Saturday 21 December 2013

अंकुरित भोजन काया कल्प करने वाला अमृत आहार

हेल्थ बनाने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो न सिर्फ यह बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन  इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.....
* - अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।
* - अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।
* - अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन ,कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
* - अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है यह शरीर को सुंदर व स्वस्थ बनाता है।
* - अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहुं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
* - अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुद्घ करता है। *अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुद्घ होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। 
*- अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं। 
*- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।

Monday 2 December 2013

सहजन,अनार,हरिश्रिंगार और छाले के उपचार

 
मुनगा / सहजन / ड्रम स्टिक:
फूल, पत्ती,जड़ और तना
इन अंगों से वृक्ष बना
किसी वृक्ष के फल बेहतर
फूल किसी पर हैं सुंदर.

इन सबमें “मुनगा” बेजोड़
कौन करेगा इससे होड़.
सभी अंग में शक्ति भरी
वाह ! प्रकृति की जादूगरी.

फूल , पत्तियाँ और फली
खाने में लगती हैं भली
जड़ और छाल से बने दवा
गोंद भी उपयोगी इसका.

सेवन में अति पोषक है
यह जल का भी शोधक है.
सभी स्वाद से पहचाने
कम ही इसके गुण जाने.

पत्ती में है विटामिन – सी
फाइबर ,आयरन, कैल्शियम भी
खनिज तत्व और फास्फोरस
पत्ती की भाजी दिलकश.

पत्ती का चूर्ण चमत्कारी
गर्भवती , प्रसूता नारी
करे जो सेवन दूध बढ़े
नई पीढ़ी बलवान गढ़े.

फूल की सब्जी बढ़िया बने
बेसन के संग भजिया छने.
मुनगा फली की तरकारी
करें पसंद सब नर – नारी.

सहजन क्या है जान भी लो
इसकी ताकत मान भी लो
अंडा दूध से दूना प्रोटीन
कौन भला सहजन से हसीन.

दूध से चार गुना कैल्शियम
केले से तीन गुना पोटैशियम.
विटामिन - सी है सात गुना
नारंगी से, अधिक सुना.

विटामिन ए का अद्भुत स्त्रोत
गाजर से चौगुना अति होत.
लौह – तत्व पालक से अधिक
मुनगा कितना है पौष्टिक.

कार्बोहाइड्रेट , बी काम्पलेक्स
इसमें है सब का समावेश.
बीज से इरेक्टाइल डिस्फन्क्शन
की दवा बने, बढ़े यौवन.

दक्षिण अफ्रीका में कुपोषण
देख कहे विश्व-स्वास्थ्य संगठन
सहजन इन्हें खिलाया जाय
कुपोषण का यह सही उपाय.

मुनगे की चटनी और अचार
कई रोगों का है उपचार
बढ़ा विदेशों में व्यापार
करता है निर्यात “ बिहार “

दूषित जल पीकर मरते जन
इसका भी उपचार है सहजन
जल - शोधन की क्षमता इसमें
जन – जीवन की ममता इसमें.

हींग , सोंठ, अजवाइन के संग
जड़ का काढ़ा लाता है रंग
साइटिका से मुक्ति दिलाता
जोड़ों की पीड़ा को भगाता.

इसका गोंद चमत्कारी है
जोड़ों का पीड़ाहारी है
मुनगा एक वायुनाशक है
पोषक और लाभदायक है.

बड़े बुजुर्गों ने कुछ मानी
कुछ विज्ञान ने है पहचानी
यहाँ – वहाँ पढ़ – सुन कर जानी
बात जरूरी थी बतलानी.

मुनगे की महिमा क्या बतायें
शब्द बहुत कम हैं पड़ जायें.
कविता के गर सार में जायें
मुनगा सहजन को अपनायें.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
 
Health Advice (स्वास्थ्य सलाह) घरेलू नुस्खे

मुंह में अगर छाले हो जाएं तो जीना मुहाल हो जाता है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इसका इलाज आपके आसपास ही मौजूद है। मुंह के छाले गालों के अंदर और जीभ पर होते हैं। संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान-मसालों का सेवन छाले का प्रमुख कारण है। छाले होने पर बहुत तेज दर्द होता है।
मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार–

शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें।

मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।
छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों परलगाने चाहिए।

अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए। या केवल अमलतास के गूदे को मुंहमें रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं


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* रोज एक गिलास अनार का जूस पीजिए। अनार का रस पेट पर जमी चर्बी तथा कमर पर टायर की तरह लटकते मांस को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

* अपच : यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें।

* प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं।

* दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।

* अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है।

* अत्यधिक मासिक स्राव में : अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच फाँकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से रक्त स्राव रुक जाता है।

