Tuesday, 22 April 2014

Health benefits of Ridge Gourd/ Tori/ Turai :



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Health benefits of Ridge Gourd/ Tori/ Turai :
1. Excellent blood purifier
Ingesting the ridge gourd within your frequent diet is an effective way of cleansing your blood for the pollutants which get combined along with it. In addition, it acts to boost the liver health and serves to decrease the side results of alcohol intoxication.
2. Possessing laxative properties
This particular veggie is additionally recognized for having healthy laxative qualities. The ridge gourd may serve as a highly effective alleviation towards the constipation problems and may even be utilized to cure piles disease. It features a managing impact on the working ability of the stomach.
3. Cure for jaundice
For very long, the medicinal properties of healing jaundice have been related to the ridge gourd. Juice obtained from this particular vegetable is offered to such patients, whilst the seeds as well as dry crust of the vegetable additionally serve exactly the same objective.
4. Beneficial for diabetes
Particular qualities built into the ridge gourd allow it to be of assistance to the diabetics. This is mainly because of the existence of insulin just like peptides within this vegetable that provide to reduce the sugar level in both the blood along with the urine. Additionally, it restricts the blood insulin level to the reasonable quantity.
5. Aiding weight loss
There are a multitude of causes of including the ridge gourd in your weight loss program. First it is extremely lower in saturated fats content; secondly, it possesses a lower consumption of cholesterol towards the body; thirdly, it offers very reasonable amount of fat and calories; fourthly, it includes a lot of water within it.
Consuming this particular veggie keeps you satiated for extended time period, minimizing your want to eat again. Last however not the least, the nutritional value which it offers by means of dietary fibers, vitamins and minerals is a wonderful help to lose weight.
6. Anti-inflammatory and anti-biotic
Anti-inflammatory as well as anti-biotic properties seemed to be related to this particular vegetable. It is just a excellent natural method of eliminating the toxic compounds through the entire body. It’s got always been utilized like a home treatment solution for skincare. It may also be utilized for liberation from intoxication.
7. Fortifying the immune system
A strong defense mechanisms means that the body will be better able to defend against bacterial infections as well as maintain in the healthy way soon after catching up illnesses. Juice obtained from the ridge gourd is recognized for conditioning the defense mechanisms and therefore allowing it to combat in the better way towards infections as well as viruses.
8. Skin care
Whenever ridge gourd/loofah is allowed to mature and also dry within the vine, it may be harvested like a sponge. Everything (skin and seeds) is taken away from them apart from the primary network. Loofah sponge has been utilized historically just as one exfoliation product whenever bathing. They’re excellent for eliminating the dead skin cells leaving behind the skin smooth as well as conditioned. They could also assist encourage the skin therefore rendering it healthier and much more radiant. The blood purifying qualities ensure that you stay clear of pimples as well as acne. Loofah sponge may also help manage body as well as foot odor.
Loofah sponge, as being a natural fiber, will certainly attract the development of mold as well as microbes if not looked after correctly. It is therefore important to help keep loofah sponge clean by making sure you rinse off all soaps or even salt residues and let it to air dry right after use.
9. Good for stomach
Cellulose within ridge gourd helps you to conquer bowel problems and in addition helps with healing piles.

Friday, 18 April 2014

प्याज के नियमित सेवन से लाभ

http://religion.bhaskar.com/article-hf/FM-AN-yoga-remedies-of-raw-onion-4582194-PHO.html?seq=1


