Saturday, 30 April 2016

पुराने घरेलू नुसखे ------ स्वर्ण भाटिया





घरेलू नुसखे
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1.प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
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2.प्रतिदिन 1 अखरोट और 10 किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर होती है।
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3.टमाटर के सेवन से चिढ़चिढ़ापन और मानसिक कमजोरी दूर होती है।यह मानसिक थकान को दूर करमस्तिस्क को तंदरुस्त बनाये रखता है।इसके सेवन से दांतो व् हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है.
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4.तुलसी के पत्तो का रस,अदरख का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1चम्मच की मात्रा में दिन में 3से4 बार सेवन करने से सर्दी,जुखाम व् खांसी दूर होती है।
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5.चाय की पट्टी की जगह तेज पत्ते की चाय पीने से सर्दी, जुखाम ,छींके आनानाक बहना ,जलन व् सरदर्द में शीघ्र आराम मिलता है।
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6.रोज सुबह खाली पेट हल्का गर्म पानी पीने से चेहरे में रौनक आती है वजन कम होता है, रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और गुर्दे ठीक रहते है।
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7.पांच ग्राम दालचीनी ,दो लवंग और एक चौथाई चम्मच सौंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में उबाले जब यह 250 ग्राम रह जाए तब इसे छान कर दिन में
3 बार पीने से वायरल बुखार में आराम मिलता है।
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8.पान के हरे पत्ते के आधे चम्मच रस में 2 चम्मच पानी मिलाकर रोज नाश्ते के बाद पीने सेपेट के घाव व् अल्सर में आराम मिलता है।
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9.मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर यदि शुद्ध देशी घी में हींग-जीरे का तड़का लगाकर खाया जाए तो यह वात, पित्त, कफ तीनो दोषो को शांत करती है।
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10. भोजन में प्रतिदिन 20 से 30 प्रतिशत ताजा सब्जियों का प्रयोग करने से जीर्ण रोग ठीक होता है उम्र लंबी होती है शरीर स्वस्थ रहता है।
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11.भिन्डी की सब्जी खाने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब साफ़ और खुलकर आता है।
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12.दो तीन चम्मच नमक कढ़ाई में अच्छी तरह सेक कर गर्म नमक को मोटे कपडे की पोटली में बांधकर सिकाई करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
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13.हरी मिर्च में एंटी आक्सिडेंट होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैऔर कैंसर से लड़ने में मदद करता है इसमें विटामिन c प्रचुर मात्रा में होता है जो की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में सुधार करता है।
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14.मखाने को देसी घी में भून कर खाने से दस्तो में बहुत लाभ होता है इसके नियमित सेवन से रक्त चाप , कमर दर्द, तथा घुटने के दर्द में लाभ मिलता है।
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15.अधिक गला ख़राब होने पर 5 अमरुद के पत्ते 1 गिलास पानी में उबाल कर थोड़ी देर आग पर पका ठंडा करके दिन में 4 से 5 बार गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।
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16.आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पान में उबाले 2 लीटर पानी बचने पर छानकर रखे, इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1 कप पीने से लिवर ठीक रहता है एवशराब पीने की इच्छा नहीं होती.।
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17.नीम की पत्तियो को छाया में सुखा कर पीस लें . इस चूर्ण में बराबर मात्रा में कत्थे का चूर्ण मिला ले।इस चूर्ण को मुह के छालो पर लगाकर टपकाने से छाले ठीक होते है।
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18.प्रतिदिन सेब का सेवन करने से ह्रदय,मस्तिस्क तथा आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है तथा शरीर की कमजोरी दूर होती है।
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19.20से 25 किशमिश चीनी मिटटी के बर्तन में रात को भिगो कर रख दें।सुबह इन्हें खूब चबा कर खाने से लो ब्लड प्रेसर में लाभ मिलता है व् शरीर पुष्ट होता है।
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20. अमरुद में काफी पोषक तत्व होते है .इसके नियमित सेवन से कब्ज दूर होती है और मिर्गी, टाईफाइड , और पेट के कीड़े समाप्त होते है।

Monday, 25 April 2016

रतनजोत के प्रयोग से बाल काले हो जाते है ------ जीवन- शैली

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आप जो तेल का प्रयोग करते है  उसमे रतनजोत के कुछ टुकड़े ड़ाल दीजिये जिससे तेल का रंग तो सुंदर हो ही जाता है इस तेल के प्रयोग से बाल स्वस्थ और काले हो जाते हैं  साथ ही इस तेल से मस्तिष्क की ताकत भी बढ़ती है रतनजोत  घिसकर माथे पर लगाने से मानसिक क्षमता बढ़ती है और डिप्रेशन बीमारियाँ नहीं होती है इसका पावडर तेल में मिलाकर मालिश करने से त्वचा का रूखापन खत्म होता है . 