* मुँह में दुर्गंध : मुँह में दुर्गंध आती हो तो अनार का छिलका उबालकर सुबह-शाम कुल्ला करें। इसके छिलकों को जलाकर मंजन करने से दाँत के रोग दूर होते हैं।

* अनार आपका मूड अच्छा करता है और साथ ही याददाश्त बढ़ाता है। तनाव से भी आपको निजात दिलाता है।


हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है।

परिचय : यह 10 से 15 फीट ऊँचा और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है और देशभर में खास तौर पर बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है। विशेषकर मध्यभारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादातर पैदा होता है। इसके फूल बहुत सुगंधित और सुन्दर होते हैं जो रात को खिलते हैं और सुबह मुरझा जाते हैं।

विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत- पारिजात, शेफालिका। हिन्दी- हरसिंगार, परजा, पारिजात। मराठी- पारिजातक। गुजराती- हरशणगार। बंगाली- शेफालिका, शिउली। तेलुगू- पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल- पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम - पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़- पारिजात। उर्दू- गुलजाफरी। इंग्लिश- नाइट जेस्मिन। लैटिन- निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस।

गुण : यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है।

रासायनिक संघटन : इसके फूलों में सुगंधित तेल होता है। रंगीन पुष्प नलिका में निक्टैन्थीन नामक रंग द्रव्य ग्लूकोसाइड के रूप में 0.1% होता है जो केसर में स्थित ए-क्रोसेटिन के सदृश्य होता है। बीज मज्जा से 12-16% पीले भूरे रंग का स्थिर तेल निकलता है। पत्तों में टैनिक एसिड, मेथिलसेलिसिलेट, एक ग्लाइकोसाइड (1%), मैनिटाल (1.3%), एक राल (1.2%), कुछ उड़नशील तेल, विटामिन सी और ए पाया जाता है। छाल में एक ग्लाइकोसाइड और दो क्षाराभ होते हैं।

उपयोग : इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है।

गृध्रसी (सायटिका) : हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएँ।

ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।

Sunday 1 December 2013

गले में खराश हो तो क्या करें ?आँखों की रोशनी बढ़ाने को पपीता-बीज चबाएँ।!


पपीता.....

कच्चा ताजा हरा पपीता
कई गुणों से भरा पपीता
सब्जी बना कर खाया जाता

सबके मन को बहुत है भाता.

जैसे - जैसे पकता जाये
पीले रंग में ढलता जाये.
विटामिन – सी बढ़ता जाये
मधुर स्वाद से सजता जाये.

प्रकृति का वरदान पपीता
औषधि गुण की खान पपीता
है अमृत के समान पपीता
कर देता बलवान पपीता.

इसमें ए बी सी डी विटामिन
थायमीन और रीबोफ्लेविन
एस्कोर्बिक एसिड और प्रोटीन
कार्पेसमाइन , बीटा केरोटीन.

तत्व सभी ये हैं हितकारी
करते दूर कई बीमारी
सब्जी , फल दोनों उपयोगी
रखें देह को सदा निरोगी.

इसके बीज भी गुणकारी हैं
और बड़े ही चमत्कारी हैं
बीज चबा - चबा जो खाये
आँखों की रोशनी बढ़ जाये.

ब्यूटीपार्लर न जाना चाहे
तन सुंदर भी बनाना चाहे
पके पपीते का पेस्ट बनाये
मालिश देह की वह कर जाये.

थोड़ी देर यूँ ही सुस्ताये
उसके बाद स्नान कर आये
जो भी ये युक्ति अपनाये
त्वचा नर्म कांतिवान हो जाये.

कच्चा पपीता माह भर खाये
मोटापा वह दूर भगाये.
यह चर्बी को कम है करता
और शरीर को चुस्त है रखता.

अगर त्वचा पर दाद हो जाये
कच्चे पपीते का दूध लगाये
शीघ्र ही अपना असर दिखाये
दाद खाज का नाश हो जाये.

पका पपीता पाचक होता
उदर रोग में लाभदायक होता
तन में शक्ति का स्त्रोत बढ़ाता
और नेत्र की ज्योत बढ़ाता.

गर्भवती स्त्री को बतायें
कच्चा पपीता कभी न खायें.
राय चिकित्सक की ले आयें.
तब ही कोई कदम बढ़ायें.

खाने में स्वादिष्ट पपीता
करता है आकृष्ट पपीता
सभी फलों में अच्छा पपीता
पका पपीता , कच्चा पपीता.


