Tuesday 29 April 2014

डायबिटीज़ और थायराड के प्रकृतिक उपचार

https://www.facebook.com/narendra.parihar.186/posts/304362013045183


sach jo aap bhi apnaiye diabities ho ya na ho .................

विचित्र किंतु सत्य..!!
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20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में दो बार इन्सुलिन लेने को विवश थीं, आज इस रोग से पूर्णतः मुक्त होकर सामान्य सम्पूर्ण आहार ले रही हैं | जी हाँ मिठाई भी |
डाक्टरों ने उस महिला को इन्सुलिन और अन्य ब्लड सुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने की सलाह दी है |
और एक ख़ास बात | चूंकि केवल दो सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णतः प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा, अतः इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है |
मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं तथा इसे आश्चर्यजनक माना है |
अतः आग्रह है कि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें |
देखिये कितना आसान है इस औषधि को घर में ही निर्मित करना |
आवश्यक वस्तुएं–
> 1 – गेंहू का आटा 100 gm.
> 2 – वृक्ष से निकली गोंद 100 gm.
> 3 - जौ 100 gm.
> 4 - कलुन्जी 100 gm.
> निर्माण विधि-
उपरोक्त सभी सामग्री को ५ कप पानी में रखें | आग पर इन्हें १० मिनिट उबालें |
इसे स्वयं ठंडा होने दें | ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें |
> उपयोग विधि-
सात दिन तक एक छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना |
अगले सप्ताह एक दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना | मात्र दो सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं |
साभार-Dr. Sanjeev Agarwal, Meerat City (U.P.) 09412835222
(फेसबुक मित्र रश्मि शर्मा जी से साभार)
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Tuesday 22 April 2014

Health benefits of Ridge Gourd/ Tori/ Turai :



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Health benefits of Ridge Gourd/ Tori/ Turai :
1. Excellent blood purifier
Ingesting the ridge gourd within your frequent diet is an effective way of cleansing your blood for the pollutants which get combined along with it. In addition, it acts to boost the liver health and serves to decrease the side results of alcohol intoxication.
2. Possessing laxative properties
This particular veggie is additionally recognized for having healthy laxative qualities. The ridge gourd may serve as a highly effective alleviation towards the constipation problems and may even be utilized to cure piles disease. It features a managing impact on the working ability of the stomach.
3. Cure for jaundice
For very long, the medicinal properties of healing jaundice have been related to the ridge gourd. Juice obtained from this particular vegetable is offered to such patients, whilst the seeds as well as dry crust of the vegetable additionally serve exactly the same objective.
4. Beneficial for diabetes
Particular qualities built into the ridge gourd allow it to be of assistance to the diabetics. This is mainly because of the existence of insulin just like peptides within this vegetable that provide to reduce the sugar level in both the blood along with the urine. Additionally, it restricts the blood insulin level to the reasonable quantity.
5. Aiding weight loss
There are a multitude of causes of including the ridge gourd in your weight loss program. First it is extremely lower in saturated fats content; secondly, it possesses a lower consumption of cholesterol towards the body; thirdly, it offers very reasonable amount of fat and calories; fourthly, it includes a lot of water within it.
Consuming this particular veggie keeps you satiated for extended time period, minimizing your want to eat again. Last however not the least, the nutritional value which it offers by means of dietary fibers, vitamins and minerals is a wonderful help to lose weight.
6. Anti-inflammatory and anti-biotic
Anti-inflammatory as well as anti-biotic properties seemed to be related to this particular vegetable. It is just a excellent natural method of eliminating the toxic compounds through the entire body. It’s got always been utilized like a home treatment solution for skincare. It may also be utilized for liberation from intoxication.
7. Fortifying the immune system
A strong defense mechanisms means that the body will be better able to defend against bacterial infections as well as maintain in the healthy way soon after catching up illnesses. Juice obtained from the ridge gourd is recognized for conditioning the defense mechanisms and therefore allowing it to combat in the better way towards infections as well as viruses.
8. Skin care
Whenever ridge gourd/loofah is allowed to mature and also dry within the vine, it may be harvested like a sponge. Everything (skin and seeds) is taken away from them apart from the primary network. Loofah sponge has been utilized historically just as one exfoliation product whenever bathing. They’re excellent for eliminating the dead skin cells leaving behind the skin smooth as well as conditioned. They could also assist encourage the skin therefore rendering it healthier and much more radiant. The blood purifying qualities ensure that you stay clear of pimples as well as acne. Loofah sponge may also help manage body as well as foot odor.
Loofah sponge, as being a natural fiber, will certainly attract the development of mold as well as microbes if not looked after correctly. It is therefore important to help keep loofah sponge clean by making sure you rinse off all soaps or even salt residues and let it to air dry right after use.
9. Good for stomach
Cellulose within ridge gourd helps you to conquer bowel problems and in addition helps with healing piles.

Friday 18 April 2014

प्याज के नियमित सेवन से लाभ

http://religion.bhaskar.com/article-hf/FM-AN-yoga-remedies-of-raw-onion-4582194-PHO.html?seq=1


उज्जैन। खाने के साथ सलाद के रूप में प्याज का उपयोग किया जाता है। इसका सेवन गर्मियों में विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है। प्याज के नियमित सेवन से लू नहीं लगती है। साथ ही, गर्मी से जुड़ी कई अन्य बीमारियां भी दूर रहती हैं। सैंडविच हो, सलाद या फिर चाट, प्याज सभी के स्वाद को दोगुना कर देता है। यदि आपको डर है कि प्याज खाने से मुंह से दुर्गंध आएगी तो खाने के बाद माउथ फ्रेशनर खाइए या ब्रश कर लीजिए, लेकिन प्याज जरूर खाइए।
आहार विशेषज्ञों की मानें तो यह यौन दुर्बलता को दूर करने में भी बहुत उपयोगी है। यौन शक्ति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्याज एक सस्ता एवं सुलभ विकल्प है। आइए, आज हम आपको बताते हैं प्याज के कुछ ऐसे ही उपयोग और गुणों के बारे में, जिन्हें अपनाकर आप कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
 प्रति 100  ग्राम प्याज में पाए जाने वाले पोषक तत्व -
प्रोटीन 1.2  ग्राम         कार्बोहाइड्रेट 11.1             विटामिन 15  मि.ग्रा.
वसा 0.1 ग्राम          कैल्शियम 46.9 मिग्रा.         विटामिन 11 मिग्रा.
खनिज 0.4 ग्राम       फॉस्फोरस 50  मि.ग्रा.         कैलोरी  50  मि.कै.
फाइबर 0.6 ग्राम          लौह 0.7 मि.ग्रा.                पानी 86.6 ग्राम
कब्ज दूर करे- प्याज में मौजूद रेशे पेट के लिए बेहद फायदेमंद हैं। प्याज खाने से कब्ज दूर हो जाती है। यदि आपको कब्ज की शिकायत है तो कच्चा प्याज रोज खाना शुरू कर दीजिए।
गले की खराश मिटाए- यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीड़ित हैं तो ताजे प्याज का रस पीजिए। इसमें गुड़ या शहद मिलाकर पीना अधिक फायदेमंद होता है।
डायबिटीज करे कंट्रोल- रोजाना प्याज खाने से इंसुलिन पैदा होता है। यदि आप डायबिटिक हैं तो इसे खाने के साथ रोज सलाद के रूप में खाएं।
दिल से संबंधित बीमारियां खत्म करें- कच्चा प्याज ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड होता है। इसीलिए यह कोलेस्ट्रॉल को भी काबू में रखता है और दिल को बीमारियों से बचाता है।
कैंसर से बचाए- प्याज में सल्फर तत्व अधिक होते हैं। यह शरीर को पेट, कोलोन, ब्रेस्ट, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर से बचाता है। साथ ही, यह मूत्र संक्रमण की समस्या को भी खत्म करता है।
एनीमिया ठीक करे- रोजाना प्याज खाने से खून की कमी दूर होती है।  