उज्जैन। खाने के साथ सलाद के रूप में प्याज का उपयोग किया जाता है। इसका सेवन गर्मियों में विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है। प्याज के नियमित सेवन से लू नहीं लगती है। साथ ही, गर्मी से जुड़ी कई अन्य बीमारियां भी दूर रहती हैं। सैंडविच हो, सलाद या फिर चाट, प्याज सभी के स्वाद को दोगुना कर देता है। यदि आपको डर है कि प्याज खाने से मुंह से दुर्गंध आएगी तो खाने के बाद माउथ फ्रेशनर खाइए या ब्रश कर लीजिए, लेकिन प्याज जरूर खाइए।
आहार विशेषज्ञों की मानें तो यह यौन दुर्बलता को दूर करने में भी बहुत उपयोगी है। यौन शक्ति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्याज एक सस्ता एवं सुलभ विकल्प है। आइए, आज हम आपको बताते हैं प्याज के कुछ ऐसे ही उपयोग और गुणों के बारे में, जिन्हें अपनाकर आप कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
 प्रति 100  ग्राम प्याज में पाए जाने वाले पोषक तत्व -
प्रोटीन 1.2  ग्राम         कार्बोहाइड्रेट 11.1             विटामिन 15  मि.ग्रा.
वसा 0.1 ग्राम          कैल्शियम 46.9 मिग्रा.         विटामिन 11 मिग्रा.
खनिज 0.4 ग्राम       फॉस्फोरस 50  मि.ग्रा.         कैलोरी  50  मि.कै.
फाइबर 0.6 ग्राम          लौह 0.7 मि.ग्रा.                पानी 86.6 ग्राम
कब्ज दूर करे- प्याज में मौजूद रेशे पेट के लिए बेहद फायदेमंद हैं। प्याज खाने से कब्ज दूर हो जाती है। यदि आपको कब्ज की शिकायत है तो कच्चा प्याज रोज खाना शुरू कर दीजिए।
गले की खराश मिटाए- यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीड़ित हैं तो ताजे प्याज का रस पीजिए। इसमें गुड़ या शहद मिलाकर पीना अधिक फायदेमंद होता है।
डायबिटीज करे कंट्रोल- रोजाना प्याज खाने से इंसुलिन पैदा होता है। यदि आप डायबिटिक हैं तो इसे खाने के साथ रोज सलाद के रूप में खाएं।
दिल से संबंधित बीमारियां खत्म करें- कच्चा प्याज ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड होता है। इसीलिए यह कोलेस्ट्रॉल को भी काबू में रखता है और दिल को बीमारियों से बचाता है।
कैंसर से बचाए- प्याज में सल्फर तत्व अधिक होते हैं। यह शरीर को पेट, कोलोन, ब्रेस्ट, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर से बचाता है। साथ ही, यह मूत्र संक्रमण की समस्या को भी खत्म करता है।
एनीमिया ठीक करे- रोजाना प्याज खाने से खून की कमी दूर होती है।  



हरा प्याज भी है गुणों से भरपूर
- हरा प्याज खाने के कई फायदे हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम बनाए रखता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। एंटी-बैक्टीरियल गुण के कारण ही इसे खाने से पाचन में भी सुधार होता है। हरे प्याज में क्रोमियम होता है। 
- हरा प्याज खाने से इम्यूनिटी पावर बढ़ता है। हरा प्याज चेहरे की झुर्रियों को दूर करता है। इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। हरा प्याज मैक्रोन्यूट्रिशयन को बनाए रखता है। हरे प्याज में एंटी-इन्फ्लामेटरी और एंटी- हिस्टामाइन गुण भी होते हैं। इसीलिए, यह गठिया और अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक रहता है।
- हिस्टीरिया का रोगी अगर बेहोश हो जाए तो उसे प्याज कूटकर सुंघाएं। इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है।
- बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। बालों पर प्याज के रस की मालिश करने से बाल गिरना बंद हो जाते हैं। इसके अलावा, प्याज का लेप लगाने पर कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर से काले होने लगते हैं।
-  पेशाब होना बंद हो जाए तो दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलवा बना लें। हलवा गर्म करके पेट पर लेप लगाने से पेशाब आना शुरू हो जाता है। प्याज पानी में उबालकर वह पानी पीने से भी पेशाब संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

- सर्दी या जुकाम होने पर प्याज खाने से राहत मिलती है। गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। सरसों का तेल व प्याज का रस मिला कर मालिश करें, फायदा होगा। प्याज कई अन्य सामान्य शारीरिक समस्याओं जैसे मोतियाबिंद, सिर दर्द, कान दर्द और सांप के काटने में भी औषधि का काम करता है। प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एड़ियों में फायदा होता है।