रतनजोत के खास प्रयोग-


रतनजोत के पौधे की जड़ का पावडर एक ग्राम सवेरे शाम लिया जाए तो  मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जाते हैं त्वचा के रोगों से छुटकारा पाना हो तो इसकी जड़ का आधा ग्राम पावडर सवेरे शाम ले लीजिये  इसके पौधे की पत्तियों को चाय की तरह पीया जाए तो यह हृदय के लिए बहुत लाभदायक है-


 इसके पत्तियों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है और दाद, खाज और खुजली से छुटकारा मिलता है. इसके पत्तों का काढ़ा नियमित रूप से लिया जाए तो गुर्दे की पथरी भी ठीक हो जाती है   


एक किलो सरसो का तेल, रतनजोत, मेहंदी के पत्ते, जलभांगरा के पत्ते तथा आम की गुठलियों को 100-100 ग्राम की मात्रा लेकर सभी को कूटकर लुगदी बना लें और लुगदी को निचोड़ लें।फिर उसे सरसों के तेल में इतना उबालें कि सारा पानी जल जाए, केवल तेल ही शेष बचे। इसे छानकर इसका तेल रोजाना सिर परलगायें।और   सुबह-शाम 250 ग्राम दूध पीना चाहिए। इससे बाल काले हो जाते हैं।


आंवला के पिसे हुए चूर्ण को नींबू के रस और रतनजोत चूर्ण के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।आंवला और लौह चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।


100 ग्राम दही में  पिसी हुई एक ग्राम कालीमिर्च और रतनजोत चूर्ण  मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर को धोयें और बाद में गुनगुने पानी से सिर को धो लें। इस प्रयोग को करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है तथा बाल काले और सुन्दर हो जाते हैं।



जीवन- शैली

http://www.jeevanshaeli.com/2015/12/ratanjot-ke-pryog-se-baal-kaale-ho.html

Tuesday, 19 April 2016

थायरायड को कैसे कम करे ------ जीवन-शैली

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आजकल एक गंभीर समस्या बहुतायात देखने को मिल रही है थायराइड - थायरायड गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों तरफ होती है थायरायड में अचानक वृधि हो जाना या फिर अचानक कम हो जाना है -


एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन का उत्पादन करती है - पैराथायरायड ग्रंथियां- थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े  यानी कि कुल चार होती हैं  यह ” पैराथारमोन ” हार्मोन का उत्पादन करती हैं -

तनावग्रस्त जीवन शैली से थायराइड रोग बढ़ रहा है आराम परस्त जीवन से हाइपो थायराइड और तनाव से हाइपर थायराइड के रोग होने की आशंका आधुनिक चिकित्सक निदान में करने लगे हैं आधुनिक जीवन में व्यक्ति अनेक चिंताओं से ग्रसित है जैसे परिवार की चिंताएँतथा आपसी स्त्री-पुरुषों के संबंध- आत्मसम्मान को बनाए रखना- लोग क्या कहेंगे आदि अनेक चिंताओं के विषय हैं-

उपचार-

1- थायरायड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए- दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थाइरोइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं-

2- थायरायड ग्रन्थि को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते है गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायरायड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है-

3- थायरायड की परेशानी में जितना हो सके फलों  और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए- क्युकि फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है जो थायरायड को कभी भी बढ़ने नहीं देता है- सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च आदि का सेवन करें-

4- थायरायड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है चूँकि मुलेठी में मौजूद तत्व थायरायड ग्रन्थि को संतुलित बनाते हैं और थकान को उर्जा में बदल देते हैं- मुलेठी थायरायड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है-

5- योग के जरिए भी थायरायड की समस्या से निजात पाया जा सकता है इसलिए आपको भुजंगासन, ध्यान लगाना, नाड़ीशोधन, मत्स्यासन, सर्वांगासन और बृहमद्रासन आदि करना चाहिए-

6- अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायरायड की समस्या से निजात दिलवाते हैं- अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायरायड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है-

साभार : 

जीवन-शैली -
http://www.jeevanshaeli.com/2016/04/how-to-reduce-thyroid_8.html

Wednesday, 13 April 2016

क्यूँ न रखें फ्रिज में ये सामान


By:Rahul Sharma, Onlymyhealth Editorial Team,Date:Sep 12, 2014

फ्रिज में न रखें ये सामान : 