हरा प्याज भी है गुणों से भरपूर
- हरा प्याज खाने के कई फायदे हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम बनाए रखता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। एंटी-बैक्टीरियल गुण के कारण ही इसे खाने से पाचन में भी सुधार होता है। हरे प्याज में क्रोमियम होता है। 
- हरा प्याज खाने से इम्यूनिटी पावर बढ़ता है। हरा प्याज चेहरे की झुर्रियों को दूर करता है। इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। हरा प्याज मैक्रोन्यूट्रिशयन को बनाए रखता है। हरे प्याज में एंटी-इन्फ्लामेटरी और एंटी- हिस्टामाइन गुण भी होते हैं। इसीलिए, यह गठिया और अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक रहता है।
- हिस्टीरिया का रोगी अगर बेहोश हो जाए तो उसे प्याज कूटकर सुंघाएं। इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है।
- बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। बालों पर प्याज के रस की मालिश करने से बाल गिरना बंद हो जाते हैं। इसके अलावा, प्याज का लेप लगाने पर कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर से काले होने लगते हैं।
-  पेशाब होना बंद हो जाए तो दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलवा बना लें। हलवा गर्म करके पेट पर लेप लगाने से पेशाब आना शुरू हो जाता है। प्याज पानी में उबालकर वह पानी पीने से भी पेशाब संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

- सर्दी या जुकाम होने पर प्याज खाने से राहत मिलती है। गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। सरसों का तेल व प्याज का रस मिला कर मालिश करें, फायदा होगा। प्याज कई अन्य सामान्य शारीरिक समस्याओं जैसे मोतियाबिंद, सिर दर्द, कान दर्द और सांप के काटने में भी औषधि का काम करता है। प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एड़ियों में फायदा होता है।

जानें, लाल प्याज क्यों है लाभदायक
-  3 चम्मच प्याज का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर लेने से मासिक धर्म की अनियमितता व उस दौरान होने वाले दर्द से राहत मिलती है। प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
- प्याज के 3-4 चम्मच रस में घी मिलाकर पीने से शक्ति बढ़ती है। प्याज के रस में चीनी मिलाकर खाली पेट लेने से पथरी मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है। इसका सेवन एक दिन में एक बार ही करें। बवासीर की समस्या हो तो प्याज के 4-5 चम्मच रस में मिश्री और पानी मिलाकर नियमित रूप से लें, खून आना बंद हो जाएगा। घाव पर नीम के पत्ते का रस और प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र ही भर जाता है। प्याज के रस में दही, तुलसी का रस और नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है और रूसी की समस्या से भी निजात मिलती है।
कमजोरी दूर कर कामेच्छा बढ़ाता है
- 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूख जाने पर फिर यही प्रक्रिया दोहराएं। ऐसा तीन बार करें। अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें। अब इस पाउडर को पांच ग्राम घी और पांच ग्राम चीनी के साथ सेवन करें। इस योग को इक्कीस दिन तक लेने पर शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलती है। एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद और आधा किलो चीनी मिलाकर डिब्बे में पैक कर लें। इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक नियमित सेवन करें। इस योग के प्रयोग से सेक्शुअल डिजायर में वृद्धि होती है।
- एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पेस्ट बना लें। इसे सुखाकर एक किलो प्याज के रस में मिलाकर फिर से पीस लें। इस पेस्ट को दस ग्राम मात्रा में लेकर भैंस के दूध में पकाएं और चीनी
डाल कर पी जाएं। इस योग का सेवन तीस दिन तक नियमित सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी दूर होती है और कामेच्छा में वृद्धि होती है।
गर्मी में रोज खाएं कच्चा प्याज, इसके लाभ जानेंगे तो खुद को रोक नहीं पाएंगे
- प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। माना जाता है कि इस नुस्खे को दो महीनों तक लगातार आजमाया जाए तो बहुत फायदा होता है। प्याज के रस और नमक का मिश्रण मसूड़ों में लगाने से काफी फायदा होता है। प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर दाद-खाज और खुजली में लगाने पर शीघ्र आराम मिलता है।
-  वीर्यवृद्धि के लिए सफेद प्याज के रस के साथ शहद लेने पर फायदा होता है। सफेद प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी का मिश्रण 21 दिनों तक लगातार लेने से नपुंसकता दूर हो जाती है। कफ हो जाने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से फायदा मिलता है। प्याज को पीसकर गुड़ मिलाकर खाने से वीर्य वृद्धि होती है।

- आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें।
-  एक चम्मच सफेद प्याज के रस में एक चम्मच अदरक का रस मिलाएं। इस मिश्रण में पांच ग्राम घी और पांच ग्राम शहद मिलाकर रोजाना सुबह नियम से एक माह तक सेवन करें। कमजोरी की समस्या दूर हो जाएगी।
- 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सूखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सूखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद अजवाइन को पीसकर किसी बोतल में भर लें। आधा चम्मच चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खाएं।

Sunday 30 March 2014

डॉ शुसलर की बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति ---विजय राजबली माथुर

30 मार्च स्मृति दिवस पर विशेष :

*बायोकेमिक चिकित्सा शरीर के कोशों में होने वाली चयापचयिक(मेटाबोलिक)प्रक्रियाओं को खनिज लवणों के माध्यम से मानव शरीर के क्रियाकलापों की सहायता करने के लिए अपरिहार्य होती है। 

*योरोपीय भौतिक विज्ञानियों द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया कि शरीर के कोषों और तंतुओं के वास्तविक घटक स्वास्थ्य के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावकारी होते हैं। बर्लिन के रूडोल्फ वरशु (1821-1902) ने अपनी अनुपम पुस्तक 'सैल्यूलर पैथोलॉजी" में इंगित किया है कि "अंततः प्रत्येक प्रकार का कष्ट (रोग) केवल कोषों में एक प्रकार की विकृति पर आधारित होता है। केवल कोष बीमार हो सकता है-कोष जो मानव शरीर की सबसे चोटी क्रियाकारी इकाई होता है। "

*जर्मन बायोकेमिस्ट और भौतिक विज्ञानी डॉ विल्हेम हेनरिक शुसलर (1821-1898) ने जैविक राख़ का विश्लेषण किया और इसमें 12 प्रमुख टिशु (खनिज) लवणों की पहचान की जो सभी प्राणियों में समान रूप से विद्यमान रहते हैं। ये टिशु  (खनिज) लवण कोषों, तंतुओं और अंगों के अकार्बनिक घटक होते हैं और शरीर की कार्य प्रणाली तथा चयापचयी क्रियाओं के लिए महात्व्पोर्ण होते हैं। डॉ शुसलर ने इन्हें फंक्शनल साल्ट या टिशु लवण" नाम दिया। 

