Thursday, 4 June 2015

गुलकंद एवं नींबू व केले के छिलकों से उपचार : सांवली त्वचा का सलोना निखार --- आरती सिंह

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आरती सिंह


 
गुलकंद बनाने की विधि::
समाग्री:: ताजी गुलाब की पंखुडियां, बराबर मात्रा में चीनी, एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसा सौंफ
विधि------------गुलाब की ताजी व खुली पंखुडियॉं लें ...., कांच की बडे मुंह की बोतल लें इसमें थोडी पंखुडियां डालें.... अब चीनी डालें... फिर पंखुडियां... फिर चीनी....अब एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसा सौंफ डालें..... फिर उपर से पंखुडियां डालें... फिर चीनी.... इस तरह से डब्बा भर जाने तक करते रहें.... इसे धूप में रख दे आठ दस दिन के लिये......बीच- बीच में इसे चलाते रहें.... चीनी पानी छोडेगी और उसी चीनी पानी में पंखुडियां गलेंगी.... (अलग से पानी नहीं डालना है)..... पंखुडियां पूरी तरह गल जाय यानि सब एक सार हो जाय....... लीजिये तैयार हो गया आपका गुलकंद.......
1. गुलकंद के प्रयोग से कब्ज का नाश होता है, डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं रहती और जलन जैसी तकलीफों में आराम मिलता है।
2. गर्मी से आंखों में जलन व लालिमा, पेशाब में कमी, रूकावट या पीलापन, अधिक पसीना आना, त्वचा में खुजली या रंग फीका पड़ने जैसी परेशानियों में गुलकंद का इस्तेमाल लाभकारी होता है।
3. गुलकंद से गर्भाशय, आमाशय, मूत्राशय और मलाशय की बढ़ी हुई गर्मी दूर होती है।
4. यह दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है। यदि भोजन करने के बाद गुलकंद खाया जाए तो यह दिमाग के लिए लाभदायक होता है।
5. प्रतिदिन 10-15 ग्राम गुलकंद सुबह और शाम दूध के साथ खाने से नकसीर का पुराने से पुराना रोग भी ठीक हो जाता है।
6. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीडित रोगी को प्रतिदिन 25-30 ग्राम गुलकंद खाने से कब्ज की समस्या नहीं रहती।
7. गुलकंद रक्त विकार दूर करता है।
8. सुबह और शाम इसे खाने से अधिक पसीने व शरीर से बदबू आने की समस्या दूर होती है। पेट साफ रहता है, भूख बढ़ती है और शरीर में ताकत आती है।
9.रोजाना 1-2 चम्मच गुलकंद खाने से एसिडिटी की समस्या दूर होती है। पीरियड के दौरान गुलकंद खाने से पेटदर्द में आराम मिलता है।
10.गुलकंद शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और कब्ज को भी दूर करता है।सीने की जलन और हड्डियो के रोगो में लाभकारी है, सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है।
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दस्त और डायरिया का अचूक फार्मुला...................
नींबू का रस निकालने के बाद छिल्कों को फेकें नहीं..इन्हें छाँव में रखकर सुखा लें..कच्चे हरे केले का छिल्का उतारकर उसके गूदे को बारीक-बारीक टुकड़े करें और इसे भी छाँव में सुखा लें..............जब दोनो अच्छी तरह सूख जाए तो दोनो की समान मात्रा लेकर मिक्सर में एक साथ ग्राइंड करलें..चूर्ण तैयार.............. दस्त और डायरिया का अचूक फार्मुला..बस 1 चम्मच चूर्ण की फांकी मारनी होगी, हर 2 घंटे के अंतराल से, देखते ही देखते सब ठीक........
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सांवली त्वचा का सलोना निखार------------
यूँ तो साँवली त्वचा की खूबसूरती पर कवियों ने अपनी कलम खूब चलाई है............ बावजूद इसके सांवला रंग युवा वर्ग में परेशानी का सबब बना हुआ है.............. गोरेपन की क्रीम के झांसे में फंसने के बजाय बेहतर होगा कि अपनी त्वचा को निखरी और सलोनी बनाने के प्रयास किए जाए.............दुनिया की कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती अत: आपको जो त्वचा प्राकृतिक रूप से मिली है उसी को स्वस्थ और आकर्षक बनाने के जतन करने चाहिए............सांवली त्वचा को सलोनी रंगत देने के लिए अपनी मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्रा. लेकर पाउडर बना लें.............. एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएं और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें...............इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से सांवलापन दूर होकर रंग निखर आएगा.....त्वचा में आकर्षक चमक आएगी.....

