Friday, 10 February 2017

क्या हैं कमल ककड़ी को खाने के फायदे ------ Hakim suleman khan

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Hakim suleman khan

कमल ककड़ी एक हेल्दी फूड है और इसमें ढेर सारे पोषण होते हैं, जो मेडिकल की दुनिया के लिये लाभदायक होते हैं। कमल ककड़ी में विटामिन, मिनरल, पोटैशियम, मैगनीशियम, थाइमीन, जिंक, विटामिन सी, विटामिन बी6, आयरन और ऐसे ही कई पोषक तत्वै समाए हुए हैं, जो कई बड़े बड़े रोगों को दूर कर सकता है।
कमल ककड़ी को अंग्रेजी में लोटस स्टेेम (Lotus Stem) बोलते हैं और इसे अचार, चिप्स, पकौडे़ और सूखी सब्जी  के तौर पर खाया जाता है।
आईये जाने क्या हैं कमल ककड़ी को खाने के फायदे: 
1.त्वचा के लिए - कमल ककड़ी का रस निकालकर मुंह, हाथ व पैर पर लेप करने से वे फटते नहीं हैं तथा मुख सौंदर्य की वृध्दि होती है।
2.पथरी के लिए - कमल ककड़ी आपके शरीर में से टोक्सिन को दूर करती है और नियमित रूप से ककड़ी का सेवन आपके शरीर में पथरी की आशंका को भी कम करता है साथ ही अगर होती है तो रोग में राहत भी देता है।
3.बेहोशी के लिए - कमल ककड़ी को खाने या ककड़ी व प्याज का रस मिलाकर पिलाने से शराब का नशा उतर जाता है। बेहोशी में ककड़ी काटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
4.शरीर की सफाई के लिए - चूँकि हमारे शरीर में पानी की मात्रा ही हमारे शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने का काम करती है इसलिए ये भी होता है कि ककड़ी का सेवन आपके शरीर से अनचाहे पदार्थ भी बाहर करती है।
5.गर्मी के लिए - ककड़ी के बीजों को ठंडाई में पीसकर पीने से ग्रीष्म ऋतु में गर्मीजन्य विकारों से छुटकारा प्राप्त होता है।
6.इम्यून सिस्टम के लिए - कमल ककड़ी में खनिजो की मात्रा भी भरपूर होती है आपके शरीर को दिन भर में जितने विटामिन चाहिए होते है ककड़ी लगभग सारे के सारे वो पूरा कर सकती है इसमें विटामिन ए बी सी होते है जो आपके शरीर को कई तरह की चीजों के लिए तैयार करते है और साथ ही आपकी इम्यून प्रणाली को भी मजबूत करते है।
7.गर्भवती स्त्री के लिए -ककड़ी की जड़ 10 ग्राम, एक कप दूध व एक कप पानी में मसलकर धीमी आंच पर पकाएं। जब दूध शेष रह जाय तब गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भावस्था में होने वाले उदरशूल से मुक्ति मिलती है।
8.पेट की बीमारियों के लिए - कमल ककड़ी के नियमित सेवन से पेट से जुडी बीमारियाँ भी कम होती है इसलिए आप इसका नियमित सेवन कर सकते है और सेहत भरी जिन्दगी जी सकते है।
9.पेशाब की रुकावट के लिए - ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
10.सुगर लेवल के इए - इसमें ढेर सारा फाइबर होता है जो शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह कब्जी से बचाता है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
11.अस्थमा के लिए - यह फेफड़ों से जुड़ी समस्याा को भी दूर करती है और अस्थमा से मुक्ती  दिलाती है। कच्ची  ककड़ी के जूस या फिर घिसी कमल ककड़ी को खाने से tuberculosis से छुटकारा मिल सकता है।
12.वजन के लिए - जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें कमल ककड़ी का सेवन करना चाहिये। यह कम कैलोरी वाली होती है जिसमें ढेर सारे पोषक तत्व  और फाइबर होता है। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है।
13.आंखों और बालों के लिए - इसमें ढेर सारी मात्रा में कॉपर होता है जो कि बालों और आंखों के लिये अच्छां हेाता है। अगर बालों में कॉपर की कमी है तो बाल ग्रे होना शुरु हो जाएंगें।
14. पका कर ही खाना - कई लोग कमल ककड़ी को कच्चा  खाना पसंद करते हैं, जिससे उन्हें बैक्टीरियल इंफेक्शन या फिर शरीर में पैरासाइट पहुंचने का डर हो सकता है। कमल ककड़ी को हमेशा पूरी तरह से पका कर ही खाना चाहिये।