*ये टिशु लवण शिलाओं और मिट्टी में आम पाये जाते हैं। ये लवण न केवल शरीर में खनिजों की कमी को पूरा करते हैं बल्कि भोजन में से इन लवणों के स्वांगीकरण को भी बढ़ाते हैं। 

*डॉ शुसलर ने आगे प्रतिपादित किया जीवित तंतुओं में  इन लवणों की कोषों में आवश्यक मात्रा में कमी से कोषों में मालिक्यूलर गति में जो अव्यवस्था उत्पन्न होती है उसको ही रोग कहते हैं। कमी वाले टिशु (खनिज ) लवण की सूक्ष्म मात्रा में आपूर्ती करने (खिलाने ) से अव्यवस्था को दुरुस्त करके स्वास्थ्य पुनर्स्थापित किया जा सकता है। 

*डॉ शुसलर ने शरीर में विद्यमान प्रत्येक टिशु (खनिज ) लवण के कार्य  और क्रियाकलाप का अन्वेषण किया और इनके आधार पर लक्षणों के अनुसार परीक्षणों द्वारा शानदार परिणाम पाये। 

*डॉ शुसलर का 30 मार्च 1898 को, 77 वर्ष की आयु में देहांत हुआ, लेकिन उनका शोध-कार्य सम्पूर्ण यूरोप तथा विश्व में आज भी जारी है। प्रथम बायोकेमिक परिषद ओलड़नबरी में 1885 में स्थापित हुआ। आज यह 96 शाखाओं में विभक्त है। 

डॉ शुसलर के सिद्धान्त :

*मनुष्य के शरीर में बारह विभिन्न टिशु (खनिज ) लवण विद्यमान होते हैं, अच्छे स्वस्थ्य और कोषों की सामान्य प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए इंका समुचित संतुलन बनाए रखना ज़रूरी होता है। 

*इस संतुलन में कोई भी कमी होने पर जो स्थिति उत्पन्न होती है उसे रोग कहा जाता है। 

*रोग की दशा में शरीर में कमी वाले 'लवणों' को पोटेन टाइज़ रूप में खिलाने से ये टिशु (खनिज ) लवण खून के प्रवाह के साथ तेजी से कोषों में पहुँच कर स्वास्थ्य का सामान्य संतुलन पुनर्स्थापित कर देते हैं। 

*डॉ शुसलर द्वारा आविष्कार की गई यह चिकित्सा विधि बायोकेमिक पद्धति कहलाई। 

*बायोकेमिक दवाएं होम्योपेथिक पद्धति के समान घर्षण करके तैयार की जाती हैं। 

*बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति टिशु (खनिज ) लवणों की कमी के आधार पर की जाती है,अतः होम्योपेथिक पद्धति के विपरीत इस पद्धति में एक से अधिक दवा मिश्रित करके उपयोग की जा सकती है। 

*बायोकेमिक दवाएं सूक्ष्म मात्रा में निम्न पोटेनसी में यथा-1 x, 3 x, 6 x, 12 x, 30 x, 200 x में उपयोग की जाती हैं। ये दवाएं बच्चों, गर्भिणी महिलाओं,वृद्ध व्यक्तियों को भी सुरक्षित रोप से खिलाई जा सकती हैं। 

(साभार-व्हीजल होमयों फार्मा )
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आज डॉ विल्हेम हेनरिक शुसलर साहब की पुण्य तिथि पर उनका स्मरण करते हुये 'बायोकेमिक' दवाओं की जानकारी इसलिए भी दे सका हूँ क्योंकि बचपन से ही   अपने बाबाजी स्व.धनराजबली माथुर साहब,नानाजी स्व.डॉ राधे मोहन लाल माथुर साहब एवं बाबूजी स्व.ताजराजबली माथुर साहब को इंनका  प्रयोग करते हुये देखा है। उनकी पुस्तकों का भी अध्ययन किया है और 'आयुर्वेद रत्न' करने के बावजूद होम्योपेथी  व बायोकेमिक दवाओं को ही अच्छा फलप्रद पाया है। लगभग 22 वर्ष पूर्व 'पंजाब केसरी' में इन बारह बायोकेमिक औषद्धियों का ज्योतिष की बारह राशियों से सम्बन्धों पर भी ज्ञान -प्रकाश डाला गया था और अब मैं खुद भी ज्योतिष द्वारा मानव-कल्याण के कार्यों मेन संलग्न हूँ। अतः 'सूर्य' राशि क्रम से बारह बायोकेमिक दवाओं का क्रम प्रस्तुत करते हुये यह आशा करता हूँ कि इनसे सर्व-साधारण लाभान्वित हो सकेंगे। इसे कल दिनांक 31 मार्च 2014 से प्रारम्भ हो रहे विक्रमी संवत 2071 की शुभकामनाओं के रूप में भी ले सकते हैं। 





       

Sunday 9 March 2014

मखाना किडनियों की भी रक्षा करता है

मखाना ----
"मखाना" संस्कृत के दो शब्द मख व अन्न से बना है। मख का मतलब यज्ञ होता है। अर्थात यज्ञ में प्रयुक्त होने वाला अन्न। जीवन काल से लेकर मृत्यु के बाद भी मखाना मिथिलांचल वासियों से जुड़ा रहता है।मखाने की खेती पूरे मिथिलांचल में होती है।दरभंगा में उत्पन्न होने वाला मखाना उत्तम कोटि का माना जाता है।
मखाने कमल के बीजों की लाही है।मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया | पूजा एवं हवन में भी यह काम आता है । इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं । क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है । आचार्य भावमिश्र (1500-1600) द्वारा रचित भाव प्रकाश निघंटु में इसे पद्मबीजाभ एवं पानीय फल कहा गया है । इसके अनुसार मखाना बल, वाजीकर एवं ग्राही है ।
- इसे प्रसव पूर्व एवं पश्चात आई कमज़ोरी दूर करने के लिए दूध में पकाकर खिलाते हैं ।
- यह सुपाच्य है तथा आहार के रूप में इसका उपयोग किया जाता है । बच्चों को इसे घी या तेल से बघार कर चिवड़े की तरह नमकीन बना कर दे । वे इसे बहुत पसंद करते है । इसे खीर में भी मिला कर दे सकते है । इसे पंजीरी में , लड्डू में भी मिलाया जा सकता है ।
- इसके औषधीय गुणों के चलते अमरीकन हर्बल फूड प्रोडक्ट एसोसिएशन द्वारा इसे क्लास वन फूड का दर्जा दिया गया है । यह जीर्ण अतिसार, ल्यूकोरिया, शुक्राणुओं की कमी आदि में उपयोगी है ।
- यह एन्टीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। इसलिए श्वसनतंत्र, मूत्राशय एवं जननतंत्र से संबंधित बीमारियों में यह लाभप्रद होता है।
- मखाना का नियमित सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कमर और घुटने के दर्द को नियंत्रित रहता है।
- प्रसवपूर्व एवं महिलाओं में आई कमजोरी को दूर करने के लिए दूध में पका कर दिया यह जाता है।
- मखाना में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्सियम, फास्फोरस के अलावा लौह, अम्ल तथा विटामिन बी भी पाया जाता है।
- तीनों मूसलियों के साथ फूल मखाना, ताल मखाना, सालमपंझा तथा कुछ अन्य वनस्पतियों को मिलाकर तैयार की गई औषधि जच्चा के लिए लाभकारी होती है।आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर सफेद मूसली व शतावर को ठंडा, जबकि काली मूसली को गर्म माना जाता है। ठंडी प्रकृति की होने की वजह से सफेद मूसली का प्रयोग अकेले (जैसा पश्चिम में किया जाता है) करने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इससे पेशाब ज्यादा आती है और शरीर में पित्त ऊर्जा की कमी हो जाती है।
- दस्त लगने की समस्या उत्पन हो जाती है तो ताल मखाने का चुरा १ चम्मच दही के साथ खाए ।
- दरभंगा स्थित राष्ट्रीय मखाना शोध संस्थान के अनुसार भारत में लगभग 13,000 हैक्टर नमभूमि में मखानों की खेती होती है । यहां लगभग नब्बे हजार टन बीज पैदा होता है । देश का 80 प्रतिशत मखाना बिहार की नमभूमि से आता है । इसके अलावा इसकी छिटपुट खेती अलवर, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणीपुर और मध्यप्रदेश में भी की जाती है । परन्तु देश में तेजी से खत्म हो रही नमभूमि ने इसकी खेती और भविष्य में उपलब्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं ।