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )


Health Advice (स्वास्थ्य सलाह) घरेलू नुस्खे

क्या आपके गले में हमेशा खराश बनी रहती है? :
 इसे हल्के में न लें। मौसम का बदलाव या सर्द-गर्म की वजह से इसे एक आम परेशानी न समझें। गले की खराश टॉन्सिल या गले का गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। कैसे निबटें इस परेशानी से:-

मौसम बदलते ही गले में खराश होना आम बात है। इसमें गले में कांटे जैसी चुभन, खिचखिच और बोलने में तकलीफ जैसी समस्याएं आती हैं। ऐसा बैक्टीरिया और वायरस के कारण होता है। कई बार गले में खराश की समस्या एलर्जी और धूम्रपान के कारण भी होती है। गले के कुछ संक्रमण तो खुद-ब-खुद ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में इलाज की ही जरूरत पड़ती है। आमतौर पर लोग गले की खराश को आम बात समझ कर इस समस्या को अनदेखा कर देते हैं। लेकिन गले की किसी भी परेशानी को यूं ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है।

गले में खराश गले का इंफेक्शन है, जिसमें गले से कर्कश आवाज, हल्की खांसी, बुखार, सिरदर्द, थकान और गले में दर्द खासकर निगलने में परेशानी होती है। हमारे गले में दोनों तरफ टॉन्सिल्स होते हैं, जो कीटाणुओं, बैक्टीरिया और वायरस को हमारे गले में जाने से रोकते हैं, लेकिन कई बार जब ये टॉन्सिल्स खुद ही संक्रमित हो जाते हैं, तो इन्हें टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। इसमें गले के अंदर के दोनों तरफ के टॉन्सिल्स गुलाबी व लाल रंग के दिखाई पडम्ते हैं। ये थोड़े बड़े और ज्यादा लाल होते हैं। कई बार इन पर सफेद चकत्ते या पस भी दिखाई देता है। वैसे तो टॉन्सिलाइटिस का संक्रमण उचित देखभाल और एंटीबायोटिक से ठीक हो जाता है, लेकिन इसका खतरा तब अधिक बढ़ जाता है, जब यह संक्रमण स्ट्रेप्टोकॉक्कस हिमोलिटीकस नामक बैक्टीरिया से होता है। तब यह संक्रमण हृदय एवं गुर्दे में फैलकर खतरनाक बीमारी को जन्म दे सकता है।


नमक के गुनगुने पानी से गरारे करें। इससे गले में आराम मिलेगा।

अदरक, इलायची और काली मिर्च वाली चाय गले की खराश में बेहद आराम पहुंचाती है। साथ ही इस चाय में जीवाणुरोधक गुण भी हैं। इस चाय को नियमित रूप से पीने से गले को आराम मिलता है और खराश दूर होती है।

धूम्रपान न करें और ज्यादा मिर्च-मसाले वाला भोजन न लें।

खान-पान में विशेष तौर पर परहेज बरतें। फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं, न ही अन्य ठंडी चीजें खाएं। एहतियात ही इस परेशानी का हल है।

गले का संक्रमण आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके अलावा फंगल इंफेक्शन भी होता है, जिसे ओरल थ्रश कहते हैं। किसी खाने की वस्तु, पेय पदार्थ या दवाइयों के विपरीत प्रभाव के कारण भी गले में संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा गले में खराश की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। खानपान में त्रुटियां जैसे ठंडे, खट्टे, तले हुए एवं प्रिजर्वेटिव खाद्य पदार्थों को खाने और मुंह व दांतों की साफ-सफाई न रखने के कारण भी गले में सक्रमण की आशंका कई गुना बढ़ जाती है

Saturday 30 November 2013

दर्द भगाये प्याज और कद्दू में हैं औषधीय गुन: इसमें होता बीटा केरोटिन



कद्दू......

सब्जी लेने गये थे दद्दू
लेकर आये बड़ा सा कद्दू.
बच्चे देखके मुँह बिचकाये

उनको कद्दू तनिक न भाये.

दद्दू ने तब स्थिति भाँपी
तुरत निकाली जेब से टॉफी.
बच्चे खुश हो पास में आये
दद्दू , दद्दू कह चिल्लाये.

सब बच्चों ने टॉफी खाई
मुनिया थोड़ी सी झुंझलाई.
बोली दद्दू दियो बताये
ऐसा क्या जो कद्दू लाये.

तब दद्दू जी जरा मुस्काये
और गोद में उसे उठाये
बोले मुनिया बिटिया सुन
कद्दू में हैं औषधीय गुन.

इसमें होता बीटा केरोटिन
जो देता हमें ‘ए’ विटामिन
कम करता है यह कोलेस्ट्राल
हृदय को रखता खूब सम्भाल.

शर्करा की मात्रा रखे नियंत्रित
पेंक्रियाज को करे परिवर्द्धित
गड़बड़ी पेट की करता दूर
मूत्रवर्धक भी है भरपूर.