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Saturday, 28 January 2017

कैंसर से दूर रहिए

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टोस्ट कम सेंकिए, कैंसर से दूर रहिए  :

ब्रेड, चिप्स और आलू को ज्यादा पकाने से बचिए. फूड वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इससे कैंसर होने का खतरा है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्टार्च वाला खाना जब बहुत ज्यादा तापमान पर और ज्यादा देर तक सेंका, भुना, तला या ग्रिल किया जाता है तो उसमें एक्रिलामाइड नाम का रसायन पैदा होता है.
एक्रिलामाइड अलग अलग तरह के खाने में मौजूद होता है. और ये खाना बनाते समय स्वाभाविक रूप से पैदा होता है.
यह उन भोजन में सबसे अधिक पाया जाता है जिनमें शर्करा अधिक होता है और जो 120 डिग्री सेल्सियस तक पकाए जाते हैं. जैसे कि चिप्स, ब्रेड, सुबह नाश्ते की दालें, बिस्किट, क्रैक्स, केक और कॉफी.

दरअसल जब ब्रेड को हम टोस्ट करने के लिए ग्रिल करते हैं तो उसमें ज्यादा मात्रा में एक्रिलामाइड बनते हैं. टोस्ट का रंग जितना गहरा होगा उसमें उतनी अधिक मात्रा में एक्रिलामाइड बनेंगे.
ब्रेड जब भूरा होने लगता है तो उसमें मौजूद शर्करा, एमीनो एसिड और पानी मिलकर रंग और एक्रिलामाइड बनाते हैं. और इसी से सुगंध भी पैदा होती है.
फूड स्टैंडर्स एजेंसी (एफएसए) ने खाना बनाने से जुड़े निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करने और खाने को भूरा होने तक भुनने या पकाने से बचने की सलाह दी है.
हालांकि कैंसर रिसर्च से जुड़ी प्रवक्ता का कहना है कि गहरे लाल भुने खानों से कैंसर होने की पुष्टि अभी इंसानों में नहीं हुई है.

नमक कम कीजिए, कैंसर को 'दूर रखिए' :

जानवरों के साथ किए गए शोध बताते हैं कि यह रसायन डीनए के लिए विषैला होता है और इससे कैंसर पैदा करता है.
हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है पर वैज्ञानिकों ने इसे इंसानों के लिए भी हानिकारक माना है.
एक्रिलामाइड से कैंसर का खतरा होने के साथ साथ, तंत्रिका और प्रजनन तंत्र पर भी हानिकारक असर हो सकता है.
एफएसए ने ये भी चेतावनी दी है कि आलू को फ्रिज में ना रखें. क्योंकि कम तापमान में रहने से इसमें मौजूद शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है. फिर जब इसे पकाया जाता है तब उसमें हानिकारक एक्रिलामाइड पैदा होते हैं.



Friday, 25 November 2016

किडनी का सिकुड़ना : एक इलाज – Nephrotic Syndrome Treatment in Ayurved ----- डॉ. योगेश गौतम

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दोस्तों किडनी फेलियर का एक सबसे बड़ा कारन है किडनी का सिकुड़ना। अगर किडनी सिकुड़ जाए तो क्या करें.

जब हमारी किडनी सिकुड़ जाती है तो किडनी की छोटी रचना जिसे हम नेफ्रॉन्स कहते है जो फ़िल्टर का कम करती है ये नेफ्रान्स दब जाते है और उनका फंक्शन ठीक से नहीं हो पता जिससे किडनी फ़िल्टर भी ठीक से नहीं हो कर पाती और वही बिषैला पदार्थ हमारे ब्लड में शरीर में जाने लगता है और Creatinine, urea ये सब ब्लड में बढ़ जाते है।


ऐसे मरीज जिनकी किडनी सिकुड़ गयी है और डॉक्टर ने बोल दिया है की इसका कोई इलाज नहीं है किडनी ट्रांस्प्लांट के आलावा वो मरीज निराश न हो। उनके लिए विशेष आयुर्वेदिक इलाज हैं .

