हींग (दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.10.11) से :
हींग
सिर्फ खाने का जायका ही नहीं बढ़ाती बल्कि हाजमा भी ठीक करती है। कहते हैं
अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कई बीमारियों की दुश्मन है।
वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए।
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एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हींग का पाउडर घोलें। इस घोल में सूती कपड़े
को भिगोकर पेट के उस हिस्से की सिकाई करें जहां दर्द हो रहा है। थोड़ी ही
देर में दर्द से राहत मिलेगी।
- हींग में जरा सा कपूर मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दांत दर्द बंद हो जाता है ।
- भुनी हुई हींग , काली मिर्च ,पीपल काला नमक समान मात्रा में लेकर पीस लें। रोजाना चौथाई चम्मच यह चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें ।
- एक ग्राम हींग ,पीसी हुई दस काली मिर्च ,दस ग्राम गुड में सबको मिलाकर सुबह शाम खाएं।
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पांच ग्राम भुनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का, थोड़ा काला नमक
सबको कूट पीसकर चौथाई चममच तीन बार नित्य लेने से ,उल्टी होना ,जी मिचलाना
ठीक हो जाता है।
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अदरक की गांठ में छेद करके इसमें जरा सा हींग डालकर काला नमक भर कर ,खाने
वाले पान के पत्ते में लपेटकर धागा बांध कर गीली मिटटी का लेप कर दें। इसे
आग में डाल कर जला लें ,जल जाने पर पीसकर मूंगफली के दाने के बराबर आकार की
गोलियां बना लें। एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। जल्द ही आराम
मिलेगा।
- पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है।
- थोड़ी सी हींग को गुड में लपेटकर गरम पानी से लें। गैस का पेट दर्द ठीक हो जायेगा।
- दांत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है।
- हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चर्म रोग में आराम मिलता है
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सौंफ (दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.10.11) से:
सौंफ
में ऐसे अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए
लाभकारी होता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम
जैसे अहम तत्व होते हैं।पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो
विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। बड़ा हो या छोटा बचा यह हर किसी के
स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है। जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी
हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी क'ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर
दोनों समय नियमित सेवन करें।
- कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं।
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गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है।
दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ बड़ी लाभकारी होती है। इसके निरन्तर
उपयोग से आंखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती।
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उल्टी प्यास जी मिचलाना जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौंफ का सेवन
बहुत लाभकारी होता है। - रोजाना सुबह और शाम दस दस ग्राम सौंफ बिना मीठा
मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ होने लगता है।
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हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया कूट
कर मिश्री मिला लें। खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से
यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।
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अगर आपके ब'चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध
पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम
पानी में उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें। इस पानी को एक एक चम्मच
दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
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कुछ जानकारी वेबदुनिया डॉटकॉम सेः
*सौंफ
और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के
साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नेत्र ज्योति में
वृद्धि होती है।
* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है।
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सौंफ 50 ग्राम व जीरा 50 ग्राम हल्का भूनकर 25 ग्राम काला नमक मिलाकर
चूर्ण तैयार कर लें। भोजन के बाद कुनकुने पानी में लें। यह उत्तम पाचक
चूर्ण है।
* सौंफ का अर्क 10 ग्राम शहद में मिलाकर लें। खाँसी में आराम मिलेगा।
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सौंफ 25 ग्राम, छोटी हरड़ 50 ग्राम, मिश्री या चीनी 50 ग्राम लेकर बारीक
चूर्ण बना लें। रात्रि को सोते समय 5 ग्राम मात्रा में कुनकुने जल में लें।
कब्ज दूर होगा, मंदाग्नि दूर होगी, गैस व आफरा में आराम मिलेगा।
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यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए। आराम मिलेगा। सौंफ