 यदि स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक मखाना खाते रहना है तो देश की नमभूमियों को भी बचाना होगा । नमभूमियों को प्रकृति के गुर्दे भी कहते हैं और पता चलता है कि यहां उगा मखाना हमारी किडनियों की भी रक्षा करता है । तो बचाइए इन गुर्दो को। 

Friday 7 March 2014

Drink water immediately after waking up every morning



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DRINK WATER ON EMPTY STOMACH

It is popular in Japan today to drink water immediately after waking up every morning. Furthermore, scientific tests have proven its value. We publish below a description of use of water for our readers. For old and serious diseases as well as modern illnesses the water treatment had been found successful by a Japanese medical society as a 100% cure for the following diseases:

Headache, body ache, heart system, arthritis, fast heart beat, epilepsy, excess fatness, bronchitis asthma, TB, meningitis, kidney and urine diseases, vomiting, gastritis, diarrhea, piles, diabetes, constipation, all eye diseases, womb, cancer and menstrual disorders, ear nose and throat diseases.

METHOD OF TREATMENT
1. As you wake up in the morning before brushing teeth, drink 4 x 160ml glasses of water

2. Brush and clean the mouth but do not eat or drink anything for 45 minute

3.. After 45 minutes you may eat and drink as normal.

4. After 15 minutes of breakfast, lunch and dinner do not eat or drink anything for 2 hours

5. Those who are old or sick and are unable to drink 4 glasses of water at the beginning may commence by taking little water and gradually increase it to 4 glasses per day.

6. The above method of treatment will cure diseases of the sick and others can enjoy a healthy life.

The following list gives the number of days of treatment required to cure/control/reduce main diseases:
1. High Blood Pressure (30 days)
2. Gastric (10 days)
3. Diabetes (30 days)
4. Constipation (10 days)
5. Cancer (180 days)
6. TB (90 days)
7. Arthritis patients should follow the above treatment only for 3 days in the 1st week, and from 2nd week onwards – daily..

This treatment method has no side effects, however at the commencement of treatment you may have to urinate a few times.
It is better if we continue this and make this procedure as a routine work in our life. Drink Water and Stay healthy and Active.

This makes sense .. The Chinese and Japanese drink hot tea with their meals not cold water. Maybe it is time we adopt their drinking habit while eating!!! Nothing to lose, everything to gain...

For those who like to drink cold water, this article is applicable to you.
It is nice to have a cup of cold drink after a meal. However, the cold water will solidify the oily stuff that you have just consumed. It will slow down the digestion.

Once this 'sludge' reacts with the acid, it will break down and be absorbed by the intestine faster than the solid food. It will line the intestine.
Very soon, this will turn into fats and lead to cancer. It is best to drink hot soup or warm water after a meal.

A serious note about heart attacks:

• Women should know that not every heart attack symptom is going to be the left arm hurting,
• Be aware of intense pain in the jaw line.
• You may never have the first chest pain during the course of a heart attack.
• Nausea and intense sweating are also common symptoms.
• 60% of people who have a heart attack while they are asleep do not wake up.
• Pain in the jaw can wake you from a sound sleep. Let's be careful and be aware. The more we know, the better chance we could survive...
A cardiologist says if everyone who gets this mail sends it to everyone they know, you can be sure that we'll save at least one life.
Please be a true friend and send this article to all your friends you care about.


PLEASE DON'T IGNORE SHARE IT. THIS MIGHT SAVE SOMEONE'S LIFE.

Tuesday 4 March 2014

प्रकृति से संघर्ष व सहयोग / दूर करें दर्द घरेलू नुस्खों से
















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Prakash Jangid Pali 

 घरेलू नुस्खों से दूर करें दर्द -
जिस तरह का जीवन हम जी रहे हैं, उसमें
सिरदर्द होना एक आम बात है। लेकिन

यह दर्द हमारी दिनचर्या में शामिल
हो जाए तो हमारे लिए बहुत
कष्टदायी हो जाता है। दर्द से
छुटकारा पाने के लिए हम पेन किलर घरेलू
उपाय अपनाकर इसे दूर कर सकते हैं। इन
घरेलू उपायों के कोई साईड इफेक्ट
भी नहीं होते।

आयुर्वेदिक दोहे :
1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा को
लग जाय। दूधी पीस लगाइये,
काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें
मुँह में डाल। मुँह में छाले
हों अगर,दूर होंय
... तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै
दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल
कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय
इलायची,दो या तीन गिराम।
सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय
आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर,
चुना तनिक मिलाय। बार-बार
तिल पर घिसे,तिल बाहर आ
जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये,
आवश्कतानुसार। सभी जगह
उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर
शाक पकाय। दूर करेगा अर्श
को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाकबूँद
दो डाल। खून बहे जो नाक से,
बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध
घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर
आना बंद
हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले
निकाल सौ ग्राम। तीन बार
दिन में पियें,पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज
की,मिश्री सँग पी जाय।
पथरी केवल बीस दिन,में गल
बाहर
जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर
जरा मिलाय। पथरी से आराम
हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस
पिये,सुबहा हो औ शाम।
दो चम्मच की मात्रा, पथरी से
आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक
रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस
दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन
तीस ग्राम। लगातार सेवन करें,
पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज
बिन,पन्द्रह दिन गर खाय।
गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर
आय।।
17.लेकर कुलथी दाल
को,पतली मगर बनाय।
इसको नियमित खाय
तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार)
छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय।
सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह
बदबू
जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम
भाग मिलाय। बिच्छू को विष
दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें
शहद मिलाय। तीन बार दिन
लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग
सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे
होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे
रस दस ग्राम। पेट दर्द से
पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है,
यदि आग जल जाय। मींगी पीस
कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर,
वहाँ करें भुरकाव।
जल्दी ही आराम हो, होय
जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं,
अजवायन इक ग्राम। गुण संग
पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले
नीम का पात। रोग
पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये
पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में,
काम न कोई
हकीम।।
28.हरड
बहेडा आँवला चौथी नीम
गिलोय, पंचम जीरा डालकर
सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर
बराबर पाव