साभार :

Tuesday, 2 June 2015

चुटकियों में कम कर देगा तोंद...... अदरक का इस्तेमाल --- आरती सिंह

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गर्मियों में अदरक का ऐसा इस्तेमाल...... चुटकियों में कम कर देगा तोंद...... 

आधुनिक जीवन शैली में मोटापा के साथ ही तोंद की समस्या आम हो चली है। ऐसे में कैलोरी को बर्न करने वाले पेय पदार्थों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित हो सकता है...........खासकर गर्मी के सीजन में पेय पदार्थों का इस्तेमाल आपको दिनभर तरोताजा रखने के साथ ही तोंद से निजात दिलाएगा। इसके अलावा सोने से पहले खास पेय पदार्थों को लेने से मोटापा भी घटाने में मदद मिलती है।

गर्मी के दिनों में नींबू पानी, खीरा का जूस, एलोवेरा का जूस और अदरक का रस पीना बेहतर होता है। अगर नींबू, एलोवेरा और खीरे का जूस मिलाकर पिया जाए, तो अधिक फायदेमंद होता है..............रोजाना एक चम्मच अदरक का रस आपकी तोंद को कम करने और मोटापा घटाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा अदरक का सेवन खून के प्रवाह को बेहतर बनाने के साथ ही कैंसर के खतरे को कम करता है।

साभार : 
https://www.facebook.com/groups/1374833052829804/permalink/1454187928227649/ 




















 

Sunday, 31 May 2015

बेल के औषधीय गुण --- आरती सिंह

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बेल फल उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं........इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं... बेल के फल का रस ठंडा होता है इसका सेवन गर्मियों में करने से लू और गर्मी की दिक्कते नहीं होती है.........ये गर्मियों में जहां आपको राहत देते हैं, वहीं इनका सेवन शरीर के लिए लाभप्रद भी है। बेल में शरीर को ताकतवर रखने के गुणकारी तत्व विद्यमान हैं। इसके सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यह रोगों को दूर भगा कर नई स्फूर्ति प्रदान करता है।
*पुराने से पुराने आँव रोग से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन अधकच्चे बेलफल का सेवन करें।
* यह डायरिया रोग में काफी लाभप्रद है। यह फल पाचक होने के साथ-साथ बलवर्द्धक भी है।
*पके फल के सेवन से वात-कफ का शमन होता है।
*आँख में दर्द होने पर बेल के पत्त्तों की लुगदी आँख पर बाँधने से काफी आराम मिलता है।
*कई मर्तबा गर्मियों में आँखें लाल-लाल हो जाती हैं तथा जलने लगती हैं। ऐसी स्थिति में बेल के पत्तों का रस एक-एक बूँद आँख में डालना चाहिए। लाली व जलन शीघ्र दूर हो जाएगी।
*बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इस फल के पत्तों का अर्क निकालकर पिलाना चाहिए।
*बेल की छाल का काढ़ा पीने से अतिसार रोग में राहत मिलती है।
*इसके पके फल को शहद व मिश्री के साथ चाटने से शरीर के खून का रंग साफ होता है, खून में भी वृद्धि होती है।
*बेल के गूदे को खांड के साथ खाने से संग्रहणी रोग में राहत मिलती है।
*बेल का मुरब्बा शरीर की शक्ति बढ़ाता है तथा सभी उदर विकारों से छुटकारा भी दिलाता है।
*गर्मियों में गर्भवती स्त्रियों का जी मिचलाने लगे तो बेल और सौंठ का काढ़ा दो चम्मच पिलाना चाहिए।
*पके बेल के गूदे में काली मिर्च, सेंधा नमक मिलाकर खाने से आवाज भी सुरीली होती है।
*छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक चम्मच पका बेल खिलाने से शरीर की हड्डियाँ मजबूत होती हैं। 
*बेल के फल का गुदा निकल कर उसमे थोड़ी मिश्री मिलाकर ३-४ बार लगातार खाने से आँखों की समस्याओ से रहत मिलती है ।
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Sunday, 24 May 2015

विटामिन और प्रोस्‍टेट की समस्‍या

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पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लेकिन  क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार हैं।
  • 1

    कुछ आहार प्रजनन क्षमता को पहुंचाते हैं नुकसान :

    पुरुषों में प्रजनन क्षमता का घटना आजकल बहुत आम हो रहा है। बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार कुछ आहार भी हैं। अनजाने में पुरुष कई बार ऐसे आहार का सेवन करते हैं, जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ जाता है। आइये जानते हैं ऐसे ही आहारों के बारे में।

