Monday, 16 September 2013

सब्जी एवं फलों से उपचार







अक्सर डाइट में कुछ सब्जियों के बारे में हमारी धारणा होती है किइन्हें कितना भी लें पर इनका फायदा कुछ नहीं है। आइए जानें ऐसी सब्जियों के बारे में, जिन्हें आप अब तक बेकार समझते आ रहे थे लेकिन इनके फायदे जानकर आपके कई भ्रम दूर होंगे।



कहने-सुनने में भले ही 'कद्दू' शब्द का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप में किया जाता हो, लेकिन 'व्यंजनात्मक' रूप में इसका प्रयोग बहुत लाभकारी होता है। स्वाद के लिए भी और सेहत के लिए भी। प्रकृति ने अपनी इस 'बड़ी' देन में कई तरह के औषधीय गुण समेटे हैं। इसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस सब्जी में 'पेट' से लेकर 'दिल' तक की कई बीमारियों के इलाज की क्षमता है। जहां यह हृदयरोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है, वहीं कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक होती है।

कद्दू हमारे घर में बनाई जाने वाली आम सब्‍जी है लेकिन हम फिर भी इसे अपनी फेवरेट सब्‍जी के रूप में उल्‍लेख नहीं करते। यह बहुत ही स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक सब्‍जी है जिसे हम नजरअंदाज कर देते हैं। भारत में कद्दू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें उनके आकार-प्रकार और गूदे के आधार पर मुख्य रूप से सीताफल, चपन कद्दू और विलायती कद्दू के वर्गों में बांटा जाता है। हमारे यहां विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर कद्दू की सब्जी और हलवा आदि बनाना-खाना शुभ माना जाता है। उपवास के दिनों में फलाहार के रूप में भी इससे बने विशेष पकवानों का सेवन किया जाता है। लोगों में यह भी गलत धारणा है कि कद्दू मीठा होता है इसलिये इसे मधुमेह रोगी नहीं खा सकते। यह बात बिल्‍कुल गलत है। शरीर के इन्‍सुलिन लेवल को बढाना कद्दू का काम होता है

कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी कद्दू में केरोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है। कद्दू ठंडक पहुंचाने वाला होता है। इसे डंठल की ओर से काटकर तलवों पर रगड़ने से शरीर की गर्मी खत्म होती है। कद्दू लंबे समय के बुखार में भी असरकारी होता है। इससे बदन की हरारत या उसका आभास दूर होता है।

कद्दू का रस भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह मूत्रवर्धक होता है और पेट संबंधी गड़बड़ियों में भी लाभकारी रहताहै। यह खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता है और अग्नयाशय को भी सक्रिय करता है। इसी वजह से चिकित्सक मधुमेह के रोगियों को कद्दू के सेवन की सलाह देते हैं।

कद्दू के बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं। कद्दू व इसके बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैलशियम मैग्नीशियम, फॉसफोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्रोत होते हैं। यह बलवर्धक, रक्त एवं पेट साफ करता है, पित्त व वायु विकार दूर करता है और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। प्रयोगों में पाया गया है कि कद्दू के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है। शायद इन्हीं खूबियों की वजह से कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है।

कद्दू खाने के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ कद्दू के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ-
1. एंटीऑक्‍सीडेंट से भरा- कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी कद्दू में केरोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है।

2. ठंडक पहुंचाए- कद्दू ठंडक पहुंचाने वाला होता है। इसे डंठल की ओर से काटकर तलवों पर रगड़ने से शरीर की गर्मी खत्म होती है। कद्दू लंबे समय के बुखार में भी असरकारी होता है। इससे बदन की हरारत या उसका आभास दूर होता है।

3. मन को शांति पहुंचाए- कद्दू में कुछ ऐसे मिनरल्‍स होते हैं जो दिमाग की नसों को आराम पहुंचाते हैं। अगर आपको रिलैक्‍स होना है तो आप कद्दू खा सकते हैं।

4. हृदयरोगियों के लिये-
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि कद्दू हृदयरोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है। यह कोलेस्ट्राल कम करता है, ठंडक पहुंचाने वाला और मूत्रवर्धक होता है।

5. मधुमेह रोगियों के लिये-
कद्दू रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है और अग्न्याशय को सक्रिय करता है। इसी कारण चिकित्सक मधुमेह रोगियों को कद्दू खाने की सलाह देते हैं। इसका रस भी स्वास्थ्यवर्धक माना गया है।