Friday 21 February 2014

प्राचीन भारतीय परम्पराएँ शुद्ध वैज्ञानिक हैं

यह बिलकुल सही है कि आजकल लोग प्राचीन भारतीय परम्पराओं का इसलिए मखौल उड़ाते हैं क्योंकि उनके आधुनिक विज्ञान के अध्यन में उनको शामिल नहीं किया गया है। आधुनिक विज्ञान पश्चिम से परावर्तित होकर आया है जबकि प्राचीन विज्ञान भारत से अरब होता हुआ पश्चिम पहुंचा था। खुद को श्रेष्ठ बताने हेतु पश्चिम के वैज्ञानिकों ने भारतीय वैज्ञानिक परम्पराओं को 'अवैज्ञानिक' घोषित कर दिया था और हमारे लोगों ने उसको ब्रह्म-वाक्य मान कर सिरोधार्य कर लिया था।लेकिन निम्नाकित स्कैन कापियों से सिद्ध होता है कि आज भी हमारी अपनी प्राचीन मान्यताएँ ही शुद्ध वैज्ञानिक हैं न कि आधुनिक वैज्ञानिक मान्यताएँ जैसा कि अब खुद आधुनिक वैज्ञानिक भी स्वीकारने लगे हैं। 

हमारे देश में प्राचीन कालीन नियम यह था कि सुबह का भोजन अधिकतम दिन के 12 बजे तक और रात्रि का भोजन सूर्यास्त से पहले कर लिया जाये और सूर्यास्त के बाद पानी न पिया जाये । इसके पीछे विज्ञान का यह नियम था कि शरीर का अग्नि तत्व सूर्य के प्रकाश में खाये  गए भोजन को पचा कर आवश्यक ऊर्जा संचय कर सके। रात्रि काल में चंद्रमा के प्रकाश में शरीर का जल तत्व प्रभावी रहता है अतः अतिरिक्त पानी पीने की आवश्यकता नहीं है।इसी प्रकार अन्य जीवनोपयोगी नियम निर्धारित थे और लोग उनका पालन कर सुखी थे। किन्तु जबसे इन नियमों की अवहेलना हुई देश और देशवासियों का पतन आरंभ हो गया और अंततः देश गुलाम हो गया। गुलामी में अपना अर्वाचीन सब कुछ ठुकरा दिया गया-भुला दिया गया जिसका नतीजा आज की वीभत्स समस्याएँ हैं।  

और  आधुनिक दक़ियानूसी वैज्ञानिकों ने इस प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक सत्यता को अवैज्ञानिक कह कर नकार दिया नतीजतन अब लोग सुबह का भोजन शाम के तीन-चार बजे तथा रात्री भोजन 10-11 बजे करते है और तमाम बीमारियों का शिकार होकर डॉ व अस्पताल के चक्कर काट-काट कर खुद को 'आधुनिक' व 'प्रगतिशील' होने का स्वांग रचते हैं। इस स्वांग को 'ढोंग' और अवैज्ञानिक -अंधविश्वास अब अत्याधुनिक खोजें ही सिद्ध कर रही हैं।

 अतः आज समय की मांग है कि इस धरती के हम सब प्राणी महर्षि स्वामी दयानंद 'सरस्वती' के इस आव्हान कि 'फिर से वेदों की ओर चलो' का अनुपालन करें तथा 'सर्वे भवन्तु सुखिना : ........ सर्वे भवन्तु निरामया : ' रहें। 




Saturday 15 February 2014

अमरूद के औषधीय प्रयोग : (भाग एक) -----


1 शक्ति (ताकत) और वीर्य की वृद्धि के लिए :- अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह नियमित रूप से 21 दिन सेवन करना धातुवर्द्धक होता है।

2 पेट दर्द :- *नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।
*अमरूद के पेड़ के कोमल 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से लाभ होगा।
*अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
*अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है।
*यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पित्तयों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।"

3 बवासीर (पाइल्स) :- *सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
*पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।
*कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है।
 *मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।"

4 सूखी खांसी :- *गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी, कफयुक्त और काली खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
*एक बड़ा अमरूद लेकर उसके गूदे को निकालकर अमरूद के अंदर थोड़ी-सी जगह बनाकर अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में भर देते हैं। इसके बाद अमरूद में कपड़ा भरकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाकर तेज गर्म उपले की राख में भूने, अमरूद के भुन जाने पर मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद पीसकर छान लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में लाभ होता है।"

5 दांतों का दर्द :- *अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा।
*अमरूद के पत्तों को जल में उबाल लें। इसे जल में फिटकरी घोलकर कुल्ले करने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और आंतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।"

6 आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) :- *आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।
*सूर्योदय के पूर्व ही सवेरे हरे कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठने पाता, अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में 3-4 बार करना चाहिए।"

7 जुकाम :- रुके हुए जुकाम को दूर करने के लिए बीज निकला हुआ अमरूद खाएं और ऊपर से नाक बंदकर 1 गिलास पानी पी लें। जब 2-3 दिन के प्रयोग से स्राव (बहाव) बढ़ जाए, तो उसे रोकने के लिए 50-100 ग्राम गुड़ खा लें। ध्यान रहे- कि बाद में पानी न पिएं। सिर्फ 3 दिन तक लगातार अमरूद खाने से पुरानी सर्दी और जुकाम दूर हो जाती है।
लंबे समय से रुके हुए जुकाम में रोगी को एक अच्छा बड़ा अमरूद के अंदर से बीजों को निकालकर रोगी को खिला दें और ऊपर से ताजा पानी नाक बंद करके पीने को दें। 2-3 दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहार साफ हो जायेगा। 2-3 दिन बाद अगर नाक का बहना रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात में बिना पानी पीयें खा लें"

8 मलेरिया :- *मलेरिया बुखार में अमरूद का सेवन लाभकारी है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।
*अमरूद और सेब का रस पीने से बुखार उतर जाता है।
*अमरूद को खाने से मलेरिया में लाभ होता है।"

9 भांग का नशा :- 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है।

10 मानसिक उन्माद (पागलपन) :- *सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जाते हैं और शरीर की गर्मी निकल जाती है।
*250 ग्राम इलाहाबादी मीठे अमरूद को रोजाना सुबह और शाम को 5 बजे नींबू, कालीमिर्च और नमक स्वाद के अनुसार अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इस तरह खाने से दिमाग की मांस-पेशियों को शक्ति मिलती है, गर्मी निकल जाती है, और पागलपन दूर हो जाता है। दिमागी चिंताएं अमरूद खाने से खत्म हो जाती हैं।"

11 पेट में गड़-बड़ी होने पर :- अमरूद की कोंपलों को पीसकर पिलाना चाहिए।

12 ठंडक के लिए :- अमरूद के बीजों को निकालकर पीसें और लड्डू बनाकर गुलाब जल में शक्कर के साथ पियें।

