Tuesday, 14 February 2017

कैसे करें घुटनों के दर्द का उपचार ?

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घुटनों का दर्द बहुत ही पीड़ादायक होता है और यह आपको चलने-फिरने में भी असमर्थ कर देता है. यदि आपका वजन अधिक हो या आप वृद्धावस्था में हों तो घुटनों का दर्द और भी तकलीफदेह हो जाता है.

यह बात कम ही लोग जानते हैं कि कुछ आसान घरेलू उपायों की मदद से घुटनों के दर्द की इस तकलीफ से छुटकारा पाया जा सकता  है.


जी हाँ ! यदि आप निम्नलिखित कारणों से घुटनों के दर्द से पीड़ित है:-


घुटनों की माँसपेशियो में खून का दौरा सही नहीं होना.

घुटनों की माँसपेशियो में खिंचाव या तनाव होना.
माँसपेशियो में किसी भी तरह की चोट का प्रभाव.
वृद्धावस्था.

… तो नीचे बताये गए पांच घरेलू उपाय आपको घुटनों के दर्द से छुटकारा दिला सकते हैं.
घुटनों का दर्द – उपाय 1

नीचे बताई गयी सामग्री को मिला कर हल्दी का एक दर्द निवारक पेस्ट बना लीजिये.


1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

1 छोटा चम्मच पीसी हुई चीनी, या बूरा या शहद
1 चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है)
आवश्यकतानुसार पानी
इन सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये. एक लाल रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाएगा.

यह पेस्ट कैसे प्रयोग करें:-


सोने से पहले यह पेस्ट अपने घुटनों पे लगाइए. इसे सारी रात घुटनों पे लगा रहने दीजिये.

सुबह साधारण पानी से धो लीजिये.
कुछ दिनों तक प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करने से सूजन, खिंचाव, चोट आदि के कारण होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाएगा.
घुटनों का दर्द – उपाय 2

1 छोटा चम्मच सोंठ का पाउडर लीजिये और इसमें थोडा सरसों का तेल मिलाइए.

इसे अच्छी तरह मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लीजिये.
इसे अपने घुटनों पर मलिए. इसका प्रयोग आप दिन या रात कभी भी कर सकते हैं.
कुछ घंटों बाद इसे धो लीजिये. यह प्रयोग करने से आपको घुटनों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा.
घुटनों का दर्द – उपाय 3

नीचे बताई गयी सामग्री लीजिये:-


4-5 बादाम

5-6 साबुत काली मिर्च
10 मुनक्का
6-7 अखरोट
प्रयोग:

इन सभी चीज़ों को एक साथ मिलाकर खाएं और साथ में गर्म दूध पीयें.

कुछ दिन तक यह प्रयोग रोजाना करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा.
घुटनों का दर्द – उपाय 4

खजूर विटामिन ए, बी, सी, आयरन व फोस्फोरस का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसलिए, खजूर घुटनों के दर्द सहित सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द के लिए बहुत असरकारक है.


प्रयोग:


एक कप पानी में 7-8 खजूर रात भर भिगोयें.


सुबह खाली पेट ये खजूर खाएं और जिस पानी में खजूर भिगोये थे, वो पानी भी पीयें. ऐसा करने से घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और घुटनों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है.


घुटनों का दर्द – उपाय 5


नारियल भी घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छी औषधी है.

नारियल का प्रयोग:
रोजाना सूखा नारियल खाएं.
नारियल का दूध पीयें.
घुटनों पर दिन में दो बार नारियल के तेल की मालिश करें.
इससे घुटनों के दर्द में अद्भुत लाभ होता है.

साभार : 

http://www.jaipurthepinkcity.com/health-tips-in-hindi/knee-pain-home-remedies-in-hindi

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मानव शरीर में पैर जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं, उतने ही उनके बीच में बने घुटने। इन्ही से पैरों को मुड़ने की क्षमता मिलती है और घुटनों में कई कारणों से दर्द होने लग जाता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है या कहे कि जब जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एकदूसरे से मिलती हैं जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है।
घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज घुटने के दर्द के लिए राज का रामबाण इलाज़
सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय से उपयोग में लाए जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने की स्थिति में जोड़ घिस जाते हैं जोड़ पर चोट लग जाने से भी इस प्रकार का गठिया हो जाता है। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।
घुटनों के दर्द का इलाज 
गठिया उस समय भी हो सकता है जब प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली, जो आमतौर से शरीर को संक्रमण से बचाती है, शरीर के ऊतकों पर वार कर देती है। इस प्रकार की गठिया में रियुमेटायड गठिया सबसे सामान्य गठिया होता है। इससे जोड़ों में लाली आ जाती है और दर्द होता है और शरीर के दूसरे अंग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि हृदय, पेशियाँ, रक्त वाहिकाएँ, तंत्रिकाएं और आँखें।
गठिया क्या होता है?
गठिया एक लंबे समय तक चलने वाली जोड़ों की स्थिति होती है जिससे आमतौर पर शरीर के भार को वहन करने वाले जोड़ जैसे घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी तथा पैर प्रभावित होते हैं। इसके कारण जोड़ों में काफी अधिक दर्द, अकड़न होती है और जोड़ों की गतिविधि सीमित हो जाती है। समय के साथ साथ गठिया बदतर होता चला जाता है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो घुटनों के गठिया से व्यक्ति का जीवन काफी अधिक प्रभावित हो सकता है। गठिया से पीडि़त व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां करने में समर्थ नहीं हो पाते और यहां तक कि चलने-फिरने जैसा सरल काम भी मुश्किल लगता है। इस प्रकार के मामलों में, क्षतिग्रस्त घुटने को बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी कराने के लिए कह सकता है।
क्यों होता है गठिया
अनहेल्दी फूड, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ते वजन की वजह से घुटनों का दर्द भारत जैसे देशों में एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। 40-45 की उम्र में ही घुटनों में दिक्कतें आने लगी हैं। सर्वेक्षण कहते हैं कि दुनिया में करीब 40 प्रतिशत लोग घुटनों में दर्द से परेशान हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। इनमें से 80 फीसदी अपने घुटनों को आसानी से मोड़ तक नहीं सकते। घुटनों की खराबी के शिकार 25 फीसदी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को भी आसानी से नहीं कर पाते हैं। भारत में यह समस्या काफी गंभीर है। घुटनों का दर्द काफी हद तक लाइफ स्टाइल की देन है। यदि लाइफ स्टाइल और खानपान को हेल्दी नहीं बनाया तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। घुटने पूरे शरीर का बोझ सहन करते हैं। इन्हें बचाने का तरीका हेल्दी लाइफ स्टाइल, एक्सरसाइज और हैल्दी खानपान है। खाने में कैल्शियम वाला भोजन सही मात्रा में लें, सब्जियाँ जरूर खायें, फैट और चीनी से परहेज करें और मोटापे का पास भी न फटकने दें।
क्या वजन कम करने से गठिया में लाभ मिलता है?
घुटनो के गठिया से पीडि़त व्यक्ति के लिए निर्धारित वजन से अधिक वजन होना या मोटापा घुटनों के जोड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, मांसपेशियों तथा उसके आसपास की कण्डराओं (टेन्डन्स) में खिंचाव होता है तथा इसके कार्टिलेज में टूट-फूट द्वारा यह स्थिति तेजी से बदतर होती चली जाती है। इसके अलावा, इससे दर्द बढ़ता है जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति एक सक्रिय तथा स्वतंत्र जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है।
यह देखा गया है कि मोटे लोगों में वजन बढ़ने के साथ साथ जोड़ों (विशेष रूपसे वजन को वहन करने वाले जोड़) का गठिया विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि मोटे लोगों को या तो अपने वजन को नियंत्रित करने अथवा उसे कम करने केलिए उचित कदम उठाने चाहिए।