यह सुपाच्य ठंडक पहुँचाता
मंगल काज नें खाया जाता
जब उपवास करे नर-नारी
सेवन करते हैं फलाहारी.

सब्जी या फिर हल्वा बनाओ
इसके फूल का भजिया खाओ.
छिलका भी इसका लाभदायक
दूर करे ये रोग संक्रामक.

जब उन्तीस सितम्बर आये
कई देश पंपकिन डे मनाये.
कद्दू की महिमा यूँ सुनाई
बात समझ बच्चों के आई.

एक साथ सब बोले दद्दू !
इतना गुणकारी है कद्दू
आज से हम इसको खायेंगे
चलिये हल्वा बनवायेंगे.


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
 

प्याज :

प्याज (कांदा ) दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो व्यक्ति रोजाना कच्चा प्याज खाते हैं उन्हें दांत दर्द की शिकायत होने की संभावना कम रहती है क्योंकि प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं। अगर आपके दांत में दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा प्याज चबाएं। ऐसा करने के कुछ हीं देर बाद आपको आराम महसूस होने लगेगा।












Friday 29 November 2013

टमाटर,आंवला,अंकुरित अनाज,चुकंदर के औषद्धीय प्रयोग


टमाटर
लाल लाल और गोल टमाटर
गुण में है अनमोल टमाटर.
हर सब्जी में डाला जाता
सबके मन को खूब सुहाता.

हरी मिर्च, लहसुन औ धनिया-
के संग पीसो चटनी बढ़िया
या सलाद में डाल के खाओ
चाहे इसका सूप बनाओ.

उपयोगी और गुणकारी है
दूर करे कई बीमारी है.
गुर्दे के रोगों में हितकर
पाचन-शक्ति बनाये बेहतर.

विटामिन ‘ए’, सी उपयोगी
तन को रखते सदा निरोगी.
साइट्रिक और मैलिक एसिड
मिलकर काम करे एंटासिड.

अधिक पके और लाल टमाटर
खायें और भगायें कैंसर.
इसके रस से रूप निखरता
मोटापा भी दूर ये करता.

बड़ा लाभकारी है टमाटर
प्रकृति की अनमोल धरोहर.
आओ इसके लाभ उठायें
और टमाटर प्रतिदिन खायें.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )

आंवला विटामिन सी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. देखने में यह फल जितना साधारण प्रतीत होता है, उतना ही स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी है. 
एक आंवला चार नीबू के बराबर लाभकारी होता है.
 एक आंवले में 30 संतरों के बराबर vitamin C होता है है इसे अपने आहार में स्थान दें यह त्वचा की कांति को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है. 
यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. यह ठंडी प्रवृति का होता है. यह हमें कई समस्याओं से निजात दिलाता है.
 इसके नियमित सेवन से हमारा पाचन तंत्र मजबूत रहता है.

Thursday 28 November 2013

करेला व अरहर दाल से त्वचा उपचार

करेला :

त्वचा-खुरदरी, कड़ुआ स्वाद
गुण के कारण आये याद.
अवगुण पर गुण होते भारी
सिद्ध करे इसकी तरकारी.

स्वादिष्ट, पौष्टिक है सब्जी
खाकर देखें इसकी भुरजी.
कोई भरवाँ इसे बनाये
मेहमानों में शान बढ़ाये.

फिर भी चाहने वाले चंद
लेकिन यह है फायदेमंद.
औषधीय गुण का भंडार
करे त्वचा के दूर विकार.

यह कितना ज्यादा उपयोगी
जाने मधुमेह के रोगी.
यह है एक एंटीऑक्सीडेंट
बढ़ाये मेटाबोलिजम परसेंट.

पेट के कीड़ों का यह नाशक
भूख बढ़ाये , है अति पाचक.
पत्ते , बीज सभी गुणकारी
करें दूर ये कई बीमारी.

प्रकृति के संग शक्ति बढ़ाना
सब्जी, फल अनमोल खजाना.
रंगरूप पर कभी न जाना
गुणीजनों से प्रीत बढ़ाना.