13 अमरूद का मुरब्बा :- अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।

14 आंखों के लिए :- *अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। आंखों की लालिमा, आंख की सूजन और वेदना तुरंत मिट जाती है।
*अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।"

15 कब्ज :- *250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
*अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार सुबह सेवन करने से 7 दिन में अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।
*अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा (पेट फूलना) की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी। नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं।
*अमरूद को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिन में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है।
*अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाता है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज करता है। कब्ज वालों को सुबह के समय नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह और शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
*अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश के खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।"

16 कुकर खांसी, काली खांसी (हूपिंग कफ) :- *एक अमरूद को भूभल (गर्म रेत या राख) में सेंककर खाने से कुकर खांसी में लाभ होता है। छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर अथवा पानी में घोलकर पिलाना चाहिए। अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ निकल जाती है। 100 ग्राम अमरूद में विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक होता है। यह हृदय को बल देता है। अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है। कब्ज से ग्रस्त रोगियों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा, अजीर्ण और गैस दूर होगी। अमरूद को सेंधानमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
*एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।
*एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम 2 बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।"

17 रक्तविकार के कारण फोड़े-फुन्सियों का होना :- 4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी।

18 पुरानी सर्दी :- 3 दिनों तक केवल अमरूद खाकर रहने से बहुत पुरानी सर्दी की शिकायत दूर हो जाती है।

19 पुराने दस्त :- अमरूद की कोमल पित्तयां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं।

20 कफयुक्त खांसी :- एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से कफयुक्त खांसी में लाभ होता है।

21 मस्तिष्क विकार :- अमरूद के पत्तों का फांट मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है।

22 आक्षेपरोग :- अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है।

23 हृदय :- अमरूद के फलों के बीज निकालकर बारीक-बारीक काटकर शक्कर के साथ धीमी आंच पर बनाई हुई चटनी हृदय के लिए अत्यंत हितकारी होती है तथा कब्ज को भी दूर करती

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Sunday 9 February 2014

नीम जूस पीने का गुणकारी फायदा:




नीम जूस पीने का गुणकारी फायदा:

1. नीम में एंटी इंफ्लेमेट्री तत्‍व पाए जाते हैं, नीम का अर्क पिंपल और एक्‍ने से मुक्‍ती दिलाने के लिये बहुत अच्‍छा माना जाता है। इसके अलावा नीम जूस शरीर की रंगत निखारने में भी असरदार है। 

2. नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है। 

3. नीम जूस पीने से, शरीर की गंदगी निकल जाती है। जिससे बालों की क्‍वालिटी, त्‍वचा की कामुक्‍ता और डायजेशन अच्‍छा हो जाता है। 

4. इसके अलावा नीम जूस मधुमेह रोगियों के लिये भी फायदेमंद है। अगर आप रोजाना नीम जूस पिएंगे तो आपका ब्‍लड़ शुगर लेवल बिल्‍कुल कंट्रोल में हो जाएगा। 

5. नीम के रस की दो बूंदे आंखो में डालने से आंखो की रौशनी बढ़ती है और अगर कन्जंगक्टवाइटिस हो गया है, तो वह भी जल्‍द ठीक हो जाता है। 

6. शरीर पर चिकन पॉक्‍स के निशान को साफ करने के लिये, नीम के रस से मसाज करें। इसके अलावा त्‍वचा सं‍बधि रोग, जैसे एक्‍जिमा और स्‍मॉल पॉक्‍स भी इसके रस पीने से दूर हो जाते हैं। 

7. नीम एक रक्त-शोधक औषधि है, यह बुरे कैलेस्ट्रोल को कम या नष्ट करता है। नीम का महीने में 10 दिन तक सेवन करते रहने से हार्ट अटैक की बीमारी दूर हो सकती है। 

8. मसूड़ों से खून आने और पायरिया होने पर नीम के तने की भीतरी छाल या पत्तों को पानी में औंटकर कुल्ला करने से लाभ होता है। इससे मसूड़े और दाँत मजबूत होते हैं। नीम के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से भी इसमें लाभ होता है। नीम का दातुन नित्य करने से दांतों के अन्दर पाये जाने वाले कीटाणु नष्ट होते हैं। दाँत चमकीला एवं मसूड़े मजबूत व निरोग होते हैं। इससे चित्त प्रसन्न रहता है। 

9. नीम के रस का फायदा मलेरिया रोग में किया जाता है। नीम वाइरस के विकास को रोकता है और लीवर की कार्यक्षमता को मजबूत करता है। 

10. प्रेगनेंसी के दौरान नीम का रस योनि के दर्द को कम करता है। कई प्रेगनेंट औरते लेबर पेन से मुक्‍ती पाने के लिये नीम के रस से मसाज करती हैं। प्रसूता को बच्चा जनने के दिन से ही नीम के पत्तों का रस कुछ दिन तक नियमित पिलाने से गर्भाशय संकोचन एवं रक्त की सफाई होती है, गर्भाशय और उसके आस-पास के अंगों का सूजन उतर जाता है, भूख लगती है, दस्त साफ होता है, ज्वर नहीं आता, यदि आता भी है तो उसका वेग अधिक नहीं होता।

Monday 3 February 2014

लौंग के प्रभाव बड़े गुणकारी हैं


लौंग भले ही छोटी है, मगर उसके प्रभाव बड़े गुणकारी हैं। साथ ही लौंग का तेल भी काफी लाभकारी होता है।लौंग को वैसे तो मसाले के रूप में सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। लेकिन किचन में उपस्थित इस मसाले के अमूल्य औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोग जानते हैं। 
 लौंग के कुछ ऐसे ही औषधीय प्रयोगों के बारे में.....
लौंग में कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।

- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है।

-15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है।

- लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है।

- सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।

- गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

- लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है।

- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा।

- लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है।

संक्रमण::
एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में भी काफी उपयोगी होता है। इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है लेकिन संवेदनशाल त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए।

तनाव::
अपने विशिष्ट गुण के कारण यह मानसिक दबाव और थकान को कम करने का काम करता है। यह अनिद्रा के मरीजों और मानसिक बीमारियों जैसे कम होती याददाश्त, अवसाद और तनाव में उपयोगी होता है।

- लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है।

- चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने से बुखार ठीक हो जाती है।

डायबिटीज::
खून की सफाई के साथ-साथ लौंग का तेल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार होता है।