की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।
* पेट में वायु का प्रकोप हो तो दाल अथवा सब्जी में सौंफ छोंककर कुछ दिनों तक प्रयोग कीजिए।
* यदि कब्ज की शिकायत हो तो रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ सौंफ के चूर्ण का इस्तेमाल करें।
* यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग से आराम मिल जाएगा।
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हाथ-पाँव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में
धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में
लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।
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जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद
आधी कच्ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें।
* कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएँ।
* गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है।
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पत्रिका डॉटकॉम के
एक आलेख की मानें, तो कोलेस्ट्रोल को काबू में करने के लिए सौंफ का सहारा
लेकर देखिए। अख़बार के मुताबिक, सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन
और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं। यूनानी दवाओं में सौंफ की बेहद
सिफारिश की जाती है। पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार
के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। सौंफ याददाश्त और नेत्र ज्योति बढ़ाती
है। इससे कफ का इलाज हो सकता है और इससे कोलेस्ट्रॉल भी काबू में रहता है।
कई रिसर्च के बाद सौंफ के सेहत भरे फायदे साबित भी हो चुके हैं। भोजन के
बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ लेने से कोलेस्ट्रॉल काबू में रहता है। लीवर
और आंखों की ज्योति ठीक रहती है। अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी
है। बिना तेल के तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिक्स्चर से अपच के मामले में
बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार
लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है। अस्थमा और खांसी में सौंफ
सहायक है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।
स्वतंत्र वार्ता के मुताबिक,त्रिदोषनाशक है सौंफः
सौंफ
को मसालों की रानी कहा जाता है। सौंफ का प्रयोग रसोईघर में मसाले के रूप
में किया जाता है। पान की तो जाने ही सौंफ है। शादीब्याह या दावत के मौके
पर सौंफ मेहमानों के सामने पेश की जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा में सौंफ को
त्रिदोषनाशक, कफनाशक, पाचक, बुद्धिवर्द्धक व नेत्रज्योतिवर्द्धक कहा गया
है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। सौंफ वात रोग, उदरशूल, दाह, अर्श, नेत्र
रोग, वमन, कफ रोग आदि को दूर करती है। सौंफ में स्थिर तेल १५ प्रतिशत तथा
उ़डनशील तेल २१ प्रतिशत तक होता है। साथ ही उ़डनशील में ६० प्रतिशत एनीथाल
एवं फेनराल नामक तत्व भी पाया जाता है।
* प्रतिदिन सौंफ और मिश्री चबाचबाकर नियमित रूप से खाने से खून और रंग दोनों साफ होते हैं।
* बेल का गूदा और सौंफ सुबहशाम खाने से अजीर्ण मिटता है तथा अतिसार में लाभ होता है।
* दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।
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यदि बारबार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में चालीस ग्राम सौंफ पानी
आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भुनी फिटकरी मिलाकर दिन में दोतीन बार
गरारे करें।
* गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन भोजन के बाद सुबहशाम सौंफ चबाने से बच्चा गौरवर्ण का होता है।
* रात्रि को सोते समय गुनगुने पानी के साथ पिसी सौंफ का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
* भोजन के बाद प्रतिदिन सौंफ खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है तथा पाचन क्रिया ठीक रहती है।
* भुनी व कच्ची सौंफ समभाग मिलाकर दो चम्मच चूर्ण मठ्ठे के साथ लेने से अतिसार में लाभ होता है।
* भोजन के बाद आधी कच्ची और आधी भुनी सौंफ सुबहशाम पानी के साथ दो माह तक सेवन करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।
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स्मरणशक्ति यदि कमजोर हो तो सौंफ कूटकर उसकी मींगी निकालकर सुबहशाम एक
चम्मच मींगी पान या गर्म दूध के साथ सेवन करने से स्मरणशक्ति तेज होती है।
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बच्चे के जन्म के बाद यदि स्तनों में दूध न उतरे तो सौंफ, सफेद जीरा व
मिश्री को समभाग पीसकर एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ दिन में तीन बार सेवन
करने से स्तनों में दुग्ध उतरने लगता है।
* जरासी सौंफ पानी में उबालकर तथा मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाता है।
* पेट दर्द होने पर भुनी हुई सौंफ चबाने से शीघ्र आराम मिलता है।
* सौंफ तथा मिश्री पीसकर एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से खूनी पेचिश में लाभ होता है।
* एक गिलास दूध में सौ ग्राम सौंफ उबालकर, छानकर मीठा मिलाकर पिलाने से उल्टी आना रुक जाता है।
* दो चम्मच भुनी सौंफ दिन में चार बार लेने से दस्त में लाभ होता है।