जानें, लाल प्याज क्यों है लाभदायक
-  3 चम्मच प्याज का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर लेने से मासिक धर्म की अनियमितता व उस दौरान होने वाले दर्द से राहत मिलती है। प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
- प्याज के 3-4 चम्मच रस में घी मिलाकर पीने से शक्ति बढ़ती है। प्याज के रस में चीनी मिलाकर खाली पेट लेने से पथरी मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है। इसका सेवन एक दिन में एक बार ही करें। बवासीर की समस्या हो तो प्याज के 4-5 चम्मच रस में मिश्री और पानी मिलाकर नियमित रूप से लें, खून आना बंद हो जाएगा। घाव पर नीम के पत्ते का रस और प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र ही भर जाता है। प्याज के रस में दही, तुलसी का रस और नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है और रूसी की समस्या से भी निजात मिलती है।
कमजोरी दूर कर कामेच्छा बढ़ाता है
- 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूख जाने पर फिर यही प्रक्रिया दोहराएं। ऐसा तीन बार करें। अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें। अब इस पाउडर को पांच ग्राम घी और पांच ग्राम चीनी के साथ सेवन करें। इस योग को इक्कीस दिन तक लेने पर शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलती है। एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद और आधा किलो चीनी मिलाकर डिब्बे में पैक कर लें। इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक नियमित सेवन करें। इस योग के प्रयोग से सेक्शुअल डिजायर में वृद्धि होती है।
- एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पेस्ट बना लें। इसे सुखाकर एक किलो प्याज के रस में मिलाकर फिर से पीस लें। इस पेस्ट को दस ग्राम मात्रा में लेकर भैंस के दूध में पकाएं और चीनी
डाल कर पी जाएं। इस योग का सेवन तीस दिन तक नियमित सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी दूर होती है और कामेच्छा में वृद्धि होती है।
गर्मी में रोज खाएं कच्चा प्याज, इसके लाभ जानेंगे तो खुद को रोक नहीं पाएंगे
- प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। माना जाता है कि इस नुस्खे को दो महीनों तक लगातार आजमाया जाए तो बहुत फायदा होता है। प्याज के रस और नमक का मिश्रण मसूड़ों में लगाने से काफी फायदा होता है। प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर दाद-खाज और खुजली में लगाने पर शीघ्र आराम मिलता है।
-  वीर्यवृद्धि के लिए सफेद प्याज के रस के साथ शहद लेने पर फायदा होता है। सफेद प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी का मिश्रण 21 दिनों तक लगातार लेने से नपुंसकता दूर हो जाती है। कफ हो जाने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से फायदा मिलता है। प्याज को पीसकर गुड़ मिलाकर खाने से वीर्य वृद्धि होती है।

- आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें।
-  एक चम्मच सफेद प्याज के रस में एक चम्मच अदरक का रस मिलाएं। इस मिश्रण में पांच ग्राम घी और पांच ग्राम शहद मिलाकर रोजाना सुबह नियम से एक माह तक सेवन करें। कमजोरी की समस्या दूर हो जाएगी।
- 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सूखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सूखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद अजवाइन को पीसकर किसी बोतल में भर लें। आधा चम्मच चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खाएं।

Sunday, 30 March 2014

डॉ शुसलर की बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति ---विजय राजबली माथुर

30 मार्च स्मृति दिवस पर विशेष :

*बायोकेमिक चिकित्सा शरीर के कोशों में होने वाली चयापचयिक(मेटाबोलिक)प्रक्रियाओं को खनिज लवणों के माध्यम से मानव शरीर के क्रियाकलापों की सहायता करने के लिए अपरिहार्य होती है। 

*योरोपीय भौतिक विज्ञानियों द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया कि शरीर के कोषों और तंतुओं के वास्तविक घटक स्वास्थ्य के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावकारी होते हैं। बर्लिन के रूडोल्फ वरशु (1821-1902) ने अपनी अनुपम पुस्तक 'सैल्यूलर पैथोलॉजी" में इंगित किया है कि "अंततः प्रत्येक प्रकार का कष्ट (रोग) केवल कोषों में एक प्रकार की विकृति पर आधारित होता है। केवल कोष बीमार हो सकता है-कोष जो मानव शरीर की सबसे चोटी क्रियाकारी इकाई होता है। "