Friday 31 January 2014

शहद और दालचीनी के उपयोग से इम्युन सिस्टम ताकतवर बनता है



शहद और दालचीनी से करें रोगों का निवारण ------- ____________________________________________________
 शहद और दाल चीनी के मिश्रण में मानव शरीर के अनेकों रोगों का निवारण करने की अद्भुत शक्ति है। दुनियां के करीब सभी देशों में शहद पैदा होता है। आज के वैग्यानिक इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं कि शहद कई बीमारियों की अचूक औषधि है। वैग्यानिक कहते हैं कि शहद मीठा जरूर है लेकिन अगर इसे सही मात्रा में सेवन किया जावे तो मधुमेह रोगी भी इससे लाभान्वित सकते हैं।
* हृदय रोगों में उपयोगी है--- शहद और दालचीनी के पावडर का पेस्ट बनाएं और इसे रोटी पर चुपडकर खाएं। घी या जेली के स्थान पर यह पेस्ट इस्तेमाल करें। इससे आपकी धमनियों में कोलेस्टरोल जमा नहीं होगा और हार्ट अटेक से बचाव होगा। जिन लोगों को एक बार हार्ट अटेक पड चुका है वे अगर इस उपचार को करेंगे तो अगले हार्ट अटेक से बचे रहेंगे।
* इसका नियमित उपयोग करने से द्रुत श्वास की कठिनाई दूर होगी । हृदय की धडकन में शक्ति का समावेश होगा। जैसे-जैसे मनुष्य बूढा होता है, उसकी धमनियां और शिराएं कठोर हो जाती हैं। शहद और दालचीने के मिश्रण से धमनी काठिन्य रोग में हितकारी प्रभाव देखा गया है।
* संधिवात रोग-- संधिवात रोगी दो बडे चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पावडर एक गिलास मामूली गर्म जल से लें। सुबह और शाम को लेना चाहिये।
* मूत्राषय का संक्रमण-- ब्लाडर इन्फ़ेक्शन होने पर दो बडे चम्मच दालचीनी का पावडर और एक बडा चम्मच शहद मिलाकर गरम पानी के साथ देने से मूत्रपथ के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
* कोलेस्टरोल घटाने के लिये-- बढे हुए कोलेस्टरोल में दो बडे चम्मच शहद और तीन चाय चम्मच दालचीनी पावडर मिलाकर आधा लिटर मामूली गरम जल के साथ लें। इससे सिर्फ़ २ घंटे में खून का कोलेस्टरोल लेविल १० प्रतिशत नीचे आ जाता है। और दिन मे तीन बार लेते रहने से कोलेस्टरोल बढे हुए पुराने रोगी भी ठीक हो जाते हैं। *आमाषय के रोग-- शहद और दालचीनी के पावडर का मिश्रण लेने से पेट दर्द और पेट के अल्सर जड से ठीक हो जाते हैं।
* दालचीनी और शहद के प्रयोग से उदर की गैस का भी समाधान हो जाता है। 
* मुहासे--- तीन बडे चम्मच शहद और एक चाय चम्मच दालचीनी पावडर का पेस्ट बनाएं। रात को सोते वक्त चेहरे पर लगाएं। सुबह गरम जल से धोलें । दो हफ़्ते के प्रयोग से मुहासे समाप्त होकर चेहरा कांतिमान दिखेगा।
* त्वचा विकार-- दालचीनी और शहद समान भाग लेकर मिश्रित कर एक्ज़ीमा,दाद जैसे चर्म उद्भेद पर लगाने से अनुकूल परिणाम आते हैं। *प्रतिरक्षा तंत्र शक्तिशाली बनाता है-- शहद और दालचीनी के उपयोग से इम्युन सिस्टम ताकतवर बनता है। खून मे सफ़ेद कणों की वृद्धि होती है जो रोगाणु और वायरस के हमले से शरीर की सुरक्षा करते है। जीवाणु और वायरल बीमारियों से लडने की ताकत बढती है।

Friday 24 January 2014

गुड़ और मूंगफली में गुण बहुत है






सर्दीके मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। सर्दियों में गुड़ से बनाई गई खास सामग्री बच्चों और बुजुर्गों सबको अच्छी लगती है। इस मौसम में गुड़ का नियमित सेवन करने से सर्दी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से इन बीमारियों में राहत मिलती हैः

- गुड़ के साथ पकाए चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।

- बाजरे की खिचड़ी में गुड़ डालकर खाने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है।

- गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।

*तिल-गुड़ के लड्डू खाने से मासिक धर्म का रक्त निर्बाध गति से बहता है तथा दर्द में आराम मिलता है।

*सर्द ऋतु में गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से ज़काम, खाँसी, दमा, ब्रांकाइटिस आदि रोग दूर होते हैं।
 
 * ठंड के दिनों में तिल्ली के साथ इसका सेवन करने से ठंड का मुकाबला करने की ताकत आती है। 
ठंड में मेवे के लड्डुओं में भी शकर के बजाय गुड़ मिलाइये। शकर तो सफेद जहर है। गुड़ पीला अमृत है। शकर को साफ करने के चक्कर में इसका प्राकृतिक केल्शियम नष्ट हो जाता है। गुड़ में यह मौजूद रहता है। पुराना गुड़ अधिक अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर पुराना गुड़ न मिले तो नए को ही कुछ देर धूप में रखने से वह पुराने की तरह गुणकारी हो जाता है।
-भोजन के पश्चात नित्य गुड़ की एक डली मुँह में रख कर चूसने से पाचन अच्छा होता है। साथ ही वायुविकार अर्थात गैसेस से भी मुक्ति मिलती है। एसिडिटी नहीं होती।
-चीनी की चाय की जगह गुड़ की चाय अधिक स्वास्थ्यकर मानी जाती है।
-250 ग्राम कच्चा पीसा जीरा और 125 ग्राम गुड़ को मिला कर इसकी गोलियाँ बना लें। दो-दो गोली नित्य दिन में तीन बार खाने से मूत्र विकार में लाभ मिलता है। जैसे मूत्र नहीं होना, मूत्र में जलन आदि।
-रक्तविकार वालों को गुड़ की चाय, दूध के साथ गुड़ या गुड़ की लस्सी पीने से लाभ होता है।
-बीस ग्राम गुड़ और एक चम्मच आँवले का चूर्ण नित्य लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।
-गुड़ और शुद्ध घी मिला कर खाने से शरीर तगड़ा होता है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता।
-एसिडिटी वालों को रोज प्रातःकाल थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए। -ठंड के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गर्मागर्म पी
ना अच्छा रहता है। यह सर्दी-जुकाम से बचाता है।