  • 2

    अधिक सोडियम वाले आहार :

    जिस आहार में सोडियम अधिक होता है, उसका पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। अधिक सोडियम वाला आहार लेने से ब्लड प्रैशर बढ़ सकता है जो बाद में जाकर दिल की बीमारी बन सकता है। सोडियम अंगों में खून के दौरे को कम कर देता है जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो जाता है। चीज, स्नैक्स, बेकन, पिकल, सन ड्राई टमैटो, बेकिंग सोडा, नमक, सोया सॉस सोडियम के रिच सोर्स हैं। प्रजनन क्षमता में कमी न आए, इसके लिए इन सब चीज़ों को खाने से बचें।

  • 3

    अधिक ऑयली और सेचुरेटिड आहार :

    ऑयली और सेचुरेटिड खाने की चीज़ों से बचना चाहिए क्योंकि इनसे खराब कॉलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है। कॉलेस्ट्रॉल काउंट शरीर के मुख्य अंगों में खून के बहाव को प्रभावित करता है, जिससे बाद में जाकर इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है। मीट, अंडे, बटर, सूखा नारियल, चीज, प्रोसेस्ड मीट, व्हिप्ड क्रीम, डार्क चॉकलेट, फिश ऑइल आदि से परहेज करना चाहिए।

  • 4

    अधिक ट्रांस फैट वाले आहार :

    जिन आहारों में ट्रांस फैट होता है उन्हें खाने से बचना चाहिए। ट्रांस फैट से धमनियों में अवरोध पैदा हो सकता है और धीरे-धीरे दिल की बीमारी और इरेक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा पैदा हो जाता है। चिप्स, कुकीज, फ्रैंच फ्राइज, मार्जरीन, मफिन्स, केक और दूसरे इस प्रकार के फ्राईड और पैकेज्ड फूड में ट्रांसफैट होता है। प्रजनन क्षमता की कमी से बचने के लिए इस तरह के ट्रांस फैड आहार खाने से बचें।
  • 5

    अधिक अल्कोहल का सेवन :

    इरेक्टाइल डिसफंक्शन से बचने के लिए अल्कोहल से बचना चाहिए। शोधकर्ताओं के मुताबिक एक ग्लास रेड वाइन तक तो ठीक है लेकिन अन्य अल्कोहल ड्रिंक इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ाता है।

  • 6

    धूम्रपान :

    दुनियाभर के शोधकर्ताओं ने पाया है कि धूम्रपान से पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।  न केवल प्राइमरी स्मोकर्स में अपितु सेकेंडरी और पैसिव स्मोकर्स में भी इसका बड़ा खतरा है| चाहे आप धूम्रपान करें या आपका पार्टनर लेकिन दोनों में प्रजनन क्षमता पर समान प्रभाव पड़ता है। इससे शुक्राणुओं की संख्या में लगातार कमी होती रहती है।

  • 7

    अधिक चीज़ का सेवन :

    दिन में चीज के तीन से अधिक स्लाइस खाने से युवकों की प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि वसा से भरपूर इस डेयरी आहार की मामूली सी मात्रा भी पुरूषों की प्रजनन क्षमता बाधित कर सकती है।

  • 8

    अधिक शर्करा वाले आहार :

    जिन आहारों में शर्करा की मात्रा अधिक होती है उनसे भी प्रजनन क्षमता में कमी होने का खतरा होता है। डार्क चॉकलेट, डेयरी उत्पादों में शर्करा की मात्रा उच्च होती है। इनका सेवन कम करें।


पुरुषों में प्रोस्‍टेट ग्रंथि पायी जाती है, इस ग्रंथि के सुचारु काम करने से सीनम के निर्माण में मदद मिलती है, इसमें समस्‍या होने पर प्रोस्‍टेट कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
  • 1

    विटामिन और प्रोस्‍टेट की समस्‍या:

    बदलते मौसम में पुरुषों में प्रोस्‍टेट की समस्‍या भी बढ़ जाती है, ठंड के मौसम में यह समस्‍या अधिक होती है। विटामिन डी के सेवन से प्रोस्‍टेट के होने की संभावना अधिक रहती है। प्रोस्‍टेट की समस्‍या होने पर पुरुषों को प्रोस्‍टेट कैंसर, प्रोस्‍टेटिक हाइपेथ्रोपी जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। इसके कारण मूत्र मार्ग अवरुद्ध हो सकता है, इसके कारण पेशाब करने में भी परेशानी होती है। इसलिए इस समस्‍या से बचने के लिए विटामिन का पर्याप्‍त मात्रा में सेवन कीजिए।
  • 2