*जर्मन बायोकेमिस्ट और भौतिक विज्ञानी डॉ विल्हेम हेनरिक शुसलर (1821-1898) ने जैविक राख़ का विश्लेषण किया और इसमें 12 प्रमुख टिशु (खनिज) लवणों की पहचान की जो सभी प्राणियों में समान रूप से विद्यमान रहते हैं। ये टिशु  (खनिज) लवण कोषों, तंतुओं और अंगों के अकार्बनिक घटक होते हैं और शरीर की कार्य प्रणाली तथा चयापचयी क्रियाओं के लिए महात्व्पोर्ण होते हैं। डॉ शुसलर ने इन्हें फंक्शनल साल्ट या टिशु लवण" नाम दिया। 

*ये टिशु लवण शिलाओं और मिट्टी में आम पाये जाते हैं। ये लवण न केवल शरीर में खनिजों की कमी को पूरा करते हैं बल्कि भोजन में से इन लवणों के स्वांगीकरण को भी बढ़ाते हैं। 

*डॉ शुसलर ने आगे प्रतिपादित किया जीवित तंतुओं में  इन लवणों की कोषों में आवश्यक मात्रा में कमी से कोषों में मालिक्यूलर गति में जो अव्यवस्था उत्पन्न होती है उसको ही रोग कहते हैं। कमी वाले टिशु (खनिज ) लवण की सूक्ष्म मात्रा में आपूर्ती करने (खिलाने ) से अव्यवस्था को दुरुस्त करके स्वास्थ्य पुनर्स्थापित किया जा सकता है। 

*डॉ शुसलर ने शरीर में विद्यमान प्रत्येक टिशु (खनिज ) लवण के कार्य  और क्रियाकलाप का अन्वेषण किया और इनके आधार पर लक्षणों के अनुसार परीक्षणों द्वारा शानदार परिणाम पाये। 

*डॉ शुसलर का 30 मार्च 1898 को, 77 वर्ष की आयु में देहांत हुआ, लेकिन उनका शोध-कार्य सम्पूर्ण यूरोप तथा विश्व में आज भी जारी है। प्रथम बायोकेमिक परिषद ओलड़नबरी में 1885 में स्थापित हुआ। आज यह 96 शाखाओं में विभक्त है। 

डॉ शुसलर के सिद्धान्त :

*मनुष्य के शरीर में बारह विभिन्न टिशु (खनिज ) लवण विद्यमान होते हैं, अच्छे स्वस्थ्य और कोषों की सामान्य प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए इंका समुचित संतुलन बनाए रखना ज़रूरी होता है। 

*इस संतुलन में कोई भी कमी होने पर जो स्थिति उत्पन्न होती है उसे रोग कहा जाता है। 

*रोग की दशा में शरीर में कमी वाले 'लवणों' को पोटेन टाइज़ रूप में खिलाने से ये टिशु (खनिज ) लवण खून के प्रवाह के साथ तेजी से कोषों में पहुँच कर स्वास्थ्य का सामान्य संतुलन पुनर्स्थापित कर देते हैं। 

*डॉ शुसलर द्वारा आविष्कार की गई यह चिकित्सा विधि बायोकेमिक पद्धति कहलाई। 

*बायोकेमिक दवाएं होम्योपेथिक पद्धति के समान घर्षण करके तैयार की जाती हैं। 

*बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति टिशु (खनिज ) लवणों की कमी के आधार पर की जाती है,अतः होम्योपेथिक पद्धति के विपरीत इस पद्धति में एक से अधिक दवा मिश्रित करके उपयोग की जा सकती है। 

*बायोकेमिक दवाएं सूक्ष्म मात्रा में निम्न पोटेनसी में यथा-1 x, 3 x, 6 x, 12 x, 30 x, 200 x में उपयोग की जाती हैं। ये दवाएं बच्चों, गर्भिणी महिलाओं,वृद्ध व्यक्तियों को भी सुरक्षित रोप से खिलाई जा सकती हैं। 

