Tuesday 3 September 2013

कमर-दर्द


कमर दर्द- यह समस्या आजकल आम हो गई है। सिर्फ बड़ी उम्र के लोग ही नहीं बल्कि युवा भी कमर दर्द की शिकायत करते रहते हैं। कमर दर्द की मुख्य वजह बेतरतीब जीवनशैली और शारीरिक श्रम न करना है।

अधिकतर लोगों को कमर के मध्य या निचले भाग में दर्द महसूस होता है। यह दर्द कमर के दोनों और तथा कूल्हों तक भी फ़ैल सकता है। बढ़ती उम्र के साथ कमर दर्द की समस्या बढ़ती जाती है। नतीजा काम करने में परेशानी । कुछ आदतों को बदलकर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। आज हम आप को बताते हैं कि किन घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप कमर दर्द से निजात पा सकते हैं।

कमर दर्द के कारण

मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव।
अधिक वजन।
गलत तरीके से बैठना।
हमेशा ऊंची एड़ी के जूते या सेंडिल पहनना।
गलत तरीके से अधिक वजन उठाना।
शरीर में लम्बे समय से बीमारियों का होना।
अधिक नर्म गद्दों पर सोना।

कमर दर्द से बचने के घरेलू उपाय
1. रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर (जब तक लहसुन की कलियां काली न हो जायें) गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें।

2. नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है।

3. कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है।

4. अजवाइन को तवे के पर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। इसके नियमित सेवन से कमर दर्द में लाभ मिलता है।

5. अधिक देर तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम न करें। हर चालीस मिनट में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी देर टहल लें।

6. नर्म गद्देदार सीटों से परहेज करना चाहिए। कमर दर्द के रोगियों को थोड़ा सख्ते बिस्तर बिछाकर सोना चाहिए।

7. योग भी कमर दर्द में लाभ पहुंचाता है। भुन्ज्गासन, शलभासन, हलासन, उत्तानपादासन, श्वसन आदि कुछ ऐसे योगासन हैं जो की कमर दर्द में काफी लाभ पहुंचाते हैं। कमर दर्द के योगासनों को योगगुरु की देख रेख में ही करने चाहिए।

8. कैल्शियम की कम मात्रा से भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, इसलिए कैल्शियमयुक्त चीजों का सेवन करें।

9. कमर दर्द के लिए व्यायाम भी करना चाहिए। सैर करना, तैरना या साइकिल चलाना सुरक्षित व्यायाम हैं। तैराकी जहां वजन तो कम करती है, वहीं यह कमर के लिए भी लाभकारी है। साइकिल चलाते समय कमर सीधी रखनी चाहिए। व्यायाम करने से मांसपेशियों को ताकत मिलेगी तथा वजन भी नहीं बढ़ेगा।

10. कमर दर्द में भारी वजन उठाते समय या जमीन से किसी भी चीज को उठाते समय कमर के बल ना झुकें बल्कि पहले घुटने मोड़कर नीचे झुकें और जब हाथ नीचे वस्तु तक पहुंच जाए तो उसे उठाकर घुटने को सीधा करते हुए खड़े हो जाएं।

11. कार चलाते वक्त सीट सख्त होनी चाहिए, बैठने का पोश्चर भी सही रखें और कार ड्राइव करते समय सीट बेल्ट टाइट कर लें।

12. ऑफिस में काम करते समय कभी भी पीठ के सहारे न बैठें। अपनी पीठ को कुर्सी पर इस तरह टिकाएं कि यह हमेशा सीधी रहे। गर्दन को सीधा रखने के लिए कुर्सी में पीछे की ओर मोटा तौलिया मोड़ कर लगाया जा सकता है।

इन सब उपायों को अपना कर आप भी कमर दर्द से कुछ निजात पा सकते है।



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क्या आप अक्सर कमर दर्द से परेशान रहते हैं और इससे छुटकारे के लिए हर संभव कोशिश करते हैं? कई बार आप जो धारणाएं अपने मन में पाल लेते हैं, जरूरी नहीं कि उनका संबंध कमर दर्द से वैसा ही हो, जैसा आप सोचते हैं। आइए जानें, कमर दर्द से जुड़े आम मिथक और उनकी असलियत।