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )



Health Advice (स्वास्थ्य सलाह) घरेलू नुस्खे  
September 10, 2013 to their timeline.
खुजली एक त्‍वचा रोग है, जिससे ब्‍याक्ति काफी परेशान और निराश हो जाता है। खुजली के लिए सबसे कारगर उपाय है तेल की मालिश जिससे रूखी और बेजान त्‍वचा को नमी मिलती है।

1. खुजली होने पर प्राथमिक सावधानी के तौर पर सफाई का पूरा ध्‍यान रखिए।
2. साबुन का प्रयोग जितना भी हो सकता है कम कर दें और सिर्फ मृदु साबुन का ही प्रयोग करें।
3. शुष्क त्वचा के कारण होने वाली खुजली को दूध की क्रीम लगाने से कम किया जा सकता है।
4. अगर आपको कब्‍ज है तो उसका भी इलाज करवाएं।
5. हफ्ते में दो बार मुल्‍तानी मिट्टी और नीम की पत्‍ती का लेप लगाएं, उसके बाद साफ पानी से शरीर को धो लें।
6. थोडा सा कपूर लेकर उसमें दो बड़े चम्‍मच नारियल का तेल मिलाकर खुजली वाले स्‍थान पर नियमित लगाने से खुजली मिट जाती है। हां, तेल को हल्‍का सा गरम करके ही कपूर में मिलाए।
8. नारियल तेल का दो चम्‍मच लेकर उसमें एक चम्‍मच टमाटर का रस मिलाइए। फिर खुजली वाले स्‍थान पर भली प्रकार से मालिश करिए। उसके कुछ समय बाद गर्म पानी से स्‍नान कर लें। एक सप्‍ताह ऐसा लगातार करने से खुजली मिट जाएगी।
9. यदि गेहूं के आटे को पानी में घोल कर उसका लेप लगाया जाए, तो विविध चर्म रोग, खुजली, टीस, फोडे-फुंसी के अलावा आग से जले हुए घाव में भी राहत मिलती है।
10. सवेरे खाली पेट 30-35 ग्राम नीम का रस पीने से चर्म रोगों में लाभ होता है, क्‍योंकि नीम का रस रक्‍त को साफ करता है।
11. खुजली से परेशान लोगों को चीनी और मिठाई नहीं खानी चाहिए। परवल का साग, टमाटर, नीबू का रस आदि का सेवन लाभप्रद है।
12. खुजली वाली त्वचा पर नारियल तेल अथवा अरंडी का तेल लगाने से बहुत फायदा मिलता है।
13. नींबू का रस बराबर मात्रा में अलसी के तेल के साथ मिलाकर खुजली वाली जगह पर मलने से हर तरह की खुजली से छुटकारा मिलता है।
14. अगर खुजली पूरे शरीर में फैल रही है तो 3 या 4 दिनों तक पीसी हुई अरहर की दाल दही में मिश्रित करके पूरे शरीर पर लगायें। इससे खुजली फैलने से रुक जायेगी और जल्द ही गायब भी हो जायेगी।

Tuesday 26 November 2013

मूली,गाजर,पालक और नमक से उपचार


Arun Kumar Nigam
 मूली

हरा दुपट्टा , गोरी काया
सबका दिल है इस पर आया.
ना सखि जूही, ना सखि जूली
नाम गँवइहा है मिस – मूली.

नन्हीं नटखट ,बड़ी चरपरी
लेकिन होती, बहुत गुणभरी.
है सुडौल और छरहरी काया
उसने इसका राज बताया.

मूली- नीबू रस पी जाओ
मोटापे को दूर भगाओ.
रस मिश्रण चेहरे पे लगाओ
और कांतिमय चेहरा पाओ.

मूली का रस सिर में लगाना
लीख - जुँओं से छुट्टी पाना.
जो मूली का रस पी जाता
मूत्र सम्बंधी नहीं रोग सताता.

कोई याद करे हरजाई
और तुम्हें गर हिचकी आई.
मित्र जरा भी मत घबराना
मूली के पत्तों को चबाना.

मूली के पत्ते मत फेंको
लवन विटामिन भरे अनेको
सेंधा- नमक लगाकर खायें
मुख-दुर्गंध को दूर भगायें.

मूली में प्रोटीन, कैल्शियम
गंधक ,आयोडीन, सोडियम
लौह तत्व, विटामिन बी,सी
गुण इसके कह गये मनीषी.

पतली वात,पित्त,कफ नाशक
मोटी मूली है त्रिदोष कारक.
विटामिन ‘ए’ का है खजाना
पतली- चरपरी मूली खाना.

इसे सलाद के रूप में खायें
या फिर इसकी सब्जी बनायें
मूली की भाजी है रुचिकर
मूली का रस अति श्रेयस्कर.

गरमागरम मूली के पराठे
शीत ऋतु में मन को भाते.
बहुत चमत्कारी है मूली
मत इसको कहना मामूली.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )

 
गाजर...

ठंडी का है मौसम छाया
हल्वा खाने मन ललचाया
बिट्टू लेकर गाजर आया
मम्मी से हल्वा बनवाया.

कद्दूकस में गाजर को किस
खोवा,दूध औ काजू किसमिस
पलभर में तैयार है हल्वा
बहुत खूब बिट्टू का जल्वा.

पापा जी जब हल्वा खाये
गुण गाजर के यूँ बतलाये
ए, बी, सी, डी, ई, जी और के
विटामिन ये सब गाजर के.

