यह
कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दू...र करती
है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। औषधि के रूप में इसका प्रयोग
गठिया, र्यूमेटिक आर्थराइटिस (आमवात, जोड़ों की बीमारियों) साइटिका और
गर्दन व रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर, भूख
न लगना, मरोड़, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ
बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक
धर्म में अनियमितता होना, एंटी-फंगल। इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को
दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
अदरक एक दर्द निवारक के
रूप में भी पाया गया है। इस का प्रयोग दर्दनाक माहवारी, माइग्रेन, अपच और
संक्रमण के लिए और अस्थमा के रूप में राहत प्रदान और जीवन शक्ति और
दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
विभिन्न प्रकार के रूमेटिक रोगों में जहाँ कर्टिकोस्टेराईड तथा नान
स्टेराइड दर्द नाशक दवाएं दी जाती हैं वहाँ अदरक का रस बहुत ही लाभ दायक
है। अदरक कुष्ठ, पीलिया, रक्त पित्त, ज्वर दाह रोग आदि में उपयोगी औषधि है।
अदरक का रस पेट के लिए तो लाभकारी है ही साथ में शरीर की सूजन, पीलिया,
मूत्र विकार, दमा, जलोदर आदि रोगों में भी लाभकारी है। इसके सेवन से वायु
विकार नष्ट हो जाते हैं।
बालों के लिए भी उपयोगी है। अदरक का रस रूसी को भी नियंत्रित करता है। अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।
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