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मूंगफली- यह मटर, सेम, बीन्स जैसे फली परिवार से जुड़ी हुई है और हर उम्र के लोगों की पसंदीदा है। कुरकुरे स्वाद और गर्म तासीर वाली मूंगफली अपने पोषक तत्वों के कारण बादाम के समकक्ष ठहरती है और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। सर्दियों में आसानी से उपलब्ध होने और किफायती होने की वजह से कुछ लोगों ने तो इसे ‘गरीबों का काजू’ की उपाधि दी है। भुनी हुई, कच्ची, उबाली हुई, तली हुई या रोस्टिड, टेंगी, मसालेदार मूंगफली सड़क के किनारे, बस स्टैंड, लोकल ट्रेन, मॉल-बाजार हर जगह आसानी से मिल जाती है। इसी वजह से यह ‘टाइम पास‘ नाश्ते के रूप में भी मशहूर है। विभिन्न रूपों में खाई जाने वाली यह दानेदार मूंगफली न केवल पौष्टिक तत्वों का खजाना है, बल्कि अपने गुणों की वजह से हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकर भी है। यह प्रोटीन, कैलोरीज, विटामिन बी, ई, तथा के, मिनरल्स, कैल्शियम, नियासिन,जिंक का अच्छा स्त्रोत है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व कई बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करने में सक्षम हैं।
 कुपोषण से लड़ने में मदद विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ जैसी संगठनों ने अपने अध्ययनों से यह साबित किया है कि मूंगफली में मौजूद पोषक तत्व कुपोषण के शिकार बच्चों को बचाने में मदद करते हैं।
* मुट्ठी भर मूंगफली दूध, घी और सूखे मेवों की आपूर्ति करती है। *100 ग्राम कच्ची मूंगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है, जबकि मांस, मछली और अंडों में यह 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होती।
* मूंगफली के 250 ग्राम मक्खन से 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या फिर 15 अंडों के बराबर ऊर्जा आसानी से मिल सकती है। यही नहीं, *250 ग्राम भुनी मूंगफली में जितने खनिज और विटामिन मिलते हैं, उतने 250 ग्राम मांस में भी प्राप्त नहीं होते।
 सेवन में सावधानियां :
मूंगफली को पूरी तरह चबा कर खाना चाहिए, क्योंकि इसे पचाने में दिक्कत होती है। इससे पेट दर्द या एसिडिटी की शिकायत हो सकती है।
* अस्थमा, पीलिया या पेट में गैस बनने की शिकायत होने वाले व्यक्तियों को मूंगफली के सेवन से बचना चाहिए।
* इसके अलावा मूंगफली के सेवन से होंठ, गले और सीने में जलन हो या सांस लेने में दिक्कत हो-ऐसे व्यक्तियों को भी मूंगफली नहीं खानी चाहिए।
* मूंगफली पोषक तत्वों से भरपूर है, फिर भी एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना 50-80 ग्राम से ज्यादा मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए, अन्यथा आप मोटापे जैसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। 
*सौंदर्य बढ़ाए मूंगफली के निरंतर उपयोग से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा मुलायम होती है।
* सर्दियों में त्वचा में सूखापन आने पर थोड़े-से मूंगफली के तेल में दूध और गुलाबजल मिलाकर मालिश करके स्नान करने से आराम मिलता है। 
*होंठ फटने पर चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर अंगुली से हथेली पर रगड़ें। इस तेल से होठों की मालिश करने से लाभ मिलता है।
* मूंगफली के तेल में नींबू का रस मिलाकर पिंपल्स पर लगाने से आराम मिलता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करे कैंसर को रोकने में मददगार जन्म दोष के जोखिम को कम करने में सक्षम पथरी की रोकथाम में सहायक ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है दिल की रक्षा करने में सहायक मधुमेह के रोगियों के लिए एक स्वस्थ नाश्ता बॉडी बिल्डिंग में रुचि रखने वालों के लिए वरदान है बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करे दांतों और हड्डियों के स्वास्थ्य में मददगार पेट संबंधी बीमारियों के इलाज में उपयोगी वायु संबंधी बीमारियों को कम करने में सहायक है।

Saturday 11 January 2014

Health Benefits of Cucumber



We used to think that cucumber is too “cooling” for the bones. On the contrary, cucumber really helps counter inflammation in joints by removing the uric acid crystallization.

Description
The cucumber is a type of melon and comes from the same family as watermelon, zucchini and other squash. It is cylindrical in shape with lengths of approximately 6 to 9 inches.
Its skin is very similar to watermelon, ranges from green to white. Inside, the flesh is pale green and very juicy.
The cucumber is a tropical plant but is also easily available in most part of the world. However, in some cultures, cucumber is more often used to make pickles, of which most of its nutrients would have been lost.


Nutritional Benefits
Cucumber has an impressive amount of water (about 96%) that is naturally distilled, which makes it superior to ordinary water. Its skin contains a high percentage of vitamin A, so should not be peeled off.
The cucumber contains alkaline-forming minerals and is an excellent source of vitamin C and A (anti-oxidants), folate, manganese, molybdenum, potassium, silica, sulfur, and lesser amounts of vitamin B complex, sodium, calcium, and phosphorus.
You have seen beauty practitioners use slices of cucumber on their eyes. It is found that the caffeic acid in this vegetable helps to prevent water retention and when applied topically, helps reduce puffy and swollen eyes.

Health Benefits
Most people are unaware of the immense health benefits of cucumber and would avoid eating cucumber where possible. Fresh cucumber may taste “bland” to some but its thirst-quenching and cooling properties are refreshing. It acts as an anti-oxidant when taken together with fried and barbequed foods.
I like to mix cucumber juice with carrot or orange juices.
Here’s a list of health benefits of cool cucumber:
Acidity:  The alkalinity of the minerals in cucumber juice effectively helps in regulating the body’s blood pH, neutralizing acidity. The juice is also soothing for the treatment of gastric and duodenal ulcers.
Blood pressure:  Like celery, this colorless drink can help regulate blood pressure because of its minerals and traces of sodium.
Connective tissues, building:  The excellent source of silica contributes to the proper construction of connective tissues in our body as in the bones, muscles, cartilage, ligaments and tendons.
Cooling:  During dry and hot weather, drink a glass of cucumber + celery juice. It wonderfully helps to normalize body temperature.
Diuretic:  Cucumber juice is diuretic, encouraging waste removal through urination. This also helps in the dissolution of kidney stones.
Fever:  The temperature regulating properties in cucumber juice makes it a suitable drink when you have a fever.
Inflammation:  The Chinese think that cucumbers are too “cooling” and not suitable for people with rheumatism. But we know now that cucumber can help counter uric acids that are causing inflammation in joints. When cucumber is taken it does its cleaning work at the joints, thus stirring up pain as it eliminates the uric acid. This means it also help other inflamed conditions like arthritis, asthma, and gout.
Hair growth:  The silicon and sulfur content in cucumber juice makes it especially helpful in promoting hair growth. Drink it mixed with carrot, lettuce or spinach juice.
Puffy eyes:  Some people wake up in the morning with puffy eyes, probably due to too much water retention in the body (or having cried to sleep). To reduce the puffiness, lie down and put two slices of cucumber on the eyes for a good ten minutes.
Skin conditions:  The high amount of vitamin C and anti-oxidants in cucumber makes it an important ingredient in many beauty creams for treating eczema, psoriasis, acne, etc.
Sunburn:  When there is a sunburn, make cucumber juice and rub it on the affected area for a cooling and healing effect.
Water retention: It supplies the necessary electrolytes and restores hydration of the body cells, thus reducing water retention.


Consumption Tips
Choose cucumbers that are dark green in color and firm to the touch. Avoid those that are yellowish or are wrinkled at either ends. Thinner cucumbers have fewer seeds than those that are thicker.
Store cucumbers in the fridge to retain its freshness. Cut cucumbers should be kept wrapped up or in an air-tight container and kept in the fridge. Consume within a day or two.

Caution
Where possible, buy organic as cucumbers may be waxed or have pesticides.

साभार :

www.juicing-for-health.com/health-benefits-of-cucumber.html 

Thursday 9 January 2014

छोटे लहसुन के बड़े फायदे

::::::::::::कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे:::::::::::
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है,
आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है:-----------------

@इन बीमारियों में है रामबाण@
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1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।
2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।
4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। 6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।
8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।
9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।
10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।
12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।
13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है। लहसुन की बदबू- अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी।
+++लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।