(साभार-व्हीजल होमयों फार्मा )
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आज डॉ विल्हेम हेनरिक शुसलर साहब की पुण्य तिथि पर उनका स्मरण करते हुये 'बायोकेमिक' दवाओं की जानकारी इसलिए भी दे सका हूँ क्योंकि बचपन से ही   अपने बाबाजी स्व.धनराजबली माथुर साहब,नानाजी स्व.डॉ राधे मोहन लाल माथुर साहब एवं बाबूजी स्व.ताजराजबली माथुर साहब को इंनका  प्रयोग करते हुये देखा है। उनकी पुस्तकों का भी अध्ययन किया है और 'आयुर्वेद रत्न' करने के बावजूद होम्योपेथी  व बायोकेमिक दवाओं को ही अच्छा फलप्रद पाया है। लगभग 22 वर्ष पूर्व 'पंजाब केसरी' में इन बारह बायोकेमिक औषद्धियों का ज्योतिष की बारह राशियों से सम्बन्धों पर भी ज्ञान -प्रकाश डाला गया था और अब मैं खुद भी ज्योतिष द्वारा मानव-कल्याण के कार्यों मेन संलग्न हूँ। अतः 'सूर्य' राशि क्रम से बारह बायोकेमिक दवाओं का क्रम प्रस्तुत करते हुये यह आशा करता हूँ कि इनसे सर्व-साधारण लाभान्वित हो सकेंगे। इसे कल दिनांक 31 मार्च 2014 से प्रारम्भ हो रहे विक्रमी संवत 2071 की शुभकामनाओं के रूप में भी ले सकते हैं। 





       

Sunday, 9 March 2014

मखाना किडनियों की भी रक्षा करता है

मखाना ----
"मखाना" संस्कृत के दो शब्द मख व अन्न से बना है। मख का मतलब यज्ञ होता है। अर्थात यज्ञ में प्रयुक्त होने वाला अन्न। जीवन काल से लेकर मृत्यु के बाद भी मखाना मिथिलांचल वासियों से जुड़ा रहता है।मखाने की खेती पूरे मिथिलांचल में होती है।दरभंगा में उत्पन्न होने वाला मखाना उत्तम कोटि का माना जाता है।
मखाने कमल के बीजों की लाही है।मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया | पूजा एवं हवन में भी यह काम आता है । इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं । क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है । आचार्य भावमिश्र (1500-1600) द्वारा रचित भाव प्रकाश निघंटु में इसे पद्मबीजाभ एवं पानीय फल कहा गया है । इसके अनुसार मखाना बल, वाजीकर एवं ग्राही है ।
- इसे प्रसव पूर्व एवं पश्चात आई कमज़ोरी दूर करने के लिए दूध में पकाकर खिलाते हैं ।
- यह सुपाच्य है तथा आहार के रूप में इसका उपयोग किया जाता है । बच्चों को इसे घी या तेल से बघार कर चिवड़े की तरह नमकीन बना कर दे । वे इसे बहुत पसंद करते है । इसे खीर में भी मिला कर दे सकते है । इसे पंजीरी में , लड्डू में भी मिलाया जा सकता है ।
- इसके औषधीय गुणों के चलते अमरीकन हर्बल फूड प्रोडक्ट एसोसिएशन द्वारा इसे क्लास वन फूड का दर्जा दिया गया है । यह जीर्ण अतिसार, ल्यूकोरिया, शुक्राणुओं की कमी आदि में उपयोगी है ।
- यह एन्टीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। इसलिए श्वसनतंत्र, मूत्राशय एवं जननतंत्र से संबंधित बीमारियों में यह लाभप्रद होता है।
- मखाना का नियमित सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कमर और घुटने के दर्द को नियंत्रित रहता है।
- प्रसवपूर्व एवं महिलाओं में आई कमजोरी को दूर करने के लिए दूध में पका कर दिया यह जाता है।
- मखाना में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्सियम, फास्फोरस के अलावा लौह, अम्ल तथा विटामिन बी भी पाया जाता है।
- तीनों मूसलियों के साथ फूल मखाना, ताल मखाना, सालमपंझा तथा कुछ अन्य वनस्पतियों को मिलाकर तैयार की गई औषधि जच्चा के लिए लाभकारी होती है।आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर सफेद मूसली व शतावर को ठंडा, जबकि काली मूसली को गर्म माना जाता है। ठंडी प्रकृति की होने की वजह से सफेद मूसली का प्रयोग अकेले (जैसा पश्चिम में किया जाता है) करने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इससे पेशाब ज्यादा आती है और शरीर में पित्त ऊर्जा की कमी हो जाती है।
- दस्त लगने की समस्या उत्पन हो जाती है तो ताल मखाने का चुरा १ चम्मच दही के साथ खाए ।
- दरभंगा स्थित राष्ट्रीय मखाना शोध संस्थान के अनुसार भारत में लगभग 13,000 हैक्टर नमभूमि में मखानों की खेती होती है । यहां लगभग नब्बे हजार टन बीज पैदा होता है । देश का 80 प्रतिशत मखाना बिहार की नमभूमि से आता है । इसके अलावा इसकी छिटपुट खेती अलवर, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणीपुर और मध्यप्रदेश में भी की जाती है । परन्तु देश में तेजी से खत्म हो रही नमभूमि ने इसकी खेती और भविष्य में उपलब्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं ।

