"चिकित्सा समाज सेवा है,व्यवसाय नहीं"
Sunday, 21 October 2018
Friday, 12 October 2018
Sunday, 7 October 2018
Wednesday, 3 October 2018
Saturday, 29 September 2018
हृदय रोग मे रामबाण औषद्धि ------ विजय राजबली माथुर
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हृदय रोग मे रामबाण औषद्धि :
ॐ भू ॐ भुवाः ॐ स्वःॐ तत्स्वितुर्वरेनियम भर्गों देवस्य धीमहि। ॐ धियों यो नः प्रचोदयात। ।
हार्ट के मरीज हृदय रोग के उपचार मे इस मंत्र को कुल 9,18,27 या 108 के क्रम मे पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके किसी ऊनी या लकड़ी के आसन या पोलीथीन शीट पर बैठ कर करें ,नंगी धरती पर नहीं अन्यथा 'अर्थ'-earth होने के कारण ऊर्जा -energy नष्ट हो जाएगी और मंत्र जाप व्यर्थ चला जाएगा।कुल 5 ॐ उच्चारण करने होंगे और इन्हें अतिरिक्त ज़ोर लगा कर बोलना होगा।
हाई ब्लड प्रेशर,लो ब्लड प्रेशर,हार्ट आदि की तकलीफ मे 5 अतिरिक्त ॐ लगा कर गायत्री मंत्र के सेवन से शीघ्र लाभ होता है।
KALI PHOS 6 X का 4 tds :
एलोपैथी के साइड इफ़ेक्ट्स और रिएक्शन से बचने हेतु बायोकेमिक KALI PHOS 6 X का 4 tds सेवन करना चाहिए। ज्यादा तकलीफ मे इस दवा का 10-10-10 मिनट के अंतर से सेवन करना जादू सा असर देता है। गुंनगुने पानी मे घोल कर सेवन करें तो और जल्दी लाभ होता है।
अर्जुन वृक्ष की छाल से बना आयुर्वेदिक 'अर्जुनासव' और 'अर्जुनारिष्ट' भी दिल की अचूक और हानि - रहित दवा हैं। 'मृग श्रंग भस्म' भी सुरक्षित आयुर्वेदिक औषद्धि है परंतु यह काफी मंहगी है।
भोजन करने के बीच मे पानी का सेवन न करें और भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र विसर्जन करें तो हार्ट -हृदय मजबूत होता है।
अस्थमा-दमा की बीमारी मे तथा मानसिक चिंता होने पर भी यह 5 अतिरिक्त ॐ वाला गायत्री मंत्र ही 'राम बाण औषधि' है। डायबिटीज़ रोग में पहले ॐ के बाद और बाद के चार ॐ के स्थान पर 3,5,7,9 अर्थात विषम क्रम में तालियाँ बजाएँ जो एक्यू - प्रेशर का कार्य करती हैं और उससे शीघ्र लाभ होता है।
ॐ का प्रयोग क्यों ?:
ॐ= अ+उ +म ---उच्चारण ध्वनिपूर्वक करने से शरीर का मध्य भाग (center point of the body) जिसकी न कोई कसरत होती है और न ही जिसकी कोई मालिश हो सकती है की वर्जिश हो जाती है। इस वर्जिश से धमनियों मे रक्त संवहन सुचारू और सुव्यवस्थित हो जाता है। फलतः धमनियों मे वसा या कोलस्ट्रेल का जमाव नहीं हो पाता यदि हो तो साफ हो जाता है। अतः ॐ का उच्चारण नियमित करते रहने से 'बैलूनिंग' की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
फोटो साभार : पूजा शुक्ला |
हृदय रोग मे रामबाण औषद्धि :
ॐ भू ॐ भुवाः ॐ स्वःॐ तत्स्वितुर्वरेनियम भर्गों देवस्य धीमहि। ॐ धियों यो नः प्रचोदयात। ।
हार्ट के मरीज हृदय रोग के उपचार मे इस मंत्र को कुल 9,18,27 या 108 के क्रम मे पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके किसी ऊनी या लकड़ी के आसन या पोलीथीन शीट पर बैठ कर करें ,नंगी धरती पर नहीं अन्यथा 'अर्थ'-earth होने के कारण ऊर्जा -energy नष्ट हो जाएगी और मंत्र जाप व्यर्थ चला जाएगा।कुल 5 ॐ उच्चारण करने होंगे और इन्हें अतिरिक्त ज़ोर लगा कर बोलना होगा।
हाई ब्लड प्रेशर,लो ब्लड प्रेशर,हार्ट आदि की तकलीफ मे 5 अतिरिक्त ॐ लगा कर गायत्री मंत्र के सेवन से शीघ्र लाभ होता है।
KALI PHOS 6 X का 4 tds :
एलोपैथी के साइड इफ़ेक्ट्स और रिएक्शन से बचने हेतु बायोकेमिक KALI PHOS 6 X का 4 tds सेवन करना चाहिए। ज्यादा तकलीफ मे इस दवा का 10-10-10 मिनट के अंतर से सेवन करना जादू सा असर देता है। गुंनगुने पानी मे घोल कर सेवन करें तो और जल्दी लाभ होता है।
अर्जुन वृक्ष की छाल से बना आयुर्वेदिक 'अर्जुनासव' और 'अर्जुनारिष्ट' भी दिल की अचूक और हानि - रहित दवा हैं। 'मृग श्रंग भस्म' भी सुरक्षित आयुर्वेदिक औषद्धि है परंतु यह काफी मंहगी है।
भोजन करने के बीच मे पानी का सेवन न करें और भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र विसर्जन करें तो हार्ट -हृदय मजबूत होता है।
अस्थमा-दमा की बीमारी मे तथा मानसिक चिंता होने पर भी यह 5 अतिरिक्त ॐ वाला गायत्री मंत्र ही 'राम बाण औषधि' है। डायबिटीज़ रोग में पहले ॐ के बाद और बाद के चार ॐ के स्थान पर 3,5,7,9 अर्थात विषम क्रम में तालियाँ बजाएँ जो एक्यू - प्रेशर का कार्य करती हैं और उससे शीघ्र लाभ होता है।
ॐ का प्रयोग क्यों ?:
ॐ= अ+उ +म ---उच्चारण ध्वनिपूर्वक करने से शरीर का मध्य भाग (center point of the body) जिसकी न कोई कसरत होती है और न ही जिसकी कोई मालिश हो सकती है की वर्जिश हो जाती है। इस वर्जिश से धमनियों मे रक्त संवहन सुचारू और सुव्यवस्थित हो जाता है। फलतः धमनियों मे वसा या कोलस्ट्रेल का जमाव नहीं हो पाता यदि हो तो साफ हो जाता है। अतः ॐ का उच्चारण नियमित करते रहने से 'बैलूनिंग' की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
------ विजय राजबली माथुर
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