1. हमेशा सीधे बैठेंगे तो कमर दर्द नहीं होगा
आप अक्सर सुनते होंगे सीधे बैठों नहीं तो कमर दर्द होगा। सीधा बैठना अच्छी बात है लेकिन अगर आप देर तक बैठते हैं तो देर तक सीधे बैठने से भी कमर पर भार पड़ता है। इसलिए हमेशा सीधे बैठने से जरूर नहीं कि कमर को आराम ही मिले। थोड़ा ब्रेक लें, बीच-बीच में कुर्सी का सहारा लें या थोड़ी देर खड़े हो जाएं। आप सीधे बैंठे या झुककर, कमर पर बोझ लगातार बैठने से पड़ता है।

2. अधिक वजन उठाने से हो सकता है कमर में दर्द
आप कितना भारी सामान उठाते हैं इससे कम फर्क पड़ता है, फर्क इससे पड़ता है कि आप सामान को किस तरह उठाते हैं। रीढ़ की हड्डी, मांसपेशियां और हड्डियों से संबंधित चोट या दिक्कत तब अधिक होती है जब आप सामान को गलत तरीके से उठाते हैं। भारी सामान उठाते वक्त हमेशा पैर के पंजों पर शरीर का भार देना चाहिए।

3. बेड रेस्ट ही दर्द से छुटकारा पाने का उपाय है।
यह सच है कि कमर दर्द के दौरान शरीर को आराम देना जरूरी है लेकिन अगर अधिक बेड रेस्ट आपके कमर दर्द को कम करने के बजाय बढ़ा भी सकता है।

4. कमर के दर्द में एक्सरसाइज न करें।
एक्सरसाइज न करने की सलाह सिर्फ तेज दर्द में दी जाती है। कई बार कमर के दर्द से आराम के लिए डॉक्टर खुद हल्की एक्सरसाइज, फीजियोथेरेपी और हल्की मसाज की सलाह देते हैं। एक बार दर्द कम हो जाता है तो व्यायाम से खुद को रिकवर करने में आसानी होती है।

5. कड़े गद्दे हमेशा कमर के लिए फायदेमंद हैं।
स्पेन के एक शोध के मुताबिक जो लोग बहुत कड़े गद्दों पर सोते हैं उनकी अपेक्षा मध्यम कड़े गद्दे पर सोने वाले लोगों को कम कमर में दर्द होता है। कई बार कमर दर्द की वजह गद्दे न होकर आपके सोने का तरीका भी हो सकता है।

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बालों का झडऩा ऐसी समस्या है, जो किसी को भी तनाव में डाल सकती है। आज हर दूसरे व्यक्ति को बालों की समस्या से जूझना पड़ता है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो नीचे दिए आयुर्वेदिक फंडे एक बार जरूर अपनाएं।


हमारे बाल बहुत ही नाजुक होते हैं। धूल, धूप, प्रदूषण, स्ट्रांग केमिकल युक्त शैंपू आदि से ये रूखे, बेजान व दो मुँहे हो जाते हैं तथा कमजोर होकर झड़ने लगते हैं।

बालों को झड़ने से रोकने तथा स्वस्थ रखने हेतु इनकी विशेष देखभाल करनी होती है। आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स, जिससे आपके बाल चमकदार, स्वस्थ व मजबूत बनेंगे -

* बालों को न तो ज्यादा तेज गरम पानी से धोने चाहिए और न ही बालों को रगड़कर पोंछना चाहिए। बालों को सुखाने के लिए खुरदरा नहीं बल्कि नरम तौलिया इस्तेमाल में लाना चाहिए। सिर पर तौलिये को लपेट कर थपथपा कर सिर का पानी सुखाना चाहिए।