रेफ्रिजरेटर में चीजों को इसलिए रखते हैं ताकि वे खराब न हों। लेकिन, कुछ चीजों को फ्रिज में नहीं रखना चाहिये। वे बाहर ही ज्‍यादा सुरक्षित रहती हैं। इनमें से कुछ के बारे में आपको पहले से ही पता होगा, लेकिन कुछ आपको हैरान कर देंगी। 

कॉफी : 



फ्रिज में रखने पर कॉफी अपना सारा स्‍वाद खो देती है। तो बेहतर है कि आप इसे एयरटाइट जार में बाहर ही रखें। फ्रिज में रखने पर यह अपनी कुदरती गंध भी खो देती है। इसलिए इसे बाहर ही रखना चाहिये। 

तेल : 



तेल को कभी फ्रिज में नहीं रखना चाहिये। फ्रिज में रखने से यह गाढ़ा हो जाता है और कुछ हद तक मक्‍खन की तरह हो जाता है। कुछ तेल जैसे नारियल और ऑलिव ऑयल को खासतौर पर‍ फ्रिज में नहीं रखना चाहिये। और जब आप इन्‍हें फ्रिज से निकालते हैं तो इन्‍हें सामान्‍य तापमान तक आने में काफी समय लगता है। 

प्‍याज :  
प्‍याज को तो कभी भी फ्रिज में न रखें। फ्रिज में रखने पर ये न सिर्फ पिलपिले हो जाते हैं बल्कि इससे फ्रिज के अंदर भी अजीब सी गंध भर जाती है। इससे फ्रिज में रखे अन्‍य सामान पर भी इसका असर आता है। तो बेहतर है कि प्‍याज को बाहर ही रखा जाए। 

आलू : 

आलू स्‍टार्च से भरा होता है, जो ठंड में बुरा असर डालती हैं। ठंड में स्‍टार्च शुगर के रूप में टूटने लगता है। इससे यह ग्रीटी और एक प्रकार से मीठा हो जाता है। इससे इसका स्‍वाद और आकार दोनों खराब हो जाते हैं। आलू वास्‍तव में ठंडे और अंधेरे में ही रखने चाहिये। अच्‍छा है अगर आप इन्‍हें कागज में लपेटकर रखें। और प्‍याज से दूर क्‍योंकि दोनों को साथ रखने पर दोनों जल्‍दी खराब हो सकते हैं। 

टमाटर : 

टमाटर पकने पर ज्‍यादा स्‍वाद देते हैं। लेकिन फ्रिज में रखने से टमाटर के पकने की कुदरती प्रक्रिया रुक जाती है। फ्रिज में रखने पर वे मुलायम हो जाते हैं और उनके भीतर बर्फ के कण जमने लगते हैं। इसके बजाय आपको चाहिये कि आप ताजा टमाटर खरीदें और उन्‍हें फ्रिज में न रखें।

शहद : 

शहद कुदरती प्र‍िजरवेटिव है, तो अगर आप इसे बरसों तक जार में ऐसे ही रखा रहने दें तो भी यह खराब नहीं होता। शहद को फ्रिज में रखने से उसमें चीनी के कण जमा हो जाते हैं और शहद सख्‍त हो जाता है। ऐसे में इसे जार से निकालना मुश्किल हो जाता है।

खरबूजा :

फ्रिज में रखने से खरबूजा अपने एंटीऑक्‍सीडेंट गुण खो देता है। खासतौर पर अगर आप उन्‍हें बिना काटे फ्रिज में रखें तो इसके एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों पर विपरीत असर पड़ता है। हालांकि काटकर आप इसे फ्रिज में रख सकते हैं। 

ब्रेड  : 
फ्रिज में रखने से ब्रेड जल्‍दी खराब होती है। फ्रिज में रखने पर यह जल्‍दी सख्‍त हो जाती है और आसानी से चूरा हो जाती है। अगर ब्रेड सैं‍डविच के रूप में हो, तो आप उसे फ्रिज में रख सकते हैं। अन्‍यथा आप उसे फ्रिज में न रखें और सीधा फ्रिजर में रख दें। 

लहसुन  : 

लहसुन फ्रिज के बाहर भी सुरक्षित रहता है। बल्कि अगर आप इसे फ्रिज में रखेंगे तो यह ज्‍यादा जल्‍दी खराब होगा। तो लहसुन को फ्रिज के बाहर ही रखना चाहिए। 