गठिया से पीडि़त मोटापे/अधिक वजन से पीडि़त लोगों में वजन में 1 पाउंड (0.45 किलोग्राम) की कमी से, घुटने पर पड़ने वाले वजन में 4 गुणा कमी होती है। इस प्रकार वजन में कमी करने से जोड़ पर खिंचाव को कम करने, पीड़ा को हरने तथा गठिया की स्थिति के आगे बढ़ने में देरी करने में सहायता मिलती है।
घुटनों के दर्द के निम्नलिखित कारण हैं-
आर्थराइटिस- लूपस जैसा- रीयूमेटाइड, आस्टियोआर्थराइटिस और गाउट सहित अथवा संबंधित ऊतक विकार
बरसाइटिस- घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट)
टेन्टीनाइटिस- आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है। यह धावकों, स्कॉयर और साइकिल चलाने वालों को होता है।
बेकर्स सिस्ट- घुटने के पीछे पानी से भरा सूजन जिसके साथ आर्थराइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है। यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक जा सकता है।
घिसा हुआ कार्टिलेज (उपास्थि)(मेनिस्कस टियर)- घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है।
घिसा हुआ लिगमेंट (ए सी एल टियर)- घुटने में दर्द और अस्थायित्व उत्पन्न कर सकता है।
झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट
जानुफलक (नीकैप) का विस्थापन
जोड़ में संक्रमण
घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है
श्रोणि विकार- दर्द उत्पन्न कर सकता है जो घुटने में महसूस होता है। उदाहरण के लिए इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम एक ऐसी चोट है जो आपके श्रोणि से आपके घुटने के बाहर तक जाती है।
अधिक वजन होना, कब्ज होना, खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत, फास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन, तली हुई चीजें खाना, कम मात्रा में पानी पीना, शरीर में कैल्सियम की कमी होना।
घुटनों के दर्द का इलाज – Knee Pain Treatment
किसी चोट का दर्द हो या घुटने का दर्द आप इस दर्द निवारक हल्दी के पेस्ट को बनाकर अपनी चोट के स्थान पर या घुटनों के दर्द के स्थान पर लगाइए इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है। दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट कैसे बनाएं इसके लिए आप सबसे पहले एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें और एक चम्मच पिसी हुई चीनी और इसमें आप बूरा या शहद मिला लें, और एक चुटकी चूना मिला दें और थोड़ा सा पानी डाल कर इसका पेस्ट जैसा बना लें। इस लेप को बनाने के बाद अपने चम्मच के स्थान पर यार जो घुटना का दर्द करता है उस स्थान पर स्लिप को लगा ले और ऊपर से किराए बैंडेज या कोई पुराना सूती कपड़ा बांध दें और इसको रातभर लगा रहने दें और सुबह सादा पानी से इसको धो ले इस तरह से लगभग 7:00 से लेकर 1 सप्ताह से लेकर 2 सप्ताह तक ऐसा करने से इसको लगाने से आपके घुटने की सूजन मांसपेशियों में खिंचाव अंदरुनी चोट होने वाले दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है और यह पृष्ठ आप के दर्द को जड़ से खत्म कर देता है।
सौंठ से बनी दर्द निवारक दवा सौंठ भी एक बहुत अच्छा दर्द निवारक दवा के रूप में फायदेमंद साबित हो सकता है, सौंठ से दर्दनिवारक दवा बनाने के लिए एक आप एक छोटा चम्मच सौंठ का पाउडर व थोड़ा आवश्यकतानुसार तिल का तेल इन दोनों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट जैसा बना ले। दर्द या मोच के स्थान पर या चोट के दर्द में आप इस दर्द निवारक सौंठ के पेस्ट को हल्के हल्के प्रभावित स्थान पर लगाएं और इसको दो से 3 घंटे तक लगा रहने दें इसके बाद इसे पानी से धो लें ऐसा करने से 1 सप्ताह में आपको घुटने के दर्द में पूरा आराम मिल जाता है और अगर मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होता है तो वह भी जाता रहता है।
सर्दियों के मौसम में रोजाना 5-6 खजूर खाना बहुत ही लाभदायक होता है, खजूर का सेवन आप इस तरह भी कर सकते हैं रात के समय 6-7 खजूर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन खजूर को खा ले और साथ ही वह पानी भी पी ले जिनको जिसमें आपने रात में खजूर भिगोए थे. यह घुटनों के दर्द के अलावा आपके जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाता है।