* बाल सँवारने में हमेशा चौड़े दाँत वाले ब्रश या कंघी का इस्तेमाल करें। गीले बालों में भूल से भी कंघी न करें। बालों की छोटी-छोटी लटें लेकर उन्हें आराम से सुलझाना चाहिए।

* बालों को खूबसूरत और चमकदार बनाने के लिए खाने में वसा और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएँ। ताजे फल और सब्जियों से उचित प्रोटीन और वसा प्राप्त की जा सकती है।

* नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।

* सामान्यत: सभी के यहां शहद आसानी से मिल जाता है। शहद के औषधीय गुण सभी जानते हैं। शहद की तासीर ठंडी होती है और यह कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है।

* बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो जाएगी।


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घरेलू उपाय, बालों को बचाए
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1. बाल धोते समय अंतिम बचे पानी में नीबू
निचोड़ दें, उस पानी से बाल धोकर बाहर आ
जाएँ, बालों में अनायास चमक आ जाएगी।

2. नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर
बालों की जड़ों में लगाने से बालों का असमय
पकना, झड़ना बंद हो जाता है।

3. आँवले का चूर्ण व पिसी मेहँदी मिलाकर
लगाने से बाल काले व घने रहते हैं।

4. आलू उबालने के बाद के बचे पानी में एक
आलू मसलकर बाल धोने से बाल चमकीले,
मुलायम होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व
गंजापन आदि रुक जाएगा।

5. बालों में चमक प्रदान करने के लिए एक अंडे
को खूब अच्छी तरह फेंट लें, इसमें एक चम्मच
नारियल का तेल, एक चम्मच अरंडी का तेल, एक
चम्मच ग्लिसरीन, एक चम्मच
सिरका तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर
बालों को अच्छी तरह लगा लें, दो घंटे बाद
कुनकुने पानी से धो लें। बाल इतने चमदार
हो जाएँगे जितने किसी भी कंडीशनर से
नहीं हो सकते।
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Monday 2 September 2013

किलर न बन जाएं पेनकिलर और जानें यह ताकि दर्द न बन जाए एलोपेथी दवायेँ!




क्या हैं नुकसान ?
- जरूरत से ज्यादा लेने पर पेनकिलर्स घातक हो सकती हैं। कहा जाता है कि एक साल तक पेनकिलर्स को रोज इस्तेमाल किया जाए, तो ये बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं।
- एक अनुमान के मुताबिक जिंदगी में एक हजार से ज्यादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है, तो साल में 10 गोली से ज्यादा कभी न लें।
- पेनकिलर्स लगातार लेते रहने से किडनी और लिवर में जहर बन सकता है। पेट में ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- उबकाई आना, सुस्ती, मुंह सूखना, अचानक ब्लड प्रेशर कम होना और कब्ज जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं।

क्या बरतें सावधानियां

- जब तक हो सके, दर्द सहन कर लें। पेनकिलर का इस्तेमाल मजबूरी में ही करें।
- पेनकिलर लेने की वजह से अगर पेट दर्द होता है, तो सबसे पहले उस पेनकिलर का इस्तेमाल बंद कर दें। एक एंटैसिड (डाइजीन, जिनटैक आदि) लें और डॉक्टर से सलाह लें।
- कोई भी पेनकिलर बेस्ट नहीं है, सिर्फ किसी का असर कम साइड इफेक्ट के साथ ज्यादा हो सकता है।
- दिल, बीपी, डायबीटीज और किडनी के मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई पेनकिलर नहीं लेना चाहिए।
- खाली पेट बिल्कुल न लें। कई तरह के पेनकिलर्स को खाली पेट लेने से किडनी, लिवर और पेट को नुकसान हो सकता है।
- आम आदमी बिना डॉक्टर से पूछे सिर्फ एक पेनकिलर ले सकता है और वह है पैरासीटामोल ।

दवाओं से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट और उनसे बचने के तरीके

1. कब्ज
साबुत अनाज और ज्यादा फाइबर वाले फल और सब्जियां, जैसे सेब, आलूबुखारा, बींस और ब्रोकली खाएं और खूब सारा लिक्विड लें।