6. आयरन से भरपूर्ण-
कई महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है जिससे उन्‍हें एनीमिया हो जाता है। तो ऐसे में कद्दू सस्‍ता भी पड़ता है और पौष्टिक भी होता है। कद्दू के बीज भी आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।

7. फाइबर- इसमे खूब रेशा यानी की फाइबर होता है जिससे पेट हमेशा साफ रहता है।



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बैंगन
अगर आप बैंगन को बादी मानकर इसे खाने से परहेज करते हैं तो इसमेंमौजूद पोटैशियम और फाइबर से वंचित रहेंगे। 100 ग्राम बैंगनमें 618 मिलीग्राम पोटैशियम, 525 मिलीग्राम कैल्शियम, 17, ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 6 मिलीग्राम आयरन, 6.4 मिलीग्राम विटामिन ए और 8 ग्राम प्रोटीन जैसे जरूरी तत्व हैं। इसके सेवन से अनिद्रा की समस्या दूर होती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

कटहल
अगर आप कटहल को सिर्फ स्वाद में मांसाहार का शाकाहारी विकल्प मानकर खाते हैं तो इसके पोषक तत्वों के बारे में जानने के बादइसका स्वाद आपको और बेहतर लगेगा।
100 ग्राम कटहल में 303 मिलीग्राम पोटैशियम, 24 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए,सी और थाइमिन, 0.108 ग्राम विटामिन बी6, 37 ग्राम मैग्नीशियम, 94 कैलोरी, 14 एमसीजी फोलेट जैसे कई पोषक तत्व होते हैं।
पोटैशियम की अधिकता की वजह से यहलो ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, यह डायरिया और दमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। विटामिन सी की वजह से यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और पेट में अल्सर की आशंका कम करता है। कटहल के फल केअलावा इसके बीज भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं।

अरबी
अरबी की सब्जी न सिर्फ सामान्य डाइट में बल्कि फलाहार के रूप में भी प्रचलित है लेकिन इसके बादी स्वभाव के कारण हम इसके पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते। 100 ग्राम अरबी में 42 ग्राम कैलोरी है जो आलू से भी अधिक है। इसके अलावा इसमें 3.7 ग्राम फाइबर, पांच ग्राम प्रोटीन, 648 मिलीग्राम पोटैशियम, विटामिन ए, सी, कैल्शियम और आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्व हैं।
अधिक फाइबर की वजह से इसका पाचन आसान है। एंटीऑक्सीडेंट्स की अधिकता की वजह से यह त्वचा के लिए फायदेमंद है। साथ ही यह डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद है।




गुणों से भरी है रसीली लीची::


ऊपर से लाल और अंदर से सफेद लीची न केवल रस और स्वाद की खान है, बल्कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। गर्मियों में ठंडक घोलने वाली लीची में क्या-क्या गुण हैं, यहां इस बारे में विस्तार से बताया जारहा है।

फलों की रानी कही जाने वाली लीची गर्मियों की जान है। लीची का नाम आते ही मुंह में मिठास और रस घुल जाता है। यह देखने में जितनी सुंदर है, खाने में उतनी ही स्वादिष्ट, इसीलिए यह सभी का पसंदीदा फल है। यह रसीला फल गर्मियों में शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित बनाए रखता है और ठंडक पहुंचाता है। लीची को बतौर फल ही नहीं खाया जाता, इसका जूस और शेक भी बहुत पसंद किए जाते हैं। जैम, जैली, मार्मलेड, सलाद और व्यंजनों की गार्निशिंग के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जाता है।

स्ट्राबेरी की तरह दिखने वाली हार्ट-शेप लिए छोटी-सी लीची न केवल पौष्टिक तत्वों से भरपूर है, बल्कि स्वास्थ्यवर्ध्क गुणों की खान भी है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉसफोरस, लौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं, जो इसे हमारी सेहत का खजाना बना देते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने तो लीची को ‘सुपर फल‘ का दर्जा भी दिया है।

रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया में सहायक::

लीची में बीटा कैरोटीन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन और फोलेट जैसे विटामिन बी काफी मात्रा में पाया जाता है। यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया के लिए जरूरी है। इससे बीटा कैरोटीन को जिगर और दूसरे अंगों में संग्रहीत करने में मदद मिलती है। फोलेट हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है। इससे हमारा तंत्रिका तंत्र स्वस्थ रहता है।