सामान्य उपचार
खाने के एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाकर खाएं। इस साधरण से प्रतीत होने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में साइनोबियल फ्रलूड बनने लग जाती है।
पूरे दिन भर में कम से कम 12 गिलास तक पानी अवश्य पिए। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।
भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।
बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात् एलोवेरा के ताजा गूदे को खूब चबा-चबाकर खाएं साथ में 1-2 काली मिर्च एवं थोड़ा सा काला नमक तथा ऊपर से पानी पी लें। यह प्रयेाग खाली पेट करें। इस प्रयोग के द्वारा घुटनों में यदि साइनोबियल फ्रलूड भी कम हो गई हो तो बनने लग जाती है।
चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। इससे भी साइनोबियल फ्रलूड बनने लगती है। अनुभूत प्रयोग है।
एक्यूप्रेशर-रिंग को दिन में तीन बार, तीन मिनट तक अनामिका एवं मध्यमा अंगुलि में एक्यूप्रेशर करें।
प्रतिदिन कम से कम 2-3 किलोमीटर तक पैदल चलें।
दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।
मुद्रा-चिकित्सा
तर्जनी अंगुलि (इंडेक्स-फिंगर)को अंगूठे के नीचे गद्दी पर लगाएं और अंगूठे से हल्का दबाएं। यह प्रयोग आध-आध घंटा दिन में दो बार करें।
नाभि में अरंड के बीज को छीलकर लगाएं और प्लास्टिक की टेप से चिपका दें। दूसरे दिन नहाने से पहले हटा दें। यह प्रयोग नहाने के लगभग दो घंटे बाद करें।
घुटनों में दर्द होना, साइनोबियल फ्रलूड खत्म होना इत्यादि रोगों से पीडि़तों को दूध् नहीं पीना चाहिए, क्योंकि दूध् में लेक्टिस-एसिड पाया जाता है, जो कि घुटनों में दर्द को बढ़ाता है। हाँ, दूध् को ठंडा करके उसमें शहद, सौंठ मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। सौंठ से अभिप्राय ड्राई-जिंजर है।
स्टीराइड के इंजेक्शन भूलकर भी नहीं लगाएं। इनके ढेरों साइडइपैफक्ट होने के साथ साथ एक स्थिति ऐसी पैदा हो जाती है-‘‘मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यूं-ज्यूं दवा की’’।
एलोवेरा
त्रिफला जूस, एलोवेरा जूस, एलोवेरा गार्लिक जूस, इनमें से कोई एक रोग के लक्षणों के अनुसार सेवन करने से अवश्य ही रोग से मुक्ति मिल जाती है। पूर्ण धैर्य के साथ तीन-चार महीनों तक नियमित रूप से खाली पेट सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार सेवनीय अन्यान्य औषधियां
अमृता सत्व, गोदंती भस्म, प्रवाल पिष्टी, स्वर्ण माक्षिक भस्म, महावत विध्वंसन रस, वृहद वातचितामणि रस, एकांगवीर रस, महायोगराज गुग्गुल, चंद्रप्रभावटी, पुनर्नवा मंडुर इत्यादि औषधियों का कुछ दिनों विशेषज्ञ के परामर्श से सेवन करने से बिना किसी साइडइपैफक्ट के ही आशातीत लाभ मिलता है।
सेवन करने से बचें
दही, लस्सी, अचार, दूध्, चाय तथा रात के समय हलका व सुपाच्य आहार लें। रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें।
गठिया के दौरान क्या न करें
ऐसे जूतों का प्रयोग करने से बचिए जिनकी पीडि़त ऊंची हैं तथा बहुत ही कठोर हैं तथा सेण्डल पहनने से बचें इसके स्थान पर ऐसे जूतों का प्रयोग करें जिनकी एड़ी नीची है या जिनके फीते बांधे जा सकते हैं तथा जिनसे पैरों को उचित सहायता प्राप्त होती है।
खड़ी ढ़लानों पर चलने तथा बहुत ही नर्म तथा असमान तल या जमीन पर चलने से बचें।
सीढि़यां का प्रयोग करने से बचें जहां संभव हो वहां पर एलेवेटर का प्रयोग करें यदि आपको सीढि़यां का प्रयोग करना ही पड़ता है।
तो एक बार में एक सीढ़ी चढ़ें तथा हैंड रेल को पकड़ कर चलिए।
हमेशा स्वस्थ पैर को आगे रखें।
भारी वस्तुओं को लेकर चलने से बचें भारी वस्तुओं से घुटनों पर अतिरिक्त तनाव या भार पड़ता है।
कुर्सी के पीछे टांगों को मोड़ने से बचें, अपनी टांगों को आराम से फैलाएं तथा बार बार उनकी स्थिति को बदलते रहें।
लंबे समय तक निरन्तर खड़े रहने से बचिए इसके बदले में हर घंटे के बाद एक ब्रेक लें।
बिस्तर या कुर्सी से उठते समय प्रभावित घुटने पर दबाव डालने से बचिए। इसके अलावा उठने के लिए दोनो हाथों के साथ नीचे की ओर बल लगाते हुए उठिए।
कम ऊंचाई वाली कुर्सियों पर बैठने से बचें ऐसी कुर्सियों को चुनें जिनकी सीट ऊंची हैं और उन पर आर्मरेस्ट लगी हुई हैं।
घुटनों को मोड़ने से बचिए अनेक ऐसे कार्य जिनके लिए घुटनों को मोड़ने की जरूरत होती है, उन्हें कम ऊंचाई की कुर्सियों या स्टूल का प्रयोग करके किया जा सकता है।
साभार :