2. दिन में सुस्ती
आपकी यह समस्या शरीर के संबंधित दवा के साथ ऐडजस्ट कर लेने पर खत्म हो सकती है। अपने डॉक्टर से ऐसी दवा रात में सोने से पहले लेने के बारे में पूछें। अगर सुस्ती लग रही हो तो गाड़ी न चलाएं और न ही कोई भारी उपकरण चलाएं।

3. डायरिया
हल्का और कम फाइबर वाला भोजन लें जैसे सेब की चटनी, चावल और दही। जब तक तबियत सामान्य न हो जाए, मसालेदार और फैट वाली चीजों से परहेज करें।

4. चक्कर आना
बैठे हों या लेटे हों तो धीरे-धीरे उठें।

5. मुंह सूखना
बिना शुगर वाली कैंडी ले सकते हैं। इसके साथ पूरे दिन बार-बार पानी के घूंट लेते रहें।

6. सिरदर्द
यह समस्या शरीर के दवा के साथ ऐडजस्टमेंट के बाद दूर हो सकती है। ऐसा न हो तो अपने डॉक्टर से सिरदर्द ठीक करने के लिए दवा पूछ सकते हैं।

7. भूख न लगना
थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाने की कोशिश करें। खाने में अपनी पसंदीदा चीजें शामिल करें। खाने से पहले थोड़ा टहलें। इससे आपको ज्यादा भूख महसूस होगी।

8. पेट खराब होना या मितली
डॉक्टर से पूछें कि दवा खाने के साथ ले सकते हैं या नहीं। खाना खाने के साथ दवा लेना बेहतर हो सकता है। दो या तीन बार ज्यादा मात्रा में खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाएं। हल्का खाना खाएं, जैसे कि सूखे मुरमुरे या ब्रेड। तला, घी वाला, मसालेदार या मीठा खाने से परहेज करें।

9. घबराहट महसूस होना
आपकी यह समस्या दवा के साथ शरीर के ऐडजस्ट होने के बाद खत्म हो सकती है। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर दवा की डोज कम कर सकते हैं।

10. यौन समस्याएं
आप दवा की डोज कम करने या दवा का कोई दूसरा विकल्प लेने के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

11. नींद संबंधी समस्याएं
कैफीन, निकोटीन, अल्कोहल जैसी चीजों से परहेज करें। दोपहर में या शाम को एक्सरसाइज न करें। अपने बेडरूम का माहौल शांत, अंधेरा और ठंडा रखें।

12. सूर्य की रोशनी से संवेदनशीलता
सीधी धूप से बचें। संभव हो तो पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, हैट लगाएं और अपने डॉक्टर की सलाह के हिसाब से सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।


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जानें इन सवालों के जवाब ...ताकि दर्द न बन जाए दवा!

दवाएं दर्द मिटाने और बीमारी भगाने के लिए होती हैं, लेकिन अगर उन्हें सही तरीके और सही मात्रा में न लिया जाए तो वे दर्द की वजह भी बन सकती हैं। ऐलोपैथिक दवाओं के मामले में तो ऐसी आशंका और भी ज्यादा होती है।
आप जो दवाएं ले रहे हैं, वे आपके लिए सुरक्षित हैं या नहीं, यह सुनिश्चित जरूर करें। मरीज जो भी दवाएं ले रहे हैं, उनके बारे में हर तरह की जानकारी उन्हें मिलनी चाहिए।
आपके लिए बेहद जरूरी है इन सवालों के जवाब जानना:

1. साइड इफेक्ट
आप जो भी दवा लेते हैं, उसके साइड इफेक्ट के बारे में जरूर पता करें। ओटीसी यानी ओवर द काउंटर कैटिगरी में आने वाली दवाओं के भी कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। इसकी जानकारी दवा के रैपर या बॉटल पर लिखी होती है। डॉक्टर की पर्ची देखकर मिलने वाली दवाओं के साथ भी एक पर्चा जरूर आता है, जिस पर दवा के संभावित साइड इफेक्ट लिखे होते हैं। युवाओं और पूरी तरह फिट कॉलेज स्टूडेंट्स को भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। कुछ लोगों को साइड इफेक्ट का खतरा ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर बर्थ कंट्रोल वाली दवाएं ब्लड में क्लॉट बनने का कारण बन सकती हैं।