 यदि स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक मखाना खाते रहना है तो देश की नमभूमियों को भी बचाना होगा । नमभूमियों को प्रकृति के गुर्दे भी कहते हैं और पता चलता है कि यहां उगा मखाना हमारी किडनियों की भी रक्षा करता है । तो बचाइए इन गुर्दो को। 

Friday, 7 March 2014

Drink water immediately after waking up every morning



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DRINK WATER ON EMPTY STOMACH

It is popular in Japan today to drink water immediately after waking up every morning. Furthermore, scientific tests have proven its value. We publish below a description of use of water for our readers. For old and serious diseases as well as modern illnesses the water treatment had been found successful by a Japanese medical society as a 100% cure for the following diseases:

Headache, body ache, heart system, arthritis, fast heart beat, epilepsy, excess fatness, bronchitis asthma, TB, meningitis, kidney and urine diseases, vomiting, gastritis, diarrhea, piles, diabetes, constipation, all eye diseases, womb, cancer and menstrual disorders, ear nose and throat diseases.

METHOD OF TREATMENT
1. As you wake up in the morning before brushing teeth, drink 4 x 160ml glasses of water

2. Brush and clean the mouth but do not eat or drink anything for 45 minute

3.. After 45 minutes you may eat and drink as normal.

4. After 15 minutes of breakfast, lunch and dinner do not eat or drink anything for 2 hours

5. Those who are old or sick and are unable to drink 4 glasses of water at the beginning may commence by taking little water and gradually increase it to 4 glasses per day.

6. The above method of treatment will cure diseases of the sick and others can enjoy a healthy life.

The following list gives the number of days of treatment required to cure/control/reduce main diseases:
1. High Blood Pressure (30 days)
2. Gastric (10 days)
3. Diabetes (30 days)
4. Constipation (10 days)
5. Cancer (180 days)
6. TB (90 days)
7. Arthritis patients should follow the above treatment only for 3 days in the 1st week, and from 2nd week onwards – daily..

This treatment method has no side effects, however at the commencement of treatment you may have to urinate a few times.
It is better if we continue this and make this procedure as a routine work in our life. Drink Water and Stay healthy and Active.

This makes sense .. The Chinese and Japanese drink hot tea with their meals not cold water. Maybe it is time we adopt their drinking habit while eating!!! Nothing to lose, everything to gain...

For those who like to drink cold water, this article is applicable to you.
It is nice to have a cup of cold drink after a meal. However, the cold water will solidify the oily stuff that you have just consumed. It will slow down the digestion.

Once this 'sludge' reacts with the acid, it will break down and be absorbed by the intestine faster than the solid food. It will line the intestine.
Very soon, this will turn into fats and lead to cancer. It is best to drink hot soup or warm water after a meal.

A serious note about heart attacks:

• Women should know that not every heart attack symptom is going to be the left arm hurting,
• Be aware of intense pain in the jaw line.
• You may never have the first chest pain during the course of a heart attack.
• Nausea and intense sweating are also common symptoms.
• 60% of people who have a heart attack while they are asleep do not wake up.
• Pain in the jaw can wake you from a sound sleep. Let's be careful and be aware. The more we know, the better chance we could survive...
A cardiologist says if everyone who gets this mail sends it to everyone they know, you can be sure that we'll save at least one life.
Please be a true friend and send this article to all your friends you care about.


PLEASE DON'T IGNORE SHARE IT. THIS MIGHT SAVE SOMEONE'S LIFE.