रक्त, नेत्र की ज्योत बढ़ाये
यह शक्ति का स्त्रोत बढ़ाये
कच्ची गाजर भी गुणकारी
दूर करे ये कई बीमारी.

पाचन तंत्र की करे सफाई
पेट के कीड़े मरते भाई
लाल और केसरिया रंग है
यह सलाद का प्रमुख अंग है.

इसमें होता बिटा कैरोटिन
कैंसर से जो बचाता हर छिन
कैल्सियम भी पाया जाता
जो हड्डी मजबूत बनाता.

दिल की धड़कन तेज हो जायें
गाजर थोड़ा भून के खायें
बवासीर, सूजन , दुर्बलता
पथरी का भी नाश ये करता.

पैक्टीन -फाइबर भी सम्मिलित
जो राखे कोलेस्ट्राल संतुलित
एंटी - आक्सीडेंट हितकारी
त्वचा सदा रहती सुकुमारी.

सर्दी आई , गाजर खाओ
खाओ और खिलाते जाओ
सेहत अपनी खूब बनाओ.
अपने मित्रों को बतलाओ.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
 
Health Advice (स्वास्थ्य सलाह) घरेलू नुस्खे
बुखार

बदलते मौसम में बुखार की चपेट में आना एक आम बात है। कभी वायरल फीवर के नाम पर तो कभी मलेरिया जैसे नामों से यह सभी को अपनी चपेट में ले लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा इस बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना देता है। पर घबराइए नहीं सभी तरह के बुखार की एक अचूक दवा है भुना नमक। इसके प्रयोग किसी भी तरह के बुखार को उतार देता है।



भुना नमक बनाने की विधि- खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर कॉफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें।जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से आपको बुखार कभी पलट कर नहीं आएगा।



विशेष :-

- हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह विधि नहीं अपनानी चाहिए।


- यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी को ठण्ड न लगे।


- अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।


- इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके बाद उसे दूध चाय या हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।


 पालक................

हरी-हरी पालक की भाजी
हर मौसम में मिलती ताजी.
कच्ची पालक लगती खारी
नमक की मात्रा होती भारी.

इसमें नमक जरा कम डालें
कुदरती नमक का लाभ उठालें.
विटामिन ए, बी, सी वाली
चेहरे पर लाती है लाली.

लौह कैल्शियम लवण भरे हैं
गुणकारी कई तत्व खरे हैं
प्रचुर मात्रा में है पानी
भैया पालक है वरदानी.

कील मुहासों को कम करती
त्वचा कांतिमय खूब निखरती.
इसे टमाटर के संग खायें
और शरीर में रक्त बढ़ायें.

कच्ची पालक भी हितकारी
पालक का रस है गुणकारी.
इसका रस है पोषणकर्ता
संक्रामक रोगों को हरता.

बालों को झड़ने से रोके
देह में शक्ति रखे संजोके.
पेट आँत की करे सफाई
पालक का रस है सुखदाई.

पालक की सब्जी मन भाये
स्वस्थ रखे और भूख बढ़ाये.
रुचिकर और शीघ्र पाचक है.
पालक सचमुच ही पालक है.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )



पालक मानव के लिए बेहद उपयोगी है। पालक को आमतौर पर केवल हिमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए गुणकारी सब्जी माना जाता है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि पालक में इसके अलावा और भी कई गुण है जिनसे सामान्य लोग अनजान है। तो आइए हम आपको पालक के कुछ ऐसे ही अद्भूत गुणों से अवगत करवाते हैं उसके पश्चात आप जान सकेंगे कि आप पालक क्यों खायें ?

पालक, मेथी, ऐमारैंथ, सलाद पत्ता, अजवायन, सेलरी की तरह की पत्तेदार सब्जियाँ ‘बीटा कैरोटीन' की एक अच्छी स्रोत होती हैं| इसके अलावा उनमें से कुछ कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन सी और पोषक तत्व भी प्रदान करती हैं। पालक में उपस्थित ‘ग्लूटाथिऑन', कैंसर से रक्षा करने वाला एक सक्रिय घटक है|
  पालक में पाये जाने वाले विभिन्न तत्व- 100 ग्राम पालक में 26 किलो कैलोरी उर्जा ,प्रोटीन 2 % ,कार्बोहाइड्रेट 2.9 %, नमी 92 % वसा 0.7 %, रेशा 0.6 % ,खनिज लवन 0.7 % और रेशा 0.6 % होता हैं। पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्सियम, मैग्नीशियम ,लौह, तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं।
इसके अतिरिक्त यह रेशेयुक्त, जस्तायुक्त होता है।
इन्हीं गुणों के कारण इसे जीवन रक्षक भोजन भी कहा जाता हैं।

