस लिए दुनिया बदलने लगी है लेकिन इसका भी एक दिन अंत हो जाएगा, आगे क्या होगा यह तो वैज्ञानिक सोच के भविष्य वक्ताओं की सोच के अनुसार भविष्य के गर्भ में छुपा है ?
संदर्भ :
https://www.facebook.com/jagdish.chander.5/posts/597866240316909?pnref=story
Sunday, 24 May 2015
विटामिन और प्रोस्टेट की समस्या
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पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार हैं।
कुछ आहार प्रजनन क्षमता को पहुंचाते हैं नुकसान :
पुरुषों में प्रजनन क्षमता का घटना आजकल बहुत आम हो रहा है। बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार कुछ आहार भी हैं। अनजाने में पुरुष कई बार ऐसे आहार का सेवन करते हैं, जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ जाता है। आइये जानते हैं ऐसे ही आहारों के बारे में।
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१९७० के दसक में जब जनसत्ता छापना सुरु हुआ कुछ सालों के पश्चात जनसत्ता में एक लेख छपा था की यूरोप में पुरुष और नारी में प्रजनन क्षमता घट रही है, सायद इस दोष का कारण शीघ्र सन्तानुत्पति की इच्छा नहीं होना था, विकास तेजी से हो रहा था और सभी संपन्न थे, इस लिए जवानी के दिनों को स्मृतितियों में संजोने के लिए यह अय्यासी जारी थी, याद नहीं उस समय इस दोष का कारण क्या लिखा था जहां तक मुझे थोड़ा याद है, कि उसमे सायद यही लिखा था कि यूरोप में पुरुष और स्त्रियों का युवा अवस्था से ही सेक्स का खुलापन ही इस दोष का कारण है, जवानी के इस शारीरिक सुख के भोग को वह ब्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे, राजतांत्रिक काल में राजाओं की संतानोत्पति का न होना और बाद में नियोग यज्ञ क्या था , ऋषियों के आम के फल या किसी विशेष प्रकार के फल देने से संतानोत्पति हो ही नहीं सकती यह विज्ञान का नियम है, मनुष्य शरीर की इस प्राकृतिक वातावरण में रहने की एक सीमा है, इसी नियम के तहत शरीर में उत्पन्न होने वाले तमाम पदार्थों की भी एक सीमा हो सकती है, पुरुष के स्पर्म्स और स्त्रिी के गर्भासय में उत्पन होने वाले ओवास की उत्पति की भी एक सीमा हो सकती है, हम समय सीमा में उत्पन्न होकर नष्ट होने वाले इन पदार्थों को ब्यर्थ के भोग विलास में गँवा देते हैं, तो भविष्य के लिए हम क्या उम्मीद करें , और फिर समय बदलने के साथ ही हम पढ़ रहे हैं, कि यूरोप में चाइल्ड एडॉप्शन जोरों से बढ़ने लगा, अमेरिका क्षेत्रफल के अनुसार उसकी आबादी बहुत ही कम है, और अन्य यूरोपीय मुल्कों की भी यही अवस्था है, आज तो दुनिया में टेस्ट ट्यूब बेबी और किराए की कोख सरोगेसी माँ का ज़माना आ गया है, इस लिए दुनिया बदलने लगी है लेकिन इसका भी एक दिन अंत हो जाएगा, आगे क्या होगा यह तो वैज्ञानिक सोच के भविष्य वक्ताओं की सोच के अनुसार भविष्य के गर्भ में छुपा है ?
संदर्भ :
https://www.facebook.com/jagdish.chander.5/posts/597866240316909?pnref=story
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