वजन कम करने में सहायक::

लीची हमारी सेहत के साथ ही फिगर का भी ध्यान रखती है। इसमें घुलनशील फाइबर बड़ी मात्रा में मिलता है, जो मोटापा कम करने का अच्छा विकल्प है। फाइबर हमारे भोजन को पचाने में सहायक होता है और आंत्र समस्याओं को रोकने में मदद करता है। यह वायरस और संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह फाइबर कमजोर और बुजुर्गों को स्वस्थ रहने में मदद करता है।

ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत::

लीची ऊर्जा का स्त्रो त है। थकान और कमजोरी महसूस करने वालों के लिए लीची बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद नियासिन हमारे शरीर में ऊर्जा के लिए आवश्यक स्टेरॉयड हार्मोन और हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, इसलिए काम की थकावट के बावजूद लीची खाने से आप दोबारा ऊर्जावान हो जाते हैं।

पानी की कमी नहीं होने देती::

लीची का रस एक पौष्टिक तरल है। यह गर्मी के मौसम से संबंधित समस्याओं को दूर करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है। लीची हमारे शरीर में संतुलित अनुपात में पानी की आपूर्ति करती है और निर्जलीकरण से बचाती है।

पेट और अन्य बीमारियों की रोकथाम में असरदार::

लीची शरीर की अम्लता के उच्च स्तर को कम करके पाचन संबंधी विकारों को दूर करती है। गैस्ट्रो आंत्र विकार, हल्के दस्त, उल्टी, पेट की खराबी, पेट के अल्सर और आंतरिक सूजन से उबरने में लीची का सेवन फायदेमंद है। यह कब्ज या पेट में हानिकारक टोक्सिन के प्रभाव को कम करती है। गुर्दे की पथरी से होने वाले पेट दर्द से आराम पहुंचाती है। मधुमेह के रोगियों के तंत्रिका तंत्र को होने वाली क्षति को रोकने में मदद करती है।

सर्दी-जुकाम के वायरस के संक्रमण से बचाव::
लीची विटामिन सी का बहुत अच्छा स्त्रोत होने के कारण खांसी-जुकाम, बुखार और गले के संक्रमण को फैलने से रोकती है। यह संक्रामक एजेंटों के खिलाफ प्रतिरोधक के रूप में काम करती है और हानिकारक मुक्त कणों को हटाती है। गंभीर सूखी खांसी के लिए तो लीची रामबाण है। ऑलिगनॉल नामक रसायन की मौजूदगी के कारण लीची एन्फ्लूएंजा के वायरस से आपका बचाव करती है।

त्वचा के निखार के लिए::
लीची में सूरज की अल्ट्रावॉयलेट यूवी किरणों से त्वचा और शरीर का बचाव करने की खासियत होती है। इसके नियमित सेवन से ऑयली स्किन को पोषण मिलता है। साथ ही मुंहासों के विकास को कम करने में मदद मिलती है। चेहरे पर पड़ने वाले दाग-धब्बों में कमी आ जाती है।

बच्चों के विकास में सहायक::

लीची में पाए जाने वाले कैल्शियम, फॉसफोरस और मैग्नीशियम तत्व बच्चों के शारीरिक गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मिनरल्स अस्थि घनत्व को बनाए रखते हैं। ये ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करते हैं।

सूजन की दर्द से राहत::

लीची तंत्रिका तंत्र की नसों और जननांगों की सूजन के इलाज में फायदेमंद है। इससे दर्द से राहत मिलती है।

बीज और छिलका भी है फायदेमंद::

लीची बीज के पाउडर में दर्द से राहत पहुंचाने के गुण हैं। पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए बीज के पाउडर की चाय पीना फायदेमंद है। ऐसी चाय पीने से तंत्रिका तंत्र में होने वाले दर्द में भी राहत मिलती है। पेट के कीड़े मारने के लिए शहद में यह पाउडर मिला कर खाया जाता है। किसी भी अंग में सूजन कम करने के लिए लीची बीज के पाउडर का लेप लगाने से आराम मिलता है। लीची के छिलके वाली चाय सर्दी-जुकाम, दस्त, वायरल और गले के इंफेक्शन के इलाज में मददगार है। हर्बल चाय में लीची पेड़ की जड़ों, फूल और छाल उबाल कर पीने से चेचक जैसे संक्रामक रोगों में राहत मिलती है।

