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Thursday, 16 May 2019

कचनार का फूल स्‍तनों की गांठ व बवासीर को जड़ से खत्‍म करता है

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प्रकृति के पास औषधि का खजाना है जो युगों-युगों से जीवों के काम आते रहे हैं। इन्हीं में से एक कचनार का पेड़ भी है जो कई रोगों को जड़ से खत्‍म करने की क्षमता रखता है। इस पेड़ की पत्तियां, तना व फूल आदि सभी उपयोगी हैं। कचनार की गणना सुंदर व उपयोगी वृक्षों में होती है। इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से गुलाबी कचनार का सबसे ज्यादा महत्‍व है। कचनार के फूल, कलियां और वृक्ष की छाल को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह शरीर के किसी भी भाग में ग्रंथि (गांठ) को गलाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा रक्त विकार व त्वचा रोग जैसे- दाद, खाज-खुजली, एक्जीमा, फोड़े-फुंसी आदि के लिए भी कचनार की छाल का उपयोग किया जाता है। यह वात रोगों के लिए भी बहुत लाभकारी है।
बवासीर :
कचनार की एक चम्मच छाल को एक कप छांछ के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से बवासीर में खून गिरना बंद होता है। कचनार की कलियों के पाउडर को मक्खन और शक्कर मिलकर 11 दिन खाएं। आंतों में कीड़े हों तो कचनार की छाल का काढ़ा पिएं।

सूजन : 
कचनार की जड़ को पानी में घिसकर लेप बना लें और इसे गर्म कर लें। इसके गर्म-गर्म लेप को सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।

स्तनों की गांठ :
कचनार की छाल को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग आधे ग्राम की मात्रा में सौंठ और चावल के पानी (धोवन) के साथ मिलाकर पीने और स्तनों पर लेप करने से गांठ ठीक होती है।

मुंह में छाले : 

कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा-सा कत्था मिलाकर छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
खांसी और दमा  :
शहद के साथ कचनार की छाल का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से खांसी और दमा में आराम मिलता है।

दांतों के रोग  :  
कचनार की छाल को पानी में उबाल लें और उस उबले पानी को छानकर एक शीशी में बंद करके रख लें। यह पानी 50-50 मिलीलीटर की मात्रा में गर्म करके रोजाना 3 बार कुल्ला करें। इससे दांतों का हिलना, दर्द, खून निकलना, मसूढों की सूजन और पायरिया खत्म हो जाता है।

कब्ज  :
कचनार के फूलों को चीनी के साथ घोटकर शर्बत की तरह बनाकर सुबह-शाम पीने से कब्ज दूर होती है और मल साफ होता है। कचनार के फूलों का गुलकन्द रात में सोने से पहले 2 चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

कुबड़ापन  :   
अगर कुबड़ापन का रोग बच्चों में हो तो उसके पीठ के नीचे कचनार का फूल बिछाकर सुलाने से कुबड़ापन दूर होता है। लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग कचनार और गुग्गुल को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से कुबड़ापन दूर होता है। कुबड़ापन के दूर करने के लिए कचनार का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।

घाव  :

कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से घाव ठीक होता है। इसके काढ़े से घाव को धोना भी चाहिए।
https://www.onlymyhealth.com/kachnar-bauhinia-variegata-benefits-in-medicinal-uses-in-hindi-1517559119?utm_source=izooto&utm_medium=push_notifications&utm_campaign=&utm_content=&utm_term=

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Monday, 2 November 2015

बवासीर में राहत दिलाए जीरे का इस्तेमाल

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क्या आप बवासीर यानी पाइल्स से परेशान हैं? इस समस्या में आराम पाने के लिए ट्राई करें जीरा! जीरे में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, सोडियम, पोटैशियम, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन सी और ए जैसे मिनरल्स और विटामिन्स होते हैं। जीरा एक ऐसा मसाला है जो आपके पूरे शरीर को फायदा पहुंचाता है।
जीरे में फाइबर और कार्मेटिव (carmative) तत्व मौजूद होते हैं जिससे कि पाचन क्रिया बेहतर होती है और मल (स्टूल) नर्म हो जाता है। इसके अलावा, ये खाने के पाचन तंत्र में ले जाने में पेट की मदद करता है और अगर आपको इंफेक्शन हो तो उन्हें दूर करता है।
बवासीर में इस्तेमाल का तरीका
थोड़े से जीरे को भून लें और फिर उसका पाउडर बनाएं। इस पाउडर को गर्म पानी में मिलाएं और हर रात सोने से पहले पियें। तीन से चार दिन में आपको पाइल्स की समस्या में आराम महसूस होगा।
 http://www.thehealthsite.com/hindi/diseases-conditions-articles-in-hindi-try-jeera-for-piles-problem-in-hindi-h915/