'जब तक जियो मौज से जियो -घी पियो चाहें उधार ले के पियो ' सिद्धान्त के अनुगामी यंत्रवत ज़िंदगी जीते हैं और इसी में मस्त रहते हैं। नतीजा उनके मन-मस्तिष्क,शरीर को विकृत करने के रूप में सामने आता है। यदि पहले ही सचेत रह कर कुछ सावधानियाँ बरती जाएँ तो इन विकारों से बचा जा सकता है।
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