औषधि और अल्कोहल के निर्माण में सहायक::

दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने लीची के पल्प और छिलके में मौजूद फिनॉलिक कम्पाउंड से वजन कम करने, ब्लड प्रैशर नियंत्रित करने और हृदय रोगों की सप्लिमेंट्री दवाइयों का निर्माण किया है। इनमें हाईड्रोक्सीकट, लीची-60 सीटी और एक्स्रेडीन प्रमुख हैं। लीची से स्किन क्रीम भी बनाई गई है, जिससे चेहरे की झुर्रियां घटाई जा सकती हैं। इसे अल्कोहल बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

सीमित मात्रा में सेवन::

एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए एक कटोरी या 10-11 दाने लीची का सेवन हितकर है। ज्यादा खाने से नकसीर या सिर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कई बार तो लीची की अधिकता से एलर्जी भी हो जाती है। शरीर में खुजली होना, जीभ तथा होंठ में सूजन आना और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं सामने आती हैं।

रक्तचाप और हृदय रोगों से बचाव::

लीची में मौजूद पोटेशियम और तांबा दिल की बीमारियों से हमारा बचाव करता है। यह हृदय की धड़कन की अनियमितता अथवा अस्थिरता और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। इससे हृदयाघात का जोखिम काफी कम हो जाता है। लीची में मौजूद लाभदायक रासायनिक तत्व शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती और रक्त का प्रवाह सुचारु ढंग से होता रहता है। इसी वजह से लीची का नियमित सेवन हार्ट अटैक की संभावना 50 प्रतिशत कम कर देता है।


केले के फायदे
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केले में पोटैशियम पाया जाता है,
जो कि ब्लड प्रेशर के मरीज के लिए बहुत
फायदेमंद है।
ज्यादा शराब पीने से हैंगओवर को उतारने
में केले का मिल्क शेक बहुत फायदेमंद
होता है।

केले का शेक पेट को ठंडक पहुंचाता है।
केला ब्लड शुगर नियंत्रित करता है।

केले में काफी मात्रा में फाइबर
पाया जाता है।

केला पाचन क्रिया को सुचारु करता है।
अल्सर के मरीजों के लिए केले का सेवन
फायदेमंद होता है।

केले में आयरन भरपूर मात्रा में होता है,
जिसके कारण खून में हीमोग्लोबिन
की मात्रा बढ़ती है।

तनाव कम करने में भी मददगार है केला।
केले में ट्राइप्टोफान नामक
एमिनो एसिड होता है जिससे मूड
को रिलैक्स होता है।
दिल के लिए – दिल के मरीजों के लिए
केला बहुत फायदेमंद होता है। हर रोज
दो केले को शहद में डालकर खाने से दिल
मजबूत होता है और दिल
की बीमारियां नहीं होती हैं।
नकसीर के लिए – अगर नाक से खून
निकलने की समस्या है तो केले
को चीनी मिले दूध के साथ एक सप्ताह तक
इस्तेमाल कीजिए। नकसीर का रोग
समाप्त हो जाएगा।

वजन बढ़ाने के लिए –
वजन बढ़ाने के लिए
केला बहुत मददगार होता है। हर रोज केले
का शेक पीने से पतले लोग मोटे हो सकते हैं।
इसलिए पतले लोगों को वजन बढाने के
लिए केले का सेवन करना चाहिए।

बच्चों के लिए – बच्चों के विकास के
लिए केला बहुत फायदेमंद होता है। केले में
मिनरल और विटामिन पाया जाता है
जिसका सेवन करने से बच्चों का विकास
अच्छे से होता है। इसलिए बच्चों की डाइट
में केले को जरूर शमिल करना चाहिए।

बुजुर्गों के लिए फायदेमंद –
केला बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छा फल है।
क्योंकि इसे बहुत ही आसानी से छीलकर
खाया जा सकता है। इसमें विटामिन-सी,
बी6 और फाइबर होता है जो बढ़ती उम्र में
जरूरी होता है। बुढ्ढों में पेट के विकार
को भी यह समाप्त करता है।

1 comment:

  1. maine kabhi socha bhi nahin tha ki kaddu baingan jaisi sabzi bhi itni achhi ho sakti hai .. bahut badiya jaankari mili.

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