******कोई दूसरा आपकी लड़ाई नहीं लड़ सकता एंटीबायोटिक पेनकिलर भी नहीं।******
आलोक भारती
आज एक 80 वर्षीय माता जी को देखने उनके घर गया।काफी समय से बीमार हैंकुछ खा पी नहीं रहीं कमजोरी के चलते चलने फिरने से लाचार।टायलेट भी पकड़ कर ले जाया जाता।पिछले डा॰ की काफी सारी दवाएं टानिक विटामिन कैप्सूल पेन किलर प्रोटीन पावडर उनके सिरहाने रखे थे।शायद इन सब से कोई आराम न मिलता देख मुझे काल किया गया था।
बिना कुछ मेडिकली एक्जाम जैसे बी पी,पल्स,फीवर चेक करे मैंने अपनी हथेली उनके हाथ पर रख कर कहा -माता जी जरा मेरे हाथ को कस कर पकड़िए।माता जी के हाथ का दबाव अपने हाथ पर अच्छा खासा महसूस कर मैं समझ गया समस्या कहां है।
माता जी जरा उठ कर बैठिए मैंने कहा।उनके बेटे ने झट से एक हाथ उनकी गर्दन के नीचे व एक हाथ कमर के नीचे डाल उठाने की कोशिश करने लगा।
माता जी खुद उठ कर बैठेंगी आप पीछे हटिए मैनें कहा।
पर इन्हें करवट तक हम दिलाते हैं ये अपने आप कैसे उठेंगी अबकी बार बहू बोली।
नहीं ये खुद उठेंगी क्योंकि ये खुद उठ सकती हैं इनके साथ इनकी मां दुर्गा की भी शक्ति है मैंने माता जी के गले में पड़े लाकेट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
इतने से काम के लिए अपनी मइया को थोड़े ही ना मैं परेशान करूंगी मैं खुद उठ सकती हूं।इतना बोल माता जी ने करबट ली और दोनों हाथों के बल से उठने की कोशिश में लग गईं।डेढ़ मिनट मुश्किल से लगा और वह बिस्तर पर बैठ कर मुस्करा रही थीं।
माता जी आप थक गई होंगी थोड़ा सुस्ता लें मैंने कहा।ना बेटा ना जिंदगी भर भाग दौड़ करी है अब आखिरी घड़ी बिस्तर पर एड़ियां न रगडूंगी।
तो चलिये माता जी बाहर तक टहल कर आते हैं इतना कह कर माता जी की चप्पलें उनके करीब सरका दीं।माता जी ने दोनों पैर बेड से उतारे और धीरे से चप्पलें पहन लीं मैंने अपना हाथ बताया उन्होंने पकड़ा और धरती पर अपने दम पर खड़ी हो गईं।सब उनको विस्मय से देख रहे थे।
मुझे ठिठका देख वह बोलीं आइये आपको अपनी बगिया दिखाऊं।सधे व धीमे कदमों से वह मेरा हाथ पकड़े बाहर आ गईं।और अपनी लगाई फुलवारी के पौधों की विशेषता बताने लगीं।कहीं से ना लग रहा था कि यह स्त्री अभी आधा घंटा पहले करवट लेने तक से लाचार थी ।तभी उन्हें एक नन्हा पौधा मिट्टी में गिरा दिखा तो मेरा हाथ छोड़ उकडू बैठ उसे सीधा करा व हाथों से मिट्टी खरोच उसके आसपास जमा दी ताकि दोबारा ना गिरे।
आइये माता जी अब अंदर चलें मैने कहा।ना बेटा ना मुझे तो यहीं कुर्सी मंगवा दे थोड़ी देर खुली हवा में बैठूंगी अंदर तो दम घुटता है।और हां बहू दो कप चाय भी भेज देना।
बहू मानो सपने से जागी हो -जी माजी अभी लाती हूं।
चाय पीकर मैंने माता जी से इजाजत ली और गेट खोल बाहर आया।
डा॰ साहब माता जी को दवाई नहीं लिखी आपने?बेटे ने पूछा ।इतनी सारी विटामिन प्रोटीन तो रखी हैं चाहे तो खिला दें चाहे फिकवा दें।
रोग आपको मारने नहीं सिर्फ डराने व प्रताणित करने आते हैं।
जो डर गया वह मर गया ।
जो लड़ गया वह जीत गया।
क्योंकि जीतने के लिए लड़ना पड़ता है।
माता जी लड़ीं और जीतीं।
कोई दूसरा आपकी लड़ाई नहीं लड़ सकता एंटीबायोटिक पेनकिलर भी नहीं।
https://www.facebook.com/alok.verma.1048554/posts/679346078870862