साभार : 







Thursday, 7 April 2016

नवरात्र : फेस्टिवल आफ फिटनेस ------ किशोर चंद्र चौबे

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कल से नव - विक्रमी संवत का प्रारम्भ हो रहा है और  'नवरात्र  पर्व  ' भी। अब से दस लाख वर्ष पूर्व जब इस धरती पर 'मानव  जीवन  ' की सृष्टि  हुई तब  अफ्रीका, यूरोप व त्रि वृष्टि  (वर्तमान तिब्बत ) में  'युवा पुरुष' व 'युवा - नारी ' के रूप  में  ही। जहां प्रकृति ने राह दी वहाँ मानव बढ़ गया और जहां प्रकृति की विषमताओं ने रोका वहीं वह रुक गया। त्रि वृष्टि  का मानव अफ्रीका व यूरोप के मुक़ाबले अधिक विकास कर सका और हिमालय पर्वत पार कर दक्षिण में उस 'निर्जन' प्रदेश  में आबाद हुआ जिसे उसने 'आर्यावृत ' सम्बोधन दिया। आर्य शब्द  आर्ष  का अपभ्रंश था  जिसका अर्थ है 'श्रेष्ठ ' । यह न कोई जाति है न संप्रदाय  और न ही मजहब । आर्यावृत में  वेदों का सृजन  इसलिए हुआ था कि, मानव जीवन को उस प्रकार जिया जाये जिससे वह श्रेष्ठ बन सके। परंतु यूरोपीय व्यापारियों  ने मनगढ़ंत  कहानियों द्वारा आर्य को यूरोपीय  जाति के रूप में प्रचारित करके वेदों को गड़रियों के गीत घोषित कर दिया और यह भी कि, आर्य आक्रांता थे जिनहोने यहाँ के मूल निवासियों को उजाड़ कर कब्जा किया था। आज मूल निवासी आंदोलन उन मनगढ़ंत कहानियों के आधार पर 'वेद' की आलोचना करता है और तथाकथित  नास्तिक/ एथीस्ट भी जबकि पोंगापंथी  ब्राह्मण  ढोंग-पाखंड-आडंबर को धर्म के रूप में प्रचारित करते हैं व  पुराणों के माध्यम से जनता को गुमराह करके  वेद व पुराण को एक ही बताते हैं। 

चारों  वेदों  में जीवन के अलग-अलग  आयामों  का उल्लेख है। 'अथर्व वेद ' अधिकांशतः  'स्वास्थ्य  ' संबंधी आख्यान करता है। 'मार्कन्डेय चिकित्सा  पद्धति ' अथर्व वेद पर आधारित है  जिसका वर्णन  किशोर चंद्र चौबे जी ने किया है। इस वर्णन के अनुसार  'नवरात्र  ' में  नौ  दिन नौ औषद्धियों  का सेवन कर के  जीवन को स्वस्थ रखना था। किन्तु  पोंगा पंथी  कन्या -पूजन, दान , भजन, ढोंग , शोर शराबा करके वातावरण भी प्रदूषित कर रहे हैं व मानव  जीवन को विकृत भी।  क्या  मनुष्य बुद्धि, ज्ञान व विवेक द्वारा  मनन  ( जिस कारण 'मानव' कहलाता है ) करके   ढोंग-पाखंड-आडंबर का परित्याग करते हुये इन  दोनों नवरात्र  पर्वों को स्वास्थ्य रक्षा  के पर्वों  के रूप में पुनः नहीं मना सकता ?
(विजय राजबली माथुर )

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Sunday, 3 April 2016

सहजन और मेवा से उपचार

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नई दिल्ली. आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। दक्षिण भारत में इसके साल भर फली देने वाले पेड़ होते है। जहां इसे सांबर में डाला जाता है। वहीं उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छंटाई कर दी जाती है।

हम आपको सहजन के 25 अतिमहत्वपूर्ण गुणों के बारे में बताने जा रहे है। पाठकों को सलाह है कि इसे प्रयोग करने से पहले किसी चिकित्सक की सलाह जरुर लें। 

1- आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
2- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
3- जड़ दमा, जलोधर, पथरी, प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
4- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदना नाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
5- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
6- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है|
7- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
8- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
9- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
10- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
11- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
12- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
13- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
14- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
15- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
16- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे।
17- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
18- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  
19- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। 
20- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
21- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
22- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जोकि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
23- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
24- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
25- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलीवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलीवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

साभार : 

http://www.newspoint360.com/news/health/25-important-qualities-of-sahjan/791.html


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