    प्रोस्‍टेट क्‍या है:

    इसे पौरुष ग्रंथि भी माना जाता है, यह पुरुषों के जनानांगों का अहम हिस्‍सा होता है। यह ग्रंथि अखरोट के आकार की होती है। यह ग्रंथि सीनम निर्माण में मदद करती है, जिससे सेक्‍सुअल क्‍लाइमेक्‍स के दौरान वीर्य आगे जाता है। इस ग्रंथि में सामान्‍य बैक्‍टीरियल संक्रमण से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं। इसमें समस्‍या होने पर प्रोस्‍टेटिक हाईपेथ्रोफी और प्रोस्‍टेट कैंसर हो सकता है। पहले प्रकार की बीमारी में प्रोस्‍टेट का आकार सामान्‍य अधिक हो जाता है। जबकि प्रोस्‍टेट कैसर में प्रोस्‍टेट ग्रंथि कैंसर ग्रस्‍त हो जाती है।
  • 3

    शोध के अनुसार:

    ठंड के मौसम में अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हुई तो इसके कारण प्रोस्‍टेट की समस्‍या हो सकती है। नॉर्थवेस्‍टर्न यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये शोध में यह बात सामने आयी। इस शोध की मानें तो विटामिन डी की कमी का असर प्रोस्‍टेट ग्रंथि पर पड़ता है और इसकी कमी से सर्दियों में प्रोस्‍टेट की समस्‍या हो सकती है। जिसके बचाव के लिए विटामिन डी का सेवन बहुत जरूरी है।
  • 4

    विटामिन डी का स्‍तर:

    नॉर्थवेस्‍टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पुरुषों के रक्‍त में विटामिन डी के स्‍तर की जांच की। इसके लिए उन्‍होंने 40 से 79 साल के लोगों का परीक्षण किया। इस शोध के अनुसार जिन लोगों में बॉयोप्‍सी के बाद विटामिन डी का स्‍तर कम देखा गया उनमें बाद में प्रोस्‍टेट कैंसर के होने की संभावना भी बढ़ गई। बढ़ती उम्र के साथ यह समस्‍या भी बढ़ जाती है।
  • 5

    विटामिन डी से कैंसर से बचाव:

    अगर पुरुषों के शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं है तो इससे प्रोस्‍टेट कैंसर की कोशिकाओं का विकास नहीं हो पाता है। यानी विटामिन डी कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है। यानी अगर पुरुषों को प्रोस्‍टेट कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से बचना है तो विटामिन डी का पर्याप्‍त मात्रा में सेवन बहुत जरूरी है।
  • 6

    रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण करता है:

    विटामिन डी प्रोस्‍टेट की संभावना कम हो जाती है। क्‍योंकि यह रक्‍त संचार को सुचारु करता है। इसके अलावा विटामिन डी नई रक्‍त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायक है, विटामिन डी के पर्याप्‍त सेवन से नई रक्‍त कोशिकायें बनती हैं। शरीर में कोशिकाओं को स्‍वस्‍थ रखने के लिए और प्रोस्‍टेट को सुचारु तरीके से काम करने के लिए नई रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण बहुत जरूरी है।
  • 7

    कितना विटामिन डी है जरूरी:

    विटामिन डी की सही मात्रा रक्‍त कोशिकाओं में मापी जाती है। पुरुषों के रक्‍त में विटामिन डी 30 से 80 नोनोग्राम होनी चाहिए। अगर इसका स्‍तर इससे कम है तो इसके कारण पुरुषों में प्रोस्‍टेट कैंसर होने की संभावना 5 गुना अधिक हो जाती है। इसके अलावा विटामिन डी सूर्य की हानिकारक अल्‍ट्रावॉयलेट किरणों से त्‍वचा कैंसर होने से भी बचाता है। नेशनल हेल्‍थ इंस्‍टीट्यूट नियमित रूप से 600 आईयू विटामिन डी के खपत की सलाह देता है।
  • 8

    विटामिन डी के स्रोत:

    विटामिन डी की कमी दूर करने और अपने प्रोस्‍टेट को बचाने के लिए ऐसे आहार का सेवन कीजिए जिसमें विटामिन डी भरपूर मात्रा में मौजूद हो। इसके लिए सालमन और टूना मछली खायें, मशरूम में भी विटामिन डी होता है। दूध, फलों, सेरेल्‍स में विटामिन डी पाया जाता है। इसके अलावा सूर्य की किरणों में भी पाया जाता है। अगर विटामिन डी की कमी पूरी न हो पाये तो विटामिन डी के सप्‍लीमेंट का सेवन करना चाहिए, यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन सप्‍लीमेंट लेने से पहले अपने चिकित्‍सक से सलाह जरूर लीजिए
  • साभार :
    http://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/impotence-in-hindi-7-foods-that-cause-it-1421410084.html?
    http://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/important-vitamins-for-your-prostate-in-hindi-1418623803.html? 
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  • फेसबुक पर जगदीश चंद्र जी जो National Centre For Disease Control, Delhi से सम्बद्ध रहे हैं ने इस पोस्ट पर निम्नलिखित बातों को और जोड़ा है ---
विजय राज बाली जी की वाल से ........
सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयः
जन कल्याणार्थ-जनस्वाथ्य संबंधी आलेखों का संकलन
"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Sunday, 24 May 2015
विटामिन और प्रोस्‍टेट की समस्‍या
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पुरुषों में प्रजनन क्षमता घटना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए कुछ आहार भी जिम्मेदार हैं।
कुछ आहार प्रजनन क्षमता को पहुंचाते हैं नुकसान :
पुरुषों में प्रजनन क्षमता का घटना आजकल बहुत आम हो रहा है। बदलते लाइफस्टाइल के साथ-साथ पुरुषों में घट रहीं प्रजनन क्षमता के लिए जिम्मेदार कुछ आहार भी हैं। अनजाने में पुरुष कई बार ऐसे आहार का सेवन करते हैं, जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ जाता है। आइये जानते हैं ऐसे ही आहारों के बारे में।
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१९७० के दसक में जब जनसत्ता छापना सुरु हुआ कुछ सालों के पश्चात जनसत्ता में एक लेख छपा था की यूरोप में पुरुष और नारी में प्रजनन क्षमता घट रही है, सायद इस दोष का कारण शीघ्र सन्तानुत्पति की इच्छा नहीं होना था, विकास तेजी से हो रहा था और सभी संपन्न थे, इस लिए जवानी के दिनों को स्मृतितियों में संजोने के लिए यह अय्यासी जारी थी, याद नहीं उस समय इस दोष का कारण क्या लिखा था जहां तक मुझे थोड़ा याद है, कि उसमे सायद यही लिखा था कि यूरोप में पुरुष और स्त्रियों का युवा अवस्था से ही सेक्स का खुलापन ही इस दोष का कारण है, जवानी के इस शारीरिक सुख के भोग को वह ब्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे, राजतांत्रिक काल में राजाओं की संतानोत्पति का न होना और बाद में नियोग यज्ञ क्या था , ऋषियों के आम के फल या किसी विशेष प्रकार के फल देने से संतानोत्पति हो ही नहीं सकती यह विज्ञान का नियम है, मनुष्य शरीर की इस प्राकृतिक वातावरण में रहने की एक सीमा है, इसी नियम के तहत शरीर में उत्पन्न होने वाले तमाम पदार्थों की भी एक सीमा हो सकती है, पुरुष के स्पर्म्स और स्त्रिी के गर्भासय में उत्पन होने वाले ओवास की उत्पति की भी एक सीमा हो सकती है, हम समय सीमा में उत्पन्न होकर नष्ट होने वाले इन पदार्थों को ब्यर्थ के भोग विलास में गँवा देते हैं, तो भविष्य के लिए हम क्या उम्मीद करें , और फिर समय बदलने के साथ ही हम पढ़ रहे हैं, कि यूरोप में चाइल्ड एडॉप्शन जोरों से बढ़ने लगा, अमेरिका क्षेत्रफल के अनुसार उसकी आबादी बहुत ही कम है, और अन्य यूरोपीय मुल्कों की भी यही अवस्था है, आज तो दुनिया में टेस्ट ट्यूब बेबी और किराए की कोख सरोगेसी माँ का ज़माना आ गया है, इस लिए दुनिया बदलने लगी है लेकिन इसका भी एक दिन अंत हो जाएगा, आगे क्या होगा यह तो वैज्ञानिक सोच के भविष्य वक्ताओं की सोच के अनुसार भविष्य के गर्भ में छुपा है ?
संदर्भ :
https://www.facebook.com/jagdish.chander.5/posts/597866240316909?pnref=story 

Thursday, 21 May 2015

मोतियाबिंद से बचाव और उपचार---आयुर्वेदिक चिकित्सा

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मोतियाबिंद से बचाव और उपचार:
जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।
* मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।
* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है।
* मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी।
* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।
* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।
* गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है ।
* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है ।
* हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
* आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं
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