2. आपसी प्रभाव
आप जो दवाएं ले रहे हैं, उनके संभावित पारस्परिक प्रभाव को जानें। कई बार दवा के साथ आने वाले पर्चे पर उससे संबंधित साइड इफेक्ट के साथ दूसरी दवाओं के साथ इसके पारस्परिक प्रभाव की भी जानकारी होती है। कई दवाओं के गंभीर पारस्परिक प्रभाव दिखते हैं। कोई भी नई दवा शुरू करने से पहले जांच करें। उदाहरण के तौर पर अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिस्ऑर्डर में ली जाने वाली दवा एडरआल (Adderall) कई एंटी डिप्रेशन दवाओं के साथ पारस्परिक प्रभाव छोड़ती है। पारस्परिक प्रभाव आमतौर पर दो अलग तरह की दवाओं के बीच होता है, मगर ऐसा खाने-पीने की कुछ खास चीजों और तंबाकू से भी हो सकता है। डिप्रेशन में ली जाने वाली दवा मोनामाइन ऑक्सिडेज इनहिबिटर लेने के साथ आप चीज, मीट, सोया सॉस, बीयर और वाइन आदि का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

3. एनसेड दवाओं का असर
एनसेड जैसे इब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) का इस्तेमाल हर समय नहीं हो सकता। एक ही तरह की दवा का बार-बार इस्तेमाल कई तरह के गंभीर साइड इफेक्ट का कारण बन सकता है। इब्यूप्रोफेन और ऐस्पिरिन जैसी ओटीसी दवाओं का एक जाना-पहचाना साइड इफेक्ट होता है। ये दवाएं आंतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बहुत सारी एनसेड्स, ओवर द काउंटर दवाएं (जो टाइलेनॉल या ऐस्पिरिन नही हैं) भी पेट की गंभीर समस्या का कारण बन सकती हैं। इनकी वजह से पेट का अल्सर या ब्लीडिंग हो सकती है। अगर इब्यूप्रोफेन को ज्यादा मात्रा में खाली पेट इस्तेमाल करते हैं तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है। जहां तक हो सके अपनी मर्जी से इन दवाओं का इस्तेमाल न करें। इस तरह की दिक्कतों से बचने का एक ही तरीका है, जब तक बहुत जरूरी न हो, दवा न लें और लें तो अपने लक्षणों के हिसाब से ही लें। उदाहरण के तौर पर एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) बुखार और फ्लू जैसे लक्षणों में ठीक रहती है जबकि इब्यूप्रोफेन दर्द से निजात के लिए ठीक है। बहुत सारे लोग इब्यूप्रोफेन का इस्तेमाल करते हैं। यह किडनी और पेट पर भारी पड़ सकता है।

4. एसिटामिनोफेन से सावधान
ओटीसी दवा एसिटामिनोफेन को भारत में लोग पैरासिटामॉल के नाम से जानते हैं। वायरल आदि के दर्द या बुखार से राहत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके भी इब्यूप्रोफेन जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं। यह शरीर में जाकर अल्कोहल की तरह प्रतिक्रिया करती है। ऐसे में अगर टाइलेनॉल (tylenol) यानी मामूली दर्द निवारक दवा और अल्कोहल अगर एक समय पर लिया जाए तो लिवर को संघर्ष करना पड़ता है। यही वजह है कि अगर आप पैरासिटामॉल लेते हैं और ज्यादा मात्रा में डिंक करते हैं तो लिवर को नुकसान हो सकता है।

5. खांसी की दवा
खांसी को दबाने वाले सिरप खांसी आने की उत्तेजना को कम करते हैं। इसे सप्रेसेंट कहते हैं। खांसी की वजह पर असर करने वाली दवा बलगम बाहर निकालती है। इसे एक्सपेक्टरेंट कहते हैं। अगर आपको सूखी खांसी है तो सप्रेसेंट का इस्तेमाल करें और अगर बलगम वाली खांसी है तो एक्सपेक्टरेंट का। गलत दवा का इस्तेमाल आपकी तकलीफें बढ़ा सकता है। आमतौर पर खांसी की दवाएं उतनी असरदार नहीं होतीं जितना विज्ञापनों में दावा किया जाता है।

6. मात्रा का ध्यान
कोई भी दवा न्यूनतम आवश्यक मात्रा में ही इस्तेमाल करें। किसी भी दवा का इस्तेमाल उतनी ही मात्रा में करें, जितनी जरूरत हो। जितना जरूरी है सही प्रकार की दवा का इस्तेमाल, उतना ही जरूरी है सही मात्रा में इस्तेमाल। ज्यादा मात्रा में दवा का इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदेय है। मसलन इब्यूप्रोफेन का पेट पर असर होता है। हमेशा डॉक्टर की लिखी गई डोज का ही इस्तेमाल करें। ज्यादा मात्रा में दवा लेने का मतलब यह नहीं है कि आपकी परेशानी जल्द ठीक हो जाएगी, बल्कि इससे दवा का नुकसान ज्यादा होगा।

7. एंटीबायोटिक का इस्तेमाल
एंटीबायोटिक और दूसरी दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें। एंटीबायोटिक महत्वपूर्ण दवा होती है। अगर आप इसका पूरा कोर्स नहीं लेंगे तो इंफेक्शन और खराब स्थिति में पहुंच सकता है। यह भी याद रखें कि एंटीबायोटिक वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू ठीक नहीं करता। अगर आपको फ्लू है और एंटीबायोटिक इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है। एंटीबायोटिक ब्रोंकाइटिस और साइनस इंफेक्शन जैसी समस्याओं के इलाज के लिए ठीक रहती हैं। बाकी दवाएं, जैसे एंटी डिप्रेशन दवा अगर तय वक्त पर नियमित रूप से न ली जाएं तो काम करना बंद कर देती हैं। डॉक्टर से पूछे बिना दवाओं और घरेलू नुस्खों को मिलाएं नहीं।

8. गर्भनिरोधक गोलियां
गर्भनिरोधक गोलियां इस्तेमाल के दिन से ही काम नहीं करतीं। एक हफ्ते या कई बार एक महीने तक लगातार इस्तेमाल के बाद ही ये असर दिखाती हैं। ऐसे में इन्हें लेना शुरू करने के पहले दिन से निश्चिंत होने का दावा भ्रामक हो सकता है। लगातार तीन महीने के इस्तेमाल के बाद ही ये गोलियां पूरी तरह असरदार होती हैं। लगातार दो या इससे ज्यादा दिन तक गोली लेना भूल जाने से इसका असर कम हो जाता है।

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खाँसी का घरेलू सरल उपाय–
 

जल ही जीवन तो है लेकिन इस्तेमाल कैसे करें? कैंसर से बचाव कैसे?



 हमारे शरीर में रक्त का 80 प्रतिशत भाग 'जल' ही होता है। जल शरीर में स्फूर्ती और स्निग्धता बनाए रखता है। लेकिन यदि नियमानुसार प्रयोग किया जाये तभी। भोजन से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है अतः भोजनोपरांत 'ठंडे जल' का प्रयोग वर्जित किया गया है। उत्तम तो यह है कि भोजन के आधे घंटे उपरांत ही जल ग्रहण किया जाये।





दवा के मुक़ाबले परहेज से ज़्यादा फायदा होता है। भोजन में उपरोक्त फलों व सब्जियों का प्रयोग करना तो उत्तम है ही। साथ ही साथ 'कैंसर उत्पत्ति' के कारक ग्रहों-'मंगल' व 'शनि' की शांति हेतु निम्नाकित जाप पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके तथा प्रिथीवी से इंसुलेशन बनाते हुये  करने से अधिक लाभ प्राप्त होगा। 

1)-ॐ अं अंगारकाय नमः 

2)-ॐ शं शनेश्चराय नमः 

Sunday 1 September 2013

शक्तिवर्द्धक घरेलू नुस्खे...................

 
हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के कुछ ऐसे ही औषधिय गुणों के बारे में...

- इसके एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है।


- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरा धनिया की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है। डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।
 
 
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शक्तिवर्धक घरेलू नुस्खे...................

* रोजाना 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए, साथ ही नाश्ते के रूप में ऐसे पदार्थ लें, जिसमें प्रत्येक से 200 कैलोरी प्राप्त हो। नाश्ते में खड़ा अनाज उगाकर लें, चोकर से बना केक खाएँ, चोकर में मेग्निशियम पर्याप्त होता है।
* आलू के दो पराठें के साथ लगभग 50 ग्राम दही का सेवन करें, यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
* आप चाहें तो उबला अण्डा काली मिर्च बुरककर सेवन करें, अण्डे के सफेद भाग में प्रोटीन भरपूर होता है और पीले भाग में अतिरिक्त विटामिन-बी होता है।
* एक मुट्ठी मूँगफली के दाने सेंककर, 10 ग्राम गु़ड़ के साथ चबा-चबाकर नाश्ते के तौर पर सेवन करें, ये ऊर्जा का पर्याप्त भण्डार हैं।
* अत: आप नाश्ते में कुछ भी मनमर्जी का न खाएँ। खाएँ तो ऐसी चीज खाएँ, जिससे आपको एनर्जी मिले और पेट तथा आँतें भी कष्ट महसूस न करें।

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शहद


शहद को आयुर्वेद में औषधीय गुणों का खजाना माना गया है। शहद का अलग-अलग तरह से उपयोग कर हम हमारे शरीर की कई सारी समस्याओं को दूर भगा सकते हैं। शहद में यह गुण होता भी है कि इसका अलग-अलग वस्तुओं के साथ उपयोग करने पर इसकी तासीर भी भिन्न हो जाती है। आइए जानते हैं शहद के ऐसे ही कुछ गुणों को....

-शहद को मसूड़ों पर मलने से पायरिया नहीं होता।

-छोटे बच्चों को दूध पिलाने से पहले शहद चटा दें। फिर दूध पिलाएं ये रोग निरोधक क्षमता बढ़ाता है।

- बेसन, मलाई में शहद मिलाकर त्वचा पर लगाएं। थोड़ी देर बाद धो लें, चेहरा चमक उठेगा ।

- प्रतिदिन 25 ग्राम शहद दूध के साथ जरूर लें । इससे शरीर को ताकत मिलती है।

- त्वचा सम्बन्धी रोग हो या कहीं जल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जादू सा असर दिखाई देगा।

- रात को सोने से पहले दूध के साथ शहद लेने पर बहुत अच्छी नींद आती है।

- दूध में शक्कर की जगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भी निकल जाते हैं।

- जुकाम होने पर शहद की भाप लें व उसी पानी से कुल्ला करें।

 सेब
अंग्रेजी में कहा गया है, "एन एपल ए डे", कीप्स द डॉक्टर अवे" अर्थात् एक सेब रोज खाओ और डॉक्टर को दूर भगाओ। सेब पौष्टिक तत्वों से भरा है। ये न केवल रोगों से लड़ने में मदद करता है बल्कि आपके शरीर को भी स्वस्त रखता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि सेब के सेवन से ह्वदय रोग, कैंसर, मधुमेह के साथ ही दिमागी बीमारियों जैसे पार्किंसन और अल्जाइमर आदि में भी आराम मिलता है। सेब रेशे वाला फल है इसीलिए इसमें में फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। सेब को खाने से पाचन तंत्र भी सही रहता है। यह एक अच्छा एंटी ओक्सिडेंट भी है जो मधुमेह, कैंसर, और दिमाग से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। सेब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को सामान्य करता है। जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। आइये और जानते हैं सेब खाने के लाभों के बारे में और देखते हैं कि कैसे यह जादुई फल हमें स्‍वस्‍थ्‍य रखता है।