जिन मरीजों की किडनी सिकुड़ गयी हो और डॉक्टर उनको किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प बता रहें हों ऐसे मरीजो को करना क्या है के “मकोय” यह एक पौधा होता है जो पूरे भारत में पाया जाता है.

संस्कृत में इसको काकमाची, असमिया में पीचकटी, गुजरती में पीलूडी, बंगाली में काकमाची, गुडकमाई, तमिल में मन्टटकल्ली, तेलुगु में गजूचेट्टू, नेपाली में परे गोलभेरा, जंगली बिही, काकमाची, काली गेडी, पंजाबी में काकमाच, मराठी में कमोनी, काकमाची, मेको, मलयालम में क्रीन्टाकली कहते हैं.

इसका वानस्पतिक नाम Solanum americanum Mill है. इंग्लिश में इसको Common nightshade कहते हैं.

इसके फल छोटे छोटे होते है कुछ लोग इसे खाते भी है. इसका पूरा पौधा ले लीजिये इसको अच्छे से धुलाई कर के इसका रस निकाल लें, इस मकोय के रस को 20 ml दिन में दो बार पीना है तीन महीने तक लगातार.

3 महीने बाद सोनोग्राफी करवा के देखे किडनी के सिकुड़ने में यह बहुत ही लाभकारी है।

विशेष – मकोय की सब्जी भी बना कर खायी जाती है. इसके फल भी खाए जाते हैं. इसका अर्क भी आता है. जिस भी प्रकार से किडनी के रोगी इसका सेवन करें तो उनको लाभ होगा.

साभार : 
http://onlyayurved.com/major-disease/kidney/nephrotic-syndrome/nephrotic-syndrome-treatment-in-hindi/

Wednesday, 21 September 2016

ड्रग रिएक्शन की लापरवाही : बड़े खतरे को आमंत्रण ------ संचिता शर्मा

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एलोपैथी का प्रचार और घरेलू उपचार से अनभिज्ञता ने ड्रग रिएक्शन अर्थात दवाओं के दुष्प्रभावों से अनेक नई नई बीमारियों का सृजन किया है । इस दुष्चक्र में फंस कर जनता का धन व स्वास्थ्य निरंतर गिरता जाता है। 


(1 ) यदि छींके आ रही हों, नाक से पानी बह रहा हो तब कोई भी एलोपैथी दवा न लेकर यदि 5,7,9 के विषम क्रम में काली मिर्च चबा कर गुनगुना पानी या चाय पी लें तो लाभ हो जाएगा और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। 

(2 ) यदि कफ के कारण या पित्त प्रकोप के कारण उल्टियाँ हो रही हों तब कोई एलोपैथी दवा न लेकर 5,7,9 के विषम क्रम में लौंग के  नग (दाने ) एक ग्लास पानी में उबाल  कर रख लें और एक-एक चंच यह पानी देते रहें तो उल्टियाँ बंद हो जाएंगी और कोई रिएक्शन भी नहीं होगा। 

(3 ) यदि बदहज़मी  या खान - पान की गड़बड़ी से पेट में दर्द हो रहा हो तब कोई दर्द निवारक एलोपैथी औषद्धि लेने के बजाए थोड़ी सी हींग थोड़े से पानी में खूब गरम करके इस प्रकार नाभि में उस घोल को धीरे- धीरे डालें कि, शरीर जले नहीं और उसी घोल को नाभि के इर्द-गिर्द हल्के हाथों से मालिश कर दें पेट दर्द ठीक हो जाएगा और कोई रिएक्शन भी नहीं होगा। 

इसी प्रकार तमाम घरेलू उपचार घर की रसोई में ही उपलब्द्ध रहते हैं बस धैर्य रख कर घर में ही उपचार करने की ज़रूरत है जिससे दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स - दुष्परिणामों से भी बचाव होगा व शीघ्र सस्ता उपचार भी हो जाएगा। 
( विजय राजबली माथुर ) 

Tuesday, 13 September 2016