पालक में पाये जाने वाले गुण- पालक खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। खून की कमी से पीड़ित व्यक्तियों को पालक खाने से काफी फायदा पहुंचता है।

गर्भवती स्त्रियों में फोलिक अम्ल की कमी को दूर करने के लिए पालक का सेवन लाभदायक होता है।
पालक में पाया जाने वाला कैल्शियम बढ़ते बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों और गर्भवती स्त्रियों व स्तनपान कराने वाली स्त्रियों के लिए वह बहुत फायदेमंद है।

इसके नियमित सेवन से याददाश्त भी मजबूत होती है। 

शरीर बनाएं मजबूत- पालक में मौजूद फ्लेवोनोइड्स एंटीआक्सीडेंट का काम करता हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के अलावा हृदय संबंधी बीमारियों से लड़ने में भी मददगार होता है।
सलाद में इसके सेवन से पाचनतंत्र मजबूत होता है। इसमें पाया जाने वाला बीटा कैरोटिन और विटामिन सी क्षय होने से बचाता है।

ये शरीर के जोड़ों में होने वाली बीमारी जैसे आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस की भी संभावना को घटाता है।

आंखों के लिये लाभकारी- पालक आंखो के लिए काफी अच्छी होती है। यह त्वचा को रूखे होने से बचाता है।

बाल गिरने से रोकने के लिए रोज पालक खाना चाहिए। पालक के पेस्ट को चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है।

पालक कब न खायें? पालक वायुकारक होती है अतः वर्षा ऋतु में इसका सेवन न करें

Monday 25 November 2013

थायराड के लिए अश्वगंधा





*****थायराइड के लिए अश्वगंधा*********
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* थायरॉयड, गर्दन में स्थित एक ग्रंथि होती हैं और वह थायरोक्सिन नाम के हार्मोन का उत्पादन करती हैं, जो शरीर की चयापचय प्रक्रिया को विनियमित करने में मदद करता है। थायरोक्सिन हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) की कमी से बच्चों में बौनापन और वयस्कों में सबकटॅनेअस चरबी बढ़ जाती हैं। और अतिरिक्त (हायपरथायरोडिझम) हार्मोन गण्डमाला का कारण बनता हैं। हायपरथायरोडिझम की स्थिती 30 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं में ज्यादा आम पायी जाती हैं। इसके लक्षणों में, गुस्सा, ज्यादा चिंता, दिल के धडकन का तेज दर, गहरा या उथला श्वसन, मासिक धर्म में बाधा, थकान और उभरी हुई आँखें आदी दिखते हैं। हालांकि यह सभी लक्षण एक साथ प्रकट नहीं हो सकते है, उनमें से कोई एक हायपरथायरोडिझम का संकेत हो सकता हैं।

थायरोक्सिन की निष्क्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो सकता हैं, आयोडीन की कमी या थायराइड विफलता के कारण थकान, सुस्ती और हार्मोनल असंतुलन होता है। अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये, तो यह मायक्झोएडेमा का कारण बन सकती हैं, जिसमें त्वचा और ऊतकों में सूजन होती हैं।

आयुर्वेदिक उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली अश्वगंधा, जड़ी बूटी इस रोग के दोनों रुपों, हायपर और हायपो के लिए जवाब साबित हो सकती हैं। यह भारत, अफ्रीका और भूमध्य सागर के सुखे क्षेत्रों में बढ़ती हैं। और इसका लैटिन नाम विथानिआ सोमनिफेरा हैं।

नीचे चार कारण दिये गये हैं, जिस के कारण इसका इस्तेमाल थाइरोइड के लिए किया जा सकता हैं।

1.यह आपके शरीर के साथ काम करती हैं, उसके खिलाफ नहीं।
2.यह एक एडाप्टोजेन हैं, एक हर्बल उत्पाद, जो शरीर की तनाव, आघात, चिंता और थकान के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता हैं। एडाप्टोजेन एक पुनः निर्माण करने वाली जड़ी बूटी हैं, आयुर्वेदिक संदर्भ में 'रसायना' और बलवर्धक हैं। यह पुष्टिकारक औषधी (टॉनिक) जड़ी बूटी भी हैं और नियमित रूप से ली जा सकती हैं। और वह अंतःस्त्रावी प्रणाली (हार्मोन) को ठीक भी करती हैं, जिससे व्यक्ति को हार्मोनल संतुलन की पुनःप्राप्ती होने में मदद मिलती हैं, और बेहतर महसूस होता हैं।
3.अश्वगंधा का उपयोग कर रहे व्यक्तियों के उपाख्यानात्मक सबूत और वास्तविक अनुभव यह दर्शाते हैं, कि एडाप्टोजेन सभी प्रकार के लोगों पर, इतना ही नही विशेष बीमारी के चरम से पीड़ित लोगों पर भी कारगर हैं। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति इसे एक मंद थाइरोइड को सही करने के लिए ले सकता है, जबकि दुसरा अन्य इसका उपयोग अपने अति सक्रिय थाइरोईड के इलाज के लिए ले सकता हैं।
4.वैज्ञानिकों को इन निरिक्षणों ने चौका दिया हैं, क्योंकि इसका शरीर पर एक समग्र प्रभाव हैं। अलग और तटस्थ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को, इस बड़ी पहेली को हल करना मुश्किल लगता हैं