सेब खाने के फायदे
सेब खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है। ये स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि बहुत स्वास्थवर्धक भी होता है। यहाँ नीचे इससे मिलने वाले सभी फायदों के बारे में लिखा है।

1- इसमें एंटी आक्सीडेंट पाए जाते हैं जो की हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के कैंसरो को बढने से रोकता है|

2- सेब दिल की बिमारियों को भी ठीक कर देता है|

3- सेब से बहुत से मिनरल्स (पोटाशियम, कैल्सियम, फोस्फोरोस और मग्नेशियम, आयरन, कापर और जिंक) होते हैं जो कि त्वचा, नाखुनो और बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होतें हैं|

4- सेब खाने से दिमाग तेज होता है। पढ़ने वाले बच्चो को तो सेब जरुर खाना चाहिए|

5- सेब मे अधिक मात्रा मे एंटी आक्सीडेंट पाए जातें हैं जो कि कलोस्ट्रोल के लेवल को कम करने मे मदद करते हैं|

6- सेब खाने हमारे शरीर के फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

7- सेब हमारे शरीर मे ऐसे बेक्टेरिया को बढने मे मदद करता है जो हमारी पाचन प्रणाली को बढ़ाते हैं|

8- सेब का जूस हमारे शरीर मे से सभी हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल देता है जिससे हमारी किडनी और लीवर कि बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं|

9- सेब में पाया जाने वाला फाइबर दिल के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है|

10- सेब का जूस अधिक उम्र के लोगो के लिए बहुत लाभदायक होता है क्योंकि ये गठिया और जोड़ो के दर्द को कम करने मे मदद करता है|



Saturday 31 August 2013

तोरई और चावल के औषधीय प्रयोग

 
तोरई
 तोरई एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। तोरई एक विशेष महत्त्व वाली सब्ज़ी है। यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्ज़ी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ़ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों में फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है।

तोरई की तरकारी बहुत हल्की मानी जाती है।

तोरई छोटी, रूखी, तेज, उष्णवीर्य और उल्टी को दूर करने वाली है।

यह कफ-पित्त के रोग को दूर करने वाली, ख़ून को साफ़ करने वाली, निःसारक, सूजन और पेट की गैस को दूर करने वाली है।

पेट की गाँठें, रस और फल में कड़ुवा, ख़ून की बीमारी, तिल्ली के बढ़ने में, खाँसी, सांस सफ़ेद दाग़ (कुष्ठ), पीलिया, बवासीर और टी.बी. को दूर करती है।

तोरई का छिलका : तोरई का ताजा छिलका त्वचा पर रगड़ने से त्वचा साफ होती है।
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चावल 
चावल से तो प्रायः सभी परिचित होंगे, भारत के कई प्रदेशों में चावल मुख्य भोजन के रूप में शामिल है। चावल बहुत गुणकारी होता है, यह हलका व सुपाच्य भोज्य है, इसे बीमार तथा स्वस्थ सभी लोग पसंद करते हैं। पुराना चावल ज्यादा सुस्वादु लगता है।
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* मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
* जिनका पेट कमजोर हो यानी जो आसानी से भोजन न पचा पाते हों, उन्हें चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दें, फिर खिलाएं तो आराम होगा।
* तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। चावल को मांड सहित खाना चाहिए। मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है।
* चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है।


* अतिसार में चावल का आटा लेई की भांति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं।

* पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है। इसी के विपरीत भात को दही के साथ मिलाकर खाने से यदि दस्त लगे हों तो बंद हो जाते हैं।

* यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शकर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।

* सूर्योदय से पूर्व चावल की खील 25 ग्राम लेकर शहद मिलाकर खाकर सो जाएं। सप्ताहभर में आधासीसी सिर दर्द दूर हो जाएगा।