http://www.mahashakti.org.in/2016/01/ayurvedic-treatment-for-knee-joint-pain.html

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साभार : 

http://www.upcharaurprayog.com/2015/09/Treatment-of-knee-pain.html

Friday, 10 February 2017

क्या हैं कमल ककड़ी को खाने के फायदे ------ Hakim suleman khan

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Hakim suleman khan

कमल ककड़ी एक हेल्दी फूड है और इसमें ढेर सारे पोषण होते हैं, जो मेडिकल की दुनिया के लिये लाभदायक होते हैं। कमल ककड़ी में विटामिन, मिनरल, पोटैशियम, मैगनीशियम, थाइमीन, जिंक, विटामिन सी, विटामिन बी6, आयरन और ऐसे ही कई पोषक तत्वै समाए हुए हैं, जो कई बड़े बड़े रोगों को दूर कर सकता है।
कमल ककड़ी को अंग्रेजी में लोटस स्टेेम (Lotus Stem) बोलते हैं और इसे अचार, चिप्स, पकौडे़ और सूखी सब्जी  के तौर पर खाया जाता है।
आईये जाने क्या हैं कमल ककड़ी को खाने के फायदे: 
1.त्वचा के लिए - कमल ककड़ी का रस निकालकर मुंह, हाथ व पैर पर लेप करने से वे फटते नहीं हैं तथा मुख सौंदर्य की वृध्दि होती है।
2.पथरी के लिए - कमल ककड़ी आपके शरीर में से टोक्सिन को दूर करती है और नियमित रूप से ककड़ी का सेवन आपके शरीर में पथरी की आशंका को भी कम करता है साथ ही अगर होती है तो रोग में राहत भी देता है।
3.बेहोशी के लिए - कमल ककड़ी को खाने या ककड़ी व प्याज का रस मिलाकर पिलाने से शराब का नशा उतर जाता है। बेहोशी में ककड़ी काटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
4.शरीर की सफाई के लिए - चूँकि हमारे शरीर में पानी की मात्रा ही हमारे शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने का काम करती है इसलिए ये भी होता है कि ककड़ी का सेवन आपके शरीर से अनचाहे पदार्थ भी बाहर करती है।
5.गर्मी के लिए - ककड़ी के बीजों को ठंडाई में पीसकर पीने से ग्रीष्म ऋतु में गर्मीजन्य विकारों से छुटकारा प्राप्त होता है।
6.इम्यून सिस्टम के लिए - कमल ककड़ी में खनिजो की मात्रा भी भरपूर होती है आपके शरीर को दिन भर में जितने विटामिन चाहिए होते है ककड़ी लगभग सारे के सारे वो पूरा कर सकती है इसमें विटामिन ए बी सी होते है जो आपके शरीर को कई तरह की चीजों के लिए तैयार करते है और साथ ही आपकी इम्यून प्रणाली को भी मजबूत करते है।
7.गर्भवती स्त्री के लिए -ककड़ी की जड़ 10 ग्राम, एक कप दूध व एक कप पानी में मसलकर धीमी आंच पर पकाएं। जब दूध शेष रह जाय तब गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भावस्था में होने वाले उदरशूल से मुक्ति मिलती है।
8.पेट की बीमारियों के लिए - कमल ककड़ी के नियमित सेवन से पेट से जुडी बीमारियाँ भी कम होती है इसलिए आप इसका नियमित सेवन कर सकते है और सेहत भरी जिन्दगी जी सकते है।
9.पेशाब की रुकावट के लिए - ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
10.सुगर लेवल के इए - इसमें ढेर सारा फाइबर होता है जो शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह कब्जी से बचाता है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
11.अस्थमा के लिए - यह फेफड़ों से जुड़ी समस्याा को भी दूर करती है और अस्थमा से मुक्ती  दिलाती है। कच्ची  ककड़ी के जूस या फिर घिसी कमल ककड़ी को खाने से tuberculosis से छुटकारा मिल सकता है।
12.वजन के लिए - जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें कमल ककड़ी का सेवन करना चाहिये। यह कम कैलोरी वाली होती है जिसमें ढेर सारे पोषक तत्व  और फाइबर होता है। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है।
13.आंखों और बालों के लिए - इसमें ढेर सारी मात्रा में कॉपर होता है जो कि बालों और आंखों के लिये अच्छां हेाता है। अगर बालों में कॉपर की कमी है तो बाल ग्रे होना शुरु हो जाएंगें।
14. पका कर ही खाना - कई लोग कमल ककड़ी को कच्चा  खाना पसंद करते हैं, जिससे उन्हें बैक्टीरियल इंफेक्शन या फिर शरीर में पैरासाइट पहुंचने का डर हो सकता है। कमल ककड़ी को हमेशा पूरी तरह से पका कर ही खाना चाहिये।