यह जड़ी बूटी एक टॉनिक के रूप में हजारों वर्षों से इस्तेमाल की जा रही हैं, इसलिए इसको एक व्यक्ती दीर्घ अवधि के लिए, किसी दुष्प्रभाव की संभावना के बिना उपयोग कर सकता हैं।

प्रति दिन 200 से 1200 मिलीग्राम की छोटीसी खुराक आपको लेनी चाहिए। यदि गंध अनचाही हैं, तो यह एक चाय के साथ मिलाकर जिसे उत्तेजक गर्म पेय बनाने के लिए तुलसी मिलायी जा सकती हैं या सूथी(ताजे फलो के रस के साथ आईसक्रिम, दही या दुध मिलाकर बनाया एक गाढा मुलायम पेय) में लिया जा सकता हैं।

उपचार प्रभावी हो रहा हैं, यह निर्धारित करने के लिए अपने थायराइड हार्मोन की जाँच करना और 2 से 3 महीने की अवधि के बाद एक सकारात्मक बदलाव के लिए उनकी फिर से जाँच कराना एक सर्वोत्तम तरीका हैं।

किसी भी मामले में, अगर आप अश्वगंधा का उपयोग शुरू करना चाहते हैं, तो अपने परिवार के चिकित्सक के साथ पहले इसके बारे में चर्चा करना एक अच्छा विचार हैं।

Sunday 24 November 2013

गुलाब और हरी मिर्च.......

गुलाब के नाम पर न जाने कितनी कविताएं पढ़ी होंगी आपने। गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने में यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।
* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।
* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ, फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद उपयोगी होता है।
* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है। पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।
* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे पर मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।
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हरी मिर्च.......


हरी मिर्च की छबि निराली

बड़ी चुलबुली नखरे वाली.

चिकनी हरी छरहरी काया

रूप देख कर मन ललचाया.




ज्योंहि मुँह से इसे लगाया

सी सी सी सी कह चिल्लाया.

पानी पीकर शक्कर खाई

तब जाकर राहत मिल पाई.




मिर्ची बिन सब्जी तरकारी

स्वादहीन हो जाए बेचारी.

चटनी चाट कचौड़ी फीकी

जबतक मिर्ची ना हो तीखी.




तरुणाई तक हरा रंग है

ढली उमरिया लाल बम्ब है.

शिमला मिर्च है गूदे वाली

मिर्च गोल भी होती काली.




हरी मिर्च दिखलाती शोखी

लाल मिर्च लगती है चोखी

शिमला मिर्च बदन से मोटी

काली मिर्च औषधि अनोखी.




भिन्न-भिन्न है इसकी किस्में

विटामिन - सी होता इसमें.

इसके गुण का ज्ञान है जिसमें

विष हरने के करे करिश्में.




सब्जी में यह डाली जाए

कोई इसको तल कर खाए

जब अचार के रूप में आए

देख इसे मुँह पानी आए.




हरी मिर्च की चटनी बढ़िया

गर्म-गर्म हो मिर्ची भजिया

फिर कैसे ना मनवा डोले

फूँक के खाए हौले-हौले.




खाने में तो काम है आती

कभी मुहावरा भी बन जाती.

मिर्च देख कर प्रीत जगी है

काहे तुझको मिर्च लगी है.




फिल्मी गीतों में भी आई

छोटी सी छोकरी नाम लाल बाई

इच्च्क दाना बिच्चक दाना

याद आया वो गीत पुराना ?




नीबू के संग कैसा चक्कर

जादू – टोना, जंतर – मंतर

धूनी में जब डाली जाए

बड़े-बड़े यह भूत भगाए.




मिर्च बड़ी ही गुणकारी है

तीखी है लेकिन प्यारी है

लेकिन ज्यादा कभी न खाना

कह गए ताऊ , दादा , नाना.




अति सदा होता दु:खदाई

सेवन कम ही करना भाई.

रखिए बस व्यवहार संतुलित

मन को कर देगी ये प्रमुदित.




अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )