Monday 2 September 2013

जल ही जीवन तो है लेकिन इस्तेमाल कैसे करें? कैंसर से बचाव कैसे?



 हमारे शरीर में रक्त का 80 प्रतिशत भाग 'जल' ही होता है। जल शरीर में स्फूर्ती और स्निग्धता बनाए रखता है। लेकिन यदि नियमानुसार प्रयोग किया जाये तभी। भोजन से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है अतः भोजनोपरांत 'ठंडे जल' का प्रयोग वर्जित किया गया है। उत्तम तो यह है कि भोजन के आधे घंटे उपरांत ही जल ग्रहण किया जाये।





दवा के मुक़ाबले परहेज से ज़्यादा फायदा होता है। भोजन में उपरोक्त फलों व सब्जियों का प्रयोग करना तो उत्तम है ही। साथ ही साथ 'कैंसर उत्पत्ति' के कारक ग्रहों-'मंगल' व 'शनि' की शांति हेतु निम्नाकित जाप पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके तथा प्रिथीवी से इंसुलेशन बनाते हुये  करने से अधिक लाभ प्राप्त होगा। 

1)-ॐ अं अंगारकाय नमः 

2)-ॐ शं शनेश्चराय नमः 

Sunday 1 September 2013

शक्तिवर्द्धक घरेलू नुस्खे...................

 
हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के कुछ ऐसे ही औषधिय गुणों के बारे में...

- इसके एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है।


- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरा धनिया की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है। डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।
 
 
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शक्तिवर्धक घरेलू नुस्खे...................

* रोजाना 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए, साथ ही नाश्ते के रूप में ऐसे पदार्थ लें, जिसमें प्रत्येक से 200 कैलोरी प्राप्त हो। नाश्ते में खड़ा अनाज उगाकर लें, चोकर से बना केक खाएँ, चोकर में मेग्निशियम पर्याप्त होता है।
* आलू के दो पराठें के साथ लगभग 50 ग्राम दही का सेवन करें, यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
* आप चाहें तो उबला अण्डा काली मिर्च बुरककर सेवन करें, अण्डे के सफेद भाग में प्रोटीन भरपूर होता है और पीले भाग में अतिरिक्त विटामिन-बी होता है।
* एक मुट्ठी मूँगफली के दाने सेंककर, 10 ग्राम गु़ड़ के साथ चबा-चबाकर नाश्ते के तौर पर सेवन करें, ये ऊर्जा का पर्याप्त भण्डार हैं।
* अत: आप नाश्ते में कुछ भी मनमर्जी का न खाएँ। खाएँ तो ऐसी चीज खाएँ, जिससे आपको एनर्जी मिले और पेट तथा आँतें भी कष्ट महसूस न करें।

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शहद


शहद को आयुर्वेद में औषधीय गुणों का खजाना माना गया है। शहद का अलग-अलग तरह से उपयोग कर हम हमारे शरीर की कई सारी समस्याओं को दूर भगा सकते हैं। शहद में यह गुण होता भी है कि इसका अलग-अलग वस्तुओं के साथ उपयोग करने पर इसकी तासीर भी भिन्न हो जाती है। आइए जानते हैं शहद के ऐसे ही कुछ गुणों को....

-शहद को मसूड़ों पर मलने से पायरिया नहीं होता।

-छोटे बच्चों को दूध पिलाने से पहले शहद चटा दें। फिर दूध पिलाएं ये रोग निरोधक क्षमता बढ़ाता है।

- बेसन, मलाई में शहद मिलाकर त्वचा पर लगाएं। थोड़ी देर बाद धो लें, चेहरा चमक उठेगा ।

- प्रतिदिन 25 ग्राम शहद दूध के साथ जरूर लें । इससे शरीर को ताकत मिलती है।

- त्वचा सम्बन्धी रोग हो या कहीं जल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जादू सा असर दिखाई देगा।

- रात को सोने से पहले दूध के साथ शहद लेने पर बहुत अच्छी नींद आती है।

- दूध में शक्कर की जगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भी निकल जाते हैं।

- जुकाम होने पर शहद की भाप लें व उसी पानी से कुल्ला करें।

 सेब
अंग्रेजी में कहा गया है, "एन एपल ए डे", कीप्स द डॉक्टर अवे" अर्थात् एक सेब रोज खाओ और डॉक्टर को दूर भगाओ। सेब पौष्टिक तत्वों से भरा है। ये न केवल रोगों से लड़ने में मदद करता है बल्कि आपके शरीर को भी स्वस्त रखता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि सेब के सेवन से ह्वदय रोग, कैंसर, मधुमेह के साथ ही दिमागी बीमारियों जैसे पार्किंसन और अल्जाइमर आदि में भी आराम मिलता है। सेब रेशे वाला फल है इसीलिए इसमें में फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। सेब को खाने से पाचन तंत्र भी सही रहता है। यह एक अच्छा एंटी ओक्सिडेंट भी है जो मधुमेह, कैंसर, और दिमाग से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। सेब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को सामान्य करता है। जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। आइये और जानते हैं सेब खाने के लाभों के बारे में और देखते हैं कि कैसे यह जादुई फल हमें स्‍वस्‍थ्‍य रखता है।

सेब खाने के फायदे
सेब खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है। ये स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि बहुत स्वास्थवर्धक भी होता है। यहाँ नीचे इससे मिलने वाले सभी फायदों के बारे में लिखा है।

1- इसमें एंटी आक्सीडेंट पाए जाते हैं जो की हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के कैंसरो को बढने से रोकता है|

2- सेब दिल की बिमारियों को भी ठीक कर देता है|

3- सेब से बहुत से मिनरल्स (पोटाशियम, कैल्सियम, फोस्फोरोस और मग्नेशियम, आयरन, कापर और जिंक) होते हैं जो कि त्वचा, नाखुनो और बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होतें हैं|

4- सेब खाने से दिमाग तेज होता है। पढ़ने वाले बच्चो को तो सेब जरुर खाना चाहिए|

5- सेब मे अधिक मात्रा मे एंटी आक्सीडेंट पाए जातें हैं जो कि कलोस्ट्रोल के लेवल को कम करने मे मदद करते हैं|

6- सेब खाने हमारे शरीर के फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

7- सेब हमारे शरीर मे ऐसे बेक्टेरिया को बढने मे मदद करता है जो हमारी पाचन प्रणाली को बढ़ाते हैं|

8- सेब का जूस हमारे शरीर मे से सभी हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल देता है जिससे हमारी किडनी और लीवर कि बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं|

9- सेब में पाया जाने वाला फाइबर दिल के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है|

10- सेब का जूस अधिक उम्र के लोगो के लिए बहुत लाभदायक होता है क्योंकि ये गठिया और जोड़ो के दर्द को कम करने मे मदद करता है|



Saturday 31 August 2013

तोरई और चावल के औषधीय प्रयोग

 
तोरई
 तोरई एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। तोरई एक विशेष महत्त्व वाली सब्ज़ी है। यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्ज़ी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ़ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों में फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है।

तोरई की तरकारी बहुत हल्की मानी जाती है।

तोरई छोटी, रूखी, तेज, उष्णवीर्य और उल्टी को दूर करने वाली है।

यह कफ-पित्त के रोग को दूर करने वाली, ख़ून को साफ़ करने वाली, निःसारक, सूजन और पेट की गैस को दूर करने वाली है।

पेट की गाँठें, रस और फल में कड़ुवा, ख़ून की बीमारी, तिल्ली के बढ़ने में, खाँसी, सांस सफ़ेद दाग़ (कुष्ठ), पीलिया, बवासीर और टी.बी. को दूर करती है।

तोरई का छिलका : तोरई का ताजा छिलका त्वचा पर रगड़ने से त्वचा साफ होती है।
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चावल 
चावल से तो प्रायः सभी परिचित होंगे, भारत के कई प्रदेशों में चावल मुख्य भोजन के रूप में शामिल है। चावल बहुत गुणकारी होता है, यह हलका व सुपाच्य भोज्य है, इसे बीमार तथा स्वस्थ सभी लोग पसंद करते हैं। पुराना चावल ज्यादा सुस्वादु लगता है।
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* मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
* जिनका पेट कमजोर हो यानी जो आसानी से भोजन न पचा पाते हों, उन्हें चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दें, फिर खिलाएं तो आराम होगा।
* तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। चावल को मांड सहित खाना चाहिए। मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है।
* चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है।


* अतिसार में चावल का आटा लेई की भांति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं।

* पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है। इसी के विपरीत भात को दही के साथ मिलाकर खाने से यदि दस्त लगे हों तो बंद हो जाते हैं।

* यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शकर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।

* सूर्योदय से पूर्व चावल की खील 25 ग्राम लेकर शहद मिलाकर खाकर सो जाएं। सप्ताहभर में आधासीसी सिर दर्द दूर हो जाएगा।

Friday 30 August 2013

आप कितना जानते हैं हींग और सौंफ को?

हींग (दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.10.11) से :

हींग के उपयोग नोट करें---
हींग सिर्फ खाने का जायका ही नहीं बढ़ाती बल्कि हाजमा भी ठीक करती है। कहते हैं अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कई बीमारियों की दुश्मन है। वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए। 

 - एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हींग का पाउडर घोलें। इस घोल में सूती कपड़े को भिगोकर पेट के उस हिस्से की सिकाई करें जहां दर्द हो रहा है। थोड़ी ही देर में दर्द से राहत मिलेगी। 

 - हींग में जरा सा कपूर मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दांत दर्द बंद हो जाता है । 

 - भुनी हुई हींग , काली मिर्च ,पीपल काला नमक समान मात्रा में लेकर पीस लें। रोजाना चौथाई चम्मच यह चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें । 

 - एक ग्राम हींग ,पीसी हुई दस काली मिर्च ,दस ग्राम गुड में सबको मिलाकर सुबह शाम खाएं। 

 - पांच ग्राम भुनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का, थोड़ा काला नमक सबको कूट पीसकर चौथाई चममच तीन बार नित्य लेने से ,उल्टी होना ,जी मिचलाना ठीक हो जाता है। 

- अदरक की गांठ में छेद करके इसमें जरा सा हींग डालकर काला नमक भर कर ,खाने वाले पान के पत्ते में लपेटकर धागा बांध कर गीली मिटटी का लेप कर दें। इसे आग में डाल कर जला लें ,जल जाने पर पीसकर मूंगफली के दाने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। जल्द ही आराम मिलेगा। 

 - पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है। 

 - थोड़ी सी हींग को गुड में लपेटकर गरम पानी से लें। गैस का पेट दर्द ठीक हो जायेगा। 

 - दांत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है। 

 - हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चर्म रोग में आराम मिलता है
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सौंफ (दैनिक भास्कर,उज्जैन,28.10.11) से:




सौंफ में ऐसे अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं।पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। बड़ा हो या छोटा बचा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है। जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी क'ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें। 

 - कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं। 

 - गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है। दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ बड़ी लाभकारी होती है। इसके निरन्तर उपयोग से आंखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती। 

 - उल्टी प्यास जी मिचलाना जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौंफ का सेवन बहुत लाभकारी होता है। - रोजाना सुबह और शाम दस दस ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ होने लगता है। 

 - हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया कूट कर मिश्री मिला लें। खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है। 

 - अगर आपके ब'चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें। इस पानी को एक एक चम्मच दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
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कुछ जानकारी वेबदुनिया डॉटकॉम सेः 

*सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। 

* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है। 

* सौंफ 50 ग्राम व जीरा 50 ग्राम हल्का भूनकर 25 ग्राम काला नमक मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें। भोजन के बाद कुनकुने पानी में लें। यह उत्तम पाचक चूर्ण है। 

* सौंफ का अर्क 10 ग्राम शहद में मिलाकर लें। खाँसी में आराम मिलेगा। 

* सौंफ 25 ग्राम, छोटी हरड़ 50 ग्राम, मिश्री या चीनी 50 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लें। रात्रि को सोते समय 5 ग्राम मात्रा में कुनकुने जल में लें। कब्ज दूर होगा, मंदाग्नि दूर होगी, गैस व आफरा में आराम मिलेगा। 

* यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए। आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा। 

* पेट में वायु का प्रकोप हो तो दाल अथवा सब्जी में सौंफ छोंककर कुछ दिनों तक प्रयोग कीजिए। 

* यदि कब्ज की शिकायत हो तो रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ सौंफ के चूर्ण का इस्तेमाल करें। 

* यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग से आराम मिल जाएगा। 

* हाथ-पाँव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है। 

* जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी कच्ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें। 

* कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएँ। 

* गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है। 
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पत्रिका डॉटकॉम के एक आलेख की मानें, तो कोलेस्ट्रोल को काबू में करने के लिए सौंफ का सहारा लेकर देखिए। अख़बार के मुताबिक, सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं। यूनानी दवाओं में सौंफ की बेहद सिफारिश की जाती है। पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। सौंफ याददाश्त और नेत्र ज्योति बढ़ाती है। इससे कफ का इलाज हो सकता है और इससे कोलेस्ट्रॉल भी काबू में रहता है। कई रिसर्च के बाद सौंफ के सेहत भरे फायदे साबित भी हो चुके हैं। भोजन के बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ लेने से कोलेस्ट्रॉल काबू में रहता है। लीवर और आंखों की ज्योति ठीक रहती है। अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी है। बिना तेल के तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिक्स्चर से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है। अस्थमा और खांसी में सौंफ सहायक है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।

स्वतंत्र वार्ता के मुताबिक,त्रिदोषनाशक है सौंफः 
 सौंफ को मसालों की रानी कहा जाता है। सौंफ का प्रयोग रसोईघर में मसाले के रूप में किया जाता है। पान की तो जाने ही सौंफ है। शादीब्याह या दावत के मौके पर सौंफ मेहमानों के सामने पेश की जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा में सौंफ को त्रिदोषनाशक, कफनाशक, पाचक, बुद्धिवर्द्धक व नेत्रज्योतिवर्द्धक कहा गया है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। सौंफ वात रोग, उदरशूल, दाह, अर्श, नेत्र रोग, वमन, कफ रोग आदि को दूर करती है। सौंफ में स्थिर तेल १५ प्रतिशत तथा उ़डनशील तेल २१ प्रतिशत तक होता है। साथ ही उ़डनशील में ६० प्रतिशत एनीथाल एवं फेनराल नामक तत्व भी पाया जाता है। 

* प्रतिदिन सौंफ और मिश्री चबाचबाकर नियमित रूप से खाने से खून और रंग दोनों साफ होते हैं। 

* बेल का गूदा और सौंफ सुबहशाम खाने से अजीर्ण मिटता है तथा अतिसार में लाभ होता है। 

* दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है। 

* यदि बारबार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में चालीस ग्राम सौंफ पानी आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भुनी फिटकरी मिलाकर दिन में दोतीन बार गरारे करें। 

* गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन भोजन के बाद सुबहशाम सौंफ चबाने से बच्चा गौरवर्ण का होता है। 

* रात्रि को सोते समय गुनगुने पानी के साथ पिसी सौंफ का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। 

* भोजन के बाद प्रतिदिन सौंफ खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है तथा पाचन क्रिया ठीक रहती है। 

* भुनी व कच्ची सौंफ समभाग मिलाकर दो चम्मच चूर्ण मठ्‌ठे के साथ लेने से अतिसार में लाभ होता है। 

* भोजन के बाद आधी कच्ची और आधी भुनी सौंफ सुबहशाम पानी के साथ दो माह तक सेवन करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। 

* स्मरणशक्ति यदि कमजोर हो तो सौंफ कूटकर उसकी मींगी निकालकर सुबहशाम एक चम्मच मींगी पान या गर्म दूध के साथ सेवन करने से स्मरणशक्ति तेज होती है। 

* बच्चे के जन्म के बाद यदि स्तनों में दूध न उतरे तो सौंफ, सफेद जीरा व मिश्री को समभाग पीसकर एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से स्तनों में दुग्ध उतरने लगता है। 

 * जरासी सौंफ पानी में उबालकर तथा मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाता है। 

* पेट दर्द होने पर भुनी हुई सौंफ चबाने से शीघ्र आराम मिलता है। 

 * सौंफ तथा मिश्री पीसकर एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से खूनी पेचिश में लाभ होता है। 

* एक गिलास दूध में सौ ग्राम सौंफ उबालकर, छानकर मीठा मिलाकर पिलाने से उल्टी आना रुक जाता है। 

* दो चम्मच भुनी सौंफ दिन में चार बार लेने से दस्त में लाभ होता है। 

* जी घबराने या उल्टी होने पर सौंफ और पोदीना पानी में उबालें। पानी आधा रह जाने पर पिएं। दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ होता।

Thursday 29 August 2013

पान


*****पान के औषधीय गुण
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भारतीय संस्कृति में पान को हर तरह से शुभ माना जाता है।
*****************इसके अलावा पान का रोगों को दूर भगाने में भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। खाना खाने के बाद और मुंह का जायका बनाए रखने के लिए पान बहुत ही कारगर है। कई बीमारियों के उपचार में पान का इस्तेमाल लाभप्रद माना जाता है
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* पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया की शिकायत दूर हो जाती है। इसके इस्तेमाल में एक सावधानी रखना जरूरी होती है कि पान की पीक पेट में न जाने पाए।

* चोट लगने पर पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे कुछ ही घंटों में दर्द दूर हो जाता है। खांसी आती हो तो गर्म हल्दी को पान में लपेटकर चबाएं।

* यदि खांसी रात में बढ़ जाती हो तो हल्दी की जगह इसमें अजवाइन डालकर चबाना चाहिए। यदि किडनी खराब हो तो पान का इस्तेमाल बगैर कुछ मिलाए करना चाहिए। इस दौरान मसाले, मिर्च एवं शराब (मांस एवं अंडा भी) से पूरा परहेज रखना जरूरी है।

* जलने या छाले पड़ने पर पान के रस को गर्म करके लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं। पीलिया ज्वर और कब्ज में भी पान का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। जुकाम होने पर पान में लौंग डालकर खाने से जुकाम जल्दी पक जाता है। श्वास नली की बीमारियों में भी पान का इस्तेमाल अत्यंत कारगर है। इसमें पान का तेल गर्म करके सीने पर लगातार एक हफ्ते तक लगाना चाहिए।

* पान में पकी सुपारी व मुलेठी डालकर खाने से मन पर अच्छा असर पड़ता है। यूं तो हमारे देश में कई तरह के पान मिलते हैं। इनमें मगही, बनारसी, गंगातीरी और देशी पान दवाइयों के रूप में ज्यादा कारगर सिद्ध होते हैं। भूख बढ़ाने, प्यास बुझाने और मसूड़ों की समस्या से निजात पाने में बनारसी एवं देशी पान फायदेमंद साबित होता है।
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चेतावनी :पान का अत्यधिक प्रयोग मुंह के कैंसर का कारण भी हो सकता है। यहां सिर्फ पान के औषधीय महत्व की जानकारी दी गई है।



  • गहरी नींद के आसान उपाय........

    * रात्रि भोजन करने के बाद पन्द्रह से बीस मिनट धीमी चाल से सैर कर लेने के बाद ही बिस्तर पर जाने की आदत बना लेनी चाहिए। इससे अच्छी नींद के अलावा पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
    * अगर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही हो या फिर मन में घबराहट सी हो तब अपना मन पसंद संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य या स्वास्थ्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ें, ऐसा करने से मन में शांति का भाव आएगा, जो गहरी नींद में काफी सहायक होता है।
    * अनिद्रा के रोगी को अपने हाथ-पैर मुँह स्वच्छ जल से धोकर बिस्तर पर जाना जाहिए। इससे नींद आने में कठिनाई नहीं होगी। एक खास बात यह कि बाजार में मिलने वाले सुगंधित तेलों का प्रयोग नींद लाने के लिए नहीं करें, नहीं तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।
    * सोते समय दिनभर का घटनाक्रम भूल जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में भी कुछ न सोचें। सारी बातें सुबह तक के लिए छोड़ दें। दिनचर्या के बारे में सोचने से मस्तिष्क में तनाव भर जाता है, जिस कारण नींद नहीं आती।
    * अपना पलंग मन-मुताबिक ही चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम महसूस होता हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट बनी रहती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करती है।
    * अगर अनिद्रा की समस्या पुरानी और गंभीर है, नींद की गोलियाँ खाने की आदत बनी हुई है तो किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर शवासन का अभ्यास करें और रात को सोते वक्त शवासन करें। इससे पूरे शरीर की माँसपेशियों का तनाव निकल जाता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिस कारण आसानी से नींद आ जाती है।
    * अच्छी नींद के लिए कमरे का हवादार होना भी जरूरी है। अगर मौसम बाहर सोने के अनुकूल है तो छत पर या बाहर सोने को प्राथमिकता दें। कमरे में कूलर-पँखा या फिर एयर कंडीशनर का शोर ज्यादा रहता है, तो इनकी भी मरम्मत करवा लेनी चाहिए, क्योंकि शोर से मस्तिष्क उत्तेजित रहता है, जिस कारण निद्रा में बाधा पड़ जाती है।

    * सोने से पहले चाय-कॉफी या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करें। इससे मस्तिष्क की शिराएँ उत्तेजित हो जाती हैं, जो कि गहरी नींद आने में बाधक होती हैं।