#lotus #healthtips #AskHakimSahab
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Saturday, 28 January 2017

कैंसर से दूर रहिए

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टोस्ट कम सेंकिए, कैंसर से दूर रहिए  :

ब्रेड, चिप्स और आलू को ज्यादा पकाने से बचिए. फूड वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इससे कैंसर होने का खतरा है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्टार्च वाला खाना जब बहुत ज्यादा तापमान पर और ज्यादा देर तक सेंका, भुना, तला या ग्रिल किया जाता है तो उसमें एक्रिलामाइड नाम का रसायन पैदा होता है.
एक्रिलामाइड अलग अलग तरह के खाने में मौजूद होता है. और ये खाना बनाते समय स्वाभाविक रूप से पैदा होता है.
यह उन भोजन में सबसे अधिक पाया जाता है जिनमें शर्करा अधिक होता है और जो 120 डिग्री सेल्सियस तक पकाए जाते हैं. जैसे कि चिप्स, ब्रेड, सुबह नाश्ते की दालें, बिस्किट, क्रैक्स, केक और कॉफी.

दरअसल जब ब्रेड को हम टोस्ट करने के लिए ग्रिल करते हैं तो उसमें ज्यादा मात्रा में एक्रिलामाइड बनते हैं. टोस्ट का रंग जितना गहरा होगा उसमें उतनी अधिक मात्रा में एक्रिलामाइड बनेंगे.
ब्रेड जब भूरा होने लगता है तो उसमें मौजूद शर्करा, एमीनो एसिड और पानी मिलकर रंग और एक्रिलामाइड बनाते हैं. और इसी से सुगंध भी पैदा होती है.
फूड स्टैंडर्स एजेंसी (एफएसए) ने खाना बनाने से जुड़े निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करने और खाने को भूरा होने तक भुनने या पकाने से बचने की सलाह दी है.
हालांकि कैंसर रिसर्च से जुड़ी प्रवक्ता का कहना है कि गहरे लाल भुने खानों से कैंसर होने की पुष्टि अभी इंसानों में नहीं हुई है.

नमक कम कीजिए, कैंसर को 'दूर रखिए' :

जानवरों के साथ किए गए शोध बताते हैं कि यह रसायन डीनए के लिए विषैला होता है और इससे कैंसर पैदा करता है.
हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है पर वैज्ञानिकों ने इसे इंसानों के लिए भी हानिकारक माना है.
एक्रिलामाइड से कैंसर का खतरा होने के साथ साथ, तंत्रिका और प्रजनन तंत्र पर भी हानिकारक असर हो सकता है.
एफएसए ने ये भी चेतावनी दी है कि आलू को फ्रिज में ना रखें. क्योंकि कम तापमान में रहने से इसमें मौजूद शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है. फिर जब इसे पकाया जाता है तब उसमें हानिकारक एक्रिलामाइड पैदा होते हैं.



Friday, 25 November 2016

किडनी का सिकुड़ना : एक इलाज – Nephrotic Syndrome Treatment in Ayurved ----- डॉ. योगेश गौतम

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दोस्तों किडनी फेलियर का एक सबसे बड़ा कारन है किडनी का सिकुड़ना। अगर किडनी सिकुड़ जाए तो क्या करें.

जब हमारी किडनी सिकुड़ जाती है तो किडनी की छोटी रचना जिसे हम नेफ्रॉन्स कहते है जो फ़िल्टर का कम करती है ये नेफ्रान्स दब जाते है और उनका फंक्शन ठीक से नहीं हो पता जिससे किडनी फ़िल्टर भी ठीक से नहीं हो कर पाती और वही बिषैला पदार्थ हमारे ब्लड में शरीर में जाने लगता है और Creatinine, urea ये सब ब्लड में बढ़ जाते है।


ऐसे मरीज जिनकी किडनी सिकुड़ गयी है और डॉक्टर ने बोल दिया है की इसका कोई इलाज नहीं है किडनी ट्रांस्प्लांट के आलावा वो मरीज निराश न हो। उनके लिए विशेष आयुर्वेदिक इलाज हैं .

जिन मरीजों की किडनी सिकुड़ गयी हो और डॉक्टर उनको किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प बता रहें हों ऐसे मरीजो को करना क्या है के “मकोय” यह एक पौधा होता है जो पूरे भारत में पाया जाता है.

संस्कृत में इसको काकमाची, असमिया में पीचकटी, गुजरती में पीलूडी, बंगाली में काकमाची, गुडकमाई, तमिल में मन्टटकल्ली, तेलुगु में गजूचेट्टू, नेपाली में परे गोलभेरा, जंगली बिही, काकमाची, काली गेडी, पंजाबी में काकमाच, मराठी में कमोनी, काकमाची, मेको, मलयालम में क्रीन्टाकली कहते हैं.

इसका वानस्पतिक नाम Solanum americanum Mill है. इंग्लिश में इसको Common nightshade कहते हैं.

इसके फल छोटे छोटे होते है कुछ लोग इसे खाते भी है. इसका पूरा पौधा ले लीजिये इसको अच्छे से धुलाई कर के इसका रस निकाल लें, इस मकोय के रस को 20 ml दिन में दो बार पीना है तीन महीने तक लगातार.

3 महीने बाद सोनोग्राफी करवा के देखे किडनी के सिकुड़ने में यह बहुत ही लाभकारी है।

विशेष – मकोय की सब्जी भी बना कर खायी जाती है. इसके फल भी खाए जाते हैं. इसका अर्क भी आता है. जिस भी प्रकार से किडनी के रोगी इसका सेवन करें तो उनको लाभ होगा.

साभार : 
http://onlyayurved.com/major-disease/kidney/nephrotic-syndrome/nephrotic-syndrome-treatment-in-hindi/

Wednesday, 21 September 2016

ड्रग रिएक्शन की लापरवाही : बड़े खतरे को आमंत्रण ------ संचिता शर्मा

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एलोपैथी का प्रचार और घरेलू उपचार से अनभिज्ञता ने ड्रग रिएक्शन अर्थात दवाओं के दुष्प्रभावों से अनेक नई नई बीमारियों का सृजन किया है । इस दुष्चक्र में फंस कर जनता का धन व स्वास्थ्य निरंतर गिरता जाता है। 


(1 ) यदि छींके आ रही हों, नाक से पानी बह रहा हो तब कोई भी एलोपैथी दवा न लेकर यदि 5,7,9 के विषम क्रम में काली मिर्च चबा कर गुनगुना पानी या चाय पी लें तो लाभ हो जाएगा और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। 

(2 ) यदि कफ के कारण या पित्त प्रकोप के कारण उल्टियाँ हो रही हों तब कोई एलोपैथी दवा न लेकर 5,7,9 के विषम क्रम में लौंग के  नग (दाने ) एक ग्लास पानी में उबाल  कर रख लें और एक-एक चंच यह पानी देते रहें तो उल्टियाँ बंद हो जाएंगी और कोई रिएक्शन भी नहीं होगा। 

(3 ) यदि बदहज़मी  या खान - पान की गड़बड़ी से पेट में दर्द हो रहा हो तब कोई दर्द निवारक एलोपैथी औषद्धि लेने के बजाए थोड़ी सी हींग थोड़े से पानी में खूब गरम करके इस प्रकार नाभि में उस घोल को धीरे- धीरे डालें कि, शरीर जले नहीं और उसी घोल को नाभि के इर्द-गिर्द हल्के हाथों से मालिश कर दें पेट दर्द ठीक हो जाएगा और कोई रिएक्शन भी नहीं होगा। 

इसी प्रकार तमाम घरेलू उपचार घर की रसोई में ही उपलब्द्ध रहते हैं बस धैर्य रख कर घर में ही उपचार करने की ज़रूरत है जिससे दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स - दुष्परिणामों से भी बचाव होगा व शीघ्र सस्ता उपचार भी हो जाएगा। 
